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समाज

फुकुशिमा के रेडियोधर्मी पानी को समुद्र में छोड़ने पर बवाल

१६ अक्टूबर २०२०

जापान सरकार ने फुकुशिमा के रेडियोधर्मी पानी को समुद्र में छोड़ने का फैसला किया है. आधिकारिक घोषणा एक महीने में हो सकती है. इलाके के कारोबारियों को डर सता रहा है कि लोग उनका सामान नहीं खरीदेंगे.

Japan Fukushima
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Hanai

मार्च 2011 में भूकंप और सूनामी के कारण फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र के दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. उसके बाद से जापान की बिजली कंपनी "टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी" के पास दस लाख टन रेडियोधर्मी पानी जमा हो गया है. जापान के उद्योग मंत्री हिरोशी काजियामा ने कहा है कि सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है लेकिन जल्द ही ऐसा कर सकती है. हालांकि स्थानीय मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार फैसला लिया जा चुका है. काजियामा ने इस बात पर जोर दिया कि परमाणु संयंत्र को जल्द से जल्द साफ करने की जरूरत है. हालांकि उन्होंने इसके लिए कोई समय सीमा नहीं दी.

फुकुशिमा में मौजूद पानी को हटाने में दशकों का वक्त लग सकता है. लेकिन अगले साल टोक्यो ओलंपिक खेलों के चलते इसे लेकर जल्दबाजी की जा रही है. वैसे तो ओलंपिक खेल इसी साल आयोजित होने थे लेकिन कोरोना के कारण इन्हें स्थगित करना पड़ा. अगले साल होने वाले खेलों में कुछ ऐसे भी हैं जो फुकुशिमा से महज 60 किलोमीटर दूर होने हैं. ऐसे में खिलाड़ियों में भी चिंता का माहौल है.

मछुआरों को कारोबार की चिंता

समुद्र में रेडियोधर्मी पानी छोड़ना जापान को और मुश्किल में डाल सकता है. एक तरफ मछुआरे इसके खिलाफ खड़े होंगे और दूसरी ओर पड़ोसी देश भी नहीं चाहेंगे कि समुद्र के रास्ते उन तक यह जहरीला पानी पहुंचे. जापान में मछुआरों के संघ ने पिछले ही हफ्ते सरकार को पत्र लिख कर ऐसा ना करने की अपील की थी. व्हेल मछली के शिकार के चलते जापानी मछुआरे यूं भी दुनिया भर में बदनाम हैं. चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि बदलने के लिए उन्होंने पिछले सालों में जितना काम किया है, सरकार के इस कदम के बाद वह मिट्टी में मिल जाएगा.

फुकुशिमा में फंसा पानी पिछले एक दशक से चर्चा के केंद्र में रहा है. दक्षिण कोरिया ने फुकुशिमा क्षेत्र से आने वाले सीफूड पर पाबंदी लगाई हुई है. पिछले साल दक्षिण कोरिया ने जापान से इस पर सफाई भी मांगी थी कि रेडियोधर्मी पानी के साथ वह क्या करना चाहता है.

हर दिन 170 टन रेडियोधर्मी पानी

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार जापान सरकार के सलाहकारों ने पानी को समुद्र में छोड़ने का प्रस्ताव दिया है जिसे सरकार ने स्वीकार भी कर लिया है. औपचारिक रूप से इसकी घोषणा करने से पहले सरकार मछुआरों के साथ बात करना चाहती है. उनकी चिंताओं पर विचार करने के लिए एक पैनल के गठन की भी बात चल रही है. दुर्घटनाग्रस्त रिएक्टर को ठंडा करने के लिए पानी की जरूरत होती है. इसके अलावा भूजल भी ऊपर आ रहा है जो रिएक्टर के निचले तलों में पहुंच जाता है. इस पानी को फिल्टर करने के बाद जमा कर रखा जा रहा है.

फिलहाल यह सारा पानी संयंत्र के टैंकों में रखा गया है लेकिन हर दिन इसमें 170 टन पानी और जमा हो रहा है. इस गति से 2022 तक और पानी रखने की जगह नहीं बचेगी. फिलहाल फुकुशिमा में एक हजार से भी ज्यादा टैंक रेडियोधर्मी पानी से भरे हुए है. पानी को समुद्र में डालने के लिए कंस्ट्रक्शन की जरूरत होगी और परमाणु एजेंसी की अनुमति भी चाहिए. इसमें दो साल तक का समय लग सकता है.

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