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लगातार बढ़ रही गर्मी से जापान के लोगों में चिंता बढ़ी

जूलियान रायल, टोक्यो से
१८ अक्टूबर २०२५

जापान ने इस साल अब तक की सबसे गर्म गर्मियां देखीं. स्थिति अब भी सुधरती नहीं लग रही. लगातार बढ़ रही गर्मी को लेकर लोग चिंता में हैं. यह खेती-बाड़ी से लेकर लोगों के स्वास्थ्य तक असर डाल रही है.

जापान में टोक्यो की सड़क पर धूप में छाता लगाकर जाती दो महिलाएं
इन गर्मियों में जापान के अस्पतालों में लोगों को लू लगने के 1 लाख से ज्यादा मामले सामने आएतस्वीर: Philip Fong/AFP

2025 में जापान ने अब तक की सबसे ज्यादा गर्म गर्मियां देखीं. इस दौरान देश का औसत तापमान सामान्य से 2.36 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया. जापान के इसेसाकी शहर में 5 अगस्त को तापमान 41.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. जो कि 1898 के बाद से अब तक का सबसे ऊंचा तापमान था.

जापान की मौसम एजेंसी के अनुसार, इस साल उसके 1,300 से भी अधिक स्टेशनों ने कम से कम 30 बार 40 डिग्री से ऊपर का तापमान दर्ज किया. यह 2018 की गर्मियों में बने पिछले रिकॉर्ड (जो कि 17 बार था) से लगभग दोगुना है.

हालांकि, पूरे जापान में अब पतझड़ का मौसम आ चुका है. लेकिन फिर भी गर्मी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. पिछले रविवार दक्षिणी शहर, कागोशिमा में 35 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था. इस महीने देश भर में कम से कम 30 से भी अधिक स्थानों पर रिकॉर्ड तापमान दर्ज किए गए हैं.

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असामान्य तरीके से बढ़ रहा तापमान

टोक्यो मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी में जलवायु विज्ञान के प्रोफेसर योशिहिरो इजिमा ने कहा, "तापमान बढ़ने का सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वॉर्मिंग है.” 

प्रोफेसर योशिहिरो इजिमा कहते हैं कि गर्मी की वजह बनी सभी परिस्थितियों ने मिलकर एक तरह का ‘परफेक्ट स्टॉर्म' बनायातस्वीर: Yuichi Yamazaki/AFP

उन्होंने डीडब्ल्यू से हुई बातचीत में बताया, "इस साल प्रशांत महासागर और जापान सागर, दोनों में ही समुद्र की सतह का तापमान बहुत अधिक बढ़ गया है. जिससे जापान के द्वीपों पर नमी बढ़ गई है, इसने जमीन के ऊपर की हवा का तापमान कहीं अधिक बढ़ा दिया है.”

उन्होंने कहा, "सभी परिस्थितियां मिलकर एक तरह का ‘परफेक्ट स्टॉर्म' बनीं. जिसने इस साल के रिकॉर्ड तोड़ तापमान में योगदान दिया. लेकिन चिंता की बात यह है कि हम लगातार तीन साल से तापमान के रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. यह बेहद चिंताजनक है. मैं तापमान में धीरे-धीरे हो रही बढ़ोतरी को लेकर चिंतित होता. लेकिन अभी वह असामान्य रूप से बढ़ता ही जा रहा है.” 

दुनिया में बढ़ा तापमान इसकी वजह

इस साल की परिस्थितियां इतनी ज्यादा गंभीर रहीं कि जापान की मौसम एजेंसी को एक सलाहकार पैनल बुलाना पड़ा. शोधकर्ताओं ने इसके पीछे व्यापक जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने सितंबर के अंत में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा, "अगर वैश्विक तापमान का असर नहीं होता, तो जापान में 2025 जितनी गर्मी नहीं पड़ती.” 

पैनल ने आगे कहा, "वैश्विक तापमान के कारण, जापान में हाल के वर्षों में तापमान तेजी से बढ़ा है. जापान में लगातार तीन वर्षों (2023 से 2025) तक गर्मियों में औसत तापमान रिकॉर्ड स्तर पर दर्ज किया गया है.

बढ़ती गर्मी से खराब हो रही फसलें और आ रहे तूफान

इजिमा ने कहा कि इस साल पड़ी असामान्य गर्मी जापान के लिए काफी गंभीर साबित हो सकती है. उन्होंने बताया, "जापान के कृषि क्षेत्र पर इसका असर गंभीर होगा. इससे चावल की पैदावार घट सकती है क्योंकि फसल गर्मी सह नहीं पाती है और पानी की भी भारी कमी है.” 

विशेषज्ञों ने मछली पकड़ने के तरीकों में आए बदलावों की ओर भी ध्यान दिलाया. इस बार काफी कम मछलियां पकड़ी गई हैं. यहां तक कि पारंपरिक मछलियां ठंडे पानी की तलाश में उत्तर दिशा की ओर चली गई हैं.

लेकिन बढ़ती गर्मी का असर सिर्फ पर्यावरण पर ही नहीं, बल्कि जापान की जनता के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है. एक मई से लेकर अक्टूबर की शुरुआत तक एक लाख से भी अधिक लोगों को लू लगने के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है. यह संख्या पिछले साल की तुलना में चार फीसदी ज्यादा है. जो खुद में एक नया रिकॉर्ड है. इससे बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. जो अत्यधिक तापमान और उमस के दोहरे प्रभाव से जूझ रहे हैं.

इजिमा ने यह भी चेतावनी दी कि तेज गर्मी से तूफान और अधिक शक्तिशाली और विनाशकारी हो जाते हैं.

सोमवार को टाइफून ‘नाकरी' टोक्यो के दक्षिण में स्थित इजू द्वीप समूह से होकर गुजरा. इसके ठीक एक हफ्ते बाद जब टाइफून ‘हालोंग' ने भी उसी क्षेत्र को प्रभावित किया. पहले तूफान में एक व्यक्ति की मौत हुई और भूस्खलन से कई इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं.

इजिमा ने कहा, "जापान के पास के समुद्र का लगातार बढ़ रहा तापमान, इन तूफानों को अधिक सक्रिय व विनाशकारी बना देता है. इसलिए तापमान जितना बढ़ेगा, ये तूफान उतने ही खतरनाक होते जाएंगे.” 

अब जापान में बस दो ही मौसम होंगे?

मिए यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर योशिहिरो ताचिबाना के नेतृत्व में किए गए शोध से पता चला है कि 1982 से 2023 के बीच जापानी गर्मियां तीन हफ्ते और लंबी हो गई हैं. जिसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन ही है.

ताचिबाना ने बताया, "यह ग्लोबल वार्मिंग और जापान के चारों ओर के समुद्र की सतह के लगातार बढ़ रहे तापमान के कारण हुआ है.” उन्होंने यह भी कहा कि जापान के आसपास समुद्र का तापमान दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में 2-3 गुना तेजी से बढ़ रहा है.

उन्होंने बताया, "इसका कारण यह है कि यहां गर्मियों के दौरान दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में तापमान ज्यादा होता है. चूंकि, पश्चिमी गर्म हवाएं और कुरोशियो प्रवाह (जो उष्णकटिबंधीय प्रशांत से पानी लेकर जापान आता है) तापमान को और बढ़ा देता है.”

हालांकि, जापानी सर्दियां अभी भी लगभग समान अवधि की बनी हुई है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां आर्कटिक हवाओं का भी असर रहता है. लेकिन वसंत और शरद धीरे-धीरे सिकुड़ते जा रहे हैं.

ताचिबाना ने चेतावनी दी, "ग्लोबल वार्मिंग के कारण जापानी गर्मियां और लंबी होती जाएंगी. जिसका मतलब है कि वसंत और शरद और भी छोटे हो जायेंगे. अगर इसके बचाव में कुछ नहीं किया गया, तो अगले 30 वर्षों में ये दोनों मौसम गायब हो सकते हैं. जिसके बाद जापान में केवल दो ही मौसम रह जाएंगे.” 

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