जापान का अंतरिक्ष के कचरे को साफ करने का एक प्रयोग विफल हो गया है. अधिकारियों ने बताया है कि पृथ्वी की कक्षा से कूड़ा हटाने का यह मिशन नाकाम रहा है.
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पृथ्वी की कक्षा में करीब 10 करोड़ टुकड़े हैं जो बेकार हो चुके हैं. यानी यह कूड़ा है जो धरती के चारों ओर चक्कर काट रहा है. इनमें पुराने उपग्रहों के उपकरण और पुराने रॉकेटों के टुकड़े हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कचरा भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों को खतरा पैदा कर सकता है. इसलिए इस कचरे की सफाई पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है.
जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के वैज्ञानिकों ने एक उपकरण से प्रयोग किया था. मछली पकड़ने वाले जाल बनाने वाली कंपनी की मदद से एक जाल बनाया गया था. वैज्ञानिक इस इलेक्ट्रोडायनमिक जाल की मदद से कूडे की गति को धीमा करके उसे निचली कक्षा में लाना चाहते थे. उम्मीद यह की जा रही थी कि पांच दशक की मानवीय गतिविधियों से अंतरिक्ष में जो भी कचरा जमा हुआ है उसे धीरे धीरे नीचे लाया जाए. जब वह पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करेगा तो जलकर नष्ट हो जाएगा.
यह भी देखिए, अंतरिक्ष में चीन की बड़ी छलांग
अंतरिक्ष में चीन की बड़ी छलांग
चीन ने शेनचोऊ-11 रॉकेट के साथ अपने दो अंतरिक्ष यात्री स्पेस में भेजे हैं. चीन अंतरिक्ष शोध के क्षेत्र में अमेरिका और रूस की बराबरी करना चाहता है.
तस्वीर: Picture-Alliance/dpa/H. H. Young
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ये छठा मौका है जब चीन ने अपने अंतरिक्ष यात्री भेजे हैं. यह अंतरिक्ष यान दो दिन के सफर के बाद थियानगोंग-2 प्रयोगशाला में पहुंचेगा, जिसे पिछले महीने अंतरिक्ष में भेजा गया था.
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अनुभवी अंतरिक्ष यात्री
चीन के अंतरिक्ष यात्री चिंग हाइफेंग और छेन तोंग 30 दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे. वे वहां कई तरह के शोध करेंगे. चिन तीसरी बार अंतरिक्ष में गए हैं और इस बार वहीं अपना 50वां जन्मदिन भी मनाएंगे.
तस्वीर: Picture-Alliance/dpa/H. H. Young
‘स्वर्ग जैसा महल’
चीन ने अंतरिक्ष प्रयोगशाला थियानगोंग-2 यानी ‘स्वर्ग जैसा महल-2’ सितंबर में भेजी थी. नौ मीटर लंबी और 13 टन वजनी ये प्रयोगशाला पृथ्वी से 393 किलोमीटर ऊपर एक कक्षा में है.
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बड़ी कामयाबी
थियानगोंग-2 को अंतरिक्ष में भेजना चीन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. अधिकारियों का कहना है कि ये इससे पहले भेजी गई प्रयोगशाला के मुकाबले बड़ी और अधिक समय तक चलने वाली है.
चीन ने शेनचोऊ-11 को प्रक्षेपित करने के लिए लॉन्ग मार्च-2 एफ कैरियर रॉकेट का इस्तेमाल किया. चिउछुआन सेटेलाइट लॉन्च सेंटर से इस रॉकेट करियर ने शेनचोऊ-11 को छोड़ा.
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महत्वाकांक्षी परियोजना
चीन अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ाना चाहता है. वह 2017 में पहला अंतरिक्ष कार्गो शिप थियानचोऊ अंतरिक्ष प्रयोगशाला के पास भेजना चाहता है. इससे प्रयोगशाला को ईंधन और अन्य सामान आपूर्ति की जा सकेगी.
तस्वीर: Reuters
हो चीनी स्पेस स्टेशन
चीनी अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष संबंधी कई तकनीकों पर प्रयोग करेंगे. ये अंतरिक्ष में चीन का अपना स्पेस सेंटर बनाने के लिए बहुत अहम है. तस्वीर में दिख रहे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का अभियान 2024 में खत्म हो रहा है.
तस्वीर: Reuters/NASA
मेड इन चाइना
चीन ने हाल में अपने उस रोवर की तस्वीर जारी की जिसे मंगल ग्रह पर पड़ताल के लिए भेजा जाएगा. लेकिन अभी तक सिर्फ कंप्यूटर के ही माध्यम से दिखाया गया है कि छह पहियों वाला ये रोवर किस तरह काम करेगा.
तस्वीर: SASTIND
पहली चीनी अंतरिक्ष प्रयोगशाला
चीन ने सितंबर 2011 में अपनी पहली अंतरिक्ष प्रयोगशाला थियानगोंग-1 को अंतरिक्ष में भेजा था. इसी साल मार्च में इसकी सेवाएं खत्म हुई हैं. इस दौरान तीन अंतरिक्ष यान इस प्रयोगशाला तक पहुंचे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
कामयाबी
2011 में मानवरहित शेनजोऊ-8 रॉकेट 11 दिनों के भीतर दो बार थियानगोंग-1 के पास पहुंचा. इसके बाद 2012 में मौजूदा शेनचोऊ-11 के कमांडर चिंग भी वहां पहुंचे थे.
तस्वीर: Xinhua/dapd
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जाल करीब 700 मीटर लंबा था. इसे स्टेनलेस स्टील और एल्युमिनियम की पतली तारों से बनाया गया था. इसे दिसंबर में एक यान के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंतरिक्षयात्रियों के लिए सामान ले जाने वाले एक कार्गो यान से इसे कक्षा में छोड़ा जाना था. लेकिन इसे छोड़ा नहीं जा सका. वैज्ञानिकों के पास इसे अंतरिक्ष में छोड़ने के लिए सिर्फ एक हफ्ते का समय था. क्योंकि अंतरिक्ष यान को सोमवार को पृथ्वी पर लौटना था. लेकिन जाल नहीं खुला.
तस्वीरों में, ईरान की सबसे मशहूर अंतरिक्ष यात्री
अनुशेह बनना चाहती हैं ईरानी लड़कियां
ईरानी अंतरिक्ष यात्री अनुशेह अंसारी दुनिया की पहली महिला स्पेस टूरिस्ट थीं. तब वह 40 साल की थीं. आज वह ईरानी लड़कियों की आदर्श मानी जाती हैं.
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40 ईरानी अंतरिक्ष यात्री अनुशेह अंसारी दुनिया की पहली महिला स्पेस टूरिस्ट थीं.
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अनुशेह 10 साल पहले इन्हीं दिनों (8 सितंबर 2006) स्पेस में गई थीं.
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स्पेसक्राफ्ट ने कजाखस्तान के बाकीनूर स्पेस स्टेशन से उड़ान भरी थी.
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अनुशेह ने अमेरिकी लेखक होमर हाइकम के साथ 'माई ड्रीम अनुशेह' किताब लिखी है.
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वह अमेरिका में टेलिकॉम कंपनी टीटीई की संस्थापक भी हैं.
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अपनी किताब में अनुशेह लिखती हैं: स्पेस में देखा, लड़ना कितना फिजूल है.
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इस दौरान उनके साथ दो रूसी कोस्मोनॉट्स भी थे.
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अनुशेह अंसारी कुल 9 दिन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रही थीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Y. Kochetkov
जब अनुशेह कजाखस्तान में उतरीं तो उनके पति उन्हें लेने आए थे.
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अब 50 की हो गईं अनुशेह 16 की थीं जब उनका परिवार अमेरिका में बसा.
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पक्का तो नहीं पता लेकिन खबरें हैं कि अनुशेह की यात्रा पर दो करोड़ डॉलर खर्च हुए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Marmur
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वैज्ञानिक कोएची इनोऊ ने बताया, "हमें लगता है कि जाल खुला ही नहीं. यह बहुत निराशाजनक है क्योंकि हमारा मिशन अपना मकसद हासिल किए बिना ही खत्म हो गया." यह जापानी एजेंसी के लिए बड़ा झटका है क्योंकि कुछ ही समय पहले जापानी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को एक और नाकामी हाथ लगी थी. तब एजेंसी को उपग्रह को मिनी-रॉकेट के जरिए कक्षा में भेजने का मिशन रद्द करना पड़ा था. पिछले साल फरवरी में भी जापानी एजेंसी का बेहद महंगा और अत्याधुनिक उपग्रह लॉन्च बेकार चला गया था क्योंकि अंतरिक्ष यान से संपर्क टूट गया था.