संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ द्वारा किए गए एक ताजा सर्वे में सामने आया है कि भारतीय महिलाएं शिक्षा के तुरंत बाद शादी के बजाय नौकरी के अवसरों को प्राथमिकता देना चाहती हैं.
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यूनिसेफ के सर्वे ने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी के प्रति युवा पुरुषों और महिलाओं के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला है, जिससे शिक्षा के बाद तत्काल विवाह के बजाय नौकरी के अवसरों को प्राथमिकता देने के प्रति एक मजबूत झुकाव का पता चलता है.
यूनिसेफ के युवा मंच 'युवाह' और यू-रिपोर्ट द्वारा आयोजित सर्वे "श्रम बल और गैर-पारंपरिक नौकरियों में युवा महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करने वाले कारक" में पूरे भारत में 18-29 आयु वर्ग के 24,000 से अधिक युवाओं की राय जानी गई.
पढ़ाई के बाद नौकरी है प्राथमिकता
सर्वे के नतीजों के मुताबिक लगभग 75 फीसदी युवा महिलाओं और पुरुषों का मानना है कि पढ़ाई के बाद रोजगार हासिल करना महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है. इसके विपरीत पांच फीसदी से भी कम उत्तरदाताओं ने पढ़ाई के फौरन बाद शादी की वकालत की.
सर्वे में कार्यबल भागीदारी के बारे में युवा महिलाओं के निर्णयों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों पर भी प्रकाश डाला गया, जिसमें 52 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सूचना, अवसरों और परिवारों से समर्थन तक पहुंच के महत्व पर जोर दिया.
इसके अलावा कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करने वाले विभिन्न पहलुओं पर राय भी जानी गई, जिसमें विवाह और बच्चे पैदा करने के फैसले, पारंपरिक बनाम गैर-पारंपरिक नौकरी भूमिकाओं के लिए प्राथमिकताएं और रिमोट कार्य जैसी लचीली कार्य व्यवस्था पर विचार शामिल हैं.
यूनिसेफ इंडिया में युवाह की प्रमुख धुवाराखा श्रीराम ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और युवा महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में सामूहिक कार्रवाई के महत्व पर जोर दिया है.
कार्यबल में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव आरती आहूजा ने इस सर्वे रिपोर्ट पर कहा कि महिलाओं की कार्यबल भागीदारी का समर्थन करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की जरूरत है. उन्होंने कहा, "अब मेहनती, प्रेरित, प्रतिभाशाली और ईमानदार महिला कार्यबल का समर्थन करने का समय आ गया है, जो हमारी आबादी का 50 प्रतिशत है."
उन्होंने कहा, "हमें सभी स्तरों पर महिला कार्यबल की भागीदारी बढ़ानी चाहिए क्योंकि हम 2047 तक दुनिया की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाएं बनने की ओर बढ़ रहे हैं."
भारत सरकार के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक देश में महिलाएं औसतन 22.5 साल की उम्र में शादी कर रही हैं. ग्रामीण इलाकों में यह औसत 22.2 साल है जबकि शहरों में 23.9 साल है.
पिछले साल एक निजी कंपनी जॉब्स फॉर हर की रिपोर्ट बताती है कि कॉर्पोरेट भारत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियां महिलाओं को अधिक रोजगार देने के लिए तरह-तरह के कदम उठा रही है. जॉब्स फॉर हर ने 300 कंपनियों का सर्वे किया था और पाया कि सर्वे में शामिल कंपनियों में महिलाएं लगभग 50 फीसदी हैं. 2021 की तुलना में यह 17 फीसदी की वृद्धि है.
भारत में किस सेक्टर में कितनी महिलाएं हैं
महिलाओं के घर से निकलकर काम करने के मामले में भारत दुनिया के सबसे पिछड़े देशों में शामिल है. एक नजर देश के अलग अलग सेक्टरों में महिलाओं की हिस्सेदारी और उनकी भूमिका पर.
तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW
भारतीय महिलाओं की शक्ति
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक अगर भारत महिला कामगारों की संख्या दोगुनी कर ले, तो उसकी विकास दर 7.5 से 9 फीसदी हो जाएगी और 2025 तक जीडीपी में 700 अरब डॉलर का इजाफा होगा.
तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW
कृषि
देश का कृषि क्षेत्र बहुत हद तक महिलाओं के भरोसे ही चलता है. इस क्षेत्र में उनकी हिस्सेदारी दुनिया में सबसे ज्यादा 62.9 फीसदी है. दूसरे नंबर पर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर है, जहां महिलाओं की संख्या कुल वर्कफोर्स की 11.2 फीसदी है.
भारत की बड़ी असंगठित अर्थव्यवस्था में भी महिलाओं की निर्णायक भूमिका है. हाउस हेल्प, दिहाड़ी मजदूरी, रेहड़ी लगाकर सामान बेचना, निजी सहायक का काम करना, ये ऐसे सेक्टर हैं जिनमें बड़ी संख्या में औरतें काम करती हैं.
तस्वीर: DW
एविएशन
पुरुषों के अनुपात में महिला पायलटों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है. देश में कुल 10,000 लोग पायलट हैं, इनमें 15 फीसदी महिलाएं हैं. दुनिया में यह अनुपात 5 फीसदी है.
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कॉरपोरेट जगत
2023 में भारत की निफ्टी 500 कंपनियों के बोर्ड सदस्यों में 18.2 फीसदी महिलाएं थीं. लाइफ साइंसेज सेक्टर की कंपनियों में उनकी भागीदारी सबसे ज्यादा 24 फीसदी है.
तस्वीर: Money Sharma/AFP
टेक जगत
तकनीक क्षेत्र में महिला कर्मचारियों की संख्या अन्य उद्योगों के मुकाबले सबसे ज्यादा 34 फीसदी है. लेकिन इसके बावजूद सिर्फ 8.9 फीसदी कंपनियों में ही औरतें शीर्ष मैनेजमेंट में हैं.
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शासन
इंदिरा गांधी भारत की एक मात्र महिला प्रधानमंत्री रही हैं. 1947 से अब तक भारत में दो महिलाएं राष्ट्रपति पद पर आसीन हो चुकी हैं. प्रांतीय स्तर पर आज तक 15 महिलाएं मुख्यमंत्री पद संभाल चुकी हैं.
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विधायिका
भारत की वर्तमान संसद के निचले सदन, लोक सभा में इस वक्त महिला सांसदों का अनुपात 14.94 फीसदी है. राज्य सभा कहे जाने वाले ऊपरी प्रतिनिधि सदन में यह संख्या 14.05 फीसदी है. राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कुल मिलाकर करीब 10 फीसदी है.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
ग्राम पंचायत
भारत की 31 लाख ग्राम सभाओं में से 14 लाख ग्राम पंचायतों में महिलाएं ग्राम प्रधान हैं. इसकी बड़ी वजह कई ग्राम पंचायतों का महिला आरक्षित सीट होना है.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
न्यायपालिका
भारत की सर्वोच्च अदालत में आज तक कोई महिला, मुख्य न्यायाधीश नहीं बन सकी है. अगस्त 2023 तक सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ तीन महिलाएं जज बन सकी हैं. देश के 25 हाई कोर्टों में कुल 788 जजों के पद हैं, जिनमें सिर्फ 106 महिलाएं ही न्यायाधीश बन सकी हैं.
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रक्षा और पुलिस
मार्च 2023 तक भारतीय सेना में 6,993 महिलाएं अफसर रह चुकी हैं. नौसेना में यह संख्या 748 है. भारत के 21 लाख पुलिस अधिकारियों में महिलाओं की हिस्सेदारी करीब 11.7 फीसदी है.