साल 2022 में तीन देशों में सबसे अधिक पत्रकार मारे गए
२५ जनवरी २०२३
पिछले वर्ष की तुलना में 2022 में दुनिया भर में पत्रकारों की हत्याओं में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई. मुख्य रूप से यूक्रेन, मेक्सिको और हैती में पत्रकारों पर हमले हुए.
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न्यूयॉर्क स्थित कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में दुनियाभर में कम से कम 67 मीडियाकर्मी मारे गए. 2018 के बाद से सबसे अधिक संख्या में पत्रकार पिछले साल ही मारे गए. इन तीनों देशों के पत्रकारों का कहना है कि बढ़ते खतरे ने उन्हें अत्यधिक तनाव में काम करने के लिए मजबूर कर दिया है.
एक करोड़ 20 लाख की आबादी वाले छोटे से द्वीप देश हैती विशेष रूप से इन हत्याओं से प्रभावित है, जहां 2022 में सात पत्रकार मारे गए थे. इस छोटे से देश के लिए इतनी मौतें एक बड़ी संख्या है. कुछ पत्रकार हिंसक सड़क गिरोहों द्वारा मारे गए थे जिन्होंने एक तरह से राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस पर कब्जा कर लिया था, लेकिन कम से कम दो को पुलिस ने गोली मार दी थी.
रेडियो कैरिब के रिपोर्टर मैकेंसन रेमी, जो अभी भी सड़कों पर समाचारों को कवर करते हैं, उनका कहना है कि पत्रकार अब नहीं जानते कि किस पर भरोसा किया जाए. रेमी ने कहा, "आजकल पत्रकारों के लिए हैती में रिपोर्टिंग करना बेहद मुश्किल है, खासकर राजधानी में." उन्होंने आगे कहा, "भ्रष्टाचार हर जगह है, ऐसा कोई नहीं है जिस पर आप भरोसा कर सकें."
यूक्रेन, मेक्सिको और हैती में सबसे अधिक हत्याएं
सीपीजे का कहना है कि 67 में से 35 से ज्यादा हत्याएं सिर्फ तीन देश यूक्रेन, मेक्सिको और हैती में हो चुकी हैं. सीपीजे के मुताबिक मेक्सिको में 13 मीडियाकर्मियों की मौत हो गई. अन्य मीडिया समूहों ने संख्या को 15 पर रखा है, जो मैक्सिकन पत्रकारों के लिए कम से कम तीन दशकों में 2022 को सबसे घातक वर्ष बनाता है. सीपीजे ने कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन में पिछले साल 15 मीडियाकर्मी मारे गए थे.
सीपीजे ने कहा कि उसने पुष्टि की है कि 67 में से 41 पत्रकार सीधे अपने काम के लिए मारे गए थे. और वह 26 अन्य हत्याओं के उद्देश्यों की जांच कर रहा है. सीपीजे ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध को कवर करने वाले पत्रकार भयानक जोखिम का सामना कर रहे हैं.
सीपीजे ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "संघर्ष को कवर करते समय गोलाबारी से प्रेस के सदस्य अक्सर घायल हो जाते हैं और कुछ रिपोर्ट करते हैं कि उन्हें रूसी सेना द्वारा निशाना बनाया जाता है."
भारत में भी पत्रकारों की हत्या
2022 की हत्याओं में फिलीपींस में चार पत्रकार और कोलंबिया, ब्राजील और होंडुरास में दो-दो पत्रकार शामिल थे. जबकि बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, सोमालिया और चाड में भी दो-दो पत्रकार मारे गए.
पिछले साल दो सितंबर को अमेरिका में जेफ जर्मन नाम के एक पत्रकार की हत्या कर दी गई थी. जेफ जर्मन लास वेगास रिव्यू-जर्नल के रिपोर्टर थे. लास वेगास क्षेत्र से निर्वाचित एक नेता के बारे जर्मन ने लेख लिखे थे. उस नेता ने हत्या के आरोपों से इनकार किया है.
एए/सीके (एपी, एएफपी)
यूक्रेन युद्ध के साए में जर्मनी में नए रक्षा मंत्री की नियुक्ति
जर्मनी में चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने बोरिस पिस्टोरियुस को नया रक्षा मंत्री नियुक्त किया है. जर्मनी रूसी हमला झेल रहे यूक्रेन को भारी हथियार देने में हिचकिचा रहा है और इसके कारण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आलोचना झेल रहा है.
लोवर सेक्सनी के गृह मंत्री बोरिस पिस्टोरियुस की नियुक्ति राजनीतिक प्रेक्षकों के लिए आश्चर्य लेकर आई. ओलाफ शॉल्त्स की सरकार में लैंगिक समानता पर ध्यान दिया गया है. इसलिए किसी महिला को ही इस पद पर नियुक्त करने की चर्चा थी, लेकिन पिस्टोरियुस का अनुभव काम आया. जर्मनी को इस समय रक्षा के मोर्चे पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय छवि संभालनी है.
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क्रिस्टीने लाम्ब्रेष्ट (एसपीडी) 2021-2023
लाम्ब्रेष्ट का एक साल से कुछ ज्यादा का कार्यकाल छोटे-छोटे कांडों के कारण सुर्खियों में रहा. कभी बेटे को साथ हेलिकॉप्टर में ले जाने के कारण तो कभी उनके असामयिक बयानों के कारण. सबसे ज्यादा आलोचना यूक्रेन को भारी हथियार देने में जर्मन सरकार की हिचकिचाहट के कारण हुई. इसकी वजह से चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और एसपीडी की लोकप्रियता पर भी आंच आई.
तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images
आनेग्रेट क्रांप कार्रेनबावर (सीडीयू) 2019-2021
कार्रेनबावर सीडीयू पार्टी की अध्यक्षता छोड़कर रक्षा मंत्री बनी थीं. लेकिन अपने कार्यकाल में उन्हें स्पेशल फोर्सेस की एक कंपनी को भंग करना पड़ा. पुलिस को उग्र दक्षिणपंथी नेटवर्क से जुड़े स्पेशल फोर्सेस के एक जवान के घर पर हथियारों का जखीरा मिला था. कार्रेनबावर ने सेना के उन जवानों से माफी मांगी, जिनके साथ उनके सेक्सुअल ओरिएंटेशन के कारण भेदभाव किया गया था.
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उर्सुला फॉन डेय लाएन (सीडीयू) 2013-2019
उर्सुला फॉन डेय लाएन के कार्यकाल में बुंडेसवेयर का एजेंडा था, उसे भर्तियों के लिए आकर्षक बनाना. उसे कर्मचारियों, साजो-सामान और वित्तीय सुविधाओं से लैस करने की शुरुआत हुई. इसी दौरान जर्मन सेना ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई शुरू की और सुरक्षा बलों में जल, थल और वायु सेना के साथ साइबर युद्ध के लिए नई टुकड़ी का गठन किया.
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थॉमस दे मेजियर (सीडीयू) 2011-2013
थॉमस दे मेजियर ने अनिवार्य सैन्य सेवा को खत्म किए जाने के बाद जर्मन सेना को नया रूप दिया. 2011 में उन्होंने सेना की संख्या घटाने, नौकरशाही को कम करने, अकुशलता को खत्म करने की योजना पेश की ताकि सेना को पूरी तरह पेशेवर सेना में बदला जा सके. बाद में उन्हें गृह मंत्री बना दिया गया.
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कार्ल थियोडोर सू गुटेनबर्ग (सीएसयू) 2009-2011
गुटेनबर्ग जर्मनी के सबसे युवा रक्षा मंत्री थे. उन्हें कुंडुस में हुए हवाई हमले के नतीजों से निबटना पड़ा. बाद में उन्हें इन आरोपों से मुक्त कर दिया गया कि घटना के लिए रक्षा मंत्रालय की अपर्याप्त संचार नीति जिम्मेदार थी. उनके कार्यकाल में जर्मन सेना में व्यापक सुधार हुए और 2011 में अनिवार्य सैन्य सेवा को खत्म कर दिया गया. उन्हें अपने डॉक्टरल थीसिस में चोरी के आरोपों के चलते इस्तीफा देना पड़ा.
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फ्रांस योजेफ युंग (सीडीयू) 2005-2009
फ्रांस योजेफ युंग ने दक्षिणी अफगानिस्तान में लड़ाकू टुकड़ी भेजने की अमेरिका की मांग ठुकरा दी और उसके बदले अपेक्षाकृत शांत उत्तरी अफगानिस्तान में रेपिड रिएक्शन फोर्स भेजने का फैसला किया. उनके कार्यकाल में ही अमेरिकी लड़ाकू विमान ने जर्मन सेना के आग्रह पर कुंडुस में दो टैंकरों पर बमबारी की जिसमें 90 लोग मारे गए. युंग ने हमले की जिम्मेदारी ली.
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पेटर श्ट्रुक (एसीपीडी) 2002-2005
अफगानिस्तान में जर्मनी की सेना की तैनाती को उचित ठहराने के लिए पेटर श्ट्रुक ने कहा था, "जर्मनी की रक्षा हिंदूकुश में भी की जाएगी.“ उनके कार्यकाल में जर्मन सेना का आधुनिकीकरण हुआ और वह छोटे व क्षेत्रीय विवादों में हस्तक्षेप करने लायक बनी. सेना को तेज बनाने के साथ ही पेटर स्ट्रुक ने उसमें 2010 तक 10 फीसदी की कटौती की भी घोषणा की.
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रूडॉल्फ शार्पिंग (एसपीडी) 1998-2002
रूडॉल्फ शार्पिंग के रक्षा मंत्री रहने के दौरान जर्मनी ने सर्बिया पर नाटो के हवाई हमलों में हिस्सा लिया. ये पहला मौका था जब जर्मन सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के बाहर लड़ाकू कार्रवाई में हिस्सा लिया था. लेकिन यही वह समय भी था जब जर्मनी ने अमेरिका पर 09/11 के आतंकवादी हमले के बाद आतंकवाद विरोधी युद्ध में सीधे शामिल होने से इंकार कर दिया था.
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फोल्कर रूहे (सीडीयू) 1992-1998
पहले शिक्षक रहे फोल्कर रूहे के नेतृत्व में जर्मन सेना बुंडेसवेयर की भूमिका में बदलाव शुरू हुआ और उसने नाटो के इलाके से बाहर विदेशी अभियानों में भाग लेना शुरू किया. कंबोडिया, सोमालिया और बाल्कन में संयुक्त राष्ट्र मिशनों में भाग लेकर जर्मन सेना ने आरंभिक अनुभव हासिल किए. बाद में उसने अफगानिस्तान और माली जैसे अभियानों में हिस्सा लिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
गेरहार्ड श्टॉल्टेनबर्ग (सीडीयू) 1989-1992
पहले देश के वित्त मंत्री रह चुके गेरहार्ड श्टॉल्टेनबर्ग, उस समय देश के रक्षा मंत्री थे जब 1990 में कम्युनिस्ट विरोधी जन आंदोलन और साम्यवादी शासन के पतन के बाद जर्मनी का एकीकरण हुआ. 3 अक्तूबर 1990 को वे एकीकृत जर्मनी की संयुक्त सेना के प्रमुख बने. पूर्वी जर्मनी की सेना का पश्चिम जर्मनी की सेना में विलय हो गया और वह वारसॉ संधि से अलग होकर नाटो का हिस्सा बन गई.
तस्वीर: Sepp Spiegl/IMAGO
रूपर्ट शॉल्त्स (सीडीयू) 1988-1989
कम्युनिस्ट ब्लॉक के विघटन के दौर में रूपर्ट शॉल्त्स जर्मनी के रक्षा मंत्री थे. उन्होंने अपने कार्यकाल में दोनों सैनिक गुटों के बीच तनाव शिथिलन की नीति जारी रखी. 1989 में मंत्रिमंडल के पुनर्गठन के दौरान उन्हें हटा दिया गया, लेकिन वह सैन्य मामलों पर बोलते रहे. 2007 में उन्होंने यह कहकर हंगामा मचा दिया कि जर्मनी में परमाणु सत्ता बनाने की कोशिश करनी चाहिए.
तस्वीर: Sven Simon/United Archives/IMAGO
मानफ्रेड वोएर्नर (सीडीयू) 1982-1988
हेल्मुट कोल ने चांसलर बनने के बाद सेना में पाइलट रहे मानफ्रेड वोएर्नर को रक्षा मंत्री बनाया. बाद में वे नाटो के महासचिव भी रहे. वोएर्नर की 1983 में जनरल गुंटर कीसलिंग के मामले को लेकर आलोचना हुई. कीसलिंग पर सैन्य खुफिया सेवा ने समलैंगिक होने का झूठा आरोप लगाया था. उन्हें रिटायर कर दिया गया क्योंकि समलैंगिकता को उस समय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हंस आपेल (एसपीडी) 1978-1982
हंस आपेल जर्मनी के ऐसे पहले रक्षा मंत्री थे जिन्होंने सेना में काम नहीं किया था. उनके कार्यकाल के दौरान ही पश्चिमी सैन्य सहबंध नाटो का दोहरा फैसला हुआ. इस फैसले के तहत 1979 में कम्युनिस्ट सैनिक सहबंध वारसॉ पैक्ट को बैलिस्टिक मिसाइलों की संख्या में आपसी कटौती का प्रस्ताव दिया गया. लेकिन दूसरी तरफ और ज्यादा परमाणु हथियारों की तैनाती की धमकी भी दी गई.
तस्वीर: dapd
गेयॉर्ग लेबर (एसपीडी) 1972-1978
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गेयॉर्ग लेबर नाजी वायुसेना में थे. बाद में वे ट्रेड यूनियन में सक्रिय रहे. बुंडेसवेयर के सैनिकों में उनका बड़ा सम्मान था. उनके कार्यकाल में बुंडेसवेयर का विस्तार हुआ और म्यूनिख व हैम्बर्ग में सेना की दो यूनिवर्सिटी शुरू की गईं. अपने मंत्रालय में पूर्वी जर्मन जासूसी के एक मामले में जिम्मेदारी को लेकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
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हेल्मुट श्मिट (एसपीडी) 1969-1972
बाद में चांसलर बनने वाले हेल्मुट श्मिट वामपंथी एसपीडी के पहले रक्षामंत्री थे. वे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी सेना में अधिकारी थे और बाद में हैम्बर्ग ने मेयर और देश के वित्त मंत्री रहे. उनके कार्यकाल में सेना में अनिवार्य भर्ती के कार्यकाल को 15 महीने से घटाकर 8 महीने कर दिया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
गेरहार्ड श्रोएडर (सीडीयू) 1966-1969
गेरहार्ड श्रोएडर रक्षा मंत्री बनने से पहले देश के गृहमंत्री और विदेश मंत्री रह चुके थे. 1966 में तत्कालीन चांसलर कुर्ट गियॉर्ग कीसिंगर ने उन्हें रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी. 1969 में उन्होंने सीडीयू और उग्र दक्षिणपंथी एनपीडी के समर्थन से राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा. लेकिन एसीपीडी के गुस्ताव हाइनेमन से चुनाव हार गए.
तस्वीर: Kurt Rohwedder/dpa/picture alliance
काई ऊवे फॉन हासेल (सीडीयू) 1963-1966
शुरुआत में जर्मन सेना बहुत से गैर सैनिक अभियानों में शामिल रही. मसलन बाढ़ और भूकंप के समय राहत और बचाव कार्य. काई ऊवे फॉन हासेल के कार्यकाल में ही 1960 के दशक के मध्य से सेना के असैनिक अभियानों की शुरुआत हुई. इसके साथ साथ उन्होंने बुंडेसवेयर के विस्तार और उसे मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
तस्वीर: Fritz Fischer/dpa/picture alliance
फ्रांस योजेफ श्ट्राउस (सीएसयू) 1956-1963
जर्मनी के दक्षिणी प्रांत बवेरिया के रूढ़िवादी नेता फ्रांस योजेफ श्ट्राउस 1953 से 1969 के बीच सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. उन्हें पश्चिमी जर्मनी की नई सेना बुंडेसवेयर बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. 1961 में उनपर और उनकी सीएसयू पार्टी पर लॉकहीड कंपनी से रिश्वत लेने के आरोप लगे. दोनों ने आरोपों का लगातार खंडन किया.
तस्वीर: picture-alliance/F. Leonhardt
थियोडोर ब्लांक (सीडीयू) 1955-1956
थियोडोर ब्लांक बढ़ई परिवार में पैदा हुए थे और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सेना में भर्ती हुए थे. 1945 में सीडीयू पार्टी की स्थापना के समय वे उसके संस्थापक सदस्यों में शामिल थे. रक्षा मंत्री के रूप में छोटे कार्यकाल के बाद वे 1957 से 1965 तक देश के श्रम और समाज कल्याण मंत्री रहे.