आज का दिन दुनिया के सबसे युवा राष्ट्र के नाम है. नौ जुलाई 2011 को अफ्रीका का सूडान दो हिस्सों में बंट गया. दक्षिणी हिस्सा रिपब्लिक ऑफ साउथ सूडान बना.
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कई देशों के बीच बसा दक्षिण सूडान मध्यपूर्व अफ्रीका का हिस्सा है और दुनिया का 193वां देश है. इसकी राजधानी जूबा है. इसके पूर्व में इथोपिया, दक्षिण पूर्व में केन्या और दक्षिण में यूगांडा है. दक्षिण पश्चिम में इसकी सीमा कांगो से, पश्चिम में सेंट्रल अफ्रीकी गणतंत्र और उत्तर में सूडान से लगी हुई है. 9 जुलाई 2011 को सूडान एक जनमत संग्रह के बाद अलग देश बनाया गया. 98.83 फीसदी लोगों ने अलग देश के समर्थन में वोट किया.
अनुमान के मुताबिक दक्षिण सूडान की जनसंख्या एक करोड़ 11 लाख के करीब है. देश का क्षेत्रफल 6,19,745 वर्ग किलोमीटर है. क्षेत्रफल के आधार पर दक्षिण सूडान स्पेन और पुर्तगाल के कुल आकार से बड़ा है. ईसाई बहुल आबादी वाले दक्षिण सूडान में चार भाषाएं लिखी और बोली जाती है. अधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, लेकिन दिनका, नुएर, बारी, मुरले, जांडे यहां की राष्ट्रीय भाषाओं में शामिल हैं.
प्राकृतिक संसाधनों के मामले में दक्षिण सूडान धनी है. वहां कच्चे तेल का अपार भंडार है. लेकिन पाइपलाइनों के जरिए उत्तर सूडान से होकर तेल का निर्यात किया जाता है. अत्यधिक पिछड़े दक्षिण सूडान में आधारभूत संरचना न के बराबर है. देश में प्रसव के दौरान मृत्यु की दर बहुत ज्यादा है. शिक्षा की हालत इतनी खराब है कि 13 साल तक की उम्र के ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. यहां के केवल 27 फीसदी वयस्क ही लिख पढ़ सकते हैं. साक्षरता दर के लिहाज से दक्षिण सूडान पूरे विश्व में सबसे पीछे है.
दुनिया में कई ऐसे इलाके हैं जहां नये देश बनाने की मांग उठ रही है. आइए नजर डालते हैं दुनिया के सबसे नये नवेले देशों पर:
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दक्षिणी सूडान
दक्षिणी सूडान दुनिया का सबसे नया देश है, जिसने 9 जुलाई 2011 को सूडान से आजादी का एलान किया. लेकिन आजादी के बाद से इस देश का सफर अच्छा नहीं रहा. तेल के संसाधनों से मालामाल साउथ सूडान गरीबी और सूखे का शिकार है. इसके अलावा राजनीतिक अस्थिरता और गृह युद्ध ने भी इस देश को उबरने नहीं दिया है.
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कोसोवो
कोसोवो ने एकतरफा तौर पर 17 फरवरी 2008 को सर्बिया से आजादी की घोषणा की. सर्बिया के साथ साथ रूस ने भी इस कदम का विरोध किया. कोसोवो को अमेरिका और यूरोपीय संघ के बड़े देशों ने मान्यता दे दी है लेकिन अभी तक वह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है.
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मोंटेनेग्रो और सर्बिया
1991 में यूगोस्लाविया के विघटन के बाद सर्बिया और मोंटेनेग्रो के नाम से एक देश की स्थापना हुई. लेकिन 2006 में उसका बंटवारा हो गया. मोंटेनेग्रो और सर्बिया दो अलग अलग देश बन गए. अलग होने की शुरुआत मोंटेनेग्रो ने की और 21 मई 2006 को एक जनमत संग्रह कराया. इसमें 55 प्रतिशत लोगों ने सर्बिया से अलग होने के हक में फैसला दिया.
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पूर्वी तिमोर
पूर्वी तिमोर को अब तिमोर लेस्ते के नाम से जाना जाता है. उसे 20 मई 2002 को इंडोनेशिया से आजादी मिली. हालांकि इंडोनेशिया से अलग होने का फैसला पूर्वी तिमोर के लोग एक जनमत संग्रह में कई साल पहले ही कर चुके थे. जनमत संग्रह के बाद इलाके में हिंसा भड़क उठी. इंडोनेशिया समर्थक चरमपंथियों ने लोगों पर हमले किए, जिसके बाद वहां संयुक्त राष्ट्र बलों को तैनात करना पड़ा था.
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पालाऊ
पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित पालाऊ 250 द्वीपों में फैला हुआ है, जिसकी आबादी 21 हजार से भी कम है. इसे एक अक्टूबर 1994 को आजादी मिली. हालांकि सांस्कृतिक और भाषाई अंतरों को देखते हुए पालाऊ ने इससे 15 साल पहले ही माइक्रोनेशिया से अलग होने का फैसला कर लिया था. संपन्न पर्यटन उद्योग के कारण उसे प्रशांत क्षेत्र के अमीर देशों में गिना जाता है.
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एरिट्रिया
संयुक्त राष्ट्र ने 1952 में एरिट्रिया को इथियोपिया में एक स्वायत्त क्षेत्र के तौर पर स्थापित किया. लेकिन सम्राट हेले सेलासी ने 1962 में इसे पूरी तरह अपने राज्य का हिस्सा बना लिया. इससे वहां गृह युद्ध छिड़ गया जो 30 साल चला. लेकिन 1991 में इरीट्रियन पीपल्स लिबरेशन फ्रंट ने इथियोपिया की सेना को वहां से भगा दिया और दो साल बाद 1993 में आजादी की घोषणा की.
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चेक रिपब्लिक और स्लोवाकिया
एक जनवरी 1993 को चेकोस्लोवाकिया को संसद ने भंग कर दिया और नतीजतन में दो अलग अलग देश अस्तित्व में आये. चेक गणराज्य और स्लोवाकिया. एक पार्टी वाले कम्युनिस्ट शासन को खत्म करने वाली "वेलवेट क्रांति" के बाद यह "वेलवेट डायवोर्स" था. दोनों ही देश अब यूरोपीय संघ का हिस्सा है जबकि स्लोवाकिया ने तो यूरो को भी अपना लिया है.
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नामीबिया
अफ्रीकी देश नामीबिया 1990 तक दक्षिण अफ्रीका का हिस्सा था. कभी जर्मनी का उपनिवेश रहे नामीबिया पर पहले विश्व युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका ने कब्जा कर लिया था. लेकिन 21 मार्च 1990 को यह दक्षिण अफ्रीका से आजाद हो गया. इसकी आजादी के लिए 20 साल तक साउथ वेस्ट अफ्रीका पीपल्स ऑर्गेनाइजेशन नाम के गुट ने छापामार अभियान चलाया था.