पांच साल की यात्रा के बाद अंतरिक्ष यान जूनो को बृहस्पति की कक्षा में स्थापित किया जाना है. अभियान का मकसद सौरमंडल के निर्माण के बारे में साक्ष्य जुटाना है.
विज्ञापन
सोमवार की अमेरिकी समय के मुताबिक शाम 8 बजकर 18 मिनट पर बृहस्पति की कक्षा में स्थापित किए जाने के लिए जूनो के इंजनों को स्टार्ट कर दिया जाएगा. इसके बाद के 35 मिनट बेहद अहम रहेंगे और शोधकर्ता कैलिफोर्निया में स्थित नासा की जेट प्रोपल्जन लैबोरेट्री से इस पर नजर बनाए रखेंगे. शोधकर्ताओं को तीन सेंकंड लंबे एक रेडियो सिग्नल का इंतजार रहेगा जो कि घोषणा करेगा कि अभियान सफल रहा.
जूनो को बृहस्पति की सतह से महज 5000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जा रहा है. वहां यह 20 महीने तक बृहस्पति की कक्षा में 37 चक्कर लगाएगा. बृहस्पति के बारे में माना जाता है कि सौर मंडल में सबसे पहले यही ग्रह बना. साथ ही यह भी माना जाता है कि सूर्य से अलग होने के क्रम में उसके कई तत्व और गैसें इसमें शेष रह गई.
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस अभियान के जरिए अतीत की खिड़की से पीछे झांकने का मौका मिलेगा और सौरमंडल के निर्माण प्रक्रिया के कुछ साक्ष्यों का पता लगेगा. इस अभियान का खर्च 1.1 अरब डॉलर है. इस अंतरिक्ष यान में ऐसे उपकरण लगाए गए हैं जो बृहस्पति के घुमावदार बादलों की परत के नीचे झांकने में भी कामयाब होंगे.
सबसे पहले बृहस्पति के वातावरण में पानी की मौजूदगी को मापने पर ध्यान दिया जाएगा जिससे ग्रह की बनावट के तरीके की जांच की जा सके. पिछले अभियान में बृहस्पति के वातावरण में पानी की कोई मौजूदगी नहीं पाई गई थी और वैज्ञानिकों को आश्चर्य हुआ था कि ऐसा कैसे हो सकता है.
जूनो बृहस्पति के कोर का पता लगाने के लिए उसके चुंबकीय और गुरुत्वीय क्षेत्रों का नक्शा खींचेगा. साथ ही यह ग्रह की बनावट, तापमान और बादलों को भी मापेगा और पता लगाएगा कि कैसे इसकी चुंबकीय शक्ति वातावरण को प्रभावित करती है.
दो दशक पहले गैलिलियो नाम का पहला और एकमात्र अंतरिक्ष यान बृहस्पति की कक्षा में स्थापित किया जा सका था. उम्मीद की जा रही है कि जूनो उन सवालों के जवाब तलाशने में कामयाब रहेगा जो पिछले अभियान में छूट गए थे. बृहस्पति की पहली यात्रा 1973 में पायनियर 10 ने की थी.
आरजे/आईबी (डीपीए, एपी)
कोई है? धरती कहे पुकार के
मशहूर ब्रिटिश वैज्ञानिक प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने सिलिकॉन वैली के रूसी अरबपति यूरी मिलनर के साथ मिलकर एक अनोखा अभियान शुरू किया है. वे जानना चाहते हैं कि क्या ब्रह्मांड में हम पृथ्वीवासियों के अलावा कोई अलौकिक जीव भी है.
तस्वीर: AP
'ब्रेकथ्रू लिसन प्रोजेक्ट' के तहत धरती के सबसे बड़े टेलीस्कोपों, लेजर और रेडियो सिग्नलों का इस्तेमाल कर, 10 सालों तक, करीब 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्च. प्रोफेसर हॉकिंग का मानना है कि ब्रह्मांड के कई हिस्सों में जीवन है. केवल ग्रहों पर ही नहीं, बल्कि तारों या फिर ग्रहों के बीच की जगह में भी.
तस्वीर: AP
क्या ऐसे अलौकिक जीव या एलियन वाकई होते है? इस पर जाने माने भौतिकशास्त्री प्रोफेसर हॉकिंग तो हां ही कहेंगे. हॉकिंग हमेशा से मानते आए हैं कि हमारे ग्रहों से बाहर एलियन्स हैं लेकिन पहले वे उनके साथ संपर्क साधने को बेदह खतरनाक बताते थे.
तस्वीर: AP
ब्रह्मांड में करीब 100 अरब गैलेक्सियों का अनुमान है. हर गैलेक्सी में लाखों तारे होते हैं. ऐसे में यह मान कर बैठना तो नासमझी ही होगी कि इतनी बड़ी जगह में केवल एक धरती पर ही जीवन हो. यूनिवर्स की रचना के बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार एक विशाल विस्फोट के बाद सौर मंडल के तमाम ग्रह अस्तित्व में आए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
इंसान के लिए अंतरिक्ष रहस्यों का खजाना है. कहानियों, फिल्मों में दूसरे ग्रह से आए जीवों से लेकर उड़नतश्तरियों का जिक्र होता है लेकिन इनके साक्ष्य हासिल करने के लिए वैज्ञानिक तमाम परीक्षण और गणनाएं करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
दक्षिण अफ्रीका में लगे दुनिया के सबसे बड़े रेडियो टेलीस्कोप स्क्वेयर किलोमीटर ऐरे की मदद से हजारों मील दूर तारों को करीब से देखा जा सकता है. इसके अलावा प्रोजेक्ट वैज्ञनिकों का मानना है कि अगर अंतरिक्ष में कहीं कोई जीव हैं और वे अपने संकेत छोड़ रहे हैं तो उसकी पहचान ऐरे के शक्तिशाली एंटीने कर लेंगे.
तस्वीर: AFP/Getty Images
कई दशकों से वैज्ञानिक पृथ्वी से बाहर किसी एलीयन के संदेशों को सुनने की कोशिश करते आए हैं. अमेरिकी एस्ट्रोफिजिसिस्ट्स ने यह सुझाया कि उनसे संपर्क साधने के लिए हमें खुद पृथ्वी से उन्हें शक्तिशाली सिग्नल भेजने चाहिए. यही कैलिफोर्निया के सर्च फॉर एक्स्ट्राटेरिस्ट्रियल इंटेलीजेंस (सेटी) के 'एक्टिव सेटी' प्रोजेक्ट का आधार है.
तस्वीर: Bernhard Musil
सेटी रिसर्चरों का मानना है कि अंतरिक्षविज्ञानियों का तारों की ओर अपने रेडियो टेलीस्कोप साधे हुए वहां से आने वाले सिग्नलों की राह देखना काफी नहीं. एक्टिव सेटी प्रोजेक्ट के तहत उन लाखों तारा समूहों, गैलेक्टिक केंद्रों, धरती के सबसे पास के करीब 100 गैलेक्सियों और पूरी आकाशगंगा में सिग्नल भेजे जाएंगे, जहां जीवन की संभावना हो सकती है.
तस्वीर: Colourbox
साल 1977 में दो वोयाजर स्पेसक्राफ्ट पर फोनोग्राफ रिकॉर्ड रख कर भेजे गए जिनमें धरती के कुछ चुनिंदा दृश्य और आवाजें थीं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2008 में बीटल्स के मशहूर गाने "एक्रॉस दि यूनिवर्स" को धरती से 430 प्रकाश वर्ष दूर स्थित तारे नॉर्थ स्टार तक भेजा था.
तस्वीर: imago/United Archives
फिल्मों के मशहूर एलियन किरदार ईटी और किंग कॉन्ग की रचना करने वाले इटली के स्पेशल इफेक्ट के जादूगर कार्लो रांबाल्दी ने इसके लिए तीन ऑस्कर पुरस्कार जीते. रांबाल्दी को 1982 में स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ईटी (एक्स्ट्रा टेरेसट्रियल) से बेशुमार शोहरत मिली और दुनिया को एलियनों का एक चेहरा ईटी मिला.