नूपुर शर्मा, मोहम्मद जुबैर और उदयपुर व अमरावती की घटनाओं के बीच मां काली पर अपनी एक टिप्पणी से तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा अपने राजनीतिक करियर में शायद पहली बार चौतरफा घिर गईं हैं.
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तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की छवि संसद में एक प्रखर वक्ता के तौर पर रही है. लेकिन मां काली पर उनके बयान को लेकर सियासत तेज हो गई है. बीजेपी ने मौके को भुनाते हुए उनके बयान को लपक लिया है और उनके खिलाफ भोपाल समेत कई जगहों पर एफआईआर दर्ज की गई है.
पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी उनकी गिरफ्तारी की मांग में आंदोलन कर रही है. बंगाल में इस मुद्दे पर सियासत तेजी से गरमा रही है. इस बीच, बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहली बार इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हम काम के दौरान गलतियां कर सकते हैं. लेकिन उनको सुधारा जा सकता है.
महुआ का बयान
महुआ मोइत्रा ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में एक विवादास्पद फिल्म काली के पोस्टर, जिसमें देवी को सिगरेट पीते दिखाया गया है, पर एक सवाल के जवाब में कहा था कि यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपने भगवान को कैसे देखते हैं. अगर आप भूटान और सिक्किम जाएं तो वहां पूजा में भगवान को व्हिस्की चढ़ाई जाती है. वहीं, आप उत्तर प्रदेश में किसी को प्रसाद में व्हिस्की दे दो तो उसकी भावना आहत हो सकती है. मेरे लिए देवी काली एक मांस खाने वाली और शराब पीने वाली देवी के रूप में है. देवी काली के कई रूप हैं.
लेकिन इस बयान से उनकी ही पार्टी ने किनारा कर लिया है. तृणमूल कांग्रेस ने फौरन अपने एक ट्वीट में कहा कि यह उनके खुद के विचार हैं और हम इसका समर्थन नहीं करते. इसके बाद महुआ ने तृणमूल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को अनफॉलो कर दिया. लेकिन ममता को फॉलो कर रही हैं.
बीजेपी ने मोइत्रा के इस बयान को लेकर उन पर हमले तेज करते हुए सवाल किया कि क्या यह हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने का पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी का आधिकारिक रुख है. पार्टी ने उनके अलावा ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर हमले शुरू कर दिए थे.
भारत में इन मुद्दों से खड़ा हुआ विवाद
भारत में बीते कुछ अर्से से हर रोज एक नया विवाद जन्म ले रहा है. ज्यादातर विवाद दो धर्मों के बीच होते हैं. खान-पान, पहनावा और प्रार्थना स्थल को लेकर देश के कई हिस्सों में विवाद पैदा हो चुके हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
कर्नाटक का हिजाब विवाद
जनवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज में छह छात्राओं के हिजाब पहनकर आने से रोकने पर विवाद खड़ा हो गया था. कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों को हिजाब पहनकर कॉलेज में आने से मना कर दिया. जिसके खिलाफ लड़कियों ने विरोध प्रदर्शन किया. मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.
तस्वीर: Money SHARMA/AFP
मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर मचा शोर
महाराष्ट्र में अप्रैल के महीने में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों में प्रार्थनाओं की आवाज को सीमा के भीतर रखने को लेकर अभियान चलाया था. उन्होंने कहा था कि अगर मस्जिदों ने ऐसा नहीं किया तो उनके समर्थक विरोध जताने के लिए मस्जिदों के बाहर हिंदू मंत्रोच्चार करेंगे. महाराष्ट्र की करीब 900 मस्जिदों ने अजान की आवाज कम करने की सहमति दी थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Mahyuddin
उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में सभी धार्मिक स्थलों से करीब 1.29 लाख लाउडस्पीकर उतारे गए या फिर उनकी आवाज को तय मानकों के मुताबिक कम किया गया. यूपी सरकार ने 23 अप्रैल को धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के आदेश जारी किए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में यह अभियान चलाया. सरकारी कार्रवाई मंदिर, मस्जिद और अन्य संस्थानों के लाउडस्पीकरों पर हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma
हिंसक घटनाएं
रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान दो समुदायों के बीच कई जगहों पर हिंसक झड़प हो गई थी. दिल्ली के जहांगीरपुरी में दो समुदायों के बीच झड़प हुई और माहौल तनावपू्र्ण हो गया. इसके अलावा मध्य प्रदेश के खरगोन, मुंबई की आरे कॉलोनी में एक धार्मिक यात्रा के दौरान दो समुदायों के लोगों के बीच हिंसा हुई. कर्नाटक के हुबली में भी एक व्हाट्सऐप संदेश को लेकर बवाल मच गया था.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
बुलडोजर पर सवाल
उत्तर प्रदेश में हाल के महीने में कई मामले सामने आए जिनमें ऐसे आरोपियों के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया जिनका नाम किसी तरह के मामले में दर्ज हुआ. बुलडोजर चलाने को लेकर सवाल भी खड़े हुए और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि नियमों के मुताबिक कार्रवाई की गई है.
तस्वीर: Ritesh Shukla/REUTERS
यूपी की तर्ज पर एमपी में भी बुलडोजर चला
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर दंगों के बाद प्रशासन ने कई मकान और दुकानों पर बुलडोजर चलवाकर तोड़ दिया. खरगोन प्रशान ने दंगों के एक दिन बाद 12 अप्रैल को कम से 45 मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की थी. यहां भी सवाल उठे कि बिना नोटिस के प्रशासन ने कार्रवाई क्यों की.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी
एक टीवी बहस के दौरान बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की जिसके बाद अरब जगत से इस पर विरोध दर्ज कराया गया. इसके बाद बीजेपी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निकाल दिया और बयान से किनारा कर लिया. टिप्पणी के विरोध में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं.
तस्वीर: Vipin Kumar/Hindustan Times/imago
मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी
दिसंबर 2021 में हरिद्वार में एक धर्म संसद हुई थी और इस धर्म संसद में देश के मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए गए. इस धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात कही गई और मीडिया और कोर्ट के खिलाफ भी आपत्तिजनक बयान दिए गए थे.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
कन्हैयालाल का कत्ल
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को एक दर्जी कन्हैयालाल को इस सिर्फ दो मुसलमान व्यक्तियों ने धारदार हथियार से मार डाला क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हॉट्सऐप स्टेटस लगाया था. कन्हैयालाल इस मामले में गिरफ्तार हो चुके थे और शिकायतकर्ता और उनके बीच पुलिस ने समझौता करा लिया था, उन्होंने पुलिस से जान मारने की धमकी मिलने की शिकायत की थी. हत्या के विरोध में राजस्थान में तनाव का माहौल बन गया.
तस्वीर: ANI/REUTERS
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धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में महुआ के खिलाफ देश के विभिन्न शहरों में एफआईआर दर्ज कराई गई है. लेकिन चौतरफा विवादों में घिरी महुआ अपने बयान पर अडिग हैं. उन्होंने कहा है कि वह किसी से नहीं डरतीं. उन्होंने यहां तक कह दिया कि वह ऐसे भारत में नहीं रहना चाहतीं जहां बोलने की आजादी नहीं है. महुआ ने अपने एक अन्य ट्वीट में था कि वे न तो बीजेपी के गुंडों से डरती हैं और न ही पुलिस से.
महुआ ने कहा है, "मैं बीजेपी को चुनौती देती हूं कि मुझे गलत साबित करे. उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा की टिप्पणी पर विवाद से ध्यान हटाने के लिए बीजेपी का यह एक गेम प्लान था. महुआ ने कहा कि अंतर यह था कि नूपुर शर्मा ने पैगंबर को बदनाम किया. मैंने देवी काली को मनाया.
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मौके को भुनाती बीजेपी
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार कहते हैं, "सनातन हिंदू धर्म के नियमों के अनुसार देवी काली की पूजा एक ऐसी देवी के रूप में कभी नहीं की जाती जो मदिरापान करती हों और मांस भक्षण करती हों. हिंदू सदियों से देवी काली को बुराई के खिलाफ शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजते रहे हैं. उनकी (मोइत्रा की) टिप्पणियों से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. हम देवी काली पर की गई टिप्पणी के लिए उन्हें गिरफ्तार करने की मांग करते हैं.”
विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी कहते हैं, "तृणमूल कांग्रेस सरकार और राज्य पुलिस बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई के लिए बेहद सक्रिय है. लेकिन उन्होंने महुआ मोइत्रा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस नेताओं के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते. हम 10 दिन इंतजार करेंगे और फिर अदालत का रुख करेंगे.”
इस बीच, बीजेपी के हमलों पर पलटवार करते हुए ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा, "नकारात्मकता हमारे दिमाग में घुस गई है. लोगों को पॉजिटिव सोचना चाहिए. हम काम करते समय गलतियां करते हैं लेकिन उन्हें सुधारा जा सकता है. कुछ लोग अच्छे काम नहीं देखते और अचानक चिल्लाने लगते हैं...नकारात्मकता हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करती है तो आइए पॉजिटिव सोचें.”
राजनीतिक पर्यवेक्षक सुरंजन दास कहते हैं, "बीजेपी महुआ की टिप्पणी को मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है. शायद इसी वजह से तृणमूल ने पहले ही इस विवाद से किनारा कर लिया. ममता बनर्जी का भरोसेमंद होने के बावजूद महुआ तृणमूल की आंतरिक राजनीति की भी शिकार हैं. ऐसे में उनको भीतरी और बाहरी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है.”
उनका कहना है कि बीजेपी को नूपुर शर्माऔर मोहम्मद जुबेर जैसे मामलों से ध्यान भटकाने के लिए किसी मुद्दे की तलाश थी और महुआ ने अनायास ही उसे वह मुद्दा दे दिया.
भारत का प्राचीन मंदिर बना यूनेस्को विश्व धरोहर
यूनेस्को ने नई विश्व धरोहरों का ऐलान कर दिया है. भारत के एक प्राचीन मंदिर को भी इस बार की सूची में जगह मिली है.
तस्वीर: ASI
रामप्पा मंदिर, भारत
हैदराबाद से 200 किलोमीटर दूर यह मंदिर चूना पत्थर और बेसाल्ट का बना है. इसे 13वीं सदी में बनाया गया था और यह ककाती भवन-निर्माण कला का अद्भुत नमूना है.
तस्वीर: ASI
यूरोप के स्नानघर
यूरोप में कई शहरों में ऐसे स्नानघर बने हैं जैसे ब्रिटेन के बाथ शहर का यह स्नानघर, जिसे पहली सदी में बनाया गया था. इसमें आज भी गर्म पानी आता है. फ्रांस, जर्मनी, चेक गणराज्य, इटली और बेल्जियम के स्नानघरों को मिलाकर सूची में एक साथ शामिल किया गया है.
तस्वीर: Peter Phipp/World Pictures/Photoshot/picture-alliance
ग्वांगजो बंदरगाह, चीन
चीन के प्राचीन ग्वांगजो बंदरगाह की तारीफ इटली के खोजी मार्को पोलो ने दुनिया के सबसे शानदार और संपन्न शहर के रूप में की थी. चीन के पूर्वी तट पर स्थित इस शहर ने सिल्क रूट के समुद्री रास्ते में अहम भूमिका निभायी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/N. Evatt
डियर स्टोन स्मारक, मंगोलिया
मंगोलिया में मौजूद कांस्य युग के इन पत्थरों पर बहुत खूबसूरत चित्रकारी की गई है और विभिन्न जानवर, हथियार व पैटर्न बनाए गए हैं. एक से चार मीटर की ऊंचाई वाले ये पत्थर अद्भुत विरासत हैं.
हिमा में चट्टानों पर उकेरी गईं ये कलाकृतियां अरब प्रायद्वीप में 7,000 साल पुरानी सभ्यता के अनूठे बयान हैं. इन कलाकृतियों में शिकार के दृश्य चित्रित हैं. अरबी, ग्रीक और मसनद लिपियों में कहानियां भी दर्ज हैं.
तस्वीर: Saudi Arabia's Ministry of Culture/Xinhua/picture alliance
कोरदुआं लाइटहाउस, फ्रांस
68 मीटर ऊंचा यह लाइटहाउस फ्रांस में अपनी तरह की सबसे पुरानी इमारत है. 1611 में इंजीनियर लुई दा फुआ ने इसे डिजाइन किया था और यह तब से ही काम में लाया जा रहा है. इस तक सिर्फ नौका से पहुंचा जा सकता है.
16वीं सदी में बना मैड्रिड का यह मार्ग और किनारे पर 17वीं सदी में बना उद्यान अब विश्व धरोहर बन गया है. इस उद्यान में कला और संस्कृति के कई अहम संस्थानों का घर है जैसे प्रादो म्यूजियम और राइना सोफिया आर्ट गैलरी.
तस्वीर: Luis Soto/SOPA Images/Zuma Wire/picture alliance
कलाकार कॉलोनी, जर्मनी
हेसन के ग्रैंड ड्यूक एर्नेस्ट लुडविग ने 1899 में इस जगह को कला के प्रचार प्रसार के लिए स्थापित किया था. 1901 से यहां कला प्रदर्शनियां आयोजित होने लगीं. यहां एक रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च, एक प्रदर्शनी भवन और मशहूर वेडिंग टावर भी है, जिसे एर्नेस्ट लुडविग की दूसरी शादी के उपलक्ष्य में बनाया गया था.
तस्वीर: Gaby Kunz/Augenklick/picture alliance
न्यू डच वॉटरलाइन, नीदरलैंड्स
नीदरलैंड्स में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के मकसद से बनाई गई न्यू डच वॉटरलाइन असल में 45 किलों और छह किलेबंदियों का एक समूह है जो 85 किलोमीटर में फैला है. 1815 से 1940 के बीच सक्रिय रही इस घेरेबंदी का मकसद दुश्मन को देश के नजदीक आने से रोकना था.
तस्वीर: Sem van der Wal/AFP
पादुआ के भित्तिचित्र, इटली
14वीं सदी के ये मशहूर भित्तिचित्र आठ धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष इमारतों की सजावट हैं, जो पादुआ शहर में स्थित हैं. अलग-अलग कलाकारों द्वारा बनाए ये चित्र एक जैसे ही लगते हैं.