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समाज

डॉ. कफील खान को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, तत्काल रिहाई के आदेश

आमिर अंसारी
१ सितम्बर २०२०

पिछले साल डॉ. कफील खान पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिए बयान के बाद एनएसए लगा दिया गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि खान का बयान हिंसा और नफरत को बढ़ावा देने वाला नहीं है.

Kafeel Khan
तस्वीर: IANS

डॉ. कफील खान पिछले छह महीने से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत उत्तर प्रदेश की मथुरा जेल में बंद हैं. उन्होंने पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भाषण दिया था. इसी साल 29 जनवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ ने कफील खान को मुंबई हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था. 16 अगस्त को उनकी एनएसए के तहत हिरासत अवधि तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई थी. हाईकोर्ट में कफील खान की मां नुजहत परवीन ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी.

मंगलवार 1 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि कफील खान के खिलाफ लगाए गए आरोप अनुचित थे और उनके कथित "भड़काऊ" बयान से नफरत नहीं फैली है. हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, "प्रथमदृष्टया में भाषण पढ़ने पर यह घृणा या हिंसा को बढ़ावा देने के किसी भी प्रयास को जाहिर नहीं करता है. यह कहीं भी अलीगढ़ शहर की शांति और स्थिरता को खतरे में नहीं डालता है."

हाईकोर्ट के फैसले के बाद कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कफील खान की पत्नी शबिस्ता खान के हवाले से कहा गया है कि "उनकी जिंदगी से सात महीने छीन लिए गए, जिसे अब कोई वापस नहीं लौटा सकता है." कफील खान की पत्नी ने एक वीडियो संदेश में कहा, "एक निर्दोष व्यक्ति, जिसने कुछ नहीं किया है, उसपर एनएसए लगाकर उसे जेल में बंद कर दिया गया और सात महीनों तक उसे प्रताड़ित किया गया. वो सात महीने कोई वापस नहीं ला सकता है." उन्होंने एनएसए का गलत इस्तेमाल ना करने की सरकार से अपील की है.

दूसरी ओर हाईकोर्ट के फैसले का कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर स्वागत किया है और कहा है कि सरकार कफील खान की जल्द रिहाई करें.

इससे पहले कफील खान की मां सुप्रीम कोर्ट गई थी और अपने बेटे की रिहाई की मांग की थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले से निपटने के लिए उपयुक्त मंच है. इसके बाद एक जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले को सुना था. सुप्रीम कोर्ट ने कफील खान की रिहाई के संबंध में 11 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए 15 दिन की समयसीमा निर्धारित की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा था कि 15 दिन में तय करें कि कफील खान को रिहा कर सकते हैं या नहीं.

13 दिसंबर 2019 को उनके खिलाफ अलीगढ़ में धर्म, नस्ल और भाषा के आधार पर नफरत फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.

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