अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच गुरुवार को वैक्सीन सप्लाई पर बातचीत हुई. अमेरिका ने वैश्विक टीका साझेदारी के तहत भारत को भी वैक्सीन सप्लाई का आश्वासन दिया है.
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दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत के बाद मोदी ने ट्वीट कर कहा, "कुछ देर पहले उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से बात हुई है. मैंने वैश्विक टीका साझेदारी के लिए अमेरिकी रणनीति के हिस्से के रूप में भारत को वैक्सीन की सप्लाई के आश्वासन की सराहना की. इसके अलावा अमेरिकी सरकार, कारोबारियों और प्रवासी भारतीयों से मिले समर्थन के लिए भी उनका धन्यवाद दिया."
उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा, "भारत-अमेरिका के बीच टीका साझेदारी को और मजबूत करने के लिए जारी प्रयासों और कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य व आर्थिक क्षेत्र के सुधार में योगदान देने की दोनों देशों की साझेदारी की संभावनाओं पर भी हमने चर्चा की."
बीते दिनों भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिका दौरे के दौरान राष्ट्रपति बाइडेन प्रशासन के अहम अधिकारियों से मुलाकात की थी और वैक्सीन साझेदारी पर भी चर्चा हुई थी. अमेरिका ने गुरुवार को घोषणा की कि वह अपनी "वैश्विक वैक्सीन साझा करने की रणनीति" के तहत भारत को कोविड-19 टीका देगा.
अमेरिका करेगा अन्य देशों से टीका साझा
गुरुवार को अमेरिका ने वैश्विक वैक्सीन सप्लाई नीति के बारे में घोषणा करते हुए कहा कि शुरुआत में 2.5 करोड़ डोज सप्लाई होंगे. उसने कहा कि वह वैक्सीन उत्पादन के लिए अमेरिका द्वारा निर्मित आपूर्ति तक अन्य देशों की पहुंच को आसान बनाएगा. विकसित और विकासशील देशों के बीच वैक्सीन की भारी असमानता को देखते हुए बाइडेन ने इस महीने तक वैक्सीन की आठ करोड़ डोज उपलब्ध कराने की घोषणा की है. राष्ट्रपति ने कहा कि बिना किसी राजनीतिक समर्थन की उम्मीद के वे टीका देंगे.
बाइडेन ने बयान में कहा कोवैक्स अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन साझा कार्यक्रम के तहत 1.9 करोड़ डोज दान किए जाएंगे. इस कार्यक्रम के तहत करीब 60 लाख खुराक लातिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों को दी जाएंगी. इसके अलावा करीब 70 लाख डोज दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को दिए जाएंगे और 50 लाख डोज अफ्रीकी देशों को भेजे जाएंगे. बाकी बची 60 लाख खुराक उन देशों को भेजी जाएंगी जहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इनमें कनाडा, मेक्सिको, भारत और दक्षिण कोरिया शामिल हैं.
अमेरिका ने 2.5 करोड़ डोज का पहला बैच भेजने की तैयारी कर ली है.
बाइडेन ने कहा, "हम इन टीकों की आपूर्ति जान बचाने के लिए और महामारी को समाप्त करने के लिए कर रहे हैं. महामारी की समाप्ति के लिए अमेरिका अपनी शक्ति और मूल्यों के साथ दुनिया का नेतृत्व कर रहा है." अमेरिका के ऐलान के बाद भारत को इस महीने के अंत वैक्सीन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
आमिर अंसारी (रॉयटर्स)
कोरोना की कितनी किस्में हैं भारत में
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि सबसे पहले भारत में सामने आई कोरोना वायरस की किस्म अब 53 देशों में फैल चुकी है. आखिर वायरस के कितने वेरिएंट हैं भारत में?
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क्या होते हैं वेरिएंट
वायरस म्युटेशन की बदौलत हमेशा बदलते रहते हैं और इस परिवर्तन से उनकी नई किस्मों का जन्म होता है जिन्हें वेरिएंट कहते हैं. कभी कभी नए वेरिएंट उभर कर गायब भी होते हैं और कभी कभी वो मौजूद रहते हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया में इस संक्रमण को फैलाने वाले कई वेरिएंट पाए गए हैं.
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यूके वेरिएंट
इसका वैज्ञानिक नाम बी.1.1.7 है और यह सबसे पहले यूके में पाया गया था. दिसंबर 2020 से लेकर मार्च 2021 तक यह कई देशों में पाया गया. इंग्लैंड के बाहर इसे इंग्लिश वेरिएंट या यूके वेरिएंट के नाम से जाना जाता है.
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दक्षिण अफ्रीका वेरिएंट
बी.1.351 को दक्षिण अफ्रीका वैरिएंट के नाम से जाना जाता है. यह सबसे पहले अक्टूबर 2020 में दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था. धीरे धीरे यह भारत समेत कई देशों में फैल गया और फरवरी 2021 में यह भारत में भी पाया गया.
इसका वैज्ञानिक नाम पी.1 है और यह सबसे पहले जनवरी 2021 में ब्राजील में पाया गया था. इस ब्राजील में आई घातक दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है. फरवरी 2021 में यह भारत में भी पाया गया.
इसके वैज्ञानिक रूप से बी.1.618 के नाम से जाना जाता है. मार्च में पश्चिम बंगाल में यह बड़ी संख्या में संक्रमण के मामलों के लिए जिम्मेदार पाया जा रहा था, जिसकी वजह से इसे पश्चिम बंगाल वैरिएंट भी कहा जा रहा था. लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि अब यह वेरिएंट कमजोर हो गया है.
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'भारतीय' वेरिएंट
यह एक ऐसा वेरिएंट है जो जीनोमिक अध्ययन में पहली बार भारत में ही पाया गया था. इसे बी.1.617 का नाम दिया गया है. भारत में अप्रैल से फैली संक्रमण की घातक लहर के लिए इसी वेरिएंट को बड़े स्तर पर जिम्मेदार माना जा रहा है. इसमें वायरस के स्पाइक प्रोटीन में दो म्युटेशन पाए जाते हैं. स्पाइक प्रोटीन वो प्रोटीन होता है जिसकी मदद से वायरस मानव शरीर की कोशिकाओं में घुसता है और शरीर को संक्रमित करता है.
तस्वीर: PRAKASH SINGH/AFP
सब-वेरिएंट
वैज्ञानिकों का मानना है कि बी.1.617 के अपने तीन उप-वेरिएंट भी बन चुके हैं. बी.1.617 को अब बी.1.617.1 के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा बी.1.617.2 और बी.1.617.3 नाम के दो और उप-वेरिएंट देखे गए हैं. माना जा रहा है कि इनमें से बी.1.617.2 यूके में सामने आने वाले सबसे ज्यादा नए मामलों के लिए जिम्मेदार है.