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कर्नाटक: क्या विधानसभा चुनाव में असली मुद्दे पीछे छूट जाएंगे

६ जनवरी २०२३

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे वहां विवादित मुद्दे गरम हो रहे हैं. जैसे हाल ही में कथित 'लव जिहाद' के खिलाफ हेल्पलाइन शुरू की गई.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री
कर्नाटक के मुख्यमंत्रीतस्वीर: Manjunath Kiran/AFP/Getty Images

इस साल भारत के दस राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन दस राज्यों में कुछ राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं, जबकि कुछ में कांग्रेस और कुछ राज्यों में अन्य दलों की सरकारें हैं. इस साल कर्नाटक, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, तेलंगाना और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. बीजेपी चाहती है कि वह उन राज्यों में सत्ता विरोधी लहर से पार पा ले और जहां उसकी सरकार नहीं वहां जीत दर्ज कर सत्ता पर काबिज हो जाए.

बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश और कर्नाटक ऐसे दो अहम राज्य हैं जहां उसे अपनी सरकार बचाने की बड़ी चुनौती है. इस साल जहां विधानसभा चुनाव होने हैं वहां के राज्यों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा चर्चा के केंद्र में कर्नाटक है. बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठनों पर हिंदू-मुसलमान की राजनीति करने के आरोप लग रहे हैं. कर्नाटक में पहले से ही हिजाब और हलाल जैसे मुद्दे काफी गरम रहे.

"लव जिहाद हेल्पलाइन"

हाल ही में दिल्ली में श्रद्धा वॉल्कर नाम की लड़की की हत्या का आरोप उसके लिवइन पार्टनर आफताब पूनावाला पर लगा था. आफताब पर आरोप है कि उसने श्रद्धा की हत्या की और उसके शव के 36 टुकड़े किए और उसे जंगल में फेंक दिया. अब कर्नाटक बीजेपी, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने राज्य में कथित लव जिहाद का मुद्दा उठा रहे हैं.

बजरंग दल और वीएचपी ने मैंगलोर में कथित लव जिहाद के मामलों की रिपोर्ट करने के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की है. वीएचपी नेता शरण पंपवेल ने कहा कि हेल्पलाइन इसलिए शुरू की गई है ताकि दक्षिण कन्नड़ में किसी भी महिला का हश्र श्रद्धा वॉल्कर जैसा न हो.

मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि इन दो दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े 20 से अधिक लोग, लोगों की शिकायतों को दूर करने और कानूनी और चिकित्सा सहायता समेत सभी तरह की मदद देने के लिए काम कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि ऐसे मामलों का विवरण गोपनीय रखा जाएगा और पहचान उजागर नहीं की जाएगी.

हेल्पलाइन के बारे में मीडिया से बात करते हुए मैंगलोर के पुलिस कमिश्नर शशि कुमार ने कहा, "राज्य भर में 112 हेल्पलाइन है और अगर कोई समस्या आती है तो लोग उस नंबर पर कॉल कर सकते हैं. लोगों की शिकायतों को दूर करने के लिए पर्याप्त स्टाफ है. अब तक हमें लव जिहाद के संबंध में किसी भी हिंदू संगठन द्वारा बताया कोई मामला नहीं मिला है."

विभाजन की राजनीति

हाल ही में कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में लोग सड़क, नाली और अन्य छोटे-छोटे मुद्दों पर बात न करें, "लव जिहाद" रोकने के लिए बीजेपी की जरूरत है.


2 जनवरी को राज्य के मैंगलोर शहर के निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी कार्यकर्ताओं को तैयार करने के लिए आयोजित ‘बूथ विजय अभियान' की शुरुआत पर बोलते हुए कतील ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे कई हिंदू कार्यकर्ताओं की जान बचाने में मदद मिली है.

बीजेपी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आगे उन्होंने कहा, "अगर आप अपने बच्चों के भविष्य के बारे में चिंतित हैं, और यदि आप लव जिहाद को रोकना चाहते हैं, तो हमें भारतीय जनता पार्टी की आवश्यकता है. लव जिहाद से छुटकारा पाने के लिए हमें भारतीय जनता पार्टी की जरूरत है."

अन्य मुद्दों पर भारी धार्मिक ध्रुवीकरण

कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डीके शिवकुमार ने कतील के लव जिहाद वाले बयान पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि भाजपा नेता ने सबसे खराब बयान दिया और आरोप लगाया कि वे देश को विभाजित कर रहे हैं. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "वे विकास नहीं देख रहे हैं, वे नफरत देख रहे हैं और देश को बांट रहे हैं. वे केवल भावनाओं की बात कर रहे हैं. हम लोगों से विकास की बात कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनका पेट भरा रहे. हम रोजगार सृजन चाहते हैं और हम लोगों के दैनिक जीवन के बारे में चिंतित हैं."

कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के नेता बीके हरिप्रसाद ने कतील पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा, "नलिन कुमार कतील ने अपने जीवनकाल में एक बार सच कहा है. भाजपा ने विकास के नाम पर कुछ नहीं किया, जब वे जनता के लिए विकास करने में विफल रहते हैं तो वे सांप्रदायिक मुद्दों की ओर मुड़ जाते हैं."

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी में नंबर दो पर गिने जाने वाले अमित शाह ने राज्य का दौरा किया था और उन्होंने कहा था कि कर्नाटक के लोगों के लिए विधानसभा चुनाव अयोध्या और बद्रीनाथ जैसे हिंदू पूजा स्थलों को विकसित करने वालों और टीपू सुल्तान की जयंती मनाने के बीच चुनने का एक विकल्प है.           

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