विरोध करते कश्मीरियों पर इस्तेमाल हो रही हैं पैलेट गन पर बहस अंतरराष्ट्रीय हो चुकी है. लेकिन सीआरपीएफ चीफ का कहना है कि और कोई विकल्प नहीं है.
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कश्मीर में पैलेट गन्स के इस्तेमाल पर छिड़़ी बहस के बीच सीआरपीएफ के डीजी दुर्गा प्रसाद ने कहा है कि उन्हें पैलेट गन्स से युवाओं के घायल होने का बहुत ज्यादा अफसोस है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह सबसे कम नुकसान पहुंचाने वाला हथियार है. हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी को मारे जाने के बाद भड़की हिंसा के बाद पुलिस इतने दबाव में है कि कश्मीर में तैनात करने के लिए सीआरपीएफ की 114 कंपनियां यानी लगभग 11 हजार जवानों को बीच ट्रेनिंग से बुला लिया गया है. दुर्गा प्रसाद ने बताया है कश्मीर में अशांत हालात को काबू में लाने के लिए यह तैनाती बढ़ाई गई है.
पैलेट गन तो चलानी पड़ेंगी
दुर्गा प्रसाद ने कहा कि ऐसा कोई हथियार नहीं होता जिससे नुकसान ना हो और पैलेट गन सबसे कम घातक हथियार है. घाटी में पिछले दो हफ्तों से जारी झड़पों में 45 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है जबकि पैलेट गन्स से हजारों लोग घायल हैं जिनमें बच्चों की तादाद बहुत ज्यादा है. भारत और भारत के बाहर भी लोग कश्मीर में पैलेट गन्स के इस्तेमाल की आलोचना कर रहे हैं. लेकिन प्रसाद का कहना है कि उनके जवानों को निर्देश है कि पैलेट गन से घुटनों के नीचे निशाना लगाएं. उन्होंने कहा, "हमारी सालाना ट्रेनिंग बीच में रोकनी पड़ी है क्योंकि हमें कश्मीर में तैनाती करनी पड़ रही है. दूसरे राज्यों में ट्रेनिंग ले रहे जवानों को बुलाया गया है."
ये हैं दुनिया की सबसे कड़ी सीमाएं
दुनिया की सबसे कड़ी सीमाएं
धरती के सीने पर खींची गई सरहदें कई बार देशों के साथ साथ दिलों को भी बांट देती हैं. दुनिया के कुछ ऐसे ही कठोर बॉर्डर...
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Sultan
पाकिस्तान-भारत: 'लाइन ऑफ कंट्रोल'
1947 में ब्रिटिश शासकों से मिली आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध 1949 तक चला था. तभी से कश्मीर इलाके को दोनों देशों के बीच एक लाइन ऑफ कंट्रोल से बांटा गया. मुस्लिम-बहुल आबादी वाला पाकिस्तान अधिशासित हिस्सा और हिन्दू, बौद्ध आबादी वाला भारत का कश्मीर. इस लाइन के दोनों ओर पूरे कश्मीर को हासिल करने का संघर्ष आज भी जारी है. 1993 से अब तक यहां हुई हिंसा में 43,000 लोग मारे जा चुके हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Singh
सर्बिया-हंगरी: बाल्कन रूट के केंद्र में
2015 के शरणार्थी संकट के प्रतीक बन चुके हैं ऐसे दृश्य. सर्बिया और हंगरी के बीच बिछी रेल की पटरियों पर चलकर यूरोप में आगे का सफर करते लोग. सितंबर में इस क्रासिंग को बंद कर दिया गया लेकिन यूरोप के भीतर खुली सीमा होने के कारण ऐसे और रूटों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
तस्वीर: DW/J. Stonington
कोरिया का अंधा पुल
पिछले 62 सालों से दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच की सीमा बंद है और उस पर कड़ा सैनिक पहरा रहता है. दक्षिण कोरिया की तरफ से जाते हुए अगर आपको ऐसा साइन बोर्ड दिखे तो वहां से आगे बढ़ने के बाद आप वापस इस तरफ नहीं आ सकेंगे. 1990 के दशक के अंत से करीब 28,000 उत्तर कोरियाई अपनी सीमा पार कर दक्षिण कोरिया में आ चुके हैं.
तस्वीर: Edward N. Johnson
अमेरिका-मैक्सिको का लंबा बॉर्डर
मैक्सिको से लगी इस सीमा को अमेरिकी "टॉर्टिया वॉल" कहते हैं. यहां दीवार और बाड़ खड़ी कर करीब 1126 किलोमीटर लंबा बॉर्डर खड़ा किया गया है. पूरी पृथ्वी में इतनी कड़ी निगरानी वाली कोई दूसरी सीमा नहीं है. यहां करीब 18,500 अधिकारी बॉर्डर सुरक्षा में तैनात हैं.
तस्वीर: Gordon Hyde
हर दिन 700 को देश निकाला
कड़ी सुक्षा व्यवस्था के बावजूद गैरकानूनी तरीके से मैक्सिको से अमेरिका जाने वाले प्रवासियों की संख्या काफी बड़ी है. केवल 2012 में ही लगभग 67 लाख लोगों ने सीमा पार की. हर दिन ऐसी कोशिश करने वाले करीब 700 लोग मैक्सिको वापस लौटाए जाते हैं.
तस्वीर: DW/G. Ketels
मोरक्को-स्पेन: गरीबी और गोल्फ कोर्स
मोरक्को से लगे स्पेन के दो एन्क्लेव मेलिया और सिउटा को लोग यूरोप पहुंचने का रास्ता मानते हैं. अफ्रीका के कई देशों से लोग अच्छे जीवन की तलाश में इसी तरफ से यूरोप पहुंच कर शरण मांगने की योजना बनाते हैं. कई लोग सीमा पर बड़ी बाड़ों को चढ़ कर पार करने की कोशिश करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
ब्राजील-बोलीविया: हरियाली किधर?
उपग्रह से मिले चित्र दिखाते हैं कि वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण ब्राजील के अमेजन के जंगल काफी कम हो गए हैं. पिछले पचास सालों में जंगलों के क्षेत्रफल में करीब 20 फीसदी कमी आई है. हालांकि अब बोलीविया में भी वनों की कटाई एक बड़ी समस्या बन कर उभर रही है.
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हैती-डोमिनिक गणराज्य: एक द्वीप, दो विश्व
देखिए एक ही द्वीप पर स्थित दो देश इतने अलग भी हो सकते हैं. डोमिनिक गणराज्य पर्यटकों की पसंद रहा है जबकि हैती दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल है. बेहतर जीवन की तलाश में हैती से कई लोग डोमिनिक गणराज्य जाना चाहते हैं. बढ़ती मांग को देखते हुए 2015 में डोमिनिक गणराज्य ने आप्रवास के नियम सख्त किए हैं. तबसे करीब 40,000 हैतीवासी अपने देश वापस लौटे हैं.
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मिस्र-इस्राएल: एक तनावपूर्ण शांति
एक ओर रेगिस्तान तो दूसरी ओर घनी आबादी - यह सीमा मिस्र की मुस्लिम-बहुल और इस्राएल की यहूदी-बहुल आबादी के बीच खिंची है. करीब 30 सालों से चली आ रही शांति के बाद हाल के समय में सीमा पर कुछ हिंसक वारदातों और कड़ी सैनिक निगरानी की खबर आई है. 2013 के अंत तक इस्राएल ने इस सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा कर लिया था.
तस्वीर: NASA/Chris Hadfield
तीन देश, एक सीमा
दुनिया के कुछ हिस्सों में सीमाओं पर कोई दीवार, बाड़ या सैनिक निगरानी नहीं होती. जर्मनी, ऑस्ट्रिया और चेक गणराज्य की इस सीमा पर एक तीन-तरफा पत्थर इसका सूचक है. शेंगेन क्षेत्र के इन तीनों देशों के बीच खुली सीमाएं हैं. फिलहाल शरणार्थी संकट के चलते यहां अस्थाई बॉर्डर कंट्रोल लगाना पड़ा है.
तस्वीर: Wualex
इस्राएल-वेस्ट बैंक: पत्थर की दीवार
साल 2002 से इस 759 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवादित दीवारें और बाड़ें बनाई गई हैं. येरुशलम के इस घनी आबादी वाले क्षेत्र (तस्वीर) में दोनों के बीच कंक्रीट की नौ मीटर ऊंची दीवार बनाई गई है. 2004 में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फलिस्तीनी क्षेत्र में दीवार खड़ी करने को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Sultan
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दुर्गा प्रसाद मानते हैं कि पैलेट गन्स युवाओंको बहुत नकुसान पहुंचा रही हैं. उन्होंने कहा, "हमें बहुत खराब लगता है कि युवाओं को पैलेट गन्स की चोट झेलनी पड़ रही हैं. हम भी कोशिश कर रहे हैं कि इनका इस्तेमाल कम से कम हो ताकि चोटें कम से कम लगें. लेकिन हम उनका इस्तेमाल तभी करते हैं जब भीड़ को काबू करने के बाकी तरीके नाकाम हो जाते हैं."
8 जुलाई को बुरहान वानी को मारे जाने के बाद शुरू हई हिंसा के दौरान सीआरपीएफ जवानों ने 2102 कार्टरिज पैलेट गन्स दागी हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक पैलेट गन्स से जिन 317 लोगों को चोट लगी हैं उनमें से कम से कम 50 फीसदी आंख की चोट से पीड़ित हैं. लेकिन प्रसाद का मानना है कि इनके इस्तेमाल के अलावा कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा, "हम दूसरे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं. जैसे कि 7500 फुल बॉडी प्रोटेक्टर्स मंगाए गए हैं जो भीड़ नियंत्रण का काम कर रहे जवानों को (पत्थरबाजी से बचने के लिए) दिए जाएंगे."
सुरक्षाबल भी घायल हैं
दो हफ्तों से जारी इस हिंसा में एक हजार से ज्यादा सीआरपीएफ जवान भी घायल हुए हैं. इसके अलावा कम से कम 2228 पुलिस जवान भी घायल हो चुके हैं. और दो पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है. और कुछ मामलों में तो भीड़ इन घायल जवानों को अस्पताल तक भी नहीं पहुंचने दे रही है. एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "कुछ मामलों में इमरजेंसी हो गई थी तो हम अपने जवानों को स्ट्रेचर पर शहर के बड़े अस्पतालों में ले गए. लेकिन वहां भीड़ ने हमें खदेड़ दिया. अस्पताल के भीतर इतना हंगामा हो गया कि हमें उन्हें वहां से हटाकर मिलिट्री अस्पताल ले जाना पड़ा."
तस्वीरों में, स्केच और कलम से हिंसा का जवाब
स्केच और कलम से हिंसा का जवाब
पश्चिमी मीडिया ने पेरिस में शार्ली एब्दॉ के पत्रकारों की हत्या का जवाब एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से ही दिया. व्यंग्य पत्रिका के समर्थन में सामने आए ये कार्टून...
तस्वीर: Francisco Olea
कार्टूनिस्ट प्लांटू के बनाए इस कार्टून को लेकर रिपब्लिक स्क्वायर पहुंचे कई लोग. इन हत्याओं को पत्रकारिता, अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र पर हमला माना जा रहा है.
तस्वीर: Reuters/G. Fuentes
हमले के दूसरे दिन पेरिस के रिपब्लिक स्क्वायर पर इकट्ठे हो कर हजारों लोगों ने किया पत्रकारों की हत्या पर दुख और आजादी पर हमले के खिलाफ प्रदर्शन.
तस्वीर: Getty Images/D. Kitwood
पेरिस में हमलावरों का निशाना बने शार्ली एब्दॉ के साथ ब्यूनोस आयर्स का यह व्यक्ति अपनी एकजुटता कुछ इस तरह दिखा रहा है. उसके टैबलेट पर बने इस चित्र पर संदेश है - पूरी तरह शार्ली एब्दॉ के साथ.
तस्वीर: Reuters/M. Brindicci
मालाइमेजन के नाम से कार्टून बनाने वाले लैटिन अमेरिकी कार्टूनिस्ट ग्विलेर्मो गालिंडो ने कुछ इस तरह व्यक्त किया शार्ली एब्दॉ के कार्टूनिस्टों पर हुए हमले को.
तस्वीर: MalaImagen
जर्मनी की पत्रिका 'टिटानिक' भी फ्रांसीसी पत्रिका शार्ली एब्दॉ की तरह व्यंग्यात्मक सामग्रियों का प्रकाशन करती है. इस पत्रिका ने भी इस्लाम से संबंधित व्यंग्य और मुसलमानों के बारे में मजाकिया सामग्री का प्रकाशन किया है.
यूक्रेन की राजधानी कीव में फ्रेंच एंबेसी के सामने कई लोग मारे गए पत्रकारों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे. 7 जनवरी 2015 को दो हथियारबंद हमलावरों ने शार्ली एब्दॉ के पेरिस कार्यालय पर हमला कर 12 पत्रकारों की जान ले ली थी.
तस्वीर: Getty Images/Vasily Maximov
आतंकी हमले में मारे गए इन पत्रकारों के जज्बे और कुर्बानी को याद करते हुए पेरिस की विश्वप्रसिद्ध इमारत आइफेल टावर की लाइटें 8 जनवरी को ठीक 8 बजे पांच मिनट के लिए बुझा दी गईं. यह पत्रकार अब दुनिया भर में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लड़ने वालों के प्रतीक बन चुके हैं.
तस्वीर: A. Meunier/Getty Images
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ज्यादातर जवानों को गंभीर चोट नहीं है और शुरुआती इलाज के बाद वे वापस ड्यूटी पर पहुंच गए हैं लेकिन सीआरपीएफ के 12 और पुलिस के 8 जवान गंभीर रूप से घायल थे. उन्हें आर्मी के 92 बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया है जिसे सबसे अच्छा अस्पताल माना जाता है. लेकिन घाटी में गुस्सा इस कदर उफान पर है कि बीते हफ्ते उत्तरी कश्मीर के द्रुगमुला में आर्मी अस्पताल पर भी लोगों ने पथराव किया. और विडंबना यह है कि इस अस्पताल में सैनिकों से ज्यादा इलाज आम नागरिकों का होता है. पिछले साल यहां 10 हजार आम नागरिकों का मुफ्त इलाज हुआ.
एंटी पैलेट गन कैंपेन
पाकिस्तान की एक संस्था वेलफेयर सोसायटी ने कश्मीरी आवाम के खिलाफ पैलेट गन के इस्तेमाल का विरोध करने के लिए एक अभियान छेड़ा है. इस अभियान में मशहूर हस्तियों के चेहरों को पैलेट गन से घायल दिखाया गया है. उनके चेहरों पर पैलेट गन के निशान बनाकर यह दिखाया गया है कि अगर उन्हें कश्मीरियों जैसी चोट लगे तो कैसा लगेगा. सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके इस अभियान की शुरुआत 'नेवर फॉरगेट पाकिस्तान' नाम के फेसबुक पेज से हुई है.
इस अभियान के लिए राजनेताओं, फिल्मी हस्तियों और खिलाड़ियों के चेहरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इनमें फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग, अभिनेता अमिताभ बच्चन और क्रिकेटर विराट कोहली जैसे लोग शामिल हैं.