कश्मीर: गैर कश्मीरी मतदाता भी दे सकेंगे वोट
१८ अगस्त २०२२जम्मू और कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हिरदेश कुमार ने कहा है कि नवंबर में होने वाले स्थानीय चुनावों के पहले प्रदेश की मतदाता सूची में 20 लाख से भी ज्यादा नए नाम जोड़े जा सकते हैं. इनमें जम्मू और कश्मीर में रहने वाले गैर कश्मीरी भी शामिल होंगे.
नए नामों के साथ मतदाताओं की संख्या एक करोड़ के आस पास पहुंच जाएगी लेकिन यह पहली बार होगा कि गैर कश्मीरी लोग भी कश्मीर में मतदाता बन सकेंगे. देश के दूसरे हिस्सों में कोई भी कहीं भी मतदान कर सकता है, बस उसके पास वहां निवास करने का प्रमाण होना चाहिए.
जम्मू और कश्मीर में विशेष राज्य के दर्जे की वजह से यह सुविधा नहीं थी. अगस्त 2019 में विशेष राज्य का दर्जा रद्द कर दिए जाने के बाद अब वहां भी इस सुविधा को लागू करने की तैयारी की जा रही है.
लेकिन कश्मीरी नेताओं ने इसे केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा कश्मीर में किसी भी तरह चुनाव जीतने की कोशिश का हिस्सा बताया है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट में पूछा कि क्या बीजेपी प्रदेश के असली मतदाताओं से समर्थन मिलने के प्रति इतना असुरक्षित महसूस कर रही है कि उसे सीटें जीतने के लिए अस्थायी मतदाताओं को आयात करने की जरूरत पड़ रही है?
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र सरकार ने अव्वल तो अभी तक चुनाव होने नहीं दिए, उसके बाद "निर्वाचन क्षेत्रों के निर्धारण में जालसाजी की और अब चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने के लिए गैर स्थानीय लोगों को भी वोट देने की अनुमति दे रही है."
मुफ्ती ने कहा कि इस कदम का असली उद्देश्य स्थानीय लोगों की शक्ति कम करने के लिए प्रदेश पर कड़ाई से अपना शासन बनाए रखना है. हालांकि अभी प्रदेश में चुनावों की तारिख तय नहीं की गई है.
इससे पहले कश्मीर में परिसीमन की भी कश्मीरी दलों ने आलोचना की थी. परिसीमन आयोग के निर्देशों के तहत प्रदेश में अब 83 की जगह 90 सीटें होंगी, जिनमें से 47 सीटें कश्मीर से होंगी और 43 जम्मू से.