कजाखस्तान के काराकुदुक गांव में दुकानों की शेल्फों से शराब की बोतलें गायब हो रही हैं. इस मध्य एशियाई देश में शराबबंदी की कोशिशों का असर दिखने लगा है. हालांकि इसे लागू करवाने के तरीकों में अतंर है.
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पूर्व सोवियत संघ के कई देशों, खासकर रूस की तरह कजाख्स्तान में शराब पीना लंबे वक्त से विवाद का मुद्दा रहा है. देश के नियामक स्वस्थ जिंदगी जीने का विचार प्रसारित करने को आतुर हैं और कारादुकुक को ड्राई विलेज यानी शराब मुक्त गांव बनाने के प्रयासों में मददगार रहे हैं. हालांकि शराब बेचने पर कोई कानूनी बंदिश नहीं है. देश के आंतरिक मंत्री ने ऐसे 97 इलाकों की लिस्ट बनाई है जो शराब मुक्त हैं लेकिन स्थानीय मीडिया का कहना है कि ऐसे गांवों की संख्या कहीं ज्यादा है.
ज्यादातर कजाख, मुसलमान हैं लेकिन धर्म और शराबबंदी को जोड़कर नहीं देखा जा रहा है और ना ही अधिकारी इसे जोर जबरदस्ती से लागू करवा रहे हैं. समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि यह प्रयास लोग खुद ही कर रहे हैं.
अल्कोहल से दूरी
सेंट्रल कजाख्स्तान में एक दुकानदार आएगेरिम मुकेयेवा ने एएफपी से बातचीत में कहा, "हम अल्कोहल वाली ड्रिंक नहीं बेचते हैं. आपको कुछ पीना है तो हमारे पास पानी, जूस, गैस वाली ड्रिंक और दुग्ध उत्पाद हैं." आमतौर पर शराबबंदी का फैसला, स्थानीय तौर पर रसूखदार वरिष्ठ नागरिक करते हैं जिन्हें मध्य एशियाई देशों में सरकारी मान्यता मिली हुई है. इन ताकतवर स्थानीय लीडरों की राय का डर लोगों के शराब से दूर रहने की वजह बनता है.
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पूर्व पुलिस अधिकारी और काराकुदुक के वर्तमान मेयर बायुरजान जुमागुलाव ने एएफपी से कहा, "एक अकेली दुकान जो अल्कोहल बेचा करती थी, कुछ साल पहले बंद हो गई क्योंकि मांग नहीं थी. हालांकि वह यह भी कहते हैं कि उन्होंने दुकानदारों से कहा कि वह अपना अल्कोहल लाइसेंस आगे ना बढ़ाएं. कुछ और जगहों पर लोगों ने ज्यादा क्रांतिकारी कदम उठाए हैं.
दुनिया के सबसे बड़े वाइन उत्पादक
वाइन बनाने के मामले में इटली और फ्रांस की बादशाहत का अब तक भी कोई जवाब नहीं है. देखिए, दुनिया के वे देश जो सबसे ज्यादा वाइन उत्पादन करते हैं.
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इटली की बादशाहत
इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ वाइन एंड वाइन (OIV) के आंकड़े बताते हैं कि 1995 से 2022 तक सबसे ज्यादा वाइन उत्पादन वाले देशों में पहले स्थान पर इटली और फ्रांस के बीच अदला-बदली होती रही है. लेकिन पिछले दस में से नौ साल इटली सबसे ऊपर रहा है.
तस्वीर: DW
फ्रांस भी पीछे नहीं
2022 में पहले नंबर पर इटली का नाम रहा जहां 45,616,000,00 लीटर वाइन बनी जबकि फ्रांस में 41,548,000,00 लीटर वाइन का उत्पादन हुआ.
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स्पेन तीसरी वाइन-पावर
पिछले दस साल से स्पेन लगभग हमेशा तीसरे नंबर पर रहा है. पिछले साल वहां 3.1 अरब लीटर वाइन का उत्पादन हुआ.
तस्वीर: picture-alliance/ dpa
अमेरिका और चीन
कुछ साल पहले तक चीन को उभरती हुई वाइन-पावर के रूप में देखा जाता था लेकिन पिछले एक दशक में वहां उत्पादन और घरेलू उपभोग दोनों में कमी आई है. 2022 में वह 1.6 अरब लीटर वाइन के साथ चौथे नंबर पर रहा जबकि अमेरिका 2.2 अरब लीटर वाइन उत्पादन के साथ तीसरे नंबर पर रहा.
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दक्षिण अमेरिका
वाइन के मामले में चिली और अर्जेन्टीना दक्षिणी अमेरिका के सबसे बड़े देश हैं. 2022 में चिली में 1.2 अरब लीटर वाइन का उत्पादन हुआ और वह छठे नंबर पर था. अर्जेन्टीना में 1.17 अरब लीटर का उत्पादन हुआ और वह ऑस्ट्रेलिया के बाद आठवें नंबर पर था. सांतवें नंबर पर रहे ऑस्ट्रेलिया में 1.22 अरब लीटर वाइन बनाई गई.
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जर्मनी से ऊपर दक्षिण अफ्रीका
यूरोप में जर्मनी को भी वाइन उत्पादक देशों की सूची में इज्जत के साथ देखा जाता है लेकिन इस साल वह दसवें नंबर पर है. वहां 90 करोड़ लीटर वाइन बनाई गई. उससे ज्यादा वाइन दक्षिण अफ्रीका में बनी जो एक अरब लीटर के साथ नौवें नंबर पर था.
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सेंट्रल कजाखस्तान के अबाई गांव में लोगों ने दुकानों से बोतलें निकालकर फोड़ दीं. इसी तरह एक अन्य गांव अक्सू में पुलिन ने बुलडोजर का इस्तेमाल करके 1,186 बोतलें तोड़ीं. यह दुकान गुपचुप तरीके से रात को शराब बेच रही थी.
कजाखस्तान में अल्कोहल पीने से जुड़ा डाटा अधूरा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि हर साल एक वयस्क 4.5 लीटर शराब पी जाता है जबकि सरकारी आंकड़े कहते हैं कि यह मात्रा 7.7 लीटर है. नंबर चाहे जो भी हों, शराब का समाज पर असर साफ दिखता है. अधिकारियों का कहना है कि घरेलू हिंसा के आधे से ज्यादा मामलों में शराब पीने की लत एक बड़ा कारण बनकर सामने आती है. यही लत तलाक लेने की भी बड़ी वजह बनती है. देश के करीब 90,000 लोग यानी आबादी का 0.5 फीसदी हिस्सा आधिकारिक तौर पर शराब की लत का शिकार है.
शराबबंदी कितनी कारगर
स्थानीय मीडिया का कहना है कि ड्राई जोन काफी असरदार साबित हुए हैं. अधिकारियों के मुताबिक, मॉडल गांवों में लोगों के व्यवहार में बड़ा परिवर्तन देखा गया है. काराकुदुक में पुलिस कमांडर कुआनिश कालेलोव का दावा है कि वहां अपराध दर शून्य है. मेयर जुमागुलोव अपनी योजनाएं दिखाते हुए कहते हैं, गांवों में युवाओं का लाइफस्टाइल स्वस्थ है. इन योजनाओं में एक शराबमुक्त गांव में मौजूद जिम और क्लिनिक शामिल हैं.
सरकार शराबबंदी को लेकर काफी गंभीर है. इसी साल आंतरिक मंत्रालय ने शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामलों में 12,000 लोगों के लाइसेंस छीन लिए. काराकुदुक गांव में लोग ड्राई विलेज की इस मुहिम को लेकर उत्साहित हैं. आम राय की बारीकियों को समझ पाना दूभर काम है लेकिन लोगों का समर्थन दिखता है.
30 साल के एक किसान माक्सत बितेबायेव कहते हैं, ''शराब पीने से कोई फायदा नहीं होता. युवाओं को अल्कोहल से बचना चाहिए.'' दूसरी तरफ, 68 बरस के सुपरमार्केट कर्मचारी सेरिक बाखायेव की शिकायत है, ''पहले जब बहुत गर्मी होती थी तो हम एक बीयर ले लेते थे.'' लगता है कि अब लोगों के पास स्थानीय तौर पर घोड़ी के दूध से बनने वाले ड्रिंक कुमिस से काम चलाना होगा.
एसबी/ओएसजे (एएफपी)
पहली बार संयुक्त अरब अमीरात में बीयर बनी है
रुढ़िवादी यूएई की राजधानी आबू धाबी में पहली बार एक ब्रुअरी में बीयर बन रही है. यहां अल्कोहल लंबे समय से पूरी तरह वर्जित रहा है.
तस्वीर: GIUSEPPE CACACE/AFP
आबू धाबी में बीयर की ब्रुअरी
सूखे रेतीले आबू धाबी के पब में चाड मैकगेही चमचमाते स्टील टैंकों को देख काफी जोश में हैं. 42 साल के अमेरिकी मैकगेही इस ब्रुअरी को शुरू करने वाले लोगों में एक हैं. इससे पहले वह आयातित बीयर यूएई में बेचते रहे हैं.
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घरेलू जायके वाली बीयर
यूएई ने जब ब्रूइंग की इजाजत दे दी तो मेकगेही ने कुछ लोगों के साथ मिल कर क्राफ्ट को शुरू किया. यह ब्रुअरी 8-14 बीयर बना रही है. इनमें से कई तो बिल्कुल स्थानीय स्वाद के हिसाब से बनाई जा रही हैं. मसलन काराक टी जो यहां खाड़ी में काफी पसंद की जाने वाली चाय है.
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पहली माइक्रोब्रुअरी का लाइसेंस
खाड़ी के मुस्लिम देश तेल के कारोबार से बाहर निकल कर दूसरे उपायों से अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में जुटे हैं. इसी कड़ी में अल्कोहल के लिए भी कुछ छूट दी गई है. पहली माइक्रोब्रुअरी के लिए लाइसेंस लेने वाले मैकगेही इसी का फायदा उठाने में जुटे हैं.
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इलायची और केसर
आबू धाबी की बीयर में चाय के अलावा कई चीजों का इस्तेमाल हो रहा है. किसी बीयर में काली चाय, इलायची और केसर है तो किसी में शहद, खजूर और कॉफी. उनका कहना है कि स्थानीय बाजारों में जो कुछ मिलता है, उनसे क्राफ्ट की बीयर का जायका तैयार होता है.
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यूएई में ब्रुअरी
2021 में अबूधाबी यूएई में लाइसेंसी पबों में ब्रूइंग की इजाजत देने वाला पहला अमीरात बना. मैकगेही ने 2019 में साइड हसल ब्रूइज एंड स्पिरिट्स की स्थापना की. तब यह यूएई का पहला घरेलू ब्रांड बना हालांकि इस दौरान बीयर बाहर से आयात कर के बेची जाती थी.
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यूएई ने दिखाया लचीलापन
यूएई ने शराब से जुड़े कानूनों में लचीलापन दिखाया है. दुबई में पिछले साल शराब पर 30 फीसदी का टैक्स खत्म कर दिया गया और साथ ही गैर-मुस्लिमों को शराब बेचने वाली लाइसेंसी दुकानों की परमिट पर लगने वाला चार्ज भी हटा दिया गया.
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आबूधाबी में बीयर
आबूधाबी की 1 करोड़ की आबादी में 90 फीसदी लोग विदेशी हैं. अल्कोहल बेचना और इस्तेमाल करना पहले वहां केवल होटलों के बार तक सीमित था, जहां विदेशी लोगों का ज्यादा आना जाना होता था.
तस्वीर: GIUSEPPE CACACE/AFP
ईरान का असर
ईरान में हुई 1979 की इस्लामिक क्रांति का मुस्लिम देशों पर बहुत असर हुआ. इसके बाद कई मुस्लिम देशों ने खुद को रुढ़िवादी और धार्मिक मूल्यों वाली परंपराओं में पूरी तरह लपेट लिया. 2000 के बाद 900 से ज्यादा मस्जिदों वाले यूएई ने अपनी उदार छवि बनानी शुरू की और शराब को यहां आने की इजाजत मिली.
तस्वीर: GIUSEPPE CACACE/AFP
अब भी बहुत हैं पाबंदियां
अल्कोहल की बिक्री पर ओमान, कतर और कुवैत में पूरी तरह से रोक है. यूएई के ही एक अमीरात शारजाह में आज भी शराब बेचने पर पूरी तरह पाबंदी है. कतर में फुटबॉल वर्ल्डकप के दौरान सीमित मात्रा में कुछ जगहों पर बीयर बेचने की छूट मिली थी.
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सऊदी अरब में शराब की दुकान
अब संयुक्त अरब और अमीरात में उदारता और आर्थिक उन्नति की होड़ मची है. आबू धाबी से कुछ ही घंटों की दूरी पर सऊदी अरब है, जो इस्लाम की जन्मभूमि है. यहां हाल ही में एक शराब की दुकान को लाइसेंस मिला है. यहां केवल गैर-मुस्लिम विदेशी राजनयिकों को ही शराब मिल सकती है.