1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मध्य प्रदेश, गुजरात में मिलती है सबसे कम मजदूरी

२५ नवम्बर २०२२

ग्रामीण मजदूरों की दैनिक मजदूरी में अलग अलग राज्यों में काफी असमानता है. महंगाई दर के लगातार ऊंची रहने के बावजूद कई राज्यों में मजदूरों को दिन भर काम के बदले सिर्फ करीब 200 रुपये दिए जा रहे हैं.

मजदूर
लेबर चौक पर बैठे मजदूरतस्वीर: Pradeep Gaur/Zumapress/picture alliance

आरबीआई ने भारतीय राज्यों से जुड़े अलग अलग आंकड़ों की अपनी हैंडबुक का सातवां संस्करण निकाला है. इसमें 2021-22 के आंकड़ों को शामिल किया गया है. आर्थिक क्षेत्र की कई गतिविधियों से संबंधित आंकड़ों को इस हैंडबुक में जगह दी गई है, जिसमें ग्रामीण इलाकों में दी जाने वाली दैनिक मजदूरी भी शामिल है.

20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सामान्य कृषि मजदूरों को मिलने वाली दैनिक मजदूरी का मूल्यांकन किया गया है. आंकड़े अलग अलग राज्यों में दी जाने वाली मजदूरी में बड़ी खाई दिखा रहे हैं. 20 में से कम से कम 10 राज्य राष्ट्रीय औसत जितनी भी मजदूरी नहीं देते.

आरबीआई ने बताया है कि इन आंकड़ों का स्रोत केंद्र सरकार का श्रम ब्यूरो है. सभी राज्यों में केरल सबसे आगे है. यहां सामान्य कृषि मजदूरों को 2021-22 के दौरान 726.8 रुपये दैनिक मजदूरी मिली. 2014-15 में इस श्रेणी के लिए दिहाड़ी 575.1 रुपए थी.

उसके बाद हर साल इसमें 20-25 रुपयों की वृद्धि हुई. कोरोना वायरस महामारी के दौरान 2020-21 में इसमें सिर्फ छह रुपए की वृद्धि हुई. इस श्रेणी में दैनिक मजदूरीका राष्ट्रीय औसत 323.32 रुपए है. यानी केरल की दर राष्ट्रीय औसत के दुगुने से भी ज्यादा है.

अधिकांश राज्यों में 500 रुपयों से कम

केरल के बाद स्थान है जम्मू और कश्मीर का, हालांकि वह भी केरल से काफी पीछे है. जम्मू-कश्मीर में सामान्य कृषि मजदूरों को 2021-22 में 524.6 रुपए दैनिक मजदूरी दी गई. 2014-15 में यह 367.7 रुपये थी. इसमें हर साल 15-20 रुपये का इजाफा होता आया है. 2020-21 में इसमें करीब 50 रुपए की बढ़ोतरी हुई.

किसान बनते शहरों से लौटे लोग

04:36

This browser does not support the video element.

बाकी सभी राज्यों में दिहाड़ी की दर 500 रुपये से नीचे ही है. हिमाचल प्रदेश में 457.6 और तमिलनाडु में 445.6 रुपये है. सबसे कम मजदूरी देने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार शामिल हैं.

मध्य प्रदेश में सिर्फ 217.8 रुपए मजदूरी दी जाती है, जो देश में सबसे कम है. पिछले एक साल में इसमें सिर्फ लगभग 20 पैसों की बढ़ोतरी हुई है. 2014-15 से भी इसमें सिर्फ 67 रुपयों का इजाफा हुआ है.

2020-21 में इसे 19 रुपए बढ़ाया गया था. गुजरात में दैनिक मजदूरी 220.3 रुपए है. 2014-15 के मुकाबले इसमें सिर्फ 60 रुपयों की बढ़ोतरी हुई है. 2020-21 में इसे पांच रुपयों से भी कम बढ़ाया गया था.

निर्माण में ज्यादा मजदूरी

कृषि के अलावा दूसरे तरह का काम करने वालों को मिलने वालीदैनिक मजदूरी की भी लगभग ऐसी ही तस्वीर है. 681.8 रुपए दिहाड़ी के साथ केरल इस श्रेणी में भी आगे है.

क्यों पैदल जा रहे हैं मजदूर

03:35

This browser does not support the video element.

जम्मू-कश्मीर में दिहाड़ी 500.8 है, तमिलनाडु में 462.3 और हिमाचल प्रदेश में 389.8 है. सबसे निचला स्थान पाने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश में 230, त्रिपुरा में 250, गुजरात में 252.5 और महाराष्ट्र में 277.2 रुपए दिहाड़ी है.

निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर कृषि के मुकाबले थोड़ा ज्यादा कमा लेते हैं. केरल में इन श्रमिकों को 2021-22 में 837.7 रुपए दैनिक मजदूरी मिली. जम्मू-कश्मीर में 519.8 और तमिलनाडु में 478.6 रुपये मिले. त्रिपुरा में 250, मध्य प्रदेश में 266.7 और गुजरात में 295.9 रुपए दिए गए.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें