दक्षिण कोरिया में अंडाणु फ्रीज कराने वालीं युवतियां बढ़ीं
१३ मई २०२२
दक्षिण कोरिया में पिछले कुछ सालों में अंडाणुओं को फ्रीज कराने वाली युवा महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है. विशेषज्ञ इस बात को बहुत अच्छी खबर मान रहे हैं.
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दक्षिण कोरिया में पहले की तुलना में अब कम महिलाएं बच्चे पैदा कर रही हैं. और जो कर रही हैं, उन्हें भी कोई जल्दी नहीं है. जीवनयापन, शिक्षा और बच्चों के लालन-पालन का बढ़ता खर्च बड़ी संख्या में महिलाओं को मां बनने से हतोत्साहित कर रहा है.
लिम युन-यंग 34 साल की हैं. वह सरकारी नौकरी करती हैं और कहती हैं कि अभी वह परिवार बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हैं. हालांकि वह कई महीने से अपने बॉयफ्रेंड के साथ हैं लेकिन परिवार से जुड़े खर्चों के आकार को देखते हुए फिलहाल रिश्ते को अगले स्तर पर नहीं लेना जाना चाहतीं. हां, उन्होंने तैयारी पूरी कर रखी है. मसलन, उन्होंने अपने अंडाणुओं को फ्रीज करवा लिया है क्योंकि वह जानती हैं कि उनकी उम्र बढ़ रही है.
लिम बताती हैं, "यह बहुत बड़ी राहत है. मुझे सुकून रहता है कि मैंने सेहतमंद अंडाणुओं को फ्रीज करवा दिया है.”
सीएचए मेडिकल सेंटर के मुताबिक पिछले साल करीब 1,200 अविवाहित महिलाओं ने अपने अंडाणु फ्रीज करवाए हैं और पिछले दो साल में यह संख्या दोगुनी हो गई है. सीएचए दक्षिण कोरिया का सबसे बड़ा फर्टिलिटी सेंटर है, और आईवीएफ के करीब एक तिहाई बाजार पर उसका कब्जा है.
सबसे कामयाब सीरीज बनी 'स्क्विड गेम'
दक्षिण कोरियाई सीरीज 'स्क्विड गेम' नेटफ्लिक्स की अब तक की सबसे कामयाब प्रॉडक्शन बन गई है. इस सीरीज का असर ऐसा हुआ है कि लोगों ने बचपन के खेल तक दोबारा खेलने शुरू कर दिए हैं.
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सिर चढ़ा जादू
स्क्विड गेम का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है. दुनियाभर में इस सीरीज में दिखाए गए चैलेंज हो रहे हैं.
तस्वीर: Vidhyaa Chandramohan/REUTERS
‘स्क्विड गेम’ का ऐसा असर
सीरीज में ‘हनीकॉम्ब’ नाम का एक चैलेंज है जिसमें कोरियाई कैंडी डालगोना पर बनी आकृति को नुकसान पहुंचाए बिना उसके किनारे चाट कर या तोड़कर हटाने होते हैं. सिंगापुर के ‘ब्राउन बटर कैफे’ ने हाल ही में यह चैलेंज करवाया. अगर सीरीज वाले नियम लागू होते तो अब तक यह महिला मर चुकी होती.
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डालगोना का पुनर्जन्म
दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में जंग जंग-सून और उनके पति लिम चांग-जू (बाएं) अपने स्टॉल पर डालगोना बना रहे हैं. ‘स्क्विड गेम’ में इस्तेमाल किए गए डालगोना इन्हीं दोनों ने बनाए हैं. अब सीरीज के सफल होने के बाद उनकी दुकान पर ग्राहकों की लाइन लगी रहती है.
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चीनी और बेकिंग सोडा
गूगल पर सर्च करें तो आपको डालगोना की तमाम रेसिपी मिलेंगी. और दुनियाभर में इसे सर्च किया जा रहा है. इसके लिए चीनी को पिघलने तक गर्म करके उसमें एक चुटकी बेकिंग सोडा डाला जाता है. फिर इसे जमने तक रखा जाता है और एक मोल्ड के जरिए कोई आकृति बना दी जाती है.
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आबु धाबी में हनीकॉम्ब
इस सीरीज का सफल होना कोई संयोग नहीं है. 1990 के दशक से ही दक्षिण कोरिया की सरकार अपने सांस्कृतिक उत्पादों जैसे टीवी, फिल्में और संगीत आदि के निर्यात को प्रोत्साहित कर रही है. यह रणनीति कामयाब भी रही है. आबु धाबी के कोरियन कल्चरल सेंटर ने हाल ही में हनीकॉम्ब चैलेंज का आयोजन किया.
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रेड लाइट, ग्रीन लाइट
फिलीपीन्स में सीरीज की प्रमोशन के लिए रोबोट डॉल का इस्तेमाल किया गया जो सीरीज में ‘रेड लाइन ग्रीन लाइट’ गेम में इस्तेमाल होती है.
तस्वीर: Chandramohan Vidhyaa/REUTERS
बच्चों के खेल
‘स्क्विड गेम’ में खेला गया यह खेल जगह जगह खेला जा रहा है. दक्षिण कोरिया का यह पारंपरिक खेल है, जिसे अब फिर से नया जीवन मिल गया है.
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अंडाणुओं को फ्रीज करवाकर भविष्य में इस्तेमाल के लिए रख देना एक ऐसा विकल्प है जिसे आजकल दुनियाभर में बड़ी संख्या में महिलाएं अपना रही हैं. लेकिन दक्षिण कोरिया में यह चलन हाल ही में जोर पकड़ने लगा है. देश पहले ही दुनिया के सबसे कम जन्मदर के लिए जाना जाता है. इसलिए विशेषज्ञ इस चलन को एक सकारात्मक कदम के रूप में देख रहे हैं.
घटती जन्मदर की चिंता
पिछले साल दक्षिण कोरिया की जन्मदर मात्र 0.81 थी जबकि 2020 में विकसित देशों में जन्मदर 1.59 रही थी. ऐसा तब है जबकि दक्षिण कोरिया की सरकार लोगों को बच्चे पैदा करने के वास्ते प्रोत्साहित करने के लिए जमकर खर्च कर रही है. पिछले साल देश की जन्मदर सुधारने से जुड़ीं नीतियों के लिए बजट में 37 अरब डॉलर का प्रावधान रखा गया था.
देश की जन्मदर कम होने के लिए ज्यादातर बेहद महंगी शिक्षा व्यवस्था को जिम्मेदार ठहाराया जाता है, जिसमें कॉम्पटिशन हद से ज्यादा हो चुका है. हालत यह है कि बेहद महंगे स्कूल और ट्यूशन सेंटर बहुत कम उम्र से ही बच्चों की जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं. लिम बताती हैं, "हम शादीशुदा जोड़ों से सुनते हैं और रिएलिटी टीवी शो में भी देखते हैं कि बच्चों को पढ़ाना कितना महंगा और खर्चीला है. इन्हीं चिंताओं के कारण कम लोग शादियां करते हैं और कम बच्चे पैदा करते हैं.”
एक त्यौहार कीचड़ का भी
स्पेन के टोमाटीना फेस्टिवल के बारे में आप जानते होंगे, जिसमें लोग एक दूसरे को टमाटरों से नहला देते हैं. पर क्या आप दक्षिण कोरिया के मड फेस्टिवल के बारे में भी जानते हैं, जहां लोग एक दूसरे पर मिट्टी और कीचड़ फेंकते हैं?
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एक अनोखा त्यौहार
मड फेस्टिवल दक्षिण कोरिया के बोरियोंग में हर साल 13 से 22 जुलाई के बीच मनाया जाता है.
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मिट्टी का जश्न
इस त्यौहार में लोग एक दूसरे पर मिट्टी और कीचड़ फेंकते हैं और लोगों को कीचड़ में गिरा देते हैं.
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पर्यटक भी खेलते हैं
हर साल होने वाले इस त्यौहार का उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना है.
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त्वचा के लिए
मड फेस्टिवल का एक उद्देश्य त्वचा की देखभाल के लिए मिट्टी के इस्तेमाल को बढ़ावा देना भी है.
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21 सालों की परंपरा
इस साल त्यौहार का 21वां संस्करण मनाया जा रहा है.
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त्यौहार के आगे वायरस भी फेल
कोरोना वायरस महामारी के बावजूद इस साल त्यौहार स्थगित नहीं हुआ.
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विशेष मिट्टी
मिट्टी बोरियोंग के पास से ही मंगाई जाती है और ट्रकों द्वारा बीच तक लाई जाती है.
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लाभकारी गुण
माना जाता है कि खनिजों की उपस्थिति की वजह से इस मिट्टी में लाभकारी गुण होते हैं.
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देश में घर लेना भी बहुत महंगा हो गया है. मिसाल के तौर पर राजधानी सियोल में एक औसत अपार्टमेंट की कीमत एक परिवार की 19 साल की औसत कमाई के बराबर हो चुकी है. 2017 में यह 11 साल की औसत कमाई के बराबर थी.
32 साल की चो सो-यंग सीएचए में नर्स हैं. वह भी अपने अंडाणु फ्रीज करवाने जा रही हैं. वह चाहती हैं कि बच्चे को जन्म देने से पहले वह खुद को वित्तीय और आर्थिक रूप से पूरी तरह मजबूत कर लें. चो बताती हैं, "अगर मैं अभी शादी कर लूं और बच्चे पैदा करूं तो मैं अपने बच्चे को वो माहौल नहीं दे पाऊंगी, जिसमें मैं बड़ी हुई हूं. मैं एक बेहतर घर, अच्छा पड़ोस और खाने को बढ़िया खाना चाहती हूं.”
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कानूनी रोड़े
इस मामले में एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि बच्चे पैदा करने के लिए दक्षिण कोरियाई समाज में शादीशुदा होना जरूरी समझा जाता है. विकसित देशों में 41 प्रतिशत बच्चे बिना शादी के पैदा होते हैं जबकि दक्षिण कोरिया में ऐसे बच्चों की संख्या सिर्फ दो फीसदी है. आलम यह है कि अविवाहित महिलाएं अपने अंडाणु तो फ्रीज करवा सकती हैं लेकिन कानून उन्हें उन अंडाणुओं से बच्चे पैदा करने का हक नहीं देता.
दक्षिण कोरिया में रहने वालीं जापानी मूल की सायूरी फुजीता ने इस मुद्दे को तब चर्चा में ला दिया था जब उन्हें अपने अंडाणुओं के लिए स्पर्म खोजने के वास्ते जापान जाना पड़ा था क्योंकि दक्षिण कोरिया में ऐसा करना अवैध था.
कोरिया को बांटने वाली जंग
25 जून 1950 को कोरियाई युद्ध शुरू हुआ. इसमें सोवियत रूस समर्थित उत्तर कोरिया की तरफ से 75000 सैनिक पश्चिम समर्थित दक्षिण कोरिया से भिड़ने चले. जुलाई आते आते अमेरिकी सेना भी दक्षिण कोरिया की ओर से आ गई.
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अंतरराष्ट्रीय साम्यवाद के खिलाफ
अमेरिकी अधिकारियों के लिए यह अंतरराष्ट्रीय साम्यवाद के खिलाफ जंग थी. उनके पास इस युद्ध का विकल्प एक ही था रूस और चीन के साथ जंग या फिर कुछ लोग जिसकी चेतावनी देते है यानी तीसरा विश्वयुद्ध. अमेरिका इससे बचना चाहता था.
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50 लाख लोगों की मौत
1953 के जुलाई के अंत में जंग खत्म हुई तो सब मिला कर 50 लाख लोगों की जान जा चुकी थी. इसमें आधे से ज्यादा आम लोग थे. 40 हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक कोरिया में मारे गए और 1 लाख से ज्यादा घायल हुए.
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जापानी साम्राज्य का हिस्सा
बीसवीं सदी की शुरुआत से ही कोरिया जापानी साम्राज्य का हिस्सा था. दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद अमेरिका और रूस को यह तय करना था कि दुश्मनों के साम्राज्य का क्या किया जाए. 1945 में अमेरिका के दो अधिकारियों ने इसे 38 वें समानांतर के साथ दो हिस्से में बांटने का फैसला किया.
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38 वां समानांतर
यह वो अक्षांश रेखा है जो पृथ्वी की भूमध्य रेखा से उत्तर में 38 डिग्री पर स्थित है. यह यूरोप, भूमध्यसागर, एशिया, प्रशांत महासागर, उत्तर अमेरिका, और अटलांटिक सागर से होकर गुजरती है. कोरियाई प्रायद्वीप में इसके एक तरफ उत्तर तो दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया है.
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रूस और अमेरिका
दशक का अंत होते होते दो राष्ट्र अस्तित्व में आ गए. दक्षिण में साम्यवाद विरोधी नेता सिंगमान री को अमेरिका का थोड़े ना नुकुर के साथ समर्थन मिला तो उत्तर में साम्यवादी नेता किम इल सुंग को रूस का वरदहस्त. दोनों में से कोई अपनी सीमा में खुश नहीं था और सीमा पर छिटपुट संघर्ष लगातार हो रहे थे. जंग शुरू होने के पहले ही दोनों ओर के 10 हजार से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके थे.
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कोरिया की जंग और शीत युद्ध
इतना होने पर भी अमेरिकी अधिकारी उत्तर कोरिया के हमले से हतप्रभ थे. उन्हें इस बात की चिंता थी कि यह दो तानाशाहों के बीच सीमा युद्ध ना होकर दुनिया को अपने कब्जे में करने की साम्यावादी मुहिम का पहला कदम है. यही वजह थी कि तब फैसला करने वालों ने हस्तक्षेप नहीं करने जैसे कदमों के बारे में सोचना गवारा नहीं किया. उत्तर कोरिया सोल की तरफ बढ़ा और अमेरिकी सेना साम्यवाद के खिलाफ तैयार होने लगी.
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साम्यवादियों की शुरुआती बढ़त
पहले यह जंग सुरक्षात्मक थी और मित्र देशों पर भारी पड़ी. उत्तर कोरिया की सेना अनुशासित, प्रशिक्षित, और उन्नत हथियारों से लैस थी जबकि री की सेना भयभीत, परेशान और हल्के से उकसावे पर मैदान छोड़ने के लिए तैयार थी. यह कोरियाई प्रायद्वीप के लिए सबसे सूखे और गर्म दिन थे. अमेरिकी सैनिक भी बेहाल थे.
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नई रणनीति
गर्मी खत्म होते होते अमेरिकी सेना के जनरलों ने युद्ध को नई दिशा दी. अब उनके लिए कोरियाई युद्ध का मतलब हमलावर जंग हो गई जिसमें उन्हें उत्तर कोरिया को साम्यवादियों से आजाद कराने का लक्ष्य रखा. शुरुआत में बदली नीति सफल रही और उत्तर कोरियाई सैनिकों को सोल से खदेड़कर 38 वें समानांतर के पार पहुंचा दिया गया.
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चीन का डर और दखल
जैसे ही अमेरिकी सेना सीमा पार कर उत्तर में यालू नदी की ओर बढ़ी चीन को अपनी सुरक्षा का डर सताने लगा और उसने इसे चीन के खिलाफ जंग कह दिया. चीनी नेता माओत्से तुंग ने अपनी सेना उत्तर कोरिया में भेजी और अमेरिका को यालू की सीमा से दूर रहने को कहा.
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चीन से लड़ाई नहीं
अमेरिका राष्ट्रपति ट्रूमैन चीन से सीधा युद्ध नहीं चाहते थे क्योंकि इसका मतलब होता एक और बड़ा युद्ध. अप्रैल 1951 में अमेरिकी सेना के कमांडर को बर्खास्त किया गया और जुलाई 1951 में राष्ट्रपति और नए सैन्य कमांडर ने शांति वार्ता शुरू की. 38 समानांतर पर लड़ाई भी साथ साथ चल रही थी. दोनों पक्ष युद्ध रोकने को तैयार थे लेकिन युद्धबंदियों पर समझौता नहीं हो पा रहा था.
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युद्ध खत्म हुआ
आखिरकार दो साल की बातचीत के बाद 27 जुलाई 1953 को संधि पर दोनों पक्षों के दस्तखत हुए. इसमें युद्धबंदियों को जहां उनकी इच्छा हो रहने की आजादी मिली, नई सीमा रेखा खींची गई जो 38 पैरलल के करीब ही थी और इसमें दक्षिण कोरिया को 1500 वर्गमील का इलाका और मिल गया. इसके साथ ही 2 मील की चौड़ाई वाला एक असैन्य क्षेत्र भी बनाया गया. यह स्थिति आज भी कायम है.
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सियोल विमिंज यूनिवर्सिटी में समाज शास्त्र पढ़ाने वालीं जंग जाए-हून कहते हैं कि इस कानून में बदलाव की जरूरत है. जंग बताते हैं कि पिछले साल देश में मात्र 1,92,500 शादियां हुईं. एक दशक पहले से तुलना करें तो यह 40 प्रतिशत कम है. 2019 की तुलना में भी यह संख्या 27 प्रतिशत कम है, हालांकि इसकी वजह कोविड को माना जाता है.
जंग कहते हैं, "सरकार कम से कम इतना तो कर सकती है कि उन लोगों को रास्ते में रोड़े ना अटकाए जो बच्चे पैदा करने का आर्थिक बोझ उठाने को तैयार हैं.”
जंग की चिंता इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि बच्चे पैदा करने की इच्छा में ही बड़ी कमी देखी जा रही है. 2020 में सरकार द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक अपनी उम्र की तीसरी दहाई यानी 20-30 वर्ष के 52 प्रतिशत दक्षिण कोरियाई युवा कहते हैं कि शादी के बाद भी वे बच्चा पैदा नहीं करना चाहेंगे. 2015 में ऐसे लोगों की संख्या सिर्फ 23 प्रतिशत थी.