जॉर्डन के राजा ने जताई इस्लामिक स्टेट के उदय की आशंका
१३ जनवरी २०२०
फ्रांस के टीवी चैनल फ्रांस 24 को दिए साक्षात्कार में जॉर्डन के राजा ने कहा कि इस बार इस्लामिक स्टेट सिर्फ दक्षिण सीरिया में ही नहीं बल्कि पश्चिमी इराक में भी सक्रिय हो रहा है.
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फ्रांस के टीवी चैनल फ्रांस 24 को दिए साक्षात्कार में जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह ने खाड़ी देशों में इस्लामिक स्टेट के फिर से संगठित होने की चेतावनी दी है. समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक फ्रेंच टीवी चैनल पर साक्षात्कार के दौरान जॉर्डन के राजा ने कहा, "हमें इस्लामिक स्टेट के उदय से निपटना होगा." उनके मुताबिक सीरिया के कई विदेशी लड़ाके अब लीबिया में आ गए हैं.
किंग अब्दुल्लाह ने इस्लामिक स्टेट को रोकने के लिए यूरोप को खासतौर पर ध्यान देने को कहा है. उनके मुताबिक लीबिया की सीमा यूरोप के देशों से लगती है. इसलिए 2020 में यूरोप के लिए यह चर्चा का विषय होना चाहिए.
यूरोप के लिए भी खतरा साबित हो सकते हैं आईएस लड़ाके
किंग अब्दुल्लाह ने इस साक्षात्कार में कहा कि आईएस के खिलाफ लड़ाई के दौरान कई लड़ाके सीरिया के इदलिब शहर को छोड़कर उत्तरी सीमा से लीबिया पहुंच गए थे. उन्होंने कहा कि यह लड़ाके अभी लीबिया में ही हैं. उत्तर अफ्रीका के इस देश और यूरोप के बीच भूमध्य सागर है.
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव पर भी जॉर्डन के राजा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "आने वाले महीनों में हम इलाके के लिए ऐसा काम करने की योजना बना रहे हैं. जिससे तनाव को कम करने में मदद मिलेगी. फिलहाल स्थिति शांत लग रही है. इलाके में तनाव का महौल किसी के लिए भी अच्छा नहीं है."
जॉर्डन के राजा के मुताबिक ईरान पर होने वाला असर इराक, जॉर्डन, लेबनान और इस्राएल पर भी पड़ेगा. लीबिया में तुर्की के सेना भेजने पर उन्होंने कहा कि यह सिर्फ असमंजस की स्थिति को बढ़ा रहा है. लीबिया के संघर्ष में दोनों पक्षों ने नौ महीने की लड़ाई को समाप्त करने के लिए सहमति व्यक्त की है.
पिछले साल नवंबर में आई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 में गद्दाफी के तख्तापलट के बाद लीबिया पर हथियारों पर लगे प्रतिबंध के बावजूद कई देशों ने इसका उल्लंघन किया गया है. जॉर्डन की स्थिरता को मध्य पूर्व के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. पड़ोसी युद्धग्रस्त देश सीरिया से लगभग 13 लाख शरणार्थियों को यह देश जगह दे चुका है.
तथाकथित इस्लामिक स्टेट के लिए अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में उसके मुखिया अबु बक्र अल बगदादी की मौत एक बड़ा झटका है. लेकिन अब भी कई देशों में यह गुट एक बड़ा खतरा बना हुआ है. एक नजर इन्हीं देशों पर.
तस्वीर: Reuters/Handout
इराक
अमेरिका समर्थित फौजों से लड़ाई में हारने के बाद इस्लामिक स्टेट के लड़ाके वापस गुरिल्ला वॉर के हथकंडों पर लौट आए हैं. दियाला, सलाहुद्दीन, अंबार, किरकुक और निवेनेह जैसे प्रांतों में अब भी आईएस की ईकाइयां चल रही हैं जो लगातार अपहरणों और बम धमाकों को अंजाम दे रही हैं. विश्लेषकों का कहना है कि इराक में आईएस के लगभग दो हजार लड़ाके हिंसक गतिविधियों में लगे हुए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Dabiq
सीरिया
सीरिया में अत्यधिक नुकसान झेलने के बावजूद इस्लामिक स्टेट ने पिछले साल उत्तरी इलाके में कई हमलों को अंजाम दिया है. उन्होंने अमेरिकी बलों को भी निशाना बनाया है. अमेरिका के साथ मिल कर आईएस को हराने वाले सीरियाई कुर्द बलों का कहना है कि आईएस लड़ाके पूर्वी सीरिया में फिर से पनप रहे हैं. इस्लामिक स्टेट के लड़ाके सीरिया के दूर दराज के रेगिस्तानी इलाकों में सक्रिय हैं.
तस्वीर: DW/Judit Neurink
मिस्र
पिछले एक साल में मिस्र में कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है, लेकिन छिटपुट घटनाएं होती रही हैं. सेना का कहना है कि सिनाई प्रांत में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ फरवरी 2018 में शुरू हुए अभियान में सैकड़ों चरमपंथी मारे गए हैं. 2015 में शर्म अल शेख से उड़ान भरने वाले एक रूसी विमान को गिरा दिया गया था. इसमें सवार सभी 224 लोग मारे गए थे. इसकी जिम्मेदारी आईएस ने ली थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/K. Desouki
सऊदी अरब
इस्लामिक स्टेट ने सऊदी अरब में कई धमाकों को अंजाम दिया है और सुरक्षा बलों के साथ साथ अल्पसंख्यक शियाओं को भी निशाना बनाया है. आईएस के खिलाफ अभियान में जब सऊदी अरब शामिल हुआ तो बगदादी ने उसके खिलाफ हमले करने का आह्वान किया था. अमेरिकी थिंकटैंक सेंटर फॉर ग्लोबल पॉलिसी का कहना है कि सऊदी अरब में आईएस सक्रिय है लेकिन सऊदी अधिकारियों को इस बारे में अच्छी खासी जानकारी है.
तस्वीर: dpa
यमन
आईएस ने 2014 के अंत में अपनी यमन शाखा की घोषणा की. वहां हूथी बागियों और सऊदी अरब समर्थित अब्द रब्बु मंसूर हादी की सरकार के बीच गृह युद्ध चल रहा है. यमन में आईएस को अल कायदा से भी लड़ना पड़ रहा है और दोनों गुट शिया हूथी बागियों से भी लड़ रहे हैं. यमन में आईएस ने कई हमलों और हत्याओं की जिम्मेदारी ली है, लेकिन कोई इलाका उसके कब्जे में नहीं है. जानकार कहते हैं कि यहां अल कायदा ज्यादा बड़ा खतरा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Souleiman
नाइजीरिया
उतरी नाइजीरिया में 2009 से बोको हराम ने कई बड़े हमले किए हैं. उसने 30 हजार से ज्यादा लोगों को कत्ल किया है जबकि बीस लाख लोगों को बेघर किया है. 2016 में यह गुट दो हिस्सों में बंट गया है जिसका एक धड़ा खुद को आईएस के प्रति वफादार बताता है. इस्लामिक स्टेट के वेस्ट अफ्रीकी प्रोविंस गुट ने पिछले साल कई सैन्य अड्डों को निशाना बनाया. इस गुट का दबदबा बढ़ रहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Marte
अफगानिस्तान
इस्लामिक स्टेट ने अफगानिस्तान में खुद को इस्लामिक स्टेट इन खोरासान का नाम दिया और वह 2015 से सक्रिय है. नंगरहार प्रांत में उसे अब भी काफी मजबूत माना जाता है. इस गुट का नेतृत्व खुद को अल बगदादी का वफादार बता चुका है. अमेरिकी कमांडर कहते हैं कि अफगानिस्तान में तालिबान से भी लोहा लेने वाले आईएस के लगभग दो हजार लड़ाके हो सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua/E. Waak
श्रीलंका
इस्लामिक स्टेट का कहना है कि अप्रैल में श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर चर्च और अस्पतालों में हुए बम धमाकों में उसका हाथ था. श्रीलंका के अधिकारी धमाकों के लिए आईएस से जुड़े दो स्थानीय मुस्लिम चरमपंथी गुटों को जिम्मेदार मानते हैं. धमाकों के बाद आईएस ने एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें आठ लोगों को आईएस के प्रति वफादारी जताते हुए दिखाया गया था.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
इंडोनेशिया
दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश में हजारों लोग इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से प्रेरित बताए जाते हैं. माना जाता है कि लगभग 500 इंडोनेशियाई आईएस के लिए लड़ने के मकसद से सीरिया गए थे. पिछले साल सुराबाया में हुए आत्मघाती हमलों में तीस लोग मारे गए थे. इस हमले के पीछे जमाह अंशारुत दौला संगठन का हाथ बताया जाता है जो इंडोनेशिया में इस्लामिक स्टेट से हमदर्दी रखने वाले लोगों का एक संगठन है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
फिलीपींस
फिलीपींस को डर है कि सीरिया और इराक से भाग रहे आईएस चरमपंथी उसके मिंदानाओ प्रांत के दूर दराज के जंगलों और मुस्लिम गांवों में शरण ले सकते हैं. यह इलाका अराजकता, अव्यवस्था, अलगाववाद और इस्लामी विद्रोह के लिए बदनाम रहा है. इस्लामिक स्टेट वहां होने वाले हमलों और सरकारी बलों के साथ हुई झड़पों की जिम्मेदारी भी लेता रहा है, हालांकि ये दावे कितने सही हैं, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है.