रूस ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि वह परमाणु हथियारों का प्रयोग कर सकता है. उसने बताया कि किस सूरत में परमाणु हथियारों का प्रयोग किया जा सकता है.
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रूसी सरकार के प्रवक्ता दमित्री पेश्कोव ने सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में इस बात से इनकार नहीं किया कि उनका देश परमाणु हथियारों का प्रयोग कर सकता है. उन्होंने कहा कि रूस की सुरक्षा नीति में यह बात स्पष्ट है कि परमाणु हथियारों का प्रयोग तभी किया जाएगा जब उसके वजूद को खतरा होगा.
यूक्रेन पर जारी रूसी हमले के लगभग चार हफ्तों के बाद यह टिप्पणी पश्चिमी देशों की उस चिंता को और बढ़ा देती है कि यूक्रेन में जारी युद्ध परमाणु युद्ध में बदल सकता है. पेश्कोव से पूछा गया था कि क्या वह आश्वस्त हैं कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करेंगे.
‘संभावना नजर आने लगी है'
दमित्री पेश्कोव ने कहा, "घरेलू सुरक्षा के बारे में हमारी एक अवधारण है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. आप पढ़ सकते हैं कि किन वजहों से परमाणु हथियारों का प्रयोग किया जा सकता है. लिहाजा, यदि हमारे अस्तित्व को खतरा पैदा होता है तो उस अवधारणा के अनुरूप उनका (परमाणु हथियारों का) प्रयोग किया जा सकता है.”
पिछले महीने व्लादिमीर पुतिन ने देश की परमाणु सेना को तब चौकस कर दिया था जब ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की मदद के बारे में विभिन्न बयान दिए थे. इंटरफैक्स न्यूज एजेंसी ने खबर दी थी कि 28 फरवरी को रूस के रक्षा मंत्रालय ने अपनी न्यूकलियर मिसाइल संभालने वाली सैन्य टुकड़ियों और नॉर्दर्न ऐंड पैसिफिक फ्लीट को युद्धक ड्यूटी के लिए तैयार कर दिया था.
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से अलग-अलग समय पर विश्व के कई नेता परमाणु युद्ध का डर जाहिर कर चुके हैं. पिछले हफ्ते ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा था, "जो परमाणु युद्ध कभी अविचारणीय लगता था, अब वह संभावना के दायरे में नजर आने लगा है."
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रसायनिक हथियारों को लेकर चिंता
मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में रूस और अमेरिका व ब्रिटेन के प्रतिनिधियों के बीच रसायनिक हथियारों के प्रयोग को लेकर तूतू-मैंमैं भी हुई. रूस ने सुरक्षा परिषद की बैठक में आरोप लगाया था कि यूक्रेन के अतिवादी संगठनों ने सुमी शहर में अमोनिया गैस लीक की. अमेरिका और ब्रिटेन ने इसे गलत बताया.
यूएन में रूस के उप-राजदूत दमित्री पोलीआंस्की ने कहा, "रूसी सेनाओं ने यूक्रेन की ऐसी किसी संस्था या भवन पर हमला नहीं किया जहां जहरीले पदार्थ बनाए या रखे जाते हैं. ना ही ऐसी कोई योजना बनाई गई है. यह स्पष्ट है कि पश्चिमी देशों द्वारा उकसाए जा रहे यूक्रेन के राष्ट्रवादी नेता अपने ही लोगों को धमाकने और रूस पर आरोप लगाने के लिए फर्जी हमले करने से परहेज नही करेंगे."
अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने रूस के इन आरोपों को हास्यास्पद बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, "हमारी चिंता यह है कि यह सब रूस द्वारा रसायनिक हथियारों के प्रयोग के लिए तैयार की जा रही भूमिका है."
परमाणु संयंत्र बंद कराने के लिए 35 साल लंबा संघर्ष
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इसके जवाब में अमेरिका और ब्रिटेन ने कहा कि रूस पहले भी रसायनिक हथियारों का प्रयोग कर चुका है और आगे भी कर सकता है. ब्रिटेन की दूत बारबरा वुडवर्ड ने मीडिया से बातचीत में कहा, "रूस का यूके और अपने यहां आलेक्सई नवाल्नी के खिलाफ जो रिकॉर्ड है, और जो हमने सीरिया में देखा है उसके आधार पर यह निष्कर्ष निकालना मुश्किल नहीं है कि रूसी खुद ही फर्जी दिखने वाले रसायनिक हमले कर रहे हों."
हालांकि किसी भी पक्ष ने अपने दावों के समर्थन में ठोस सबूत पेश नहीं किए. एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि अमेरिका को ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है जो दिखाता हो कि रूस ने रसायनिक हथियारों का प्रयोग किया है.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफफी)
जर्मनी में अरबों के नोट छिपाने वाला सीक्रेट बंकर
कोई कहता था कि यह स्कूल है. कोई इसे हथियारों का गुप्त ठिकाना बताता था. पुलिस को नहीं पता था कि इमारत में भीतर आखिर है क्या? अब पता चला है कि यहां अरबों जर्मन मार्क रखे थे, जिन्हें बाद में राख कर दिया गया.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP
स्कूल नहीं, बंकर है
बाहर से स्कूल जैसी दिखने वाली यह इमारत जर्मनी के केंद्रीय बैंक, बुंडेसबांक की इमरजेंसी रिजर्व थी. 1962 से 1964 के बीच इस सीक्रेट रिजर्व को बनाया गया. 8,700 वर्ग मीटर में फैला रिजर्व कोखेम शहर के रिहाइशी इलाके में बनाया गया था. आसपास रहने वालों को भी इस बात की भनक नहीं थी कि इस इमारत में क्या होता है.
तस्वीर: Jürgen Fromme/augenklick/firo Sportphoto/picture alliance
एक बेहद गहरा तहखाना
सीक्रेट रिजर्व बनाने के लिए जानबूझकर इस जगह को चुना गया. मोजेल नदी की पहाड़ी ढाल वाले इस इलाके में परमाणु हमले की लहर बर्दाश्त करने की क्षमता है. टॉप सीक्रेट कही जाने वाली इस लोकेशन पर करीब 15 अरब जर्मन मार्क (आज के हिसाब से 7.6 अरब यूरो) छुपाए गए थे.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP
इमरजेंसी मुद्रा की वजह
शीत युद्ध के दौरान पश्चिमी जर्मनी की सरकार को लगा कि बड़े पैमाने पर फर्जी मुद्रा की सप्लाई कर अर्थव्यवस्था को तबाह किया जा सकता है. अगर जर्मन मार्क (यूरो से पहले जर्मनी की मुद्रा) से लोगों का भरोसा उठ गया, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं. इसी वजह से एक वैकल्पिक मुद्रा बीबीके टू छापने का भी फैसला किया गया.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP
चाबियां कहीं और
स्टील के मोटे दरवाजों के पीछे इस तिजोरी तक बुंडेसबांक के कुछ चुनिंदा कर्मचारी ही पहुंच सकते थे. चाबियों का सेट यहां से कुछ दूर बसे शहर फ्रैंकफर्ट में रखा गया था. सुरक्षा के लिए इस इमारत की दीवारों में आवाज और कंपन को पकड़ने वाले सेंसर लगे थे. सेंसरों का ऑटोमैटिक अलार्म स्थानीय पुलिस स्टेशन से भी जुड़ा था. हालांकि, पुलिस को भी नहीं पता था कि इमारत में है क्या?
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP
गोपनीय खजाना
कोखेम के इस बंकर में कई बक्सों में 15 अरब मूल्य की सीक्रेट करेंसी रखी थी. इसमें 10, 20, 50 और 100 जर्मन मार्क के नोट भी शामिल थे. जरूरत पड़ने पर बाजार से पुराने नोटों को हटाया जाता और खास सीरियल नंबर वाले इन नोटों को बाजार में उतारा जाता. हर तीन महीने में फ्रैंकफर्ट से बैंक कर्मचारी यहां आकर तिजोरी चेक करते थे.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP
बीते दौर की तकनीक
यह बंकर सिर्फ पैसे के लिए ही नहीं था. परमाणु युद्ध की सूरत में इस बंकर के भीतर दो हफ्ते तक सुरक्षित रहने का इंतजाम था. भीतर जर्मनी के आंतरिक मंत्रालय से सीधे कनेक्शन वाला रेडियो लिंक था. बिजली के लिए डीजल जेनरेटर, 18,000 लीटर फ्यूल रिजर्व और 40,000 लीटर पीने का पानी भी स्टोर था.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP
80 लोगों के लिए इंतजाम
आपात स्थिति में बंकर के भीतर 80 आम नागरिकों को भी आराम से रखने की सुविधा थी. उनके सोने के लिए कमरे बने थे. हवा की सप्लाई के लिए सैंड फिल्टर लगे थे. लेकिन, इस बात की जानकारी कभी नहीं मिली कि परमाणु हमले की स्थिति में यहां शरण लेने वाले 80 लोगों की लिस्ट में किस-किसका नाम था.
तस्वीर: Ina Fassbender/AFP
बर्बाद हो गया पैसा
1988 में इस पैसे को नष्ट करने का फैसला किया गया. इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम आने की वजह से नगदी को ऐसे स्टोर रखना बेकार लगने लगा. पैसा खत्म किए जाने के बाद यह बंकर काफी समय तक खाली रहा. 2014 में एक निवेशक ने इस खरीदा. 2016 से यह आम लोगों के लिए खुला है. (रिपोर्ट: फिलिप ब्योल)
तस्वीर: Jürgen Fromme/augenklick/firo Sportphoto/picture alliance