कवि ने ट्विटर पर राजशाही पर संविधान का उल्लंघन करने और संसद की अवहेलना करने का आरोप लगाया था. अमीरात में शाही परिवार की आलोचना करना एक अपराध है.
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कुवैत की सरकार ने प्रसिद्ध कवि और राजनीतिक कार्यकर्ता जमाल अल-सायर को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया है. अल-सायर के परिवार का कहना है कि उन्हें सरकार के खिलाफ "फर्जी खबरें" ट्विटर पर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया है.
कवि और राजनीतिक कार्यकर्ता के साथ-साथ अल-सायर एक व्यापारी भी हैं, उन पर "अमीर का अपनाम करने, फर्जी खबरें फैलाने, देश की छवि खराब करने और मोबाइल फोन का दुरुपयोग" करने का आरोप लगाया गया है.
अल-सायर ने पिछले कुछ हफ्तों में देश की आंशिक लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था के बारे में कई महत्वपूर्ण लेख ट्वीट किए हैं. उन्होंने खास तौर से कुवैती सरकार के संसद द्वारा सवाल किए जाने से इनकार करने के मुद्दे को उठाया था.
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क्यों हुई गिरफ्तारी?
जमाल अल-सायर ने 28 जून को एक ट्वीट में लिखा, "माननीय (अमीर) और क्राउन प्रिंस, स्थिति असहनीय हो गई है. आपने संसद और लोगों की इच्छा को धता बताते हुए सरकार को भंग करने और संविधान का उल्लंघन करने की अनुमति दी है."
पुलिस ने उन्हें सोमवार को कथित तौर पर गिरफ्तार कर लिया. द गल्फ सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक अधिकारियों ने आधी रात को उनके घर की तलाशी ली. उनके भतीजे और वकील मुहन्नाद अल-सायर ने बुधवार को यह जानकारी दी, जिससे सांसद भी नाराज हो गए.
सरकार और आंतरिक मंत्रालय ने अभी तक उनकी गिरफ्तारी पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
कुवैत में एक राजशाही सरकार के साथ-साथ एक निर्वाचित संसदीय प्रणाली है जिसके पास विभिन्न मुद्दों पर शेख नवाफ अल-अहमद-अल सबाह की सरकार से सवाल पूछने की शक्ति है. हालांकि अमीर और जिस सरकार को वह नियुक्त करते हैं उसके पास ही अंतिम फैसला लेना का अधिकार है. इसलिए संसद और सरकार के बीच इतने विवादस्पद मुद्दे हैं.
मौजूदा विवाद यह है कि संसद भ्रष्टाचार और कुछ अन्य मुद्दों के बारे में प्रधानमंत्री शेख सबाह अल-खालिद अल-सबाह से सवाल करना चाहती है. शेख सबाह कुवैती शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं और सरकार संसदीय जांच को रोकने की कोशिश कर रही है. माना जाता है कि मंत्रिमंडल में बार-बार फेरबदल होने और संसद भंग होने से देश में निवेश को बड़ा नुकसान हुआ है.
संयुक्त अरब अमीरात में कौन कौन से अमीरात हैं?
यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात. कई बार सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को लेकर कंफ्यूजन हो जाता है. लेकिन ये दोनों अलग अलग देश हैं. जानते हैं संयुक्त अरब अमीरात के बारे में.
तस्वीर: picture-alliance/J. Schwenkenbecher
सात अमीरात से बना देश
अमीरात अरबी भाषा का शब्द है. इसका मतलब रियासत या राज्य होता है. अमीरात के राजा को अमीर कहा जाता है. इन अमीरातों में अरबी भाषा बोली जाती है. संयुक्त अरब अमीरात में सात अमीरात हैं. इन अमीरातों में अलग अलग अमीर होते हैं. सब अमीरात को मिलाकर एक राष्ट्रपति होता है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Economou
1971 में मिली आजादी
1971 तक इन अमीरातों पर अंग्रेजों का राज था. दिसंबर 1971 में अमीरातों को अंग्रेजों से आजादी मिली. तब छह अमीरातों ने एक होकर नया देश बनाया. एक अमीरात रास अल खइमाह 1972 में संयुक्त अरब अमीरात में शामिल हुआ. यूएई अरब देशों में सबसे उदारवादी देश माना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Economou
सातों अमीर बनाते हैं सरकार
सातों अमीर मिलकर एक काउंसिल बनाते हैं जो प्रधानमंत्री की नियुक्ति करती है. प्रधानमंत्री ही उपराष्ट्रपति भी होता है. फिलहाल यूएई के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन राशिद अल मकदूम हैं. अबू धाबी के अमीर खलीफा बिन जायद अल नह्यान यूएई के राष्ट्रपति हैं.
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सबसे ज्यादा भारतीय
अगर समुदायों की बात करें तो यूएई में सबसे ज्यादा भारतीय रहते हैं. वहां 27.8 प्रतिशत भारतीय, 12 प्रतिशत अमीराती, 10.2 प्रतिशत पाकिस्तानी, 9.5 प्रतिशत बांग्लादेशी, 6.1 प्रतिशत फिलिपीनी, 4.76 प्रतिशत ईरानी, 4.23 प्रतिशत मिस्र के लोग, 2.2 प्रतिशत चीनी और करीब 14.1 प्रतिशत दूसरे देशों के रहने वाले हैं.
तस्वीर: DW/H.C. von Bock
दुबई
इन अमीरातों में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला अमीरात दुबई है. दुबई की जनसंख्या करीब 42 लाख है. दुबई के अमीर का नाम शेख मोहम्मद है. दुबई का क्षेत्रफल 3,885 वर्ग किलोमीटर है.
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अबू धाबी
अबू धाबी क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा अमीरात है. इसका क्षेत्रफल 67,340 वर्ग किलोमीटर है. अबू धाबी की जनसंख्या करीब 28 लाख है. यहां के अमीर शेख खलीफा है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/A. Widak
शारजाह
तीसरा सबसे बड़ा अमीरात शारजाह है. शारजाह का क्षेत्रफल 2,590 वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या करीब 24 लाख है. यहां के अमीर शेख सुल्तान हैं
तस्वीर: picture-alliance/dpa/U. Bernhart
अजमान
जनसंख्या के आधार पर चौथा सबसे बड़ा अमीरात अजमान है. अजमान की जनसंख्या करीब पांच लाख और क्षेत्रफल 259 वर्ग किलोमीटर है. यहां के अमीर शेख हुमैद हैं.
तस्वीर: Getty Images/G. Bergmann
रास अल खइमाह
जनसंख्या में पांचवा सबसे बड़ा अमीरात रास अल खइमाह है. यहां करीब चार लाख लोग रहते हैं. इसका क्षेत्रफल 1,684 वर्ग किलोमीटर है. इसके अमीर शेख सऊद हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Jebreili
फुजैराह
छठा बड़ा अमीरात है फुजैराह. इसमें करीब डेढ़ लाख लोग रहते हैं. इसका क्षेत्रफल 1,165 वर्ग किलोमीटर है. यहां के अमीर शेख हमद हैं.
तस्वीर: picture-alliance/chromorange
उम अल कुवैन
सबसे छोटा अमीरात उम अल कुवैन है. यहां करीब 72 हजार लोग रहते हैं. यहां का क्षेत्रफल 777 वर्ग किलोमीटर है. यहां के अमीर का नाम शेख सऊद है.
तस्वीर: picture-alliance/Construction/Copix
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राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रिया
कुवैत में कई राजनीतिक, सामाजिक, कानूनी विशेषज्ञों और कुछ प्रमुख हस्तियों ने 70 वर्षीय कवि जमाल अल-सायर की गिरफ्तारी पर खेद व्यक्त किया है और उनका समर्थन किया है.
विपक्षी सांसद अब्दुल अजीज अल-सबाकी ने एक ट्वीट में कहा, "हम एक पुलिस राज्य को स्वीकार नहीं करेंगे जहां अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है. माफिया समूहों की शैली में स्वतंत्रता हैक करना लोकतंत्र और कानून के शासन के खिलाफ अपराध है."
एक अन्य विपक्षी नेता खालिद अल-कुतैबी ने कहा, "कुवैत एक संवैधानिक राज्य है. हम इस तरह के दमनकारी तरीकों, राज्यों को हड़पने की रणनीति और क्रूरता की संस्कृति को स्वीकार नहीं करेंगे."
एए/वीके (रायटर्स, एपी)
मीडिया पर हमला करने वाले 37 नेताओं में मोदी शामिल
अंतरराष्ट्रीय संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' ने मीडिया पर हमला करने वाले 37 नेताओं की सूची जारी की है. इनमें चीन के राष्ट्रपति और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जैसे नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम है.
'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (आरएसएफ) ने इन सभी नेताओं को 'प्रेडेटर्स ऑफ प्रेस फ्रीडम' यानी मीडिया की स्वतंत्रता को कुचलने वालों का नाम दिया है. आरएसएफ के मुताबिक ये सभी नेता एक सेंसर व्यवस्था बनाने के जिम्मेदार हैं, जिसके तहत या तो पत्रकारों को मनमाने ढंग से जेल में डाल दिया जाता है या उनके खिलाफ हिंसा के लिए भड़काया जाता है.
तस्वीर: rsf.org
पत्रकारिता के लिए 'बहुत खराब'
इनमें से 16 प्रेडेटर ऐसे देशों पर शासन करते हैं जहां पत्रकारिता के लिए हालात "बहुत खराब" हैं. 19 नेता ऐसे देशों के हैं जहां पत्रकारिता के लिए हालात "खराब" हैं. इन नेताओं की औसत उम्र है 66 साल. इनमें से एक-तिहाई से ज्यादा एशिया-प्रशांत इलाके से आते हैं.
तस्वीर: Li Xueren/XinHua/dpa/picture alliance
कई पुराने प्रेडेटर
इनमें से कुछ नेता दो दशक से भी ज्यादा से इस सूची में शामिल हैं. इनमें सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद, ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और बेलारूस के राष्ट्रपति एलेग्जेंडर लुकाशेंको शामिल हैं.
मोदी का नाम इस सूची में पहली बार आया है. संस्था ने कहा है कि मोदी मीडिया पर हमले के लिए मीडिया साम्राज्यों के मालिकों को दोस्त बना कर मुख्यधारा की मीडिया को अपने प्रचार से भर देते हैं. उसके बाद जो पत्रकार उनसे सवाल करते हैं उन्हें राजद्रोह जैसे कानूनों में फंसा दिया जाता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma
पत्रकारों के खिलाफ हिंसा
आरएसएफ के मुताबिक सवाल उठाने वाले इन पत्रकारों के खिलाफ सोशल मीडिया पर ट्रोलों की एक सेना के जरिए नफरत भी फैलाई जाती है. यहां तक कि अक्सर ऐसे पत्रकारों को मार डालने की बात की जाती है. संस्था ने पत्रकार गौरी लंकेश का उदाहरण दिया है, जिन्हें 2017 में गोली मार दी गई थी.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
अफ्रीकी नेता
ऐतिहासिक प्रेडेटरों में तीन अफ्रीका से भी हैं. इनमें हैं 1979 से एक्विटोरिअल गिनी के राष्ट्रपति तेओडोरो ओबियंग गुएमा बासोगो, 1993 से इरीट्रिया के राष्ट्रपति इसाईअास अफवेरकी और 2000 से रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे.
तस्वीर: Ju Peng/Xinhua/imago images
नए प्रेडेटर
नए प्रेडेटरों में ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो को शामिल किया गया है और बताया गया है कि मीडिया के खिलाफ उनकी आक्रामक और असभ्य भाषा ने महामारी के दौरान नई ऊंचाई हासिल की है. सूची में हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान का भी नाम आया है और कहा गया है कि उन्होंने 2010 से लगातार मीडिया की बहुलता और आजादी दोनों को खोखला कर दिया है.
तस्वीर: Ueslei Marcelino/REUTERS
नए प्रेडेटरों में सबसे खतरनाक
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान को नए प्रेडेटरों में सबसे खतरनाक बताया गया है. आरएसएफ के मुताबिक, सलमान मीडिया की आजादी को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करते हैं और पत्रकारों के खिलाफ जासूसी और धमकी जैसे हथकंडों का इस्तेमाल भी करते हैं जिनके कभी कभी अपहरण, यातनाएं और दूसरे अकल्पनीय परिणाम होते हैं. पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का उदाहरण दिया गया है.
तस्वीर: Saudi Royal Court/REUTERS
महिला प्रेडेटर भी हैं
इस सूची में पहली बार दो महिला प्रेडेटर शामिल हुई हैं और दोनों एशिया से हैं. हांग कांग की चीफ एग्जेक्टिवे कैरी लैम को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कठपुतली बताया गया है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी प्रेडेटर बताया गया है और कहा गया है कि वो 2018 में एक नया कानून लाई थीं जिसके तहत 70 से भी ज्यादा पत्रकारों और ब्लॉगरों को सजा हो चुकी है.