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समाजउत्तरी अमेरिका

नई अंगड़ाई ले रहा है अमेरिका का मजदूर आंदोलन

२४ जून २०२२

अमेरिका में दशकों से ठप पड़ा श्रम आंदोलन नई अंगड़ाई ले रहा है. शिकागो में हुए मजदूर सम्मेलन में नेता इस बात को सुनिश्चित करते दिखे कि उनका आंदोलन शिगूफा नहीं, वाकई एक नई करवट है.

अमेरिकी श्रम आंदोलन 1980 के दशक से पतन का शिकार रहा है.तस्वीर: Jeremy Hogan/ZUMAPRESS/picture alliance

वैश्विक महामारी से हाशिए पर धकेले गए और 2020 में पुलिस विरोधी हिंसा से हरकत में आए अमेरिकी मजदूर अपने नियोक्ताओं के प्रति ज्यादा मुखर हुए हैं. दशकों से ऐसा नहीं देखा गया था. अमेरिका में संगठित श्रम की मुख्यधारा के बाहर के संगठनों और देश के सबसे ताकतवर संगठनों के भीतरी सुधार आंदोलनों के जरिए मजदूर तेजी से सक्रिय होने लगे हैं.  

मजदूर संगठनों के 4000 कार्यकर्ता, सदस्य और समर्थक पूरे जोशोखरोश के साथ शिकागो में 17 से 19 जून को हुई लेबर नोट्स कांफ्रेंस में जुटे थे.

स्टारबक्स बरिस्ता के कर्मचारी और स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड से जुड़ी काइला क्ले का कहना है, "मेरे ख्याल से यूनियन कोई ऐसा शब्द नहीं, जिसे अपने काम की जगहों पर बोलने में हम हिचकिचाएं या डरें, इस शब्द को ऐसी वर्जना से मुक्त करने का यह एक अवसर हमारे पास है."

जकड़न से निकलने का समय

अमेरिकी श्रम आंदोलन 1980 के दशक से पतन का शिकार रहा है. लेकिन पिछले दो साल के दौरान, अमेरिकी श्रम शक्ति में कुछ हरकत दिखनी शुरू हुई थी. सीयूएनवाई स्कूल ऑफ लेबर ऐंड अर्बन स्टडीज में प्रोफेसर स्टीफानी लूस ने सम्मेलन में कहा, "मैं पिछले 30 साल से श्रम मामलों का अध्ययन करती आ रही हूं, लेकिन अपने कार्यस्थलों पर हक की लड़ाई के लिए तत्पर मजदूरों में मैंने दिलचस्पी और उत्साह का ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा."

अमेरिकी सर्वेक्षण एजेंसी गैलप के मुताबिक 1965 के बाद पहली बार मजूदर यूनियनों ने अपार लोकप्रियता हासिल की है. अमेरिका में धड़ाधड़ यूनियन बनने लगी हैं. जॉन डियरे, केलॉग्स और नाबिस्को जैसी निजी सेक्टर कंपनियों में हाल की हड़तालों को मिली सफलता को देखते हुए उन्हें स्ट्राइकटोबर नाम दिया है. इससे ये संकेत भी मिलता है कि मजदूरों के बीच कार्यस्थलों पर आंदोलन में भागीदारी को लेकर नई इच्छा पैदा हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी, "इतिहास में सबसे ज्यादा प्रो-यूनियन राष्ट्रपति होने और सबसे ज्यादा प्रो-यूनियन सरकार चलाने" का अपना इरादा जाहिर कर चुके हैं.

असंगठित मजदूर भी आगे बढ़ रहे हैं. सांगठनिक लिहाज से पहले दुष्कर समझे जाने वाले स्टारबक्स, अमेजन और एपल जैसे संस्थानों में मजदूरों ने जबरदस्त जीत हासिल की है. स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड से जुड़े मजदूरों ने 35 राज्यों के करीब 300 स्टोरों में हुए यूनियन चुनावों में 150 से ज्यादा पर जीत हासिल की.   

मई में न्यूयार्क सिटी में 8300 कर्मचारियों वाले स्टेटन आइलैंड गोदाम पर अमेजन के मजदूरों ने यूनियन बनाने के लिए वोट डाले. उनके इस कदम से समूचा श्रम आंदोलन चकित रह गया. यूनियन का सफल आयोजन अमेरिकी श्रम आंदोलन में मील का पत्थर माना जाता है. हालांकि कंपनी चुनावी नतीजों को चुनौती दे रही है.

स्टेटन आईलैंड गोदाम में तैनात और अमेजन लेबर यूनियन के एक आयोजक और अमेजन के कर्मचारी विल वाइस का कहना है कि, "चुनाव के बाद हफ्तों तक जबरदस्त उल्लास का माहौल था." मजदूर यूनियन कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि स्टारबक्स और अमेजन में हासिल हुई जीतों से देश भर के उद्योगों में श्रमिकों को संगठित करने का हौसला मिलेगा. और अपने अपने सेक्टरो में श्रम मापदड भी बेहतर हो सकेंगे. एएलयू अध्यक्ष क्रिस स्मॉल्स ने मजदूर सम्मेलन के मुख्य सत्र में हजारों की तादाद में आए श्रोताओं से कहा, "हमने एक कॉन्ट्रेक्ट जीता है, अंदाजा लगाइए कि देश में दूसरे कांट्रेक्ट कितने ज्यादा बेहतर हो जाएंगे?"

सीयूएनआई में लूस के सहकर्मी, और अर्बन स्टडीज के प्रोफेसर समीर सोन्टी ने भी ये इशारा किया कि असामान्य रूप से कड़ा श्रम बाजार शायद कार्यस्थल को लेकर लोगों में जोखिम उठाने की प्राथमिकताएं बदल रहा है. तस्वीर: Jeremy Hogan/ZUMAPRESS/picture alliance

बदली हुई दुनिया में बदलता हुआ आंदोलन

श्रम विशेषज्ञों ने महामारी के दौरान कर्मचारियों और मजदूरों के खिलाफ नियोक्ताओं के अक्सर घातक दुर्व्यवहार को रेखांकित किया है. लूस के मुताबिक महामारी ने रही सही कसर पूरी कर दी. "महामारी ने लोगों को वास्तव में किनारे पर धकेल दिया. उन्हें ये कहने पर मजबूर कर दिया कि बस बहुत हुआ, अब और नहीं सहा जाता. जिंदगी को कितना दांव पर लगाएं, कितनी कमर तोड़ें."

सीयूएनआई में लूस के सहकर्मी, और अर्बन स्टडीज के प्रोफेसर समीर सोन्टी ने भी ये इशारा किया कि असामान्य रूप से कड़ा श्रम बाजार शायद कार्यस्थल को लेकर लोगों में जोखिम उठाने की प्राथमिकताएं बदल रहा है. खासतौर पर सर्विस और हॉस्पिटेलिटी सेक्टरों में, मजदूरों के लिए, काम छोड़ना और दूसरा पकड़ना, आसान हो चला है.

इस तरह, लाखों मजदूरों के नौकरी बदलने और मूल रूप से "द ग्रेट रेजिगनेशन" यानी "बड़ा इस्तीफा" कहे जाने वाले, पिछले साल के कथित महा फेरबदल के जरिए मजबूत होते श्रम आंदोलन को समझा जा सकता है.  

वाइस के मुताबिक मजदूरों के और सक्रिय होने की एक वजह, 2020 का ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन है. काले लोगों की जिंदगियों की अहमियत की याद दिलाते इस आंदोलन में लाखों लोग जॉर्ज फ्लॉयड, ब्रिओना टेलर, अहमद आर्बरी और दूसरे कई लोगों की हत्याओं की भर्त्सना करते हुए सड़कों पर उतर आए थे. वो कहते हैं, "उस आंदोलन ने मजदूरों की चेतना को निश्चित रूप से झकझोर दिया."

बोस्टन में स्टारबक्स यूनियन खड़ी करने वाली प्रमुख श्रमिक आयोजक काइला क्ले की दलील है कि यह आंदोलन 2020 से भी आगे का है. "जो लोग आज संगठित हो रहे हैं, वे सारे लोग...हम लोग आर्थिक महामंदी का हिस्सा रहे हैं, महामारी का हिस्सा रहे हैं...हम लोग ग्लोबल वॉर्मिंग को देख रहे हैं. हम लोगों ने जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या देखी है. हम लोग इन वाकई भयानक अनुभवों का हिस्सा रहे हैं. ये तमाम चीजें आपस में जुड़ी हैं, एकदूसरे से गुंथी है, हमें इन्हें ऐसे ही देखना होगा. और मेरे ख्याल से यूनियनों का गठन, ऐसा करने का एक तरीका है."

अपरंपरागत संघवाद

अमेरिका में, बड़ी यूनियनों के अभियान, विशुद्ध रूप से टॉप डाउन कोशिशें रही हैं. इसमें असगंठित मजदूर यूनियन स्टाफ आयोजकों के पीछे चलते हैं. हाल की सबसे उत्साहजनक जीतों ने इस संबंध को उलट दिया है. यूनियन स्टाफ, कार्यस्थल पर यूनियनों के आयोजन के मामले में मजदूरों के नक्शेकदम पर चलता है.

वाइस बताते हैं कि स्टेटन आइलैंड स्थित अमेजन के ठिकाने में यूनियन की जीत, मजदूरों की बदौलत ही मुमकिन हुई. "वे एक दूसरे से संवाद में शामिल रहे. जबरदस्ती की बैठकें नहीं हुईं."

कैप्टिव ऑडियंस वाली बैठकें कर्मचारियों के लिए बाध्यकारी होती हैं. इन बैठकों में नियोक्ता यूनियनों के बारे में अपनी राय जाहिर करते हैं, और इसमें अक्सर, भाड़े के यूनियन विरोधी परामर्शदाताओं की मदद ली जाती है. ऐसी बैठकों में मजदूरों की ओर से सूचना या जानकारी में गड़बड़ी की ओर इशारा करना या अपनी प्रो-यूनियन भावना को जाहिर करना एक बड़ा वरदान साबित हुआ.

वाइस ने अंतराल कक्षों में यूनियन नेताओं की उपस्थिति की अहमियत पर भी जोर दिया. "इससे हमें मजदूरों से बात करने का अवसर मिला, यह भी हम उन्हें समझा पाए कि यूनियन के पक्ष में होने का मतलब यह नहीं कि आपको नौकरी से निकाल दिया जाएगा."

एएलयू और स्टारबक्स में कई यूनियन नेताओं की तरह, क्ले एएएलयू की कोशिशों के बारे में कुछ नहीं जानती थी. "एक लिहाज से मैं वाकई खुश हूं कि मेरे पास कोई अनुभव नहीं था, क्योंकि मैंने अपने सहज-ज्ञान का सहारा लिया. और हम सब अभी यही कर रहे हैं. मजदूरों से और सहकर्मियों से अपनी समझ के सहारे ही बात कर रहे हैं."

स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड, स्वतंत्र नहीं है. लेकिन उसकी पेरंट यूनियन वर्कर्स यूनाइटेड, इरादतन मजदूरों के पीछे रहती है, आगे नहीं. और इस तरह अगुवाई करने के बजाय ज्यादातर संसाधन ही मुहैया कराती है. यूनियन को मजदूर से मजदूर वाले तरीके से सफलता मिली है. एएलयू की तरह, उसके मजदूर भी कैप्टिव ऑडियंस वाली बैठकों को बाधित करते हैं और यूनियन को तोड़ने वाली हरकतों से जूझ रहे अपने साथी कामगारों की मदद करते हैं.

पुराना बदलकर नया हुआ

मजदूर सम्मेलन में शामिल लोग, अमेरिका की दो सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली यूनियनों में प्रमुख बदलावों के सूत्रधार भी बने.

नवंबर 2021 में टीमस्टर्स यूनियन के सदस्यों ने ज्यां ओ ब्रायन और उनके टीमस्टर्स यूनाइटेड उम्मीदवारों को चुना था. ओ ब्रायन ने 13 लाख सदस्यों वाली यूनियन को नियोक्ताओं के प्रति संतोषी और विनीत रवैये से बाहर निकालने, आम सदस्यों के सम्मेलनों को प्राथमिकता देने, और 2023 तक के कांट्रेक्ट वाले यूपीएस कामगारों समेत बेहतर सामूहिक मोल-भाव समझौतों पर जोर देने का वादा किया है.

दिसंबर 2021 में यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स यूनियन ने भी अपने 87 साल के इतिहास में एक अहम बदलाव देखा. यूनियन नेतृत्व के खिलाफ सालों से लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से उत्साहित होकर, सदस्यों ने यूनियन नेतृत्व के चुनावों के लिए एक सदस्य एक वोट नीति के पक्ष में हुए जनमत-संग्रह में पूरे जोरशोर से भाग लिया.

इस विषय पर हुए पैनल डिस्कशन में, फोर्ड कंपनी के एक मजदूर स्कॉट हाउलडिसन ने कहा कि नई प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली का मतलब है कि तमाम साधारण कार मजूदरों का पक्ष वार्ताओं में बेहतर होगा और करीब चार लाख सदस्यों वाली यूनियन को एक ज्यादा व्यापक दिशा हासिल होगी.

आगे की मुश्किलें

आंदोलन के पक्ष में सकारात्मक संकेतों के बावजूद अमेरिका में श्रम अपेक्षाकृत रूप से कमजोर है और उसके सामने बहुत सारी राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियां हैं. श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक यूनियन के घनत्व में गिरावट बरकरार है. 2021 मे ये गिरकर 10.3 प्रतिशत हो गया था, जबकि 1954 में यह घनत्व 35 फीसदी हुआ करता था.

संगठित होने के अधिकार की हिफाजत का कानून, अमेरिकी मजदूर आंदोलन की उम्मीदों का नगीना है. यह कानून आ गया तो सामूहिक मोल-भाव के अधिकारों में विस्तार से संघीकरण के दरवाजे पूरे खुल जाएंगे, सारे अवरोध खत्म हो जाएंगे, और यूनियन चुनावों में पहुंच मजबूत हो जाएगी. वैसे राष्ट्रपति बाइडन बिल का समर्थन करते हैं लेकिन उसके समर्थकों और प्रस्तावकों के पास कांग्रेस में उसे पास कराने के लिए पर्याप्त वोट नहीं हैं.

हाल के इतिहास में एक प्रमुख राजनीतिक हार, 2018 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला था जिससे पब्लिक सेक्टर की यूनियनों को तगड़ा झटका लगा. फैसले के तहत कर्मचारियों को यूनियन की फीस या बकाया न देने की छूट दे दी गई थी. दूसरी बड़ी हार 2020 में हुई जब कैलिफॉर्निया में अस्थायी कामगारों को बहुत सारे लाभों और अधिकारों से वंचित कर दिया गया.

और आखिर में, एक आर्थिक मंदी श्रम-जगत के हाल के फायदों को चोट पहुंचा सकती है. सोन्टी कहते हैं, "मंदी के माहौल में संगठित होने, हड़ताल करने या अच्छे कांन्ट्रेक्ट के लिए मोलभाव करना और कठिन होता जाएगा." वह इस ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि कैसे महामारी ने लोगों की सहन-शक्ति को गहराई से प्रभावित किया है.

लूस के मुताबिक अमेरिका में श्रम की स्थिति बुरी है, श्रम कानून कमजोर हैं और उन्हें लागू करना भी कठिन है. "हो यह रहा है कि लोग आखिरकार मुखर होकर कहने लगे हैं. 'यह लीजिए.'" और शिकागो के मजूदर सम्मेलन में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच समॉल्स ने ललकार भरी कि गर्मियों का मौसम एक "प्रचंड मजदूर गर्मी " का मौसम होगा. 

अमेरिका में परमाणु धमाके के शिकार

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रिपोर्टः टेडी ओस्ट्रो (शिकागो)

 

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