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पर्याप्त धूप लेकिन जमीन कम, छतों पर सौर पैनल लगाएगा इस्राएल

२० जून २०२३

जमीन की कमी होने की वजह से इस्राएल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध धूप का इस्तेमाल सौर ऊर्जा बनाने के लिए नहीं कर पा रहा है. एक नई नीति के तहत हर नई गैर-आवासीय इमारत पर सोलर पैनल लगाना अनिवार्य किया जा रहा है.

सौर पैनल
सौर पैनल (प्रतीकात्मक तस्वीर)तस्वीर: JACK TAYLOR/AFP

धूप से पूरी तरह से नहाए होने के बावजूद इस्राएल के पास पारंपरिक फोटोवोल्टिक ऊर्जा संयंत्रों पर निर्भर होने के लिए बहुत छोटा इलाका है. वायु ऊर्जा पैदा करने के लिए भी देश में सही हालात नहीं हैं और पनबिजली परियोजना चलाने लायक पानी भी नहीं है. ऐसे में देश के नीति निर्माताओं के सामने लंबे समय से यह चुनौती रही है कि आखिर सौर ऊर्जा का उत्पादन हो तो कैसे हो.

अब जाकर एक नई नीति लाई जा रही है जिसके तहत देश में हर नई गैर-आवासीय इमारत में छत पर सोलर पैनल लगाने होंगे, चाहे वो स्कूल हों, गैरेज हों या मवेशियों के तबेले हों. देश को उम्मीद है कि इससे अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने में और तेजी से बढ़ती आबादी की बिजली की मांग पूरा करने में मदद मिलेगी.

अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों में पिछड़ा

ऊर्जा मंत्रालय के सस्टेनेबल ऊर्जा विभाग के मुखिया रॉन आइफर का कहना है कि विकसित देशों में इस्राएल खुद को अकेला खड़ा हुआ पाता है क्योंकि उसके पास अक्षय ऊर्जा के स्रोत के रूप में सूरज की रोशनी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है लेकिन सौर फार्मों के लिए जमीन नहीं है.

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इस्राएल 2030 तक 30 प्रतिशत बिजली अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बनाने के अपने लक्ष्य में पिछड़ गया है. आइफर कहते हैं, "हमें कुछ नाटकीय कदम उठाने पड़ेंगे." पिछले महीने राष्ट्रीय बजट पास करते समय, सरकार ने आदेश जारी किए कि छतों पर पैनल लगाने वाले नियम 180 दिनों में लागू कर दिए जाएं. रिहायशी इमारतों के लिए नियम यह है कि उन्हें पूरी तरह से तैयार रखा है जिससे बाद में सौर पैनल आसानी से लगाए जा सकें.

कुछ दशक पहले ऐसी ही एक शुरुआत की गई थी जब आम लोगों के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाले पानी हीटर का इस्तेमाल करना अनिवार्य कर दिया गया था. यह पहल सफल रही थी और आज वही हीटर शहरों में हर जगह छतों पर नजर आते हैं. अगर ये हीटर नहीं होते तो इस्राएल को आठ प्रतिशत ज्यादा बिजली बनानी पड़ती.

नीति के दो सिरे

देश के अधिकांश व्यावसायिक सोलर फील्ड या तो दक्षिण में नेगेव रेगिस्तान में हैं या उत्तर में सुदूर इलाकों में, यानी सबसे बड़े शहरों से बड़ी दूर. आइफर ने बताया, "एक तो उतनी दूर से देश के मध्य तक बिजली पहुंचाने के रास्ते में बिजली के खो जाने की समस्या है. इसके अलावा खुली जगहों की देखभाल करना जरूरी होता है. आप पूरे नेगेव रेगिस्तान को सौर पैनलों से नहीं भर सकते हैं."

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उन्होंने आगे कहा, "इसलिए हमें जमीन पर आधारित सौर ऊर्जा और छतों पर लगे पैनल - दोनों के मिश्रण की जरूरत है. जमीन आधारित परियोजनाएं सबसे सस्ती होती हैं और उन्हें सामूहिक रूप से बनाया जा सकता है जबकि छतों पर पैनल सीधे वहीं लगाए जा सकते हैं जहां बिजली की मांग है."

पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू की सरकार के इसी साल लिए पर्यावरण के प्रति नुकसानदेह फैसलों की आलोचना की है. इनमें डिस्पोजेबल प्लास्टिक पर टैक्स को हटाना और साफ हवा से संबंधित नियमों में कटौती करना शामिल हैं.

वहीं, उन्होंने नई सौर नीति का स्वागत किया है साथ ही ऐसे और कदमों की जरूरत पर बल दिया है.

सीके/आरपी (रॉयटर्स)

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