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यूरोपीय संघ के पर्यावरण कानून पर भड़के किसान

टिम शाउएनबेर्ग
१५ जुलाई २०२३

यूरोपीय संघ ने कृषि उत्सर्जनों में कटौती और जैवविविधता को प्रोत्साहन और टिकाऊ भू और मृदा उपयोग के संबंध में एक ऐतिहासिक बिल को मंजूरी दी है. लेकिन किसानों को डर है कि ये बिल उनके हित में नहीं.

Deutschland Rehdener Geestmoor bei Sonnenaufgang
तस्वीर: Olaf Juergens/Zoonar/picture alliance

यूरोपीय संसद ने 12 जुलाई को बहुत कम बहुमत से कुदरत बहाली के एक कानून को मंजूरी दी है. खतरे में पड़ी कुदरत के विशाल खंडो को बचाने के लिए बनी योजनाओं के खिलाफ विरोध भड़कने की आशंका है.

यूरोपीय संघ की संसद से पास कानून, अंतिम मंजूरी के इंतजार में है. यूरोपीय आयोग ने तय किया था कि सदस्य देश प्रजातियों की विलुप्ति को रोकने में अभी भी सफल नहीं हुए हैं. बर्बाद ईकोसिस्टम को बहाल करने के समान लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आगामी नाकामी की वजह से आयोग और अधिक निर्णायक कार्रवाई को बाध्य हुआ है.

जून में जैसा कि यूरोपीय परिषद् में सहमति बनी थी, ईयू सदस्य देश "खराब स्थिति वाले कम से कम 30 फीसदी मैदानी, तटीय, जलीय और समुद्री ईकोसिस्टमों को 2030 तक अच्छी स्थिति में लाने के लिए बहाली के उपायों पर अमल करेंगे."

बिल यूरोपीय हरित सौदे का एक मुख्य हिस्सा है. जो दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी जलवायु और जैवविविधता लक्ष्यों को लागू करना चाहता है.

कानून बड़े मामूली अंतर से पास हुआ, लेकिन बहुत सारे संशोधनों से लगता है कि उसका लक्ष्य कमजोर पड़ा है. फिर भी यूरोपीय संसद के वाम पक्ष समेत तमाम समर्थकों ने बिल के पास होने पर खुशी जताई.

नेचर रेस्टोरेशन लॉ के समर्थन में जलवायु एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग समेत तमाम प्रदर्शनकारी मंगलवार को यूरोपीय संसद के सामने जमा हुए. ग्रेटा ने "सबसे मजबूत कानून के पक्ष में मतदान" की मांग की. और ये भी कहा कि "इससे कम" जो भी होगा वो "भावी पीढ़ियों के साथ धोखा होगा."

इस बीच, किसानों ने भी विपरीत प्रदर्शन में भाग लिया जिसमें धीमे तरीके की मांग की गई जिससे उनकी आय पर असर कम होगा.

खेती की जमीन के नुकसान पर किसानों का विरोध

किसान और यूरोपीय संसद में रूढ़िवादी सांसदों ने उस अहम् कानून का विरोध किया जो संघ के हरित बदलावों को प्रेरित करता है और महत्वपूर्ण ईकोसिस्टम और प्रजातियों को जलवायु परिवर्तन की वजह से खत्म होने से रोकता है.

नेचर रेस्टोरेशन कानून पहली बार जून 2022 में यूरोपीय आयोग में पेश किया गया था. सूखे हुए पीटलैंड्स को बहाल करने की योजनाओं को लेकर राजनीतिक विरोध का सामना उसने किया था. बिल, खेती के लिए इस्तेमाल हो रहे 30 फीसदी तमाम पीटलैंड को बहाल करने और दशक के अंत तक आंशिक रूप से अन्य उपयोग की ओर ले जाने की अनुमति देता है. 2050 में ये आंकड़ा 70 फीसदी तक बढ़ गया था.

लेकिन किसान संगठन कहते हैं कि उन्हें बेशकीमती कृषि भूमि के चौतरफा नुकसान का डर है. इस बीच समर्थक नये नियमों को यूरोपीय संघ के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिहाज से गंभीर मानते हैं क्योंकि पीटलैंड धरती की गरमी कम करने में सहायक होते हैं.

जंगलों से ज्यादा कार्बन सोखते हैं पीटलैंड

एक तरह की आर्द्र भूमि, पीटलैंड हजारों साल से मृत पौधों के अवशेषों से बनते हैं. और उनमें किसी और ईकोसिस्टम की अपेक्षा ज्यादा कार्बन जमा होती है.

वैश्विक स्तर पर, पीटलैंड धरती के करीब 3 फीसदी भू क्षेत्र में हैं. और फिर भी वे धरती के तमाम जंगलों से ज्यादा दोगुना मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को सोखते हैं. लेकिन जब नम, गीले पीटलैंड सूख जाते हैं और दूसरे उद्देशेयों के लिए इस्तेमाल होते हैं, जैसे कि खेती या खाद, तो वे महज सीओटू सिंक ही नहीं होते बल्कि ग्रीनहाउस गैस के संभावित सोर्स के रूप में भी काम आते हैं.

यूरोप भर में महाद्वीर का सात फीसदी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन सूख चुके पीटलैंड और वेटलैंडों की वजह से हैं. इतना सीओटू यूरोपीय संघ के समूचे औद्योगिक आउटपुट से होने वाले सीओटू उत्सर्जन के लगभग बराबर है.

यूरोप ने आधा से ज्यादा पीटलैंड गंवा दिए

यूरोपीय वेटलैंड पोषक तत्वों से भरपूर हैं और जैवविविधता के लिए खासतौर पर अहम हैं. जर्मनी के आकार की जमीन जितने हैं. आधा से ज्यादा पीटलैंज में स्थायी नुकसान हो चुका है. जर्मनी में, खराब हो चुके पीटलैंडों की मात्रा 90 फीसदी तक जाने का अनुमान है.

स्कैंडिनेविया औैर बाल्टिक राज्यों के पूर्व पीटलैंड, जंगलात के लिए ज्यादा काम आते हैं. लेकिन नीदरलैंड्स, पोलैंड और जर्मनी में सूख चुके इलाकों के बड़े टुकड़े अब खेती की जमीन है. जर्मनी की सात फीसदी कृषि भूमि पहले पीटलैंड थी. अभी वो खेती से 37 फीसदी ग्रीन हाउस गैस जनरेट करते हैं.

उत्तरपूर्वी जर्मनी के एक शोध संस्थान, ग्राइफ्सवाल्ड माइर सेंटर में विशेषज्ञ सोफी हर्शलमान कहती हैं कि खेती की बात आती है तो महाद्वीप को पेरिस के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आमूलचूल बदलाव की दरकार है. इसका मतलब है सूखे पड़े पीटलैंड पर खेती से हटकर पालुडीकल्चर में निवेश. ये फिर से गीली की गई पीट मिट्टी में खेती को कहते हैं. उससे मिट्टी और पानी की क्वालिटी बढञेगी और कार्बन उत्सर्जन कम होगा.

ईयू के प्रस्तावित कानून में रिवेटिंग यूरोप के आधा पूर्व पीटलैंडों में करने की योजना बनाई गई है. दूसरे हिस्से में कम असरदार उपाय काम आएंगे.

जर्मनी में, खेती के काम की बड़ी मात्रा पीट मिट्टी में होती है. हिर्शलमान कहती हैं कि इसका मतलब प्रस्तावित रिवटिंग और कृषि भूमि का पालुडीकल्चर में बदलाव एक "बड़ा सही और कोयले को पूरी तरह बाहर करने" में काम आएगा.0

वो कहती हैं, "इन पीटलैंडो के इस्तेमाल को बदलने के लिए तैयार नीतियों की जरूरत होगी."

झीलों को साफ करता कश्मीर का एक बुजुर्ग

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हरित प्रस्तावों को कमतर करने के राजनीतिक दबाव

यूरोपीय संसद में कंजरवेटिव समूह, यूरोपियन पीपल्स पार्टी (ईपीपी) वेटलैंड के रेस्टोरेशन की इन योजनाओं में बड़ी कटौती की मांग करती आ रही है. वो खेती की जमीन के अन्य इस्तेमालों के खिलाफ भी है.

ट्विटर पर ईपीपी और दूसरे समूहों का "वेटलैंड बनाने के लिए 100 साल पहले निर्मित गांवो को खत्म करने की कोई तुक नहीं" का नारा उछाला तो उस पर जबर्दस्त हंगामा हुआ.

इस ट्वीट में आखिर ठीक ठीक किन गांवों का उल्लेख है, डीडब्लू ने इस बारे में जब ईपीपी से जानना चाहा तो उसके प्रेस दफ्तर ने जवाब दिया कि ये कहना मुश्किल है कि किसी गांव या बुनियादी ढांचों को वाकई खतरा है भी या नहीं.

यूरोपीय संसद में ग्रीन पार्टी के जर्मन सदस्य, युटा पाउलस ने ऐसी भ्रामक सूचनाएं फैलाने को "बेतुका" और "पॉप्युलिस्ट" करार दिया.

दूसरी ओर यूरोपियन फार्मिंग समूह कोपा-कोगेका ने यूरोपीय संघ के हरित प्रस्ताव के आर्थिक और सामाजिक नुकसानों को लेकर आगाह किया है. उसके मुताबिक, रिवेटिंग से कृषि भूमि के बड़े इलाकों की उत्पादकता पर चौतरफा गिरावट आ सकती है और खाद्य सुरक्षा पर खतरा आ सकता है.

कानून के समर्थकों ने इशारा किया है कि नया कानून असल में यूरोप की दूरगामी खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा. मई की शुरुआत में पर्यावरण, महासागरों और फिशरीज के यूरोपीय कमिश्नर विरजिनियस सिन्केविसियस ने ट्वीट किया कि "मिथ के बावजूद, किसानों को होने वाले लाभ अनेक हैं: उर्वर मिट्टी, सूखे पर कम असर, पानी को रोके रख सकने की क्षमता, परागण (पॉलिनेशन)."

ग्रीन पार्टी के सांसद पाउलस ने कहा, "रिवेटड स्वरूप में जमीन के प्रबंधन के मुकाबले किसानों को, सुखाए हुए पीटलैंड पर नकदी फसल उगाने के हमेशा ज्यादा फौरी लाभ हासिल होंगे. और जाहिर है इसी कारण उन्हें मुआवजा दिया जाना जरूरी होगा."

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लाभकारी खेती और हरित समाधानों का सह-अस्तित्व

महत्वाकांक्षी कानून के समर्थकों ने इस ओर भी ध्यान दिलाया है कि लाभ कमाने वाली खेती और वेटलैंडों की पुनरुद्धार को एक दूसरे के विपरीत कार्यों की तरह नहीं देखना चाहिए.

यूरोपीय आयोग का आकलन है कि कुदरती संसाधनों के रेस्टोरेशन में खर्च होने वाले प्रत्येक यूरो आगे चलकर कम से कम आठ गुना ज्यादा आर्थिक लाभ में तब्दील होगा.

ग्राइफ्सवाल्ड माइर सेंटर समेत बहुत से वैज्ञानिक संस्थानों और पर्यावरण संगठनों ने जनवरी में एक पोजीशन पेपर जारी किया था जिसके मुताबिक रिवेटड भूमि पर भले ही अन्न या मक्का जैसी एकल फसलें नहीं उगाई जा सकेंगी लेकिन वो दूसरी और फसलों के लायक जरूर होगी.

फिर से तैयार की गई जमीन पर टिंबर लगाया जा सकता है, या ऐसी घास या रीड बोई जा सकती हैं जो निर्माण सेक्टर में इंसुलेशन के काम आएंगी या प्लास्टिक के जैविक विकल्पों के कच्चे माल के रूप में. और गायों के बदले एक दिन ये इलाके वॉटर बफेलो (भैंसो) के लायक चरागाह भी बन सकते हैं.

विशेषज्ञ एक चीज पर स्पष्ट हैं: परिप्रेक्ष्य में बदलाव के जरिए आगे चलकर लैंड यूज को बदलना ही होगा. यूरोपीय संघ के नेचर रेस्टोरेशन कानून में इस बात का भी जिक्र है.

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