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आपदाभारत

दार्जिलिंग में बारिश से भारी तबाही, सिक्किम से संपर्क टूटा

स्वाति मिश्रा एएफपी, एएनआई, पीटीआई
५ अक्टूबर २०२५

भारत के पश्चिम बंगाल और पड़ोसी देश नेपाल में भारी बारिश के कारण काफी तबाही हुई है. सिलिगुड़ी से गंगटोक के बीच एनएच 10 बंद होने के कारण सिक्किम से संपर्क कट गया है.

सिलिगुड़ी की तस्वीर
दार्जिलिंग और उसके आस पास के इलाकों में भारी बारिश की स्थिति अभी बनी रहने की चेतावनी भी जारी की गई है.तस्वीर: Diptendu Dutta/ZUMA/IMAGO

पश्चिम बंगाल और नेपाल, दोनों जगहों पर भारी बरसात बड़ी आफत बनकर आई. समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, अब तक 60 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. दोनों ही जगहों पर नदियों का जलस्तर बढ़ने, पुल टूटने और सड़कें धंसने के कारण कई इलाकों से संपर्क कट गया है.

एनएच 10 पूरी तरह से बंद

पश्चिम बंगाल में मूसलधार बरसात के बाद अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिले में खासा नुकसान हुआ है. अधिकारियों के अनुसार, तीस्ता नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण सिक्किम और कलिम्पोंग का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 के कई हिस्से बह गए हैं. यह नेशनल हाई-वे पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी को सिक्किम की राजधानी गंगटोक से जोड़ता है. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, एनएच 10 को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.


प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने प्रभावित इलाकों में मौजूद पर्यटकों को सलाह दी है कि वे घबराएं नहीं, जहां हैं वहीं रहे, जब तक कि पुलिस उन्हें सुरक्षित नहीं निकाल लेती.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दार्जिलिंग में हुए एक पुल हादसे में मारे गए लोगों के प्रति शोक जताया. एक सोशल पोस्ट में उन्होंने लिखा कि दार्जिलिंग और आसपास के इलाकों की स्थिति पर करीबी नजर रखी जा रही है और सरकार प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है.


विपक्षी दल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में बाढ़ की स्थिति पर चिंता जताई है.


पश्चिम बंगाल में भारी बारिश की चेतावनी

प्रशासन ने क्षेत्र के सभी पर्यटन केंद्रों को बंद कर दिया है और दार्जिलिंग, कलिम्पोंग समेत आसपास के इलाकों में सभी पर्यटकों को अगले आदेश तक अपने होटल में ही रहने का आदेश दिया गया है. भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने उत्तरी बंगाल में अगले दो दिनों तक बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है. खराब मौसम के कारण राहत और बचाव कार्य प्रभावित होने की आशंका है.


नेपाल में प्रमुख नदियां उफान पर

उधर नेपाल में 3 अक्टूबर से ही खूब बारिश हो रही है. नेपाल के मौसम विभाग के अनुसार, लगातार हो रही बारिश की वजह से आठ बड़ी नदियों का जल स्तर खतरे के निशान को पार कर गया है.  इनमें बागमती और कोसी भी शामिल हैं, जो बहकर भारत आती हैं. नेपाल में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की प्रवक्ता शांति महात ने बताया कि बारिश संबंधी दुर्घटनाओं के कारण कम-से-कम 43 लोगों की जान गई. कई लोग लापता भी हैं.

नेपाल में भी भारी बारिश के कारण जान माल का खासा नुकसान हुआ है. बागमती जैसी कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.तस्वीर: Navesh Chitrakar/REUTERS

 

नेपाल में सबसे अधिक प्रभावित इलाका कोसी प्रांत का इलाम जिला है. यहां भूस्खलन के कारण कम-से-कम 37 लोगों की मौत हुई. स्थानीय अधिकारी सुनीता नेपाल ने बताया, "रातभर हुई भारी बारिश के कारण लैंडस्लाइड हुए. सड़कें बंद होने की वजह से कुछ इलाकों में पहुंचना मुश्किल है. बचावकर्मी पैदल ही वहां जा रहे हैं."  नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने 11 अक्टूबर तक राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की है. उन्होंने लोगों से गैर-जरूरी यात्रा टालने की अपील की.

लैंडस्लाइड के लिए खासा जोखिम भरा है हिमालय इलाका

लैंडस्लाइड, बाढ़ और भूकंप जैसी कुदरती आपदाओं के लिहाज से हिमालयी क्षेत्र काफी संवेदनशील इलाका है. खासतौर पर मॉनसून के दौरान हर साल भूस्खलन जैसी घटनाएं होती हैं और पुल, सड़क जैसे बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचता है.

इंसानी गतिविधियों के कारण तीव्र हुए जलवायु परिवर्तन का एक असर यह भी है कि मौसम का चक्र अप्रत्याशित होता जा रहा है. इसका परिणाम "अति और अल्प" दोनों रूपों में नजर आता है. कहीं बहुत कम बारिश, लगातार सूखा. तो कहीं बहुत ज्यादा बारिश की आफत. 2025 के ही मॉनसून को याद करें, तो हिमाचल और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण काफी नुकसान हुआ.

नेपाल में अब तक चरम मौसमी घटनाओं के कारण कम-से-कम 37 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है.तस्वीर: Navesh Chitrakar/REUTERS

कम अवधि में बहुत ज्यादा बारिश होने पर नदियों और स्थानीय धाराओं में पानी का बहाव बढ़ जाता है. आपदाएं साथ में गुंथ जाती हैं. मसलन, मूसलधार बारिश होगी तो नदियां उफनेंगी. मिट्टी में कटाव होगा. सड़कें धंस जाएंगी. नदी की तेज धारा या तो पुल को बहा ले जाएगी, या पुल ढह जाएगा. नतीजतन, कई इलाकों से संपर्क कट जाएगा.

हिमालयी इलाकों को असंतुलित विकास का भी खामियाजा उठाना पड़ रहा है. बढ़ती आबादी के कारण अंधाधुंध घर बनाए गए. पहाड़ के संवेदनशील इलाकों और ढलानों पर भी कंक्रीट की इमारतें खड़ी की गईं. ऐसा नहीं कि नुकसान बस इमारतों को होता है. खेती लायक जमीनें कट जाती हैं और संचार, बिजली आपूर्ति जैसे जरूरी ढांचे भी प्रभावित होते हैं.

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