सेहत के लिए खतरनाक हैं पिस्टन इंजन वाले छोटे विमान
१९ अक्टूबर २०२३
अमेरिका की पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी (ईपीए) ने कहा है कि लेड ईंधन इस्तेमाल करने वाले विमान सेहत के लिए खतरनाक हैं. सालों तक हुए अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष सामने आया है.
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अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी (ईपीए) ने सालों के अध्ययन के बाद कहा है कि लेड ईंधन इस्तेमाल करने वाले विमानों से जो उत्सर्जन होता है वह इंसान की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है.
व्यावसायिक विमानों में जेट ईंधन प्रयोग होता है, जिसमें लेड नहीं होता. लेकिन 2 से 10 यात्रियों वाले ऐसे बहुत से छोटे विमान हैं जिनमें छोटा पिस्टन इंजन होता है. ये विमान 45 से 47 साल पुराने हैं.
लीक्विड हाइड्रोजन से चलने वाला पहला विमान
जर्मनी की एक कंपनी लीक्विड हाइड्रोजन से चलने वाले विमान की पहली पब्लिक उड़ान पूरी कर ली है.
तस्वीर: Antonio Bronic/REUTERS
ना आवाज, ना कंपन
यह दुनिया का पहला विमान है जिसने लीक्विड हाइड्रोजन ईंधन से अपनी पहली उड़ान पूरी की है. टेस्ट पायलट योहानेस गारबिनो-एंटोन कहते हैं कि इसमें जरा भी आवाज या कंपन नहीं है.
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भविष्य का ईंधन
इस वक्त दुनियाभर में ऐसे विमान ईंधन खोजने के लिए शोध हो रहे हैं जो कम खर्च और कम कार्बन उत्सर्जन में आधुनिक विमानों की आवाजाही सुनिश्चित कर सके. हाइड्रोजन उन्हीं ईंधनों में से एक माना जा रहा है.
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क्या है नयी तकनीक
जर्मनी की कंपनी H2FLY ने यह तकनीक विकसित की है जिसमें लीक्विड हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया है. लीक्विड हाइड्रोजन को सौर और पवन ऊर्जा से भी बनाया जा सकता है.
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दोगुनी माइलेज
कंपनी का दावा है कि इस ईंधन से विमान मौजूदा ईंधन के मुकाबले दोगुने समय तक चल सकता है. हाइड्रोजन गैस से विमान करीब 720 किलोमीटर जा सकता है और लीक्विड हाइड्रोजन से 1,400 किलोमीटर तक, यानी पेरिस से लिस्बन तक.
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लंबी दूरी की यात्रा संभव
H2FLY के संस्थापक योसेफ कालो कहते हैं कि पहली बार हमने फ्यूल सेल और इलेक्ट्रिक मोटर को चलाने के लिए लीक्विड हाइड्रोजन का प्रयोग किया है, जो साबित करता है कि लंबी दूरी तक भी हाइड्रोजन से विमान चलाये जा सकते हैं.
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हाइड्रोजन की दिक्कत
लेकिन हाइड्रोजन की समस्या है उसका वजन. इसके लिए विमानों को बड़े फ्यूल टैंक के साथ दोबारा डिजाइन करना होगा और उन्हें हवाई अड्डों पर ज्यादा जगह व सुविधाओं की जरूरत होगी.
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2024 की तैयारी
विशेषज्ञों का अनुमान है कि पूरा ढांचा बदलने में 10 से 20 साल तक लग सकते हैं. H2FLY अब 40 सीटों वाले विमान बना रही है जो लगभग 2,000 किलोमीटर की यात्रा पाएंगे.
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ईपीए प्रशासक माइकल रीगन ने एक बयान जारी कर रहा कि पिछले साल अक्तूबर में प्रस्तावित घोषणा को अब अंतिम रूप दिया गया है. उन्होंने कहा, "विज्ञान का साफ कहना है कि लेड बच्चों स्वास्थ्य को उम्रभर के लिए नुकसान पहुंचा सकता है.”
17 साल बाद आयी रिपोर्ट
अमेरिका में 1,90,000 निजी विमान हैं जो लेड ईंधन इस्तेमाल करते हैं. ये विमान अमेरिका के वातावरण में उत्सर्जित कुल लेड के लगभग 70 फीसदी के लिए जिम्मेदार हैं.
ईपीए ने कहा कि फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) के साथ मिलकर उसने इन विमानों के ईंधन से होने वाले लेड उत्सर्जन को रोकने के लिए नियम बनाने का काम शुरू कर दिया है.
ईपीए की यह घोषणा कई साल तक चले अध्ययन के बाद आयी है. 2006 में उसे एक याचिका मिली थी, जिसमें निजी विमानों के लेड उत्सर्जन को नियमित करने की अपील की गयी थी.
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एजेंसी ने 2010 में कार्रवाई शुरू की और 2015 में कहा कि तीन साल के भीतर अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी करेगी. लेकिन पिछले साल ही एजेंसी की रिपोर्ट तैयार हो पायी, जिसे प्रस्तावित किया गया. आखिरकार बुधवार को एजेंसी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी की.
1980 के बाद से अमेरिका में हवा में उत्सर्जित लेड की मात्रा 99 फीसदी तक घट गयी है. लेकिन फिलहाल जो भी उत्सर्जन हो रहा है, उसकी सबसे बड़ी वजह ये छोटे निजी विमान ही हैं.
लेड ईंधन हटाने पर काम
एफएए ने 2022 में एक नयी योजना का ऐलान किया था जिसके तहत सुरक्षित तरीके से 2030 तक लेड ईंधन को पूरी तरह खत्म किया जाना है. इस योजना का मकसद बिना निजी विमानों के बेड़े को प्रभावित किये लेड ईंधन को खत्म करने की कोशिशों पर काम किया जाना है.
एक बयान में एफएए ने कहा कि वह नेशनल अकैडमीज ऑफ साइंसेज, इंजीनियरिंग एंड मेडिसिन (एनएएसईएम) की रिपोर्ट में की गयी सिफारिशों के आधार पर लेड ईंधन वाले इंजनों में बदलाव करेगी. इस योजना में पिस्टन एविएशन फ्यूल्स इनिशिएटिव (पीएएफआई) नामक संस्था भी एफएए की मदद कर रही है.
अब ऐसे हवाई जहाज बनेंगे
भविष्य में ऐसे विमानों की जरूरत होगी जिनमें ईंधन की खपत कम से कम हो. इसलिए विशेषज्ञ ऐसे हवाई जहाजों के डिजाइन तैयार करने पर काम कर रहे हैं.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
डिजाइन है अहम
विशेषज्ञों का कहना है कि विमान का सही डिजाइन ईंधन की कम खपत में मददगार साबित हो सकता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए जर्मन एयरोस्पेस सेंटर डीएलआर ने "ब्लैंडिड विंग बॉडी" डिजाइन बनाया है. इसमें विमान के कैबिन और पंखों को जोड़ दिया गया है.
तस्वीर: DLR
साफ स्वच्छ उड़ान
दुनिया भर में कार्बन डाई ऑक्साइड का तीन प्रतिशत उत्सर्जन विमानों के आवागमन से होता है. यूरोपीय आयोग ने 2050 तक इसमें एक तिहाई की कमी करने की मांग की है. इस तस्वीर में बिजली से उड़ने वाले एक विमान के डिजाइन की कल्पना की गई जो जहरीली गैस के उत्सर्जन को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
ताकतवर इलेक्ट्रिक इंजन
इलेक्ट्रिक विमानों को जमीन से आसमान में ताकतवर इंजनों की मदद से ही पहुंचाया जा सकता है. इन इंजनों में केबल और वायरिंग बिजली मुहैया कराने में किसी किस्म की रुकावट पैदा नहीं करेगी. लेकिन इसके लिए बैटरियों का वजन आज के मुकाबले कम करना होगा.
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जेट इंजन नहीं, बड़े प्रोपेलर
आधुनिक शक्तिशाली इंजनों के मुकाबले घूमने वाले ओपन रोटर्स ज्यादा असरदार साबित होंगे. ये एक टरबाइन या प्रोपेलर की तरह काम करते हैं. प्रयोगों से साबित होता है कि इस तरह ईंधन की और 20 फीसदी तक बचत हो सकती है. ये रोटर्स व्यास में पांच मीटर तक हो सकते हैं.
तस्वीर: DLR
कम खर्च लेकिन शोर बहुत
बेहतर होगा कि इन खुले हुए टोटर्स को विमान के पीछे वाले हिस्से में लगाया जाए. ईंधन की बचत के साथ ऐसे विमानों में सफर करना आजकल के मुकाबले कुछ धीमा होगा. यानी जिस सफर में अभी दो घंटे लगते हैं, उसके लिए इस विमान में आपको सवा दो घंटे लगाने होंगे. लेकिन इन खुले रोटर्स का नुकसान ये है कि इसमें शोर बहुत होगा.
तस्वीर: DLR
सूरज की रोशनी से उड़ान
यह है सौर ऊर्जा से उड़ने वाले सोलर इंपल्स विमान. दुनिया का चक्कर लगाने वाले इस विमान से भी भविष्य की झलक मिलती है. लेकिन अभी तो यह एक घंटे में सिर्फ 70 किलोमीटर उड़ता है और भारी वजन भी साथ नहीं ले जा सकता है.
तस्वीर: Reuters
बंद होने वाले विंग्स
पतले और लंबे पंख एयरोडाइनामिक्स के लिए बहुत अच्छे होते हैं. इस तरह भी ईंधन की बचत हो सकती है. सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान के पंख 63 मीटर लंबे हैं. हालांकि ऐसे हवाई जहाज हर हवाई अड्डे पर नहीं उतर सकते. बंद होने वाले पंख बना कर इस समस्या को हल किया जा सकता है.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
दो मंजिला हवाई जहाज
"बॉक्स विंग" नाम के इस विमान के पिछले हिस्सों मे बड़े बड़े पंखे या प्रोपेलर लगे हैं और इसके पंख बेहद पतले हैं. इस डबल डेकर या कहिए दो मंजिला हवाई जहाज का डिजाइन एक तीर की तरह है. इससे ईंधन की बचत भी होती है और ये तेज रफ्तार उड़ान भी भर सकता है. इसके पंख छोटे हैं ताकि यह आम हवाई अड्डों पर भी उतर सके.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
यूरोप से ऑस्ट्रेलिया 90 मिनट में
व्यस्त लोगों के पास समय की बहुत कमी होती और उनकी प्राथमिकताएं भी अलग होती हैं. डीएलआर का ये स्पेसलाइन रॉकेट इंजनों वाला यात्री विमान है. आप इसमें 2050 के बाद ही सफर कर पाएंगे. लेकिन इससे यूरोप से ऑस्ट्रेलिया सिर्फ 90 मिनट यानी डेढ़ घंटे में पहुंचा जा सकेगा. अभी यह दूरी 20 घंटे से ऊपर है.
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एफएए ने कहा, "एलिमिनेट एविएशन गैसलिन लेड इमिशंस (ईगल) योजना के तहत सरकारी और उद्योग के स्तर पर निवेश और गतिविधियों को विस्तार दिया जाएगा और उचित नीतियां बनायी जाएंगी ताकि मौजूदा और नये विमानों को लेड-मुक्त ईंधन पर उड़ने के लिए परमिट जारी किये जा सकें. इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि हवाई यात्रा की सुरक्षा और जनता के व्यापक आर्थिक और अन्य फायदे प्रभावित ना हों.”