फुटबॉल दुनिया का लोकप्रिय खेल है. पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ियों को टीम में बने रहने के लिए नियमित रूप से अत्यंत उच्च स्तर पर कुशल खेल का प्रदर्शन करना होता है. इस बात को सिमोन रॉल्फेस से बेहतर कौन जान सकता है. रॉल्फेस जर्मनी की प्रीमियर लीग बुंडेसलीगा के बायर लेवरकूजेन क्लब के कप्तान रहे हैं. वह जानते हैं कि उनकी शारीरिक तंदरुस्ती जीत या हार का फैसला कर सकती है लेकिन हर पल चोट लगने का डर लगा रहता है. इसलिए आजकल क्लबों के मेडिकल डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी बढ़ गई है. वे टीम की कामयाबी में अहम रोल निभाते हैं. रॉल्फेस बताते हैं, "चूंकि मैं चोट लगने के बाद लंबे समय तक खुद पर ज्यादा जोर नहीं डाल सकता, हमने फिटनेस बनाए रखने के लिए एल्टीट्यूड चैंबर में ट्रेनिंग की."
तस्वीरों में, जब पांव धोखा दे जाए
11 मीटर की दूरी से बिना किसी बाधा के गोल करना मुश्किल नहीं दिखता, लेकिन जब ऐसा होता है तो खिलाड़ियों के पसीने छूटते दिखते हैं. यूरो 2016 में पेनल्टी ने जर्मनी और इटली के मैच को रोमांचक बनाया.
तस्वीर: Reuters/Y. Hermanक्वॉर्टर फाइनल में पेनल्टी शूट में विफल रहने वाले जर्मनी के स्टार स्ट्राइकर थॉमस मुलर अपनी नाकामी से इतने दुःखी हैं कि उन्होंने यूरो 2016 के दौरान पेनल्टी किक ना करने का फैसला किया है. लेकिन अगर टीम को उनकी जरूरत हुई तो वे पीछे नहीं रहेंगे.
तस्वीर: Reuters/D. Staplesपेनल्टी किक के सिक्के के दो पहलुओं में एक गोलकीपर भी होता है. विश्व के सर्वश्रेष्ठ गोलकी कहे जाने वाले जर्मनी के मानुएन नॉयर भी 9 किक में सिर्फ दो रोक पाए. पांच गोल हो ही गए. कहते हैं कि ऐसा पेनल्टी किक पहले नहीं देखा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Charisiusजर्मन कप्तान श्वाइनश्टागर ने हेडर से एक गोल किया था जिसे रेफरी ने उनके फाउल के कारण नहीं माना. पेनल्टी किक में नाकाम रहकर कप्तान ने मैच जीतने का महत्वपूर्ण मौका गंवा दिया. निराशा उनके चेहरे से झलक रही थी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Meissnerजो खिलाड़ी पेनल्टी किक से गोल नहीं कर पाए उनमें जर्मनी को इटली के खिलाफ बढ़त दिलवाने वाले मेसुत ओएजिल भी थे. बाद में इस बात पर हंगामा रहा है कि बवेरिया के वित्त मंत्री मार्कुस जोएडर ने लिखा कि ओएजिल को फिर कभी पेनल्टी किक का मौका नहीं.
तस्वीर: Reuters/G. Fuentesऐसा नहीं कि पेनल्टी किक का मौका गंवाने वाले सिर्फ जर्मन खिलाड़ी ही थे. इटली के स्टार खिलाड़ी पेले का किक भी गोल पोस्ट में घुसने के बदले उसके बगल से गुजर गया. बाद में पेले ने अपनी नाकामी के लिए इटलीवासियों से माफी मांगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V. Donevबोनुच्ची ने खेल के दौरान मिले पेनल्टी को सीधे गोल में दागकर इटली को जर्मनी के बराबर कर दिया था. लेकिन जब 120 मिनट के खेल के बाद फैसले की बारी आई तो मानुएल नॉयर ने उनके किक को रोक दिया और गोल नहीं होने दिया.
तस्वीर: Reuters/C. Hartmannइसके पहले शुरुआती राउंड में पुर्तगाल के स्टार खिलाड़ी और विश्व के चोटी के खिलाड़ियों में शुमार होने वाले क्रिस्टियानो रोनाल्डो भी पेनाल्टी किक को गोल में नहीं बदल पाए थे. इसकी वजह से पुर्तगाल की टीम का अगले राउंड में आना संदेहास्पद हो गया था.
तस्वीर: Reuters/Y. Herman बायर लेवरकूजेन का ट्रेनिंग सेंटर दुनिया के सबसे आधुनिक सेंटरों में से है. यहां अत्याधुनिक यंत्रों की मदद से शारीरिक मुश्किलों की विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों को सिमुलेट किया जा सकता है. मसलन एक एंटी ग्रैविटी ट्रेडमिल है. इस पर चलना चांद पर चलने जैसा होता है. 3,500 मीटर की ऊंचाई जैसी स्थिति पैदा करने के लिए कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा घटाई जा सकती है और फुटबॉलरों को ट्रेनिंग के लिए विशेष माहौल दिया जा सकता है.
लेवरकुजेन के स्पोर्ट्स साइंटिस्ट कार्स्टन राडेमाखर बताते हैं, "हमारे यहां बहुत तरह की सुविधाएं हैं. एल्टीट्यूड चैंबर उनमें से एक है, जहां हम आल्प्स की चोटी के माहौल में स्टैमिना ट्रेनिंग देते हैं." यानी कमरे के भीतर ही ऐसे हालात पैदा किए जाते हैं मानो आप पहाड़ की किसी चोटी पर दौड़ रहे हैं. कम गुरुत्वाकर्षण का मतलब होता है जोड़ों पर कम दबाव. कमरे में सांस में ली जाने वाली हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है. ये ऑक्सीजन लेने की जरूरत बढ़ाता है और शरीर में रक्त की लाल कोशिकाओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करता है. नतीजा होता है उच्च स्तर का स्टैमिना. रॉल्फेस कहते हैं, "ऊंचाई का खास तौर पर मेरे कार्डियो वस्कुलर सिस्टम पर असर पड़ता है और दौड़ना कठिन काम हो जाता है. साथ ही ओवर प्रेसर ट्रेड मिल की मदद से मैं जल्द ही सामान्य जॉगिंग कर सकता हूं, हद से ज्यादा कर देने के डर से मुक्त होकर."
ये हैं फुटबॉल के नए नियम
फुटबॉल के नियमों में अब तक के सबसे बड़े बदलाव हुए हैं. एक जून 2016 से प्रभाव में आए यह नियम खेल को और रोचक बनाएंगे. इनमें अंडरवियर रूल भी शामिल है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Gambariniलियोनेल मेसी को शायद यह नियम पसंद न आए. लेकिन अब खेल के दौरान मिलने वाली पेनल्टी को पास कर साथी खिलाड़ी को नहीं दिया जा सकेगा. ऐसा करने वाले को पीला कार्ड मिलेगा, साथ ही विपक्षी टीम को फ्री किक भी मिलेगी. पेनल्टी शूट से पहले अगर गोलकीपर लाइन से आगे आया तो उसे भी यलो कार्ड देखना होगा.
तस्वीर: picture-alliance/Offside /M. Atkinsअपने गोलपोस्ट के करीब डी में फाउल करने वाले खिलाड़ी को पहले तीन तरह से सजा दी जा सकती थी. पेनल्टी, रेड कार्ड या फिर सस्पेंशन. लेकिन अब रेफरी की दुविधा खत्म कर दी गई है. जानबूझ कर बड़ा फाउल करने वाले को अब सीधे मैदान से बाहर भेज दिया जाएगा. बॉल कंट्रोल करने के दौरान हुए फाउल में रेफरी जेब से यलो कार्ड निकालेगा.
तस्वीर: picture-alliance/Eibner-Pressefotoरेफरी अब मैच खेल शुरू होने से पहले भी किसी खिलाड़ी को रेड कार्ड दिखा सकते हैं. लेकिन इसके बावजूद टीम 11 खिलाड़ियों के साथ ही मैदान में उतरेगी. रेड कार्ड वाले खिलाड़ी की जगह किसी और को मैदान पर उतारना होगा.
तस्वीर: imago/VI Imagesनए नियमों से पहले तक चोट लगने पर खिलाड़ी को पिच से बाहर निकलना पड़ता था. फिजियो की मदद से ठीक होने के बाद रेफरी उसे भीतर आने का इशारा करता था. लेकिन अब खिलाड़ी 20 सेंकेड तक पिच पर ही रह सकता है. अगर इस दौरान वह फिजियो की मदद से ठीक हो गया तो तुरंत आगे खेल सकता है.
तस्वीर: Reuters/K. Pfaffenbachअब तक मैच शुरू होने पर बॉल को सिर्फ आगे बढ़ाने का नियम था. लेकिन अब बॉल को साइड पास और बैक पास करने की मंजूरी भी मिल गई है.
तस्वीर: picture-alliance/Sven Simon/A. Waelischmillerफ्री किक लेने वाली टीम के अटैकिंग प्लेयर अब तक गोलकीपर के सामने होते थे. फ्री किक मिस होने पर इनमें से कोई एक भीड़ का फायदा उठाते हुए गोल कर देता था. लेकिन अब फ्री किक के दौरान अटैकिंग प्लेयर गोलकीपर के सामने खड़े नहीं होंगे. गोलकीपर यूनियन के लिए यह बड़ी जीत है.
तस्वीर: picture-alliance/Sven Simon/O. Haistअब तक गर्मी या उमस को देखते हुए रेफरी के पास ड्रिंक ब्रेक को बढ़ाने की आजादी थी. रेफरी आगे भी ऐसा कर सकेंगे लेकिन अब उन्हें सेकेंडों का भी हिसाब रखना होगा. यह समय बाद में एक्स्ट्रा टाइम में शामिल किया जाएगा.
तस्वीर: Getty Imagesथ्रो करने के नियम हैं लेकिन पेशेवर फुटबॉल में आपने शायद ही कभी रेफरी को गलत थ्रो के लिए सीटी बजाते हुए देखा होगा. लेकिन अब यह नियम सख्ती से लागू होगा. खिलाड़ियों को दोनों हाथ से सिर के पीछे से बॉल लाते हुए थ्रो करना होगा. बॉल सिर के ऊपर ही छूटनी चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpaखेल के दौरान जूता खुलने पर खिलाड़ियों को अगले स्टॉप का इंतजार करना पड़ता था. लेकिन अब खिलाड़ी बिना जूतों और शिन गार्ड्स के भी खेलना जारी रख सकेंगे.
तस्वीर: Imago/Sven Simonअब तक खिलाड़ियों को टीम के निक्कर के नीचे अपनी मर्जी का अंडरवियर पहनने की इजाजत थी. लेकिन अब रेफरी खिलाड़ियों को टीम के निक्कर के रंग का अंडरवियर पहनना होगा, रेफरी चाहे तो खिलाड़ी को अंडरवियर बदलने का निर्देश भी दे सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/Sven Simon/F. Hoermann कार्स्टन राडेमाखर ने खिलाड़ियों के लिए कई तरह के टेस्ट तैयार किए हैं. जैसे टैपिंग टेस्ट जिसमें दोनों पैरों के साथ छह सेंकड में जितना हो सके धरती के संपर्क में रहते हैं. या फिर थ्री चैंबर्स टेस्ट. थ्री चैंबर्स टेस्ट अभ्यास के आखिर में होता है. खिलाड़ी मास्क, ऊन का हैट और ग्लव्स पहनकर चैंबर में जाते हैं. तापमान ध्रुवीय होता है यानी माइनस 100 से भी नीचे. कार्स्टन राडेमाखर कहते हैं, "कोल्ड चैंबर का सबसे बड़ा फायदा ये है कि खिलाड़ी बहुत जल्द आराम पाते हैं और खासकर इंग्लिश वीक्स के दौरान जब हम चैंपियंस लीग, बुंडेसलीगा और जर्मन कप के खेलते हैं, जल्द से जल्द सामान्य स्तर पर आ जाते हैं."
हर चैंबर पहले से ज्यादा ठंडा होता जाता है. भारी ठंड में खून की बाहरी धमनियां सिकुड़ती हैं, आइस बाथ की तरह, बस वैसा मजा नहीं आता. खिलाड़ी हर मैच या ट्रेनिंग सेशन के बाद आइस चैंबर का इस्तेमाल करते हैं. ठंडे चैंबर चोट लगने के बाद ठीक होने के समय को घटाने में मदद करते हैं. इतनी मेहनत के बाद ही खिलाड़ी विश्व स्तरीय प्रदर्शन के लिए तैयार हो पाते हैं.
महेश झा