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राजनीतिलीबिया

लीबिया से यूरोप में हो रही मानव तस्करी में रूस का हाथ

कैर्स्टन क्निप
२३ अप्रैल २०२५

लीबिया में मानव तस्करी करने वालों का एक मजबूत नेटवर्क है, जो रूस से जुड़ी कंपनियों की मदद करता है. यूरोपीय संघ इसे रोकने के लिए क्या कर सकता है?

मेक्सिको में ड्रग का कारोबार
लीबिया में मानव तस्करी करने वालों का एक मजबूत नेटवर्क है, जो रूस से जुड़ी कंपनियों की मदद करता है.तस्वीर: Teun Voeten/Sipa/picture alliance

दिसंबर 2024 में सीरिया के बशर अल असद की सत्ता ढहने के बाद से रूस, इस चिंता में है कि वह भूमध्यसागर के तट, टार्टस पर अपना नौसैनिक अड्डा और उत्तर में हेमीमिम हवाई अड्डे पर अपने सैन्य अड्डे बनाए रख पाएगा या नहीं. इस चिंता के चलते रूस ने अब लीबिया पर अपना ध्यान केंद्रित किया है.

यूरोपीय काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स की विशेषज्ञ तारेक मेगरीसी ने लीबिया में रूस के प्रभाव पर हाल ही में एक रिपोर्ट भी लिखी है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "असद सरकार के गिरते ही सीरिया के सैन्य अड्डों से लीबिया की ओर काफी फ्लाइट्स और मालवाहक जहाज भेजे गए थे, जिनमें रूसी सामान था.”

उन्होंने आगे कहा, "इससे साफ पता चलता है कि रूस भूमध्य सागर में लीबिया को एक सुरक्षित विकल्प की तरह देखता है.”

न्यूयॉर्क स्थित थिंक टैंक 'द सूफान सेंटर' की मार्च में आई एक रिपोर्ट में सामने आया कि यह पहली बार नहीं है कि जब रूसी जहाज लीबिया के टोब्रुक नौसैनिक अड्डे पर पहुंचे हैं.

अब वतन लौटना चाहते हैं सीरिया के लोग

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यह बंदरगाह सैन्य कमांडर और लिबियन नेशनल आर्मी (एलएनए) के नेता, खलीफा हफ्तार के नियंत्रण  में है. वह विभाजित लीबिया के पूर्वी हिस्से के बड़े इलाके पर शासन करते हैं.

रिपोर्ट में बताया गया कि, "जून 2024 में, दो रूसी युद्धपोत खलीफा हफ्तार के नियंत्रण वाले टोब्रुक नौसैनिक अड्डे पर पहुंचे. इस दौरे को एक प्रशिक्षण मिशन बताया गया था लेकिन असल में संभावना है कि यह लिबियन नेशनल आर्मी को हथियार (आर्टिलरी) पहुंचाने का जरिया था. जिसका इस्तेमाल त्रिपोली में मौजूद विरोधी गुटों के खिलाफ या फिर पड़ोसी देशों में पश्चिम-विरोधी सैन्य ताकतों को भेजने के लिए किया जा सकता है.”

लीबिया में खुद को मजबूत करने की कोशिश में रूस

लीबिया में रूस के लिए कुछ भाड़े के लड़ाकू गुट भी काम कर रहे है. जैसे कि पहले "वागनर ग्रुप" के नाम से जाना जाने वाला संगठन, अब "अफ्रीका कॉर्प्स" के नाम से काम कर रहा है.

मेगरीसी का कहना है कि रूस लीबिया में कई तरह के फायदे देख रहा है. कई सालों से गृह युद्ध झेल रहे इस देश में रूस अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

विशेषज्ञों ने डीडब्ल्यू को बताया कि रूस मेडिटेरेनियन सागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के लिए कोशिश कर रहा है. हालांकि, अब तक रूस इसके लिए सिर्फ सीरिया का ही सहारा ले रहा था. मेगरीसी ने यह भी बताया कि रूस वहां के स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों, खासकर ऊर्जा भंडारों  से पैसा कमाने की कोशिश में था.

पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद से रूस अपना सामान बेचने के लिए नया बाजार ढूंढ रहा है. मेगरीसी ने बताया कि लीबिया रूस के हथियारों का एक अहम खरीदार भी है.

हफ्तार के बेटे ने लीबिया को ‘स्मगलिंग का अड्डा' बनाया

लीबिया के संघर्ष में रूस कई सालों से विद्रोही कमांडर खलीफा हफ्तार का समर्थन करता आ रहा है. जर्मन संस्था, कोनराड आडेनावर फाउंडेशन के साहेल क्षेत्रीय कार्यक्रम के प्रमुख, उल्फ लाजिंग ने डीडब्ल्यू को बताया, "हफ्तार अभी भी रूस का सबसे अहम साझेदार है.”

उन्होंने यह भी बताया, "रूस का लीबिया के पश्चिमी हिस्सों और राजधानी त्रिपोली के साथ भी राजनयिक संबंध है, लेकिन फिर भी उनका असल ध्यान हफ्तार पर ही है.”

हालांकि, अब यह रिश्ता जोखिम भरा हो गया है क्योंकि हफ्तार अब 81 साल का हो चुके हैं और अमेरिका के दबाव के कारण उसका शासन कमजोर पड़ रहा है. मेगरीसी की रिपोर्ट में उजागर हुआ कि हफ्तार का बेटा सद्दाम हफ्तार पिछले कुछ सालों में रूस का मुख्य संपर्क केंद्र बन गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि उसने ही रूस को लीबिया में सैन्य अड्डे बनाने के लिए नेटवर्क उपलब्ध कराया है. सद्दाम हफ्तार के खिलाफ  2024 में स्पेन ने हथियारों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. 

मेगरीसी ने बताया, "रूस, हफ्तार के संभावित उत्तराधिकारी सद्दाम हफ्तार को मजबूती देने और लीबिया को हथियार, ड्रग्स, ईधन और इंसानों की स्मगलिंग का अड्डा बनाने के लिए इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है.”

लाजिंग ने बताया कि कई साल तक सीरिया से पूर्वी लीबिया के लिए एक निजी सीरियाई एयरलाइन फ्लाइट्स उड़ रही रही, "यह फ्लाइट्स एशियाई देशों जैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश से प्रवासियों को पूर्वी लीबिया लाती थी और वहां से उन्हें जहाजों के जरिए इटली भेज दिया जाता था.”

तकलीफ का कारोबार

मेगरीसी का मानना है कि मानव तस्करी का एक तय तरीका होता है.

उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा, "जैसे ही प्रवासी लोग लीबिया पहुंचते हैं, वह अपना अनौपचारिक वीजा (फर्जी कागजात) हफ्तार की सेना को सौंप देते हैं. जिसके बाद उन्हें तब तक हिरासत में रखा जाता है, जब तक कि तस्करी नेटवर्क से पैसे नहीं मिल जाते हैं. इन्हें कई बार कई दिन या कई हफ्तों तक बेहद अमानवीय हालात में रखा जाता है. फिर इन्हें 'लॉन्च पॉइंट्स' ले जाया जाता है, जहां से यह नावों पर लादकर यूरोप की ओर रवाना कर दिए जाते हैं. इसके बाद, सद्दाम हफ्तार को एक बार फिर भुगतान किया जाता है, ताकि उसके तटरक्षक नावों को निकलने की अनुमति दें. छोटे जहाजों के लिए प्रति प्रवासी 100 डॉलर, और बड़े जहाजों के लिए एकमुश्त 80,000 डॉलर तक का रेट तय होता है.”

मेगरीसी ने यह भी बताया कि कुछ प्रवासियों को लीबिया के पश्चिमी हिस्से में भी भेजा जाता है. "इससे पता चलता है कि लीबिया के सशस्त्र गुटों के लिए मुनाफे के सामने राजनीतिक सीमाएं भी कोई मायने नहीं रखती हैं.”

लीबिया तक पहुंचने के लिए प्रवासी अलग-अलग रास्ते अपनाते हैं. यह इस पर निर्भर करता है कि वह किस देश से आए हैं. अफ्रीकी से आने वाले लोग ज्यादातर जमीन के रास्ते आते हैं, जबकि एशियाई देशों जैसे पाकिस्तान या बांग्लादेश से आने वाले प्लेन के जरिए आते हैं. इसके बाद वे अलग-अलग संपर्क केंद्रों से गुजरते हुए पूर्वी लीबिया तक पहुंचते हैं, जहां उन्हें हफ्तार के नेटवर्क को सौंप दिया जाता है.

प्रवासन, एक हथियार

यहां रूस के यूरोप से जुड़े मंसूबे सामने आते हैं. मेगरीसी ने बताया, "रूस ने प्रवासन को एक हथियार बना दिया है.” उनके मुताबिक, ऐसा तब भी हुआ था जब सीरिया में युद्ध चल रहा था. उस समय रूसी विमान प्रवासियों को दमिश्क से बेलारूस की राजधानी मिंस्क लाते थे और वहां से उन्हें पश्चिमी यूरोप की ओर भेज दिया जाता था.

उन्होंने बताया कि उस समय इससे यूरोपीय संघ की बाहरी सीमाओं पर दबाव बढ़ गया था. हालांकि यह साफ नहीं है कि ऐसी फ्लाइट्स अभी भी चल रही हैं या नहीं.

मेगरीसी ने कहा कि असद के सत्ता से हटने के बाद से प्रवासन का रुख अब साहेल क्षेत्र की ओर मुड़ चुका है. रूसी मिलिशिया, अब वहां इस बात का ध्यान रख रहा हैं कि अधिक से अधिक लोग यूरोप की ओर पहुंच सकें. और साथ ही, वह सद्दाम हफ्तार के साथ मिलकर काम भी कर रहा है.

मेगरीसी का मानना है कि यूरोप अगर मानव तस्करी को रोकना चाहता है, तो उसे प्रवासियों को सुरक्षित रास्ते उपलब्ध कराने होंगे और यूरोप पहुंचने पर उनकी उचित जांच करनी होगी, ताकि प्रवासियों को सुरक्षित रास्ते मिल सके और तस्करों का धंधा बंद हो सके.

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