लीबिया से यूरोप में हो रही मानव तस्करी में रूस का हाथ
कैर्स्टन क्निप
२३ अप्रैल २०२५
लीबिया में मानव तस्करी करने वालों का एक मजबूत नेटवर्क है, जो रूस से जुड़ी कंपनियों की मदद करता है. यूरोपीय संघ इसे रोकने के लिए क्या कर सकता है?
लीबिया में मानव तस्करी करने वालों का एक मजबूत नेटवर्क है, जो रूस से जुड़ी कंपनियों की मदद करता है.तस्वीर: Teun Voeten/Sipa/picture alliance
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दिसंबर 2024 में सीरिया के बशर अल असद की सत्ता ढहने के बाद से रूस, इस चिंता में है कि वह भूमध्यसागर के तट, टार्टस पर अपना नौसैनिक अड्डा और उत्तर में हेमीमिम हवाई अड्डे पर अपने सैन्य अड्डे बनाए रख पाएगा या नहीं. इस चिंता के चलते रूस ने अब लीबिया पर अपना ध्यान केंद्रित किया है.
असद के जाने पर सीरिया में जश्न
सीरिया में 14 साल लंबे गृह युद्ध के बाद सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद रूस भाग गए. राजधानी दमिश्क में लोग सड़कों पर उतर आए. देश में जश्न का माहौल था.
तस्वीर: Andreas Arnold/dpa/picture alliance
असद का आवास जब्त
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के रूस भाग जाने के बाद, दर्जनों लोग दमिश्क में उनके शानदार घर में घुसे और तस्वीरें खींचीं, और अत्याचारी शासन के खिलाफ विरोध जाहिर किया.
तस्वीर: Omar Haj Kadour/AFP
विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा किया
इस्लामिक समूह हयात तहरीर अल-शाम और उसके सहयोगियों ने 11 दिन के अभियान में राजधानी पर कब्जा कर लिया, जिससे असद परिवार के 50 से अधिक वर्षों के शासन का अंत हुआ.
तस्वीर: Mutez Muhammed/Anadolu/picture alliance
असद के घर में लूटपाट
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लोगों को असद के घर के उन कमरों में घुसते देखा जा सकता है, जो पहले आम नागरिकों के लिए बंद थे. उन्होंने कपड़े, प्लेट्स और यहां तक कि ब्रैंडेड महंगे शॉपिंग बैग जैसी चीजें उठाईं, जो सार्वजनिक विरोध का प्रतीक बन गईं.
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ईरान के लिए झटका
असद का पतन ईरान और रूस के लिए बड़ा झटका है, जिन्होंने असद का समर्थन किया था. इससे ईरान के हथियारों की आपूर्ति और रूस के भूमध्यसागरीय नौसैनिक ठिकाने पर असर पड़ सकता है. दमिश्क में ईरानी दूतावास में तोड़फोड़ की गई.
तस्वीर: Hussein Malla/AP Photo/picture alliance
कैदियों की रिहाई
विद्रोहियों ने जेलों पर कब्जा कर हजारों कैदियों को मुक्त किया, और परिवारों का पुनर्मिलन हुआ. लोग खुशी के मारे नाचते-गाते हुए सड़कों पर निकले.
तस्वीर: Roberto Pfeil/dpa/picture alliance
राष्ट्रपति महल में घुसे लोग
विदेशों में रह रहे सीरियाई शरणार्थियों ने भी इस मौके पर जश्न मनाया. जर्मनी के शहर माइंत्स में लोगों ने झंडे लहराकर खुशी मनाई. वीके/सीके (रॉयटर्स)
तस्वीर: Andreas Arnold/dpa/picture alliance
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यूरोपीय काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स की विशेषज्ञ तारेक मेगरीसी ने लीबिया में रूस के प्रभाव पर हाल ही में एक रिपोर्ट भी लिखी है. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "असद सरकार के गिरते ही सीरिया के सैन्य अड्डों से लीबिया की ओर काफी फ्लाइट्स और मालवाहक जहाज भेजे गए थे, जिनमें रूसी सामान था.”
उन्होंने आगे कहा, "इससे साफ पता चलता है कि रूस भूमध्य सागर में लीबिया को एक सुरक्षित विकल्प की तरह देखता है.”
न्यूयॉर्क स्थित थिंक टैंक 'द सूफान सेंटर' की मार्च में आई एक रिपोर्ट में सामने आया कि यह पहली बार नहीं है कि जब रूसी जहाज लीबिया के टोब्रुक नौसैनिक अड्डे पर पहुंचे हैं.
अब वतन लौटना चाहते हैं सीरिया के लोग
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यह बंदरगाह सैन्य कमांडर और लिबियन नेशनल आर्मी (एलएनए) के नेता, खलीफा हफ्तार के नियंत्रण में है. वह विभाजित लीबिया के पूर्वी हिस्से के बड़े इलाके पर शासन करते हैं.
रिपोर्ट में बताया गया कि, "जून 2024 में, दो रूसी युद्धपोत खलीफा हफ्तार के नियंत्रण वाले टोब्रुक नौसैनिक अड्डे पर पहुंचे. इस दौरे को एक प्रशिक्षण मिशन बताया गया था लेकिन असल में संभावना है कि यह लिबियन नेशनल आर्मी को हथियार (आर्टिलरी) पहुंचाने का जरिया था. जिसका इस्तेमाल त्रिपोली में मौजूद विरोधी गुटों के खिलाफ या फिर पड़ोसी देशों में पश्चिम-विरोधी सैन्य ताकतों को भेजने के लिए किया जा सकता है.”
लीबिया में खुद को मजबूत करने की कोशिश में रूस
लीबिया में रूस के लिए कुछ भाड़े के लड़ाकू गुट भी काम कर रहे है. जैसे कि पहले "वागनर ग्रुप" के नाम से जाना जाने वाला संगठन, अब "अफ्रीका कॉर्प्स" के नाम से काम कर रहा है.
मेगरीसी का कहना है कि रूस लीबिया में कई तरह के फायदे देख रहा है. कई सालों से गृह युद्ध झेल रहे इस देश में रूस अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
विशेषज्ञों ने डीडब्ल्यू को बताया कि रूस मेडिटेरेनियन सागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के लिए कोशिश कर रहा है. हालांकि, अब तक रूस इसके लिए सिर्फ सीरिया का ही सहारा ले रहा था. मेगरीसी ने यह भी बताया कि रूस वहां के स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों, खासकर ऊर्जा भंडारों से पैसा कमाने की कोशिश में था.
पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद से रूस अपना सामान बेचने के लिए नया बाजार ढूंढ रहा है. मेगरीसी ने बताया कि लीबिया रूस के हथियारों का एक अहम खरीदार भी है.
हफ्तार के बेटे ने लीबिया को ‘स्मगलिंग का अड्डा' बनाया
लीबिया के संघर्ष में रूस कई सालों से विद्रोही कमांडर खलीफा हफ्तार का समर्थन करता आ रहा है. जर्मन संस्था, कोनराड आडेनावर फाउंडेशन के साहेल क्षेत्रीय कार्यक्रम के प्रमुख, उल्फ लाजिंग ने डीडब्ल्यू को बताया, "हफ्तार अभी भी रूस का सबसे अहम साझेदार है.”
उन्होंने यह भी बताया, "रूस का लीबिया के पश्चिमी हिस्सों और राजधानी त्रिपोली के साथ भी राजनयिक संबंध है, लेकिन फिर भी उनका असल ध्यान हफ्तार पर ही है.”
लीबिया में 10 हजार लोग लापता: रेड क्रॉस
पूर्वी लीबिया में ताकतवर तूफान ने कई बांध तोड़े. अधिकारियों के मुताबिक एक पूरा जिला साफ हो चुका है.
तस्वीर: Anadolu Agency/picture alliance
मिट गया डेरना
पूर्वी लीबिया का डेरना शहर नक्शे से गायब हो चुका है. भीषण बाढ़ ने वहां दो बांध तोड़ दिए. इसके बाद कई मीटर ऊंची बाढ़ सबकुछ तबाह करते हुए आगे बढ़ी. शहर का करीब 25 फीसदी इलाका बह चुका है.
तस्वीर: AA/picture alliance
हजारों लोग लापता
डेरना एम्बुलेंस अथॉरिटी के मुताबिक डेरना में 2300 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. इंटरनेशनल रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट सोसाइटीज के लीबिया दूत के मुताबिक कम से कम 10 हजार लोग लापता हैं. बाढ़ से पहले डेरना की आबादी करीब 90 हजार थी.
तस्वीर: Omar Jarhman/REUTERS
टूट गए दो बांध
लीबिया में भूमध्यसागर से उठा डेनियल नाम का तूफान भारी बारिश लेकर आया. बारिश के चलते वादी डेरना में बाढ़ आ गई. जीवित बचे लोगों के मुताबिक उन्होंने बांध टूटने का तेज धमाका सुना और उसके बाद तो सैलाब के अलावा और कुछ नहीं दिखा.
डेरना के एक निवासी अहमद अब्दल्ला ने कहा, रविवार को आई बाढ़ के दौरान "पानी रास्ते में आने वाली हर चीज को साफ करता गया." वादी डेरेना नदी के दोनों तटों पर स्थित बहुमंजिला इमारतें अब मलबे का ढेर हैं. बड़ा इलाका कीचड़ से पटा है.
तस्वीर: Esam Omran Al-Fetori/REUTERS
ज्यादातर चीजें मलबे में बदलीं
पहाड़ी इलाके से आने वाली नदी पूरी ताकत के साथ कारों और इमारतों को समंदर तक लेकर गई. राहत और बचावकर्मियों अब कई जगहों पर एक के ऊपर एक चढ़ी कारों का ढेर दिख रहा है. बायदा, सुसा, मर्ज, शाहात में भी काफी नुकसान हुआ है.
प्रशासन के मुताबिक वादी डेरना नदी पर बनाए गए दो बांध टूटे. तेल समृद्ध देश में एक दशक से जारी हिंसा के आधार आधारभूत ढांचे पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया.
लीबिया के पूर्व तानाशाह शासन मुअम्मद गद्दाफी के इलाके बेनगाजी में भी बाढ़ ने काफी तबाही मचाई है. वहां मिस्र की सेना ने हेलिकॉप्टरों से 14 टन मेडिकल सप्लाई भेजी है. यूएन, अमेरिका, ट्यूनीशिया, अल्जीरिया, तुर्किये और यूएई ने भी राहत और बचाव में मदद करने का अश्वासन दिया है.
तस्वीर: Libysche Regierung via AP/dpa/picture alliance
ईयू ने भी मदद का हाथ बढ़ाया
यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल का कहना है कि वह लीबिया के हालात पर नजर बनाए हैं. ईयू ने लीबिया को हर संभव मदद देने का आश्वासन भी दिया है. जर्मनी, इटली और तुर्की ने भी मदद का एलान किया है.
तस्वीर: Libya Almasar TV/AP/picture alliance
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हालांकि, अब यह रिश्ता जोखिम भरा हो गया है क्योंकि हफ्तार अब 81 साल का हो चुके हैं और अमेरिका के दबाव के कारण उसका शासन कमजोर पड़ रहा है. मेगरीसी की रिपोर्ट में उजागर हुआ कि हफ्तार का बेटा सद्दाम हफ्तार पिछले कुछ सालों में रूस का मुख्य संपर्क केंद्र बन गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि उसने ही रूस को लीबिया में सैन्य अड्डे बनाने के लिए नेटवर्क उपलब्ध कराया है. सद्दाम हफ्तार के खिलाफ 2024 में स्पेन ने हथियारों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था.
मेगरीसी ने बताया, "रूस, हफ्तार के संभावित उत्तराधिकारी सद्दाम हफ्तार को मजबूती देने और लीबिया को हथियार, ड्रग्स, ईधन और इंसानों की स्मगलिंग का अड्डा बनाने के लिए इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है.”
लाजिंग ने बताया कि कई साल तक सीरिया से पूर्वी लीबिया के लिए एक निजी सीरियाई एयरलाइन फ्लाइट्स उड़ रही रही, "यह फ्लाइट्स एशियाई देशों जैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश से प्रवासियों को पूर्वी लीबिया लाती थी और वहां से उन्हें जहाजों के जरिए इटली भेज दिया जाता था.”
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तकलीफ का कारोबार
मेगरीसी का मानना है कि मानव तस्करी का एक तय तरीका होता है.
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा, "जैसे ही प्रवासी लोग लीबिया पहुंचते हैं, वह अपना अनौपचारिक वीजा (फर्जी कागजात) हफ्तार की सेना को सौंप देते हैं. जिसके बाद उन्हें तब तक हिरासत में रखा जाता है, जब तक कि तस्करी नेटवर्क से पैसे नहीं मिल जाते हैं. इन्हें कई बार कई दिन या कई हफ्तों तक बेहद अमानवीय हालात में रखा जाता है. फिर इन्हें 'लॉन्च पॉइंट्स' ले जाया जाता है, जहां से यह नावों पर लादकर यूरोप की ओर रवाना कर दिए जाते हैं. इसके बाद, सद्दाम हफ्तार को एक बार फिर भुगतान किया जाता है, ताकि उसके तटरक्षक नावों को निकलने की अनुमति दें. छोटे जहाजों के लिए प्रति प्रवासी 100 डॉलर, और बड़े जहाजों के लिए एकमुश्त 80,000 डॉलर तक का रेट तय होता है.”
भयावहः भूमध्य सागर में बचाए गए सैकड़ों लोग
एक ही नाव पर सवार 394 लोगों को बीच समुद्र में डूबने से कैसे बचाया गया, देखिए ये दिल दहलाने वाली तस्वीरें.
तस्वीर: Darrin Zammit Lupi/REUTERS
इस पार या उस पार
एक ही नाव पर सवार ये 394 लोग बेहतर जिंदगी की तलाश में भूमध्य सागर पार करने की कोशिश में थे.
तस्वीर: Darrin Zammit Lupi/REUTERS
बीच समुद्र में बचाया गया
जर्मनी और फ्रांस की सामाजिक संस्थाओं के दो जहाजों ने इन लोगों को ट्यूनिशिया के समुद्र में उत्तर अफ्रीकी तट से 68 किलोमीटर दूर बीच समुद्र में बचाया.
तस्वीर: Darrin Zammit Lupi/REUTERS
छिलते बदन, पिसते बच्चे
आप्रवासियों की नौका ठसाठस भरी थी और लोगों के बदन एक दूसरे से छिलकर घायल हो रहे थे. इनमें बच्चे भी थे.
तस्वीर: Darrin Zammit Lupi/REUTERS
डूबने का डर
नौका के इंजन ने काम करना बंद कर दिया था जिस कारण हालात गंभीर हो गए थे. उसमें पानी भरने लगा था.
तस्वीर: Darrin Zammit Lupi/REUTERS
कहां कहां के लोग
इस नौका पर सवार ज्यादातर लोग मोरक्को, बांग्लादेश, मिस्र और सीरिया के थे.
तस्वीर: Darrin Zammit Lupi/REUTERS
डूबते को दिखा तिनका
जब लोगों ने बचाने वाले जहाज देखे तो उन तक पहुंचने के लिए कुछ लोगों ने पानी में छलांग भी लगा दी.
तस्वीर: Darrin Zammit Lupi/REUTERS
घायलों को मिला इलाज
कम से कम छह लोगों को इटली के कोस्टगार्ड ने इलाज के लिए अपने सरंक्षण में ले लिया है क्योंकि उनकी हालत गंभीर है.
तस्वीर: Darrin Zammit Lupi/REUTERS
बढ़ रहे हैं भागने वाले
हाल के महीनों में लीबिया और ट्यूनिशिया से यूरोप की ओर जाने वालीं ऐसी नौकाओं की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है.
तस्वीर: Darrin Zammit Lupi/REUTERS
बढ़ रहे हैं भागने वाले
संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी संस्था इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन का कहना है कि इस साल अफ्रीका और मध्य पूर्व से भागते 1,100 से ज्यादा लोग समुद्र में डूबकर मर चुके हैं.
तस्वीर: Darrin Zammit Lupi/REUTERS
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मेगरीसी ने यह भी बताया कि कुछ प्रवासियों को लीबिया के पश्चिमी हिस्से में भी भेजा जाता है. "इससे पता चलता है कि लीबिया के सशस्त्र गुटों के लिए मुनाफे के सामने राजनीतिक सीमाएं भी कोई मायने नहीं रखती हैं.”
लीबिया तक पहुंचने के लिए प्रवासी अलग-अलग रास्ते अपनाते हैं. यह इस पर निर्भर करता है कि वह किस देश से आए हैं. अफ्रीकी से आने वाले लोग ज्यादातर जमीन के रास्ते आते हैं, जबकि एशियाई देशों जैसे पाकिस्तान या बांग्लादेश से आने वाले प्लेन के जरिए आते हैं. इसके बाद वे अलग-अलग संपर्क केंद्रों से गुजरते हुए पूर्वी लीबिया तक पहुंचते हैं, जहां उन्हें हफ्तार के नेटवर्क को सौंप दिया जाता है.
प्रवासन, एक हथियार
यहां रूस के यूरोप से जुड़े मंसूबे सामने आते हैं. मेगरीसी ने बताया, "रूस ने प्रवासन को एक हथियार बना दिया है.” उनके मुताबिक, ऐसा तब भी हुआ था जब सीरिया में युद्ध चल रहा था. उस समय रूसी विमान प्रवासियों को दमिश्क से बेलारूस की राजधानी मिंस्क लाते थे और वहां से उन्हें पश्चिमी यूरोप की ओर भेज दिया जाता था.
उन्होंने बताया कि उस समय इससे यूरोपीय संघ की बाहरी सीमाओं पर दबाव बढ़ गया था. हालांकि यह साफ नहीं है कि ऐसी फ्लाइट्स अभी भी चल रही हैं या नहीं.
रिपोर्ट: अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों का सबसे बड़ा स्रोत भारत
संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 के मुताबिक भारत अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों का सबसे बड़ा स्रोत देश है. जानिए कितने प्रवासी भारत छोड़ कर गए और कहां कहां गए.
तस्वीर: Patricia de Melo Moreira/AFP
बढ़ता प्रवासन
वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय प्रवासन मानव विकास और आर्थिक वृद्धि का संचालक है और 2022 में दुनिया में अनुमानित 28.10 करोड़ अंतरराष्ट्रीय प्रवासी थे. रिपोर्ट प्रवासन के लिए संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय संस्था (आईओएम) ने जारी की है.
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प्रवासियों द्वारा भेजी हुई रकम
रिपोर्ट में दिखाया गया है कि प्रवासियों द्वारा अपने देश वापस भेजी जाने वाली रकम में 2000 से 2022 के बीच में 650 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 2000 में इस रकम का कुल मूल्य 128 अरब डॉलर था जबकि 2022 में यह रकम बढ़ कर 831 अरब डॉलर हो गई.
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कम आय वाले देशों का फायदा
इन 831 अरब डॉलरों में 647 अरब डॉलर प्रवासियों द्वारा कम और मध्यम आय वाले देशों में भेजे गए. आईओएम के मुताबिक यह रकम इस तरह के देशों के सकल घरेलू उत्पाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकती है. वैश्विक स्तर पर यह रकम ऐसे देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को पीछे छोड़ चुकी है.
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प्रवासियों में पुरुष ज्यादा
प्रवासियों में जेंडर गैप पिछले 20 सालों में लगातार बढ़ता ही गया है और इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रवासियों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की संख्या ज्यादा है. 2000 में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों में 50.6 प्रतिशत पुरुष थे तो 49.4 प्रतिशत महिलाएं थीं. लेकिन 2020 में पुरुषों का आंकड़ा 51.9 प्रतिशत (14.6 करोड़) पर और महिलाओं का आंकड़ा 48.1 प्रतिशत (13.5 करोड़) पर आ गया.
तस्वीर: Clare Roth/DW
कहां जाते हैं सबसे ज्यादा प्रवासी
अमेरिका अंतरराष्ट्रीय प्रवासन का सबसे बड़ा गंतव्य देश है. इसके बाद स्थान है जर्मनी, सऊदी अरब, रूस, ब्रिटेन और फिर यूएई का. दिलचस्प बात है कि यूरोपीय देशों, अमेरिका और कनाडा को चुनने वाले प्रवासियों में महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा है.
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भारत से सबसे ज्यादा प्रवासन
भारत से सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रवासी अपना देश छोड़ कर दूसरे देश जा रहे हैं. 2022 में भारत से जाने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या करीब 1.70 करोड़ थी. इनमें करीब 60 लाख महिलाएं थीं और बाकी सब पुरुष.
तस्वीर: Hans Lucas/IMAGO
प्रवासन की मजबूरी
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संघर्ष, हिंसा, आपदा और अन्य वजह से दुनिया भर में विस्थापित लोगों की आबादी 11.70 करोड़ हो गई है, जो आधुनिक युग में सबसे बड़ी संख्या है.
तस्वीर: Adrees Latif/REUTERS
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मेगरीसी ने कहा कि असद के सत्ता से हटने के बाद से प्रवासन का रुख अब साहेल क्षेत्र की ओर मुड़ चुका है. रूसी मिलिशिया, अब वहां इस बात का ध्यान रख रहा हैं कि अधिक से अधिक लोग यूरोप की ओर पहुंच सकें. और साथ ही, वह सद्दाम हफ्तार के साथ मिलकर काम भी कर रहा है.
मेगरीसी का मानना है कि यूरोप अगर मानव तस्करी को रोकना चाहता है, तो उसे प्रवासियों को सुरक्षित रास्ते उपलब्ध कराने होंगे और यूरोप पहुंचने पर उनकी उचित जांच करनी होगी, ताकि प्रवासियों को सुरक्षित रास्ते मिल सके और तस्करों का धंधा बंद हो सके.