कोविड-19 महामारी से महाराष्ट्र में हालात काबू में होते नजर नहीं आ रहे हैं. सोमवार 20 अप्रैल को राज्य में 466 नए मामले सामने आए और नौ लोगों की जान चली गई.मुंबई में घनी आबादी वाली बस्तियां और अधिक खतरे का सामना कर रही हैं.
विज्ञापन
मुंबई की धारावी बस्ती में रहने वाले लोग तंग और सामानों से भरे घरों में रहते हैं. मुंबई की विशाल झुग्गी बस्ती के निवासी लॉकडाउन के दौरान खाद्य संकट से भी जूझ रहे हैं. लेकिन 25 मार्च को जब से लॉकडाउन लगा है यहां रहने वालों की चिंता बढ़ गई है. नजमा मोहम्मद कहती है, "जब मैं बाहर काम के लिए जाती थी तो अपने बच्चों को खाना खिला पाती थी, लेकिन अब सिर्फ दुख है और कोई काम नहीं." नजमा कपड़ों की दुकान में काम करती थी जो अब बंद है.
वह बताती है कि उसके तीन बच्चे पड़ोसी द्वारा दिए भोजन पर निर्भर रहते हैं. धारावी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती मानी जाती है. यहां लोगों को घरों में बंद रखना कठिन काम है. कोरोना वायरस के कारण यह बस्ती संक्रमण के सबसे अधिक खतरे में भी है क्योंकि यहां आबादी घनी है. इस बस्ती में साफ सफाई भी सालों से चुनौती रही है. कई बार सैकड़ों लोग एक ही स्नानघर इस्तेमाल करते हैं. स्वच्छ पानी की गारंटी नहीं है और अब तो साबुन की भी सुविधा नहीं है.
झारखंड के रहने वाले प्रवासी श्रमिक नामचंद मंडल कहते हैं, "कुछ भी हो सकता है. इस कमरे में नौ लोग हैं. हम लोग कभी भी खतरे में आ सकते हैं." धारावी में अब तक कोरोना वायरस महामारी के 138 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. लेकिन जानकारों को डर है कि आंकड़े बढ़ भी सकते हैं. मुंबई की झुग्गी बस्तियों पर विरोलॉजिस्ट शाहिद जमील कहते हैं, "मैं बहुत चिंतित हूं. यह सिर्फ समय की बात है." मुंबई की एक करोड़ बीस लाख आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा झुग्गी बस्तियों में रहता है. कोरोना वायरस को लेकर चिंतित लोग मास्क की जगह रुमाल या फिर आस्तीन से मुंह ढंक कर चलते हैं. कुछ लोगों ने गलियों को ठेले, डंडे और बोर्ड लगाकर बाहरी लोगों के लिए बंद कर दिया है. फिर भी कई लोगों का कहना है कि उनके लिए छोटे कमरे में दिन भर रहना नामुमकिन है. ये वो कमरे हैं जिन्हें दिहाड़ी मजदूर पारी के हिसाब से इस्तेमाल करते आए हैं. झुग्गी बस्ती के भीतर अनौपचारिक बाजार लगा हुआ है. कुछ लोग समय गुजारने के लिए शतरंज खेल रहे हैं या अपने मोबाइल पर वीडियो देख रहे हैं. बच्चे भी बाहर क्रिकेट खेल रहे हैं.
सुबह-सुबह एक दर्जी अपनी दुकान खोलता है ताकि वह कुछ पैसे कमा सके क्योंकि दिन चढ़ते ही पुलिस वाले लॉकडाउन लागू कराने के लिए पहुंच जाते हैं. पुलिस ऐसे लोगों को सजा देती है जो लॉकडाउन का पालन नहीं करते हैं. पुलिस उन्हें धूप में बिठा देती है, उठक-बैठक कराती है या फिर कई बार लाठी से मारती भी है. धारावी में एक पुलिस अधिकारी कहता है, "बहुत मुश्किल है. हमारी बात कोई नहीं सुनता है." वह पुलिस वाला बताता है कि कैसे कुछ बैंक कर्मचारी विशेष पास अपने दोस्तों के साथ साझा कर रहे थे ताकि वे आसानी से घूम सके. हालांकि लॉकडाउन पास के उल्लंघन के मामले पर पुलिस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
दुनिया के जिन शहरों में हर वक्त धड़ाधड़ तस्वीरें खिंची जाती थीं, वहां अब पंछियों के तराने सुनाई पड़ रहे हैं. एक नजर आराम करती धरोहरों पर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Kneffel
जर्मनी: म्यूनिख
आल्प्स पहाड़ों की तलहटी पर बसे शहर म्यूनिख का मरीनप्लात्स एक खाली ओपन थिएटर सा दिखता है. कई दशकों बाद यहां ऐसी वीरानी पसरी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Kneffel
इटली: रोम
रोम के इस मशहूर झरने में हर साल लाखों लोग सच्चे प्यार की खातिर सिक्के फेंकते थे. आज बार्कासिया फव्वारा सामने की खाली सीढ़ियों को देख रहा है.
तस्वीर: picture alliance/dpa
स्पेन: बार्सिलोना
ला रामब्ला नाम की यह जगह हर दिन सैलानियों और स्थानीय लोगों से ठसाठस भरी रहती थी. लेकिन कोरोना वायरस के चलते अब यह स्ट्रीट कबूतरों के हवाले है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/X. Bonilla
फ्रांस: पेरिस
भारत के इंडिया गेट जैसा दिखता ये गेट शॉ एलीजे कहा जाता है. फ्रांस के राष्ट्रपति और देश का दौरा करने वाले विदेशी राष्ट्रप्रमुख इसी रास्ते से गुजरते हैं. इन दिनों यह तस्वीर जैसा लगता है.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/Tang Ji
ब्रिटेन: लंदन
थेम्स नदी पर बना यह पुल लंदन की पहचान है. आम तौर पर अप्रैल में नदी में नावें और पुल पर लोगों और गाड़ियों का आवाजाही रहती है. अब सिर्फ कुछ लोग ही पुल के जरिए नदी पार करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot
तुर्की: इस्तांबुल
रोमन साम्राज्य का चर्च और फिर ओटोमन साम्राज्य की मस्जिद, इस्तांबुल की हाजिया सोफिया इमारत और उसके आस पास का बाग भी इन दिनों आराम फरमा रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/Xu Suhui
रूस: मॉस्को
इसी सड़क से पीटर द ग्रेट मॉस्को में दाखिल हुआ. टवेरस्काया स्ट्रीट और उसकी ये इमारतें मॉस्को का दिल हैं. कुछ ही दिनों पहले यहां डिसइंफेक्शन अभियान चलाया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Sputnik/G. Sysoev
मिस्र: गीजा का पिरामिड
गीजा के महान पिरामिड तक अब कुछ कर्मचारी ही आते हैं. वे इसकी देखरेख करते हैं. इस पिरामिड ने अभी तक न जाने कितनी बार इंसानी सभ्यताओं को बसते और उजड़ते हुए देखा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Hamdy
सऊदी अरब: मक्का
यह धरती पर मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र जगहों में से एक है. हर साल यहां 30 लाख श्रद्धालु आते हैं. लेकिन इस साल दो अप्रैल से यहां कर्फ्यू लगा है. पूरी तरह ढके कर्मचारी बीच बीच में यहां सफाई करने आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/A. Nabil
भारत: आगरा
प्यार का प्रतीक ताजमहल अब सिर्फ सुरक्षाकर्मियों की देखरेख में है. यमुना के तट पर स्थित इस नायाब धरोहर को देखने हर साल करोड़ों लोग आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AA
अमेरिका: न्यूयॉर्क
न्यूयॉर्क का टाइम्स स्वेयर लोगों और चहल पहल के बिना भूतिया सा दिखता है. कभी न सोने वाले शहर फिलहाल कोरोना के चलते कोमा में चला गया है.
तीन तरफ से पहाड़ों से घिरने के बावजूद अंतहीन सा लगने वाला बीच, एक चोटी पर ईसा मसीह की हाथ फैलाती विशाल प्रतिमा. कोरोना ने अल्हड़ मिजाज शहर को भी नजर लगा दी.
तस्वीर: picture-alliance/AA/F. Teixeira
ऑस्ट्रेलिया: सिडनी
सिडनी का मशहूर ओपेरा हाउस. ऑस्ट्रेलिया जाने वाले ज़्यादातर पर्यटक इसके आस पास तस्वीर जरूर खिंचते हैं. लेकिन फिलहाल यहां पंछियों के गीत सुनाई पड़ रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Aap/B. De Marchi
चीन: द ग्रेट वॉल
मार्च अंत में चीन ने आंशिक रूप से सैलानियों के खोला. इससे पहले दो महीने तक यह दीवार भी वीरान हो गई थी. (आंद्रेयास क्रिशहॉफ/ओएसजे)