ग्रामीण भारत की महिलाएं स्मार्टफोन की मदद से अपना छोटा व्यापार चला रही हैं और कोरोना काल में वित्तीय संकट से निकलने की कोशिश में लगी हुईं हैं.
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लालाजी बिसे की सबसे कीमती और आखिरी तस्वीर उनके पति की है, जो उन्होंने अपनी मौत से पहले अस्पताल से व्हॉट्सऐप पर भेजी थी. किसान पति के पिछले महीने अस्पताल में भर्ती हो जाने के बाद बिसे को घर पर क्वारंटीन होना पड़ा. लेकिन वह अपने स्मार्टफोन की मदद से पति से लगातार जुड़ी रही. यह स्मार्टफोन उन्हें एक स्थानीय गैर-लाभकारी संगठन ने दिया था, जिसे वह अपने छोटे से नमकीन के व्यापार के लिए इस्तेमाल करती हैं.
भारत के कोविड-19 संकट ने एक व्यापक डिजीटल विभाजन को उजागर किया है. कई जमीनी समूहों को गरीब महिलाओं को खराब इंटरनेट के साथ स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय समर्थन या सिर्फ अपने प्रियजनों के संपर्क में रहने को लेकर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया है.
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र के निंभोरे गांव से बिसे थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से कहती हैं, "मुझे पहले व्हॉट्सऐप या वीडियो कॉलिंग के बारे में पता नहीं था." दो बच्चों की मां कहती है, "अगर मेरे पास यह मोबाइल नहीं होता तो मैं अपने पति को कभी देख नहीं पाती." उनकी आवाज से ही सदमे का पता चल जाता है और वह अब भी बीमारी के कारण कमजोर हैं.
भारत में कोरोना महामारी के कारण अब तक 3.92 लाख लोगों की मौत हो चुकी है और तीन करोड़ से अधिक लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. घातक दूसरी लहर, जो अप्रैल और मई में चरम पर थी, उसने स्वास्थ्य सेवाओं को घुटने के बल पर ला दिया.
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उच्च शिक्षा में आगे बढ़ रही हैं लड़कियां
ताजा सरकारी आंकड़े दिखा रहे हैं कि उच्च शिक्षा के जिन क्षेत्रों में लड़कियों लड़कों से पीछे थीं, अब वो उनमें आगे आ रही हैं. जानिए किन क्षेत्रों को पहले ही अपना चुकी हैं लड़कियां और किन क्षेत्रों को अब धीरे धीरे अपना रही हैं.
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कुल नामांकन बढ़ा
2019-20 में उच्च शिक्षा में कुल 3.85 करोड़ छात्रों ने दाखिला लिया. 2018-19 के मुकाबले इस संख्या में 11.36 लाख (3.04 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई. 2014-15 में यह संख्या 3.42 करोड़ थी.
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लड़कियां आ रहीं आगे
2015-16 से 2019-20 के बीच उच्च शिक्षा हासिल करने वाली लड़कियों की संख्या (सकल नामांकन दर) 18.2 प्रतिशत बढ़ी है. यह सामान्य नामांकन दर में आई 11.4 प्रतिशत की वृद्धि से ज्यादा है. इस उछाल की वजह से देश में उच्च शिक्षा में लड़कियों की नामांकन दर अब 27.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जबकि लड़कों की नामांकन दर 26.9 प्रतिशत पर ही है.
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कॉमर्स अपना रही लड़कियां
कॉमर्स एक नया क्षेत्र बन कर उभरा है जिसमें लड़कियों का नामांकन बढ़ रहा है. 2019-20 में पूरे देश में कुल मिला कर 41.6 लाख छात्रों ने बी.कॉम के कोर्स में दाखिला लिया. इनमें 21.3 लाख लड़के थे तो 20.3 लाख लड़कियां. पांच साल पहले तक बी.कॉम में हर 100 लड़कों पर 90 लडकियां हुआ करती थीं, लेकिन अब यह अनुपात बराबर हो गया है.
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गिरा तीसरा बैरियर
बी.कॉम ऐसा तीसरा कोर्स बन गया है जिसमें पिछले पांच सालों में लड़कियों ने लड़कों की बराबरी कर ली है. 2017-18 में डॉक्टरी की पढ़ाई यानी एमबीबीएस और विज्ञान के स्नातक कोर्स यानी बी.एससी में यही हुआ था. बल्कि तब से डॉक्टरी और विज्ञान के स्नातक कार्यक्रमों में लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है.
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डॉक्टरी और विज्ञान की पढ़ाई
2017-18 में विज्ञान की पढ़ाई में हर 100 लड़कों पर 100 लड़कियां थीं और डॉक्टरी की पढ़ाई में हर 100 लड़कों पर 101 लड़कियां थीं. अब हर 100 लड़कों पर विज्ञान में 113 लड़कियां हैं और डॉक्टरी में 110.
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कुछ क्षेत्रों में पीछे
इंजीनियरिंग और कानून की पढ़ाई में लड़कियां अभी भी पीछे हैं. बी. टेक के कार्यक्रमों में हर 100 लड़कों पर सिर्फ 42 लड़कियां हैं, और कानून की पढ़ाई में हर 100 लड़कों पर सिर्फ 53 लड़कियां.
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इंजीनियरिंग की गिरती लोकप्रियता
लेकिन आंकड़े दिखा रहे हैं कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई की लोकप्रियता ही गिर रही है. एक तरफ जहां सभी मुख्य उच्च शिक्षा के कार्यक्रमों में नामांकन बढ़ा है, इंजीनियरिंग एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जिसमें छात्रों की संख्या गिरी है. स्नातक स्तर पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई में 2018-19 में 38.5 लाख छात्रों के मुकाबले 2019-20 में 37.2 लाख छात्रों ने दाखिला लिया. स्नातकोत्तर स्तर पर भी नामांकन में गिरावट आई है.
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डिजीटल फासला
2018 हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार भारत में दुनिया का सबसे बड़ा डिजीटल अंतर है, लिंग के आधार पर. दो तिहाई पुरुषों के मुकाबले एक तिहाई महिलाओं के पास ही खुद का मोबाइल है. लेकिन यह अंतर ग्रामीण इलाकों में बढ़ जाता है. जहां महिलाएं डिजीटल रूप से साक्षर भी कम होती हैं.
जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि महिलाओं की मदद करने में स्मार्टफोन सहायक हो सकते हैं. इससे उन्हें अधिक स्वायत्तता मिल सकती है और वे सूचना और सेवा हासिल कर सकती हैं.
ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने का काम करने वाले संगठन मन देशी ने महाराष्ट्र के सतारा जिले की ग्रामीण महिलाओं को स्मार्टफोन दिए हैं. संगठन का कहना है कि स्मार्टफोन ने महामारी के दौरान महिलाओं को आर्थिक रूप से जीवित रहने में मदद की.
बनपूरी गांव की 25 वर्षीय ज्योति देवकर को जब स्मार्टफोन मिला तो उन्होंने सबसे पहले अपने कंप्यूटर पार्ट्स के स्टोर के लिए एक फेसबुक पेज बनाने के बारे में सीखा. उन्होंने ऑनलाइन भुगतान कैसे स्वीकार करें इसकी भी जानकारी अपने स्मार्टफोन से ही ली.
कोरोना के कारण जब ज्योति अस्पताल में भर्ती थी तब उन्होंने फोन की मदद से अपना बिजनेस चलाया. ज्योति बताती हैं, "मैं वीडियो कॉल के जरिए परिवार के सदस्यों से संपर्क में रहती थी. लेकिन मरीजों से भरे वार्ड में रहना मुश्किल भरा था. इसलिए मैंने काम करना जारी रखा."
एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
विक्टोरियाज सीक्रेट ने चुनीं सात नई मॉडल
अमेरिकी कंपनी विक्टोरियाज सीक्रेट अपनी छवि बदलने की कोशिश में है. महिलाओं के वस्तुकरण का आरोप झेल रही कंपनी ने अब सात नए मॉडल के साथ काम शुरू किया है.
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प्रियंका चोपड़ा
भारतीय अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा उन सात मॉडल्स में शामिल हैं, जिन्हें विक्टोरिया सीक्रेट ने चुना है.
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मेगन रैपिनो
मेगन रैपिनो अमेरिका की फुटबॉल स्टार हैं. वह एक समलैंगिक हैं और महिलाओं व समलैंगिकों के अधिकारों के लिए काम करती हैं. विक्टोरियाज सीक्रेट का कहना है कि अब वह अपनी ब्रैंड में बहुत ज्यादा सेक्स परोसने से बचना चाहती है
तस्वीर: Cindy Ord/Getty Images
वैलेन्टीना सांपियो
ब्राजील की ट्रांसजेंडर मॉडल वैलेन्टीना सांपियो विविधता का एक और चेहरा होंगी. विक्टोरियाज सीक्रेट ने महिलाओं के वस्तुकरण के आरोपों के चलते 2019 से अपना बेहद चर्चित फैशन शो बंद कर दिया था
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अमांडा डे कैडेनेट
ब्रिटिश मूल की फोटोग्राफर अमांडा अमेरिका के कैलिफॉर्निया में रहती हैं. 49 साल की अमांडा एक लेखिका भी हैं और टीवी कार्यक्रम भी प्रस्तुत करती हैं.
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आईलीन गू
फ्री स्टाइल स्कीइंग में वर्ल्ड चैंपियन आईलीन अमेरिका में जन्मी हैं लेकिन चीन की ओर से खेलती हैं. इसी साल अपने पहले एक्स गेम्स में तीन मेडल जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया था.
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पालोमा एलसेसर
ब्रिटेन में जन्मीं अमेरिकी और स्विस मूल की एलसेसर एक प्लस साइज मॉडल हैं. विक्टोरियाज सीक्रेट की कोशिश है कि महिलाओं के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो.
तस्वीर: Jerrizz Clark/Getty Images
एडट आकेच बायर
साउथ सूडानी मूल की आकेच ऑस्ट्रेलिया में मॉडलिंग करती हैं. 21 साल की आकेच मॉडलिंग की दुनिया का बड़ा नाम हैं.