जिंदगी की छोटी मोटी परेशानियां
१९ फ़रवरी २०१८
जिंदगी का निचोड़ हैं ये 11 जर्मन कहावतें
कहावतें हर भाषा में होती है और उसकी खूबसूरती को बढ़ाती हैं. जर्मन में भी कहावतों की कमी नहीं है. यहां पेश हैं कुछ चुनिंदा जर्मन कहावतें. उनके आधार बने ये चित्र खास तौर से डीडब्ल्यू के लिए बनाए गए हैं.
जिंदगी का निचोड़ हैं ये 11 जर्मन कहावतें
कहावतें हर भाषा में होती है और उसकी खूबसूरती को बढ़ाती हैं. जर्मन में भी कहावतों की कमी नहीं है. यहां पेश हैं कुछ चुनिंदा जर्मन कहावतें. उनके आधार बने ये चित्र खास तौर से डीडब्ल्यू के लिए बनाए गए हैं.
सुंदर दिखना है तो तकलीफ भी झेलनी होगी
कहावतों के जर्मन विशेषज्ञ भी नहीं जानते कि यह कहावत कहां से आई लेकिन इसका मतलब साफ है: खूबसूरती कुर्बानी मांगती है. लड़कियां मॉडल बनने के लिए भूख बर्दाश्त करती हैं, तो कई लोग शरीर पर टैटू बनवाते हैं. इस सिलसिले में आपने अंग्रेजी की कहावत भी सुनी होगी- "नो पेन, नो गेन."
जहाज डूबता है तो चूहे सबसे पहले भागते हैं
पुराने जमाने में जब लोग समंदरी जहाजों में सफर करते थे तो नीचे वाले हिस्से में कोई दरार पड़ने पर चूहे ऊपर आने शुरू हो जाते थे. इससे लोग मानने लगे कि चूहे किसी आने वाले खतरे का संकेत देते हैं. आजकल ये कहावत उन लोगों पर इस्तेमाल की जाती है जो मुश्किल वक्त में किसी संस्था को छोड़ने लगते हैं.
मछली हमेशा सिर से सड़ने लगती है
जब मछली मरती है तो उसका सिर सबसे पहले गलना शुरू होता है और इसीलिए बदबू भी सबसे पहले वहीं से आती है. यह कहावत तब कही जाती है जब नेतृत्व ही अपनी बनाई पार्टी या कंपनी की बर्बादी का कारण बनने लगता है. 2000 में जर्मनी के तत्कालीन चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर ने एक अन्य पार्टी के मुख्यमंत्री के लिए इस कहावत को इस्तेमाल कर सुर्खियों में ला दिया.
इंसान जिस डाल पर बैठा हो उसे नहीं काटता
हिंदी में भी इस कहावत को इस्तेमाल किया जाता है. इससे मिलती जुलती और भी कहावतें हैं जैसे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना या फिर जिस थाली में खाना उसी में छेद करना. मतलब यह है कि इंसान ऐसे कई काम कर लेता है, जिससे उसका खुद का ही नुकसान होता है. यह जर्मन कहावत ऐसा न करने का मशविरा देती है.
बोलना चांदी, खामोशी सोना
इस जर्मन कहावत का सार यह है कि जब तक आप मुंह न खोलें तो लोग आपके बारे में कोई अपनी राय नहीं बना सकता. जैसे ही आप बोलते हैं तो आपकी असलियत उजागर हो जाती है. हिंदी में भी इससे कुछ मिलती जुलती कहावतें हैं: एक चुप सौ को हराता है या फिर बंद मुट्ठी लाख की, खुली तो खाक की.
एक हाथ दूसरे को धोता है
इस जर्मन कहावत का मतलब यह है कि मुजरिम एक दूसरे की मदद करते हैं. जैसे एक अमीर व्यक्ति भ्रष्ट राजनेता को पैसे देता है. फिर बदले में वह भ्रष्ट राजनेता उस अमीर व्यक्ति को मदद पहुंचाने की कोशिश करता है. पता लगाना मुश्किल है कि मदद कहां खत्म होती है और भ्रष्टाचार कहां से शुरू होता है.
छत पर बैठे कबूतर से हाथ में आई चिड़िया भली
हिंदी में हम कहते हैं: भागते भूत की लंगोटी सही. कुछ यही संदेश इस जर्मन कहावत में भी दिया गया है कि जो हाथ में है उसी से संतोष करो और ज्यादा से ज्यादा हासिल करने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. अंग्रेजी में भी मिलती जुलती कहावत है जिसके मुताबिक हाथ में आया एक पक्षी झाड़ पर बैठे दो पक्षियों से बेहतर है.
ज्यादा बावर्ची हो तो खाने का सत्यानाश
इस जर्मन मुहावरे का मतलब सीधा सादा है कि बिना नेतृत्व के बहुत सारे लोग जब किसी काम को करने लग जाते हैं तो उसका खराब होना तय मानिए. जर्मनी में देखा जाता है कि किसी काम को भले ही कितने लोग करें लेकिन उन्हें निर्देश कोई एक ही व्यक्ति देता है.
शीशे के घर में बैठकर दूसरों पर पत्थर न फेंकें
इस कहावत का मतलब साफ है कि अपने अंदर बुराई होते हुए दूसरे को बुरा भला नहीं कहना चाहिए. हो सकता है यह कहावत पढ़ कर आपको 'वक्त' फिल्म में राजकुमार का यह डायलॉग याद आ रहा हो - "चिनॉय सेठ, जिनके अपने घर शीशे के हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते!"
झूठ के पांव छोटे होते हैं
यह मुहावरा कई भाषाओं में पाया जाता है. छोटे पांव से यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि छोटे कद के लोग ज्यादा झूठ बोलते हैं, बल्कि इसका अर्थ यह है कि झूठ ज्यादा देर तक नहीं चल पाता है. एक तरह से यह लोगों को नसीहत भी है कि झूठ न बोलें, क्योंकि पोल खुलने में देर नहीं लगती है.
हर शख्स अपनी किस्मत खुद बनाता है
इस कहावत का शाब्दिक अर्थ यह है कि हर व्यक्ति अपनी किस्मत को खुद गढ़ता है. मतलब जितनी ज्यादा मेहनत आप करेंगे उतनी बेहतर आपकी किस्मत बनेगी. हिंदी में भी हम अक्सर कहते हैं हर इंसान अपनी किस्मत खुद लिखता है.