गणित के समीकरण सुलझाते समय जो प्रकाश हमारी मदद करेगा, क्या कविता-कहानी लिखते समय भी वही प्रकाश हमारी क्रिएटिविटी बढ़ाने के काम आएगा?
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प्रकाश हमारी सोच, रचनात्मकता और कार्यक्षमता पर गहरा असर डालता है. लेकिन गणित के समीकरण सुलझाते समय जैसा प्रकाश हमारी मदद करेगा, क्या कविता-कहानी लिखते समय भी वही प्रकाश हमारी क्रिएटिविटी बढ़ाने के काम आएगा? कोलोन की टेक्निकल यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक ऐसे लाइट कंट्रोल सिस्टम बनाना चाहते हैं, जो भविष्य में हमारे तमाम कामों में मददगार होंगे.
रिसर्च टीम में एक डॉक्टर और एक इंजीनियर हैं. दोनों ही एलईडी के मुरीद हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एलईडी के प्रकाश को सघन किया जा सकता है, इतना ही नहीं, लाइट की ब्राइटनेस को कंट्रोल भी किया जा सकता है. न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. वाल्टर-उवे वाइटब्रेष्ट कहते हैं, "हैरानी इस बात पर हुई कि पहले तो हमें समझ ही नहीं आया कि सूरज की रोशनी और कृत्रिम रोशनी का अलग अलग असर न सिर्फ हमारे व्यवहार और अनुभूति पर होता है, बल्कि कलर टेम्प्रेचर भी इसमें भूमिका निभाता है."
तस्वीरों में: अद्भुत है इंसान का शरीर
अद्भुत है इंसान का शरीर
शरीर अपने आप में एक चमत्कार है. इंसान को जिंदा रखने के लिए हर दिन वह करोड़ों काम करता है. एक नजर शरीर में मौजूद नायाब दुनिया पर.
तस्वीर: Fotolia/Peter Hermes Furian
जबरदस्त फेफड़े
हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे.
तस्वीर: Fotolia/Sebastian Kaulitzki
ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं
हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.
तस्वीर: Fotolia
लाखों किलोमीटर की यात्रा
इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है.
तस्वीर: Colourbox
धड़कन, धड़कन
एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है.
तस्वीर: Fotolia/Stefan Körber
सारे कैमरे और दूरबीनें फेल
इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके.
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नाक में एंयर कंडीशनर
हमारी नाक में प्राकृतिक एयर कंडीशनर होता है. यह गर्म हवा को ठंडा और ठंडी हवा को गर्म कर फेफड़ों तक पहुंचाता है.
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400 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार
तंत्रिका तंत्र 400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शरीर के बाकी हिस्सों तक जरूरी निर्देश पहुंचाता है. इंसानी मस्तिष्क में 100 अरब से ज्यादा तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं.
तस्वीर: Imago
जबरदस्त मिश्रण
शरीर में 70 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्बन, जिंक, कोबाल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, निकिल और सिलिकॉन होता है.
तस्वीर: Imago/McPhoto
बेजोड़ झींक
झींकते समय बाहर निकले वाली हवा की रफ्तार 166 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. आंखें खोलकर झींक मारना नामुमकिन है.
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बैक्टीरिया का गोदाम
इंसान के वजन का 10 फीसदी हिस्सा, शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. एक वर्ग इंच त्वचा में 3.2 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं.
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ईएनटी की विचित्र दुनिया
आंखें बचपन में ही पूरी तरह विकसित हो जाती हैं. बाद में उनमें कोई विकास नहीं होता. वहीं नाक और कान पूरी जिंदगी विकसित होते रहते हैं. कान लाखों आवाजों में अंतर पहचान सकते हैं. कान 1,000 से 50,000 हर्ट्ज के बीच की ध्वनि तरंगे सुनते हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa
दांत संभाल के
इंसान के दांत चट्टान की तरह मजबूत होते हैं. लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से अपनी मरम्मत खुद कर लेते हैं, वहीं दांत बीमार होने पर खुद को दुरुस्त नहीं कर पाते.
तस्वीर: Colourbox
मुंह में नमी
इंसान के मुंह में हर दिन 1.7 लीटर लार बनती है. लार खाने को पचाने के साथ ही जीभ में मौजूद 10,000 से ज्यादा स्वाद ग्रंथियों को नम बनाए रखती है.
तस्वीर: Colourbox/rufar
झपकती पलकें
वैज्ञानिकों को लगता है कि पलकें आंखों से पसीना बाहर निकालने और उनमें नमी बनाए रखने के लिए झपकती है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुनी बार पलके झपकती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Rehder
नाखून भी कमाल के
अंगूठे का नाखून सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ता है. वहीं मध्यमा या मिडिल फिंगर का नाखून सबसे तेजी से बढ़ता है.
तस्वीर: picture-alliance/ZB
तेज रफ्तार दाढ़ी
पुरुषों में दाढ़ी के बाल सबसे तेजी से बढ़ते हैं. अगर कोई शख्स पूरी जिंदगी शेविंग न करे तो दाढ़ी 30 फुट लंबी हो सकती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Karmann
खाने का अंबार
एक इंसान आम तौर पर जिंदगी के पांच साल खाना खाने में गुजार देता है. हम ताउम्र अपने वजन से 7,000 गुना ज्यादा भोजन खा चुके होते हैं.
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मजे के लिए सेक्स
सिर्फ इंसान और डॉल्फिन मछली ही मजे के लिए सेक्स करते हैं. बाकी जीव बच्चे पैदा करने के लिए सेक्स करते हैं.
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बाल गिरने से परेशान
एक स्वस्थ इंसान के सिर से हर दिन 80 बाल झड़ते हैं.
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सपनों की दुनिया
इंसान दुनिया में आने से पहले ही यानी मां के गर्भ में ही सपने देखना शुरू कर देता है. बच्चे का विकास वसंत में तेजी से होता है.
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नींद का महत्व
नींद के दौरान इंसान की ऊर्जा जलती है. दिमाग अहम सूचनाओं को स्टोर करता है. शरीर को आराम मिलता है और रिपेयरिंग का काम भी होता है. नींद के ही दौरान शारीरिक विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स निकलते हैं.
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ये खोज कोलोन यूनिवर्सिटी में ही हुई. इसके लिए 50 स्टूडेंट्स पर एक टेस्ट किया गया. सभी स्टूडेंट्स ने टेस्ट में सवालों के जवाब दिए. प्रयोग के समय और सवालों में बदलाव नहीं किया गया, बस सिर्फ एलईडी लाइट बदली गई. लाइट के टेम्प्रेचर को सावधानी से बदला गया. इस दौरान धड़कन जैसे सेहत के पैमानों को इस दौरान सेंसर से दर्ज किया गया.
नतीजा दिखाता है कि एलईडी लाइट के कलर टेम्प्रेचर में किए बदलाव का असर छात्रों के रिजल्ट पर भी पड़ा. भौतिक विज्ञानी प्रो. हार्टमुट बेयरवोल्फ बताते हैं, "वॉर्म, सफेद लाइट में क्रिएटिविटी में इजाफा हुआ. दूसरी ओर तर्क संबंधी चुनौतियों का कोल्ड व्हाइट लाइट में बेहतर हल निकला. इसीलिए एक्जाम में कोल्ड, व्हाइट लाइट बेहतर होगी. और अगर हम क्रिएटिव होना चाहते हैं तो हमारे पास वॉर्म व्हाइट लाइट सोर्स होना चाहिए."
यह भी देखिए, अब ऐसे हवाई जहाज बनेंगे
अब ऐसे हवाई जहाज बनेंगे
भविष्य में ऐसे विमानों की जरूरत होगी जिनमें ईंधन की खपत कम से कम हो. इसलिए विशेषज्ञ ऐसे हवाई जहाजों के डिजाइन तैयार करने पर काम कर रहे हैं.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
डिजाइन है अहम
विशेषज्ञों का कहना है कि विमान का सही डिजाइन ईंधन की कम खपत में मददगार साबित हो सकता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए जर्मन एयरोस्पेस सेंटर डीएलआर ने "ब्लैंडिड विंग बॉडी" डिजाइन बनाया है. इसमें विमान के कैबिन और पंखों को जोड़ दिया गया है.
तस्वीर: DLR
साफ स्वच्छ उड़ान
दुनिया भर में कार्बन डाई ऑक्साइड का तीन प्रतिशत उत्सर्जन विमानों के आवागमन से होता है. यूरोपीय आयोग ने 2050 तक इसमें एक तिहाई की कमी करने की मांग की है. इस तस्वीर में बिजली से उड़ने वाले एक विमान के डिजाइन की कल्पना की गई जो जहरीली गैस के उत्सर्जन को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
ताकतवर इलेक्ट्रिक इंजन
इलेक्ट्रिक विमानों को जमीन से आसमान में ताकतवर इंजनों की मदद से ही पहुंचाया जा सकता है. इन इंजनों में केबल और वायरिंग बिजली मुहैया कराने में किसी किस्म की रुकावट पैदा नहीं करेगी. लेकिन इसके लिए बैटरियों का वजन आज के मुकाबले कम करना होगा.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
जेट इंजन नहीं, बड़े प्रोपेलर
आधुनिक शक्तिशाली इंजनों के मुकाबले घूमने वाले ओपन रोटर्स ज्यादा असरदार साबित होंगे. ये एक टरबाइन या प्रोपेलर की तरह काम करते हैं. प्रयोगों से साबित होता है कि इस तरह ईंधन की और 20 फीसदी तक बचत हो सकती है. ये रोटर्स व्यास में पांच मीटर तक हो सकते हैं.
तस्वीर: DLR
कम खर्च लेकिन शोर बहुत
बेहतर होगा कि इन खुले हुए टोटर्स को विमान के पीछे वाले हिस्से में लगाया जाए. ईंधन की बचत के साथ ऐसे विमानों में सफर करना आजकल के मुकाबले कुछ धीमा होगा. यानी जिस सफर में अभी दो घंटे लगते हैं, उसके लिए इस विमान में आपको सवा दो घंटे लगाने होंगे. लेकिन इन खुले रोटर्स का नुकसान ये है कि इसमें शोर बहुत होगा.
तस्वीर: DLR
सूरज की रोशनी से उड़ान
यह है सौर ऊर्जा से उड़ने वाले सोलर इंपल्स विमान. दुनिया का चक्कर लगाने वाले इस विमान से भी भविष्य की झलक मिलती है. लेकिन अभी तो यह एक घंटे में सिर्फ 70 किलोमीटर उड़ता है और भारी वजन भी साथ नहीं ले जा सकता है.
तस्वीर: Reuters
बंद होने वाले विंग्स
पतले और लंबे पंख एयरोडाइनामिक्स के लिए बहुत अच्छे होते हैं. इस तरह भी ईंधन की बचत हो सकती है. सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान के पंख 63 मीटर लंबे हैं. हालांकि ऐसे हवाई जहाज हर हवाई अड्डे पर नहीं उतर सकते. बंद होने वाले पंख बना कर इस समस्या को हल किया जा सकता है.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
दो मंजिला हवाई जहाज
"बॉक्स विंग" नाम के इस विमान के पिछले हिस्सों मे बड़े बड़े पंखे या प्रोपेलर लगे हैं और इसके पंख बेहद पतले हैं. इस डबल डेकर या कहिए दो मंजिला हवाई जहाज का डिजाइन एक तीर की तरह है. इससे ईंधन की बचत भी होती है और ये तेज रफ्तार उड़ान भी भर सकता है. इसके पंख छोटे हैं ताकि यह आम हवाई अड्डों पर भी उतर सके.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
यूरोप से ऑस्ट्रेलिया 90 मिनट में
व्यस्त लोगों के पास समय की बहुत कमी होती और उनकी प्राथमिकताएं भी अलग होती हैं. डीएलआर का ये स्पेसलाइन रॉकेट इंजनों वाला यात्री विमान है. आप इसमें 2050 के बाद ही सफर कर पाएंगे. लेकिन इससे यूरोप से ऑस्ट्रेलिया सिर्फ 90 मिनट यानी डेढ़ घंटे में पहुंचा जा सकेगा. अभी यह दूरी 20 घंटे से ऊपर है.
तस्वीर: DLR
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इस यूनिवर्सिटी में न सिर्फ रिसर्च होती है, बल्कि यहां नई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस के लिए भी प्रोटोटाइप तैयार किए जाते हैं. स्थानीय कंपनियों के साथ सहयोग से लाइट कंट्रोल यूनिट बनाई गई है. दफ्तर में या घर में लाइट के कलर को चेंज करने के लिए एक ऐप भी बनाया गया है. इसके जरिये कोई भी व्यक्ति अपने काम काज के हिसाब से लाइट की कलर ट्यूनिंग में ब्राइट व्हाइट, हल्का नीला, लाल या फिर हरा रंग डाल सकेगा. इंजीनियर भविष्य के लिए और भी बेहतर लाइट कंट्रोल सिस्टम डिजायन करने में लगे हैं. वे आर्टिफिशियल लाइट को दिन की रोशनी के साथ मिलाना चाहते हैं ताकि आइडियल लाइटिंग हो सके. लेकिन ऐसा करना आसान नहीं क्योंकि प्राकृतिक रोशनी का रंग सुबह से शाम तक बदलता रहता है. न्यूट्रल व्हाइट लाइट के साथ इसे मिक्स करने के लिए अभी काफी माथापच्ची करनी पड़ेगी.