एक नए अध्ययन में पता चला है कि मादा डॉल्फिनों में इंसानों की तरह की एक बड़ा सा क्लिटोरिस होता है. संभव है कि डॉल्फिनों में भी आनंद की अनुभूति कराने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका हो.
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डॉल्फिनों को सिर्फ प्रजनन ही नहीं बल्कि आनंद और एक दूसरे से जुड़ने के लिए भी सेक्स करने के के लिए जाना जाता है. 'करंट बायोलॉजी' पत्रिका में छपे एक नए शोध में यह दिखाया गया है कि मादा डॉल्फिनों में इंसानों की ही तरह एक बड़ा सा सा क्लिटोरिस भी होता है जिसमें संवेदी धमनियां और इरेक्टाइल टिश्यू भरे होते हैं.
यह इस बात का संकेत है कि डॉल्फिनों को आनंद की अनुभूति कराने में क्लिटोरिस की एक मजबूत भूमिका है. इस अध्ययन की मुख्य लेखक और जीव जंतुओं के जननांगों की विशेषज्ञ पैट्रिशिया ब्रेनन कहती हैं कि गैर-इंसानी कामुकता पर बहुत कम अध्ययन हुआ है, विशेष रूप से महिलाओं के विषय में.
हस्तमैथुन भी करते हैं
माउंट हॉल्योक कॉलेज में काम करने वाली ब्रेनन कहती हैं, "ये चीजें एवोल्यूशन को समझने के लिए बेहद जरूरी हैं. संभव है कि इनमें हमें हमारी अपनी कामुकता के बारे में समझाने की बातें भी हों."
प्राइमेटों के अलावा सामाजिक संबंध बनाने के लिए सेक्स का इस्तेमाल करने वाली प्रजातियों में डॉलफिन सबसे मुख्य मानी जाती हैं. ये सालों भर सेक्स करती हैं. इसमें समलैंगिक सेक्स भी शामिल होता है और क्लिटोरिस एक ऐसी जगह पर है जहां सहवास के समय उसे उसे उत्तेजित किया जाता हो.
ये मिट्टी में अपने शरीर को रगड़ कर हस्तमैथुन भी करते हैं. यहां तक कि मादा डॉल्फिनों की अपनी नाक, हाथ और पूंछ से एक दूसरे के क्लिटोरिस को को रगड़ने की भी रिपोर्टें सामने आई हैं.
यह सारा व्यवहार संकेत देता है कि यह इस अनुभव में ये आनंद महसूस करते हैं लेकिन ब्रेनन और उनके सहयोगी इस बात की पुष्टि पुष्टि भी करना चाह रहे थे और जीवविज्ञान संबंधी समझ को और गहरा भी करना चाह रहे थे.
लेकिन प्रयोगशालाओं में सेक्स करती हुई डॉल्फिनों का अध्ययन करना मुश्किल है. इसलिए उन्होंने डॉल्फिनों के क्लिटोरिस की विशेषताओं का अध्ययन कर उससे निष्कर्ष निकालने का फैसला किया.
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इंसानों जैसे अंग
इस अध्ययन के लिए उन्होंने 11 मृत मादाओं के क्लिटोरिस का विस्तार से अध्ययन किया और इस अंग की कार्यात्मकता का समर्थन करने वाले मजबूत सबूत पाए. पहली विशेषता थी इरेक्टाइल टिश्यू का होना जिसमें कई रक्त धमनियां भी पाई गईं.
ब्रेनन ने कहा, "इसका मतलब है कि ये वो टिश्यू हैं जो रक्त से भर जाते हैं, ठीक लिंग और इंसानी क्लिटोरिस की तरह." दूसरा, क्लिटोरिस में ठीक त्वचा के नीचे बड़ी धमनियां और कई धमनियों की जड़ होती हैं, इंसानों की उंगलियों के पोरों और जननांगों की तरह.
इसके अलावा, क्लिटोरिस की त्वचा काफी पतली पाई गई जिससे वो ज्यादा संवेदनशील रहे. और अंत में, उन्हें जेनिटल कोर्पसल नाम की कणिकाएं भी मिलीं जो इंसानी लिंगों और क्लिटोरिसों में पाई जाने वाली कणिकाओं से बहुत मिलती जुलती हैं. इनका काम विशेष रूप से आनंद देना ही होता है.
ये समानताएं आश्चर्यजनक हैं क्योंकि इंसानों और डॉल्फिनों के एक ही पूर्वज आज से 9.5 करोड़ साल पहले हुआ करते थे. प्राइमेट्स से अलग हुए हमें सिर्फ करीब 60 लाख साल ही हुए हैं. ब्रेनन के लिए यह अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण है.
ब्रेनन कहती हैं कि और चीजों के अलावा जीव जंतुओं की सेक्सुएलिटी का अध्ययन करना इंसानों के स्वास्थ्य के लिए लिए लाभकारी हो सकता है. वो कहती हैं, "ऐसे बहुत साड़ी महिलाएं हैं जिन्हें सेक्स के दौरान उत्तेजना, दर्द या ओर्गास्म नहीं कर पाने जैसी समस्याएं होती हैं" और दूसरे स्तनधारी जीवों का अध्ययन कर इन सब के कारणों का पता लगाया जा सकता है.
साथ ही समाधान भी ढूंढे जा सकते हैं. इसके बाद ब्रेनन की योजना है अल्पाकाओं का अध्ययन करने की, जो आधे घंटे तक सहवास करते हैं. उन्हें शक है कि संभव है कि नर मादाओं के क्लिटोरिसों को स्टिम्युलेट करते हैं, जिससे प्रजनन में आसानी होती है.
सीके / एए (एएफपी)
बच्चे पैदा करने के लिए इन्हें सेक्स की जरूरत नहीं
अगर बच्चा पैदा करना हो तो एक योग्य साथी की सबसे पहले जरूरत होगी. लेकिन कुछ जीवों ने इस प्रक्रिया से पूरी तरह बचने का तरीका निकाल लिया है. इन जीवों में संतानोत्तपत्ति के लिए नर और मादा का मिलन जरूरी नहीं है.
तस्वीर: Imago/blickwinkel/McPhoto/I. Schulz
बगैर जोड़ी के बच्चा!
लैंगिक प्रजनन उत्पत्ति का सफल विचार है जिसके बारे में इंसानों को भी जानकारी है. आपको बच्चा पैदा करना हो तो एक योग्य साथी की सबसे पहले जरूरत होगी. कुछ जीवों ने इस लंबी प्रक्रिया से पूरी तरह बचने का तरीका निकाल लिया है. वे अलैंगिक हैं और खुद का क्लोन बना लेते हैं.
तस्वीर: Last Refuge/Mary Evans Picture Library/picture alliance
वर्जिन कैंसर
ये केकड़े इसका एक अच्छा उदाहरण है. मीठे पानी में पलने वाले इन केकड़ों ने 2003 में पहली बार दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. जर्मन जीवविज्ञानियों ने देखा कि एक पूरी किस्म में केवल मादाएं ही थीं, जो खुद का क्लोन बना लेती थीं. इन केकड़ों की इस खूबी के बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी.
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म्यूटेशन से क्लोन तक
मार्बल कैंसर लैंगिक प्रजनन से कैसे दूर हुए यह साफ नहीं है. हालांकि इनके जीन का विश्लेषण करने से पता चला है कि ये उत्तर अमेरिकी क्रेफिश प्रजाति से जुड़े हुए हैं. वैज्ञानिक को आशंका है कि इनमें से किसी क्रेफिश का म्यूटेशन 1990 के दशक में हुआ जिसके कारण ये केकड़े लैंगिक प्रजनन से अलैंगिक प्रजनन की ओर चले गए.
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लाखों साल की उम्र
ब्डेलॉयडी नाम का यह जीव बगैर सेक्स के पिछले 4 करोड़ सालों से रह रहा है. इस लंबे अंतराल में पृथ्वी पर पर्यावरण की स्थिति में कई बार बदलाव हुए लेकिन यह जीव अब भी अस्तित्व में है और वो इसलिए क्योंकि यह दूसरे जीवों से जीन लेकर अपने डीएनए में शामिल कर लेता है जैसे कि बैक्टीरिया या फिर फफूंद.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Fox
आरंभिक निवासियों के लिए आदर्श
अलैंगिक प्रजनन का सबसे बड़ा फायदा है कि केवल एक महिला ही पूरी आबादी की शुरुआत कर सकती है. तस्वीर में दिख रहा सरीसृप वर्जिन गेको है. यह प्रशांत महासागर के बिल्कुल अलग थलग द्वीपों पर रहता है और पेड़ पौधों के साथ बहक कर शायद किनारों पर पहुंच गया. अगर मादाएं प्रजनन के लिए पुरुषों पर निर्भर हों तो संदिग्ध परिस्थितियों में वे ऐसा कभी नहीं करेंगी.
तस्वीर: picture-alliance/Hippocampus-Bildarchiv
बंधन से निकलती है युक्ति
सेल्फ क्लोनिंग कोई बहुत दूर की कौड़ी नहीं है यह बात कैद में रह रहे जीवों ने दिखा दिया. 2006 में लंदन के चिड़ियाघर में रह रही वर्जिन मादा कोमोडो ड्रैगन ने चार बच्चों को जन्म दिया. चारों बच्चे नर थे और जाहिर है कि उनके क्लोन वहां मौजूद नहीं थे क्योंकि बच्चों में केवल मां का डीएनए था.
तस्वीर: Imago/blickwinkel/McPhoto/I. Schulz
विकल्प के रूप में सेक्स
माराम झींगा, ब्डेलॉयडी और गेको तो हमेशा मादा होते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी जीव हैं जिनके लिए सेक्स वैकल्पिक है. इनमें एक उदाहरण है यह सतरंगी छिपकली. यह छिपकली मध्य और दक्षिण अमेरिका में रहती है. इनकी कुछ आबादी तो केवल मादाओं की है लेकिन कुछ ऐसी भी आबादियां हैं जिनमें नर और मादा साथ रहते हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Kitchin and Hurst
एक्वेरियम में कुमारी
यहां तक कि कैद में रहने वाली शर्कों में भी अलैंगिक प्रजनन देखा गया है. उदाहरण के लिए 2007 में अमेरिकी एक्वेरियम में एक शार्क बिना किसी नर के संपर्क में आये गर्भवती हो गई और फिर एक मादा बच्चे को जन्म दिया. बंबू शार्क और जेब्रा शार्क पहले ही क्लोन को जन्म दे चुकी हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Photoshot
तो क्या अब पुरुष बेकार हो गए हैं?
स्तनधारियों में अलैंगिक प्रजनन अब तक नहीं देखा गया है. वैज्ञानिकों को संदेह है कि हमारे लिए बच्चे पैदा करना बेहद जटिल है. यह एक अच्छी बात है क्योंकि लैंगिक प्रजनन म्यूटेशन से होने वाले नुकसान के जोखिम को कम कर देता है. इसके साथ ही हर बार जीन का नया मिश्रण बनता है जो नए जलवायु की परिस्थितियों के अनुसार हमें खुद को ढालने में मदद करता है.