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चीन के हमारे साथ रवैये से सब चेतेंः लिथुआनिया

४ नवम्बर २०२१

लिथुआनिया का कहना है कि चीन उसके साथ जैसा व्यवहार कर रहा है, उससे पूरे यूरोप को चेत जाना चाहिए. लिथुआनिया के विदेश मंत्री ने कहा है कि यूरोपीय संघ को चीन के साथ संबंधों पर विचार करना होगा.

तस्वीर: Daniel Ceng Shou-Yi/ZUMA Press Wire/ZUMAPRESS/picture alliance

लिथुआनिया ने कहा है कि चीन का उसके साथ व्यवहार एक चेतावनी है कि यूरोपीय संघ को बीजिंग के साथ संबंधों पर फैसला करना चाहिए. बुधवार, 3 नवंबर को यूरोपीय देश लिथुआनिया के विदेश मंत्री ने यूरोपीय संघ को चेताते हुए कहा कि चीन के साथ संबंधों को लेकर एकता दिखाए.

अगस्त में चीन ने लिथुआनिया से अपना राजदूत वापस बुलाने को कहा था क्योंकि लिथुआनिया ने ताइवान के पक्ष में एक निर्णय किया था. ताइवान ने फैसला किया है कि लिथुआनिया की राजधानी विलनियस में उसका दफ्तर अब ‘लिथुआनिया में ताइवानी प्रतिनिधि का कार्यालय' कहलाएगा.

अपनी संस्कृति को बचाने की कोशिश

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करीब 30 लाख लोगों के इस देश ने इसी साल चीन और कुछ अन्य यूरोपीय देशों के बीच हो रही '17+1' वार्ता से भी अपने आपको अलग कर लिया था. अमेरिका इस वार्ता को चीन की यूरोपीय कूटनीति को बांटने की कोशिश के तौर पर देखता है. लेकिन लिथुआनिया के इन कदमों का असर व्यापारिक संबंधों पर पड़ा है और उसकी अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है.

क्या चाहता है लिथुआनिया?

लिथुआनिआ के विदेश उप मंत्री आरनोल्ड्स प्रांकेविशियस ने अमेरिका के वॉशिंगटन में सुरक्षा मामलों पर हो रहे एक सम्मेलन में कहा, "मेरे ख्याल यह सब बहुत से लोगों के लिए चेतावनी है. खासकर, हमारे साथी यूरोपीय देशों के लिए. यह समझना होगा कि अगर आपको लोकतंत्र की रक्षा करनी है तो उसके लिए खड़ा होना होगा."

प्रांकेविशियस ने कहा कि अगर यूरोप को दुनिया में विश्वसनीय बनना है और अमेरिका के सहयोगी के तौर पर उसे चीन को लेकर अपनी नीति को स्पष्ट करना होगा. उन्होंने कहा, "चीन हमें एक मिसाल बनाने की कोशिश कर रहा है. एक बुरी मिसाल ताकि अन्य देश उस रास्ते पर ना चलें. इसलिए यह सिद्धांतों की बात है कि पश्चिमी देश, अमेरिका और यूरोपीय संघ कैसे प्रतिक्रिया देते हैं."

प्रांकेविशियस ने कहा कि लिथुआनिया का '17+1' वार्ता से अलग होना चीन विरोधी नहीं बल्कि यूरोप समर्थक कदम था. उन्होंने कहा, "हमें मिलजुल कर एक स्पष्ट स्वर में बोलना होगा नहीं तो हम विश्वसनीय नहीं हो सकते, हम अपने हितों की रक्षा नहीं कर सकते और हम चीन के साथ एक समान रिश्ते नहीं रख सकते."

क्यों नाराज है चीन?

चीन ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है. ताइवान एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार के तहत है लेकिन चीन उसे अपना इलाका मानकर दूसरे देशों को उसी अनुरूप संबंध बरतने को कहता है. उसे ऐसा कोई कदम मंजूर नहीं जिससे यह जाहिर हो कि ताइवान एक अलग देश है.

दुनिया के अधिकतर देश चीन के इस रुख को स्पष्ट या परोक्ष रूप से स्वीकार करते आए हैं. सिर्फ 15 देश हैं जो ताइवान के साथ कूटनीतिक संबंध रखते हैं. हालांकि बहुत से देशों के ताइवान में अघोषित दूतावास हैं और अक्सर उन्हें ताइपेई स्थित व्यापार कार्यालय कहा जाता है ताकि ताइवान का नाम देश के तौर पर ना आए.

वीके/एए (डीपीए, रॉयटर्स)

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