यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि बेलारूस से यूरोपीय संघ में बड़ी संख्या में अवैध प्रवास के मामले सामने आते हैं. लिथुआनिया का कहना है कि प्रतिबंधों के जवाब में बेलारूस यूरोपीय ब्लॉक को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है.
बेलारूस लिथुआनिया सीमातस्वीर: Paulius Peleckis/Getty Images
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लिथुआनिया की प्रधानमंत्री इनग्रिडा शिमोनाइट ने बुधवार को घोषणा की कि उनकी सरकार लिथुआनिया और बेलारूस को अलग करने वाली सीमा पर एक अतिरिक्त अवरोध का निर्माण करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी देश बेलारूस से आने वाले लोगों की निगरानी के लिए इस सीमा पर सैनिक भी तैनात किए जाएंगे. हालांकि प्रधानमंत्री शिमोनाइट ने कुछ समय पहले इस योजना को "समय की बर्बादी" कहा था.
पूर्व सोवियत संघ के ये दोनों देश एक-दूसरे से 678 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं और इस सीमा की बाड़बंदी पर करीब डेढ़ करोड़ यूरो का खर्च आएगा.
इस अचानक हृदय परिवर्तन की सबसे बड़ी वजह पिछले कुछ हफ्तों में बड़ी संख्या में सीमा पार करके आने वाले प्रवासी हैं. यह सीमा यूरोपीय संघ की बाहरी सीमा है. यूरोपीय संघ के अधिकारियों का मानना है कि बेलारूस, चुनाव में धांधली और मानवाधिकार हनन समेत कई मुद्दों पर पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का बदला लेना चाह रहा है.
लिथुआनिया की सरकार का कहना है कि साल 2021 के पहले छह महीनों में अवैध रूप से सीमा पार करने के 1300 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जबकि साल 2020 में यह संख्या सिर्फ 81 थी.
राजनीतिक हथियार के तौर पर प्रवासियों का इस्तेमाल?
शिमोलाइट कहती हैं, "हम इस प्रक्रिया का आकलन हाइब्रिड आक्रामकता के रूप में करते हैं, जो लिथुआनिया के खिलाफ नहीं बल्कि पूरे यूरोपीय संघ के खिलाफ है. प्रतिबंधों की वजह झूठे चुनाव परिणाम, नागरिक समाज के दमन और मानवाधिकार हनन थे."
मंगलवार को बेलारूस के राष्ट्रपति आलेक्जेंडर लुकाशेंको ने धमकी दी थी कि युद्धग्रस्त देशों के प्रवासियों को यूरोपीय संघ में बिना किसी बाधा के प्रवेश करने दिया जाएगा. लिथुआनिया में प्रवेश करने वाले ज्यादातर प्रवासी अफगानिस्तान, इराक और सीरिया के हैं.
शिमोनाइट कहती हैं, "बेलारूसी शासन एजेंसियां अवैध प्रवासियों के प्रवाह को जारी रखने में सक्रिय और निष्क्रिय रूप से शामिल हैं. सीमा पार करने के लिए परिस्थितियां जानबूझकर बनाई गई हैं और हमें लगता है कि इसके पीछे अन्य बातों के अलावा, हमारे राज्य को नुकसान पहुंचाने और स्थिति को अस्थिर करना ही उद्देश्य है."
हालांकि यह स्थिति नई नहीं है लेकिन हाल के हफ्तों में यह काफी ज्यादा बढ़ गई है. जून में यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन से पहले लिथुआनिया के राष्ट्रपति गितानास नौसेदा ने यूरोपीय नेताओं से कहा था कि बेलारूस तेजी से प्रवासियों को एक राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग कर रहा है.
दुनिया का सबसे अनोखा बॉर्डर
यूरोपीय शहर बार्ले नीदरलैंड और बेल्जियम की सीमा पर स्थित है. यहां दोनों देशों के बीच की राष्ट्रीय सीमा घरों, रेस्तरां, टी हाउस और संग्रहालयों से होकर गुजरती है. इसके कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी.
तस्वीर: by-sa Jérôme
बार्ले है अनोखा शहर
लाल ईंट के घर, बड़े दरवाजे वाले गोदाम, साफ-सुथरी सड़कें, पहली नजर में यह शहर यूरोपीय देशों बेल्जियम और नीदरलैंड्स के आम सीमावर्ती शहरों जैसा दिखता है. लेकिन हकीकत में बार्ले की हैसियत बेहद अनोखी है. यहां आप एक देश में नाश्ता बना सकते हैं और दूसरे देश में खा सकते हैं.
तस्वीर: Sanja Kljajić/DW
यह है बॉर्डर की पहचान
अगर आप बार्ले में हैं तो आप एक देश में कुर्सी पर बैठकर दूसरे देश की सीमा के भीतर टीवी देख सकते हैं. बार्ले में एक जोड़े के लिए एक ही बिस्तर पर सोना संभव है लेकिन एक ही समय में दो अलग-अलग देशों में. दो देशों को अलग करने के लिए बनी सीमा कई बार घर, सामुदायिक भवन और कैफे हाउस को पार करती हुई जाती है.
तस्वीर: Sanja Kljajić/DW
कभी नीदरलैंड्स तो कभी बेल्जियम
बेल्जियम के शहर को बार्ले हेरटोग के नाम से जाना जाता है और जो इलाका नीदरलैंड्स में उसे बार्ले नासायु के नाम से जाना जाता है. कुछ हिस्से बेल्जियम और कुछ नीदरलैंड्स में आते हैं. दोनों देशों के बीच की सीमा लोगों के घरों से होकर गुजरती है. सीमा को सफेद क्रॉस से चिह्नित किया गया है.
तस्वीर: Sanja Kljajić/DW
इतिहास और सीमाएं
स्थानीय पर्यटन कार्यालय के प्रमुख विलियम वैन गूल डीडब्ल्यू से कहते हैं 20वीं सदी में इलाका दलदली था. 1198 में ब्राबांट के ड्यूक हेनरी प्रथम ने इस क्षेत्र को ब्रेडा के शासक को जमीन पट्टे पर दी, लेकिन उन्हें वही जमीन दी गई जो उपजाऊ नहीं थी. हेनरी ने उपजाऊ भूमि को अपने लिए रखा.
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देशों का बनना
1830 में जब बेल्जियम नीदरलैंड्स से अलग होकर स्वतंत्रत राष्ट्र बना तो बेल्जियम को अपनी सीमाओं को निर्धारित करने की आवश्यकता थी. सर्वेक्षकों ने उत्तरी सागर के तट से जर्मन राज्यों की सीमा को निर्धारित किया. लेकिन जब वे इस क्षेत्र में पहुंचे, तो सीमा के मुद्दों को बाद में निपटाने के लिए छोड़ दिया गया.
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दरवाजे के हिसाब से नागरिकता
दोनों देशों में कई घर, बाग, गलियां, दुकानें आदि बंटे हुए थे. स्थायी संघर्ष से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया कि जिस घर का प्रवेश द्वार जिस देश की सीमा में खुलेगा, उसमें रहने वालों को उस देश की नागरिकता दी जाएगी.
तस्वीर: Sanja Kljajić
समस्या सुलझाने के उपाय
बार्ले में हर चीज दो हैं: शहर के दो नाम, दो महापौर, दो नगरपालिका प्रशासन, दो डाकघर - लेकिन उन सभी को चलाने वाली समिति एक ही है ताकि स्थानीय मुद्दों को जल्दी से हल किया जा सके और सहयोग को और बढ़ाया जा सके.
तस्वीर: Reuters/F. Lenoir
पर्यटकों के बीच लोकप्रिय
बार्ले दुनिया के लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है. यहां पर्यटक आते हैं तो एक दरवाजे पर दो झंडे के साथ तस्वीर निकलवाते हैं तो सड़क पर बनी सीमा पर बैठकर एक ही समय में दो देशों में होने का अनुभव करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/P. Amorim
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तुर्की की क्या भूमिका है?
लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रियालियस लैंड्सबर्गिस ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने बेलारूस के दूतावास के प्रमुख को बेलारूस से लगी सीमा के पार प्रवासियों के प्रवाह को रोकने संबंधी बातचीत के लिए बुलाया था.
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उन्होंने तुर्की के विदेश मंत्री से बेलारूस से लिथुआनिया में आने वाले प्रवासियों की पहचान करने में मदद करने के लिए कहा था. उनका कहना था, "बेलारूस से लिथुआनिया में प्रवेश करने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा तुर्की से, तुर्की एयरलाइंस के जरिए आता है. हम मानते हैं कि तुर्की उनकी पहचान जानता है. तुर्की के सहयोग से, हम उनकी पहचान और मांग को आसानी से निर्धारित कर सकते हैं."
शिमोनाइट कहती हैं, "बेलारूस की राजधानी मिन्स्क को बगदाद से जोड़ने के लिए कई ट्रैवल एजेंसीज और सीधी उड़ानें हैं. साथ ही बेलारूस और अन्य देशों में कई एजेंसियां ऐसी हैं जो पर्यटकों को बेलारूस जाने के लिए लुभाती हैं. जहाज से मिन्स्क आने वाले ज्यादातर लोग इराक की राजधानी बगदाद से ही आते हैं."
लिथुआनियाई सरकार के मुताबिक, उन्हें यह भी पता चला है कि कई प्रवासियों के पास तो सीमा पर पहुंचते वक्त बेलारूस की सरकारी हवाई कंपनी बेलाविया के बोर्डिंग कार्ड भी थे.
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यूरोपीय संघ के परिवहन को अवरुद्ध करने की धमकी
लिथुआनिया की राजधानी विलनियस में सरकार अगले हफ्ते संसद का एक विशेष सत्र भी बुलाएगी, जिसमें कानून के मसौदों के अनुमोदन पर विचार किया जाएगा. ये कानून "शरणार्थियों की आवेदन प्रक्रियाओं को सरल और तेज" करेगा, क्योंकि ऐसे मामलों में वैध प्रवासियों के साथ भी कई बार दुर्व्यवहार होता है.
यूरोपीय संघ में प्रवासियों के अवैध प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के अलावा, बेलारूस के मजबूत नेता लुकाशेंको ने बेलारूस के रास्ते से जाने वाले यूरोपीय सामानों को अवरुद्ध करने की भी धमकी दी है.
साल 1994 में रूस से स्वतंत्र होने के बाद से लेकर अब तक बेलारूस पर शासन करने वाले लुकाशेंको ने दावा किया कि पिछले साल अगस्त में उनके दोबारा चुने जाने के बाद चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए देश में उथल-पुथल करने की कोशिश की गई, जिसकी वजह से महीनों तक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और सामूहिक गिरफ्तारियां हुईं. उन्होंने अपनी कार्रवाइयों पर पश्चिमी प्रतिबंधों का बार-बार विरोध किया है.
एसएम/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)
दुनिया भर से खतरों से भाग रहे शरणार्थियों की लाचारी
युद्ध, उत्पीड़न, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के खतरे के परिणामस्वरूप, दुनिया भर में अनुमानित आठ करोड़ लोग सुरक्षा की तलाश में अपने देश से भागने को मजबूर हुए हैं. इस दौरान सबसे ज्यादा दर्द बच्चों को झेलना पड़ा है.
तस्वीर: Guardia Civil/AP Photo/picture alliance
समुद्र में डूबने से बचाया
बच्चा सिर्फ कुछ महीने का था जब एक स्पेनिश पुलिस गोताखोर ने उसे डूबने से बचा लिया. मई के महीने में हजारों लोगों ने यूरोप पहुंचने के लिए मोरक्को से भूमध्य सागर पार करने की कोशिश की थी. ये लोग स्पेन के छोटे से एन्क्लेव सेउता पहुंच गए थे. इस तस्वीर से सेउता में प्रवासी संकट की असली झलक देखने को मिलती है.
तस्वीर: Guardia Civil/AP Photo/picture alliance
कोई उम्मीद नहीं
भूमध्य सागर दुनिया के सबसे खतरनाक प्रवास मार्गों में से एक है. कई अफ्रीकी शरणार्थी समुद्र के रास्ते यूरोप पहुंचने में विफल रहने के बाद लीबिया में फंसे हुए हैं. त्रिपोली में कई ऐसे युवा हैं जो पल-पल अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें अक्सर कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है.
तस्वीर: MAHMUD TURKIA/AFP via Getty Images
सूटकेस में बंद जिंदगी
बांग्लादेश में कॉक्स बाजार शरणार्थी शिविर दुनिया के सबसे बड़े आश्रयों में से एक है. यहां म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी संख्या रहती है. वहां के एनजीओ बाल शोषण, ड्रग्स, मानव तस्करी, साथ ही बाल श्रम और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर चिंता जताते हैं.
तस्वीर: DANISH SIDDIQUI/REUTERS
ताजा संकट
इथियोपिया के टिग्रे प्रांत में गृह युद्ध ने एक और शरणार्थी संकट पैदा कर दिया है. टिग्रे की 90 फीसदी आबादी विदेशी मानवीय सहायता पर निर्भर है. करीब 16 लाख लोग सूडान भाग गए हैं. इनमें 7,20,000 बच्चे शामिल हैं. ये शरणार्थी अस्थायी शिविरों में फंसे हुए हैं और वे अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं.
तस्वीर: BAZ RATNER/REUTERS
शरणार्थियों को कहां जाना चाहिए?
तुर्की में फंसे सीरियाई और अफगान शरणार्थी अक्सर ग्रीक द्वीपों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. कई शरणार्थी ग्रीक द्वीप लेसबोस के मोरिया शरणार्थी शिविर में रहते थे. पिछले साल सितंबर में कैंप में आग लग गई थी. आग के बाद यह परिवार अब एथेंस आ गया है लेकिन अपने अगले गंतव्य के बारे में कुछ नहीं जानता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Y. Karahalis
एक कठिन जीवन
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 'अफगान बस्ती रिफ्यूजी कैंप' में रहने वाले अफगान बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं है. 1979 में अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप के बाद से यह शिविर अस्तित्व में है. वहां रहने की व्यवस्था बेहद खराब है. शिविर में पीने का पानी और पर्याप्त आवास का अभाव है.
तस्वीर: Muhammed Semih Ugurlu/AA/picture alliance
सहायता संगठनों से महत्वपूर्ण समर्थन
वेनेजुएला के कई परिवार अपने देश में अपने भविष्य को धूमिल देखकर पड़ोसी देश कोलंबिया चले गए हैं. वहां वे एनजीओ रेड क्रॉस से चिकित्सा और खाद्य सहायता प्राप्त करते हैं. रेड क्रॉस ने सीमावर्ती शहर अरौक्विटा के एक स्कूल में एक अस्थायी शिविर बनाया है.
तस्वीर: Luisa Gonzalez/REUTERS
समाज में मिलने की कोशिश
कई शरणार्थी जर्मनी में अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद करते हैं. कार्ल्सरूहे में लर्नफ्रुंडे हाउस में शरणार्थी बच्चों को जर्मन स्कूल प्रणाली में प्रवेश के लिए तैयार किया जाता है. हालांकि कोविड महामारी के दौरान वे नए समाज में एकीकृत होने में मिलनी वाली मदद के इस अहम तत्व से चूक गए.