रूसी हमले की आशंकाओं से सहमे लोग
२ दिसम्बर २०१६![DW Fokus Europa - Russland Kaliningrad Patriotismus](https://static.dw.com/image/36227829_800.webp)
लिथुआनिया की राजधानी विलनियस में रहने वाली रासा मिस्किनयेत ने अपना पिछला शनिवार शहर के पास कड़कड़ाती ठंड में एक जंगल में गुजारा. इस दौरान उन्होंने सीखा कि कैसे एक तालाब से कंडोम के जरिए पानी जमा किया जा सकता है और कैसे उसे बालू, चारकोल और कपड़े से फिल्टर किया जाता है. इसके अलावा उन्होंने एक बीयर कैन से कामचलाऊ स्टोव बनाना भी सीखा. उन्हें लगता है कि अगर रूसी सैनिक विलनियस में घुस आए और उन्हें परिवार के साथ जंगल में भागना पड़ा तो जीवित बचे रहने के कुछ बुनियादी हुनर उनके काम आ सकते हैं.
पेशे से फिल्मकार 53 साल की मिस्किनयेत कहती हैं, "रूस बहुत ही खतरनाक किस्म का पड़ोसी है. वह हमेशा हमें निशाना बनाने की सोचता रहता है." दरअसल लिथुआनिया, लात्विया और एस्टोनिया में लगातार यह डर बढ़ रहा है कि जॉर्जिया, यूक्रेन और सीरिया में अपनी ताकत दिखाने के बाद रूस का अगला निशाना बाल्टिक इलाका हो सकता है.
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वह रूसी लोगों की रक्षा करने से बिल्कुल नहीं हिचकेंगे, भले ही वे कहीं भी रहते हों. चूंकि बाल्टिक इलाके में बड़ी संख्या में रूसी लोग रहते हैं, ऐसे में कई लोग पुतिन के इस बयान को धमकी की तरह देखते हैं. अब यह खतरा सच्चा है या फिर इसे बस यूं ही हवा दी जा रही है, यह तो आने वाला समय बताएगा. लेकिन पहले भी रूसी कब्जा झेल चुके लिथुआनिया में लोग खासे सहमे हुए हैं.
युवा लोग वीकेंड पर बाकायदा यह सीख रहे हैं कि चरमपंथियों और हिंसा से कैसे निपटें. वहीं मिस्किनयेत जैसे लोग अपने आपको बचाए रखने के गुर सीख रहे हैं. लोगों में डर को देखते हुए सरकार ने भी कुछ निर्देश जारी किए हैं. लेकिन लिथुआनिया, लात्विया और एस्टोनिया, तीनों ही देश नाटो के सदस्य हैं. इसलिए कुछ लोगों को रूस के हमले की आशंकाओं से कोई डर नहीं है.
लेकिन मिस्किनयेत बताती है कि जब 2014 में रूस ने यक्रेन के क्रीमिया इलाके को अपने साथ मिला लिया था तो उन्होंने एक बैग पैक कर परिवार समेत एक गांव में अपने घर में जाने की योजना भी बना ली थी. इस बैग में उन्होंने ब्रेड, नमक और कुछ दूसरे जरूरी सामान रखे. वो कहती हैं कि गांवों में बचे रहने की ज्यादा संभावना होती है.
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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का यह बयान भी कई लोगों की चिंता का कारण है कि वह स्वत ही बाल्टिक इलाके की रक्षा नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा रूस ने हाल के दिन में कालिनिनग्राद में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने और वहां परमाणु क्षमता वाली मिसाइलें तैनात करने का फैसला किया है. कैलिनिनग्राद की सीमा एक तरफ पोलैंड से लगती है तो दूसरी तरफ लिथुआनिया से. लिथुआनिया, लात्विया और एस्टोनिया सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके हैं. जब सोवियत संघ बिखर रहा था तो इन देशों की आजादी मांग क्रेमलिन के लिए कड़वी याद है.
दूसरी तरफ, हमले की आशंकाओं के कारण लिथुआनिया में रहने वाले रूसी मूल के लोगों की वफादारी पर सवाल उठ रहे हैं. लिथुआनिया में कुल आबादी में छह प्रतिशत रूसी मूल के लोग हैं. इनमें से बहुत से लोग तब वहां बसे जब लिथुआनिया सोवियत संघ का हिस्सा था. लिथुआनिया के अधिकारियों का कहना है कि ये लोग भी अन्य लोगों की तरह लिथुआनिया के पूरी तरह नागरिक हैं और उन पर किसी तरह का कोई संदेह नहीं है. इन लोगों का भी कहना है कि देश के अन्य लोगों के साथ उनका अच्छा संवाद है. लेकिन लिथुआनिया के बहुत से लोगों को आशंका है कि अगर रूस ने हमला कर दिया तो ये लोग पुतिन का ही समर्थन करेंगे.
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बचपन से लिथुआनिया में रहने वाले रूसी मूल के 30 वर्षीय रोमान नुत्सुबिद्ज कहते हैं, "लिथुआनिया की प्रेस में सिर्फ एकतरफा बातें होती हैं कि रूसी लोग बुरे होते हैं या फिर रूसी आ रहे हैं या पुतिन हमेशा से ही बुरे हैं." नुत्सुबिद्ज को इस बात पर भी आपत्ति है कि पश्चिमी देश पुतिन को एक अच्छा नेता नहीं मानते जबकि उन्होंने "रूसी लोगों का राष्ट्रीय गर्व बहाल किया है". नुत्सुबिद्ज कहते हैं कि उन्हें लिथुआनिया से प्यार है. लेकिन वह ऐसी कोई वजह नहीं देखते जिसके चलते पुतिन बाल्टिक क्षेत्र पर कब्जा करना चाहेंगे.
एके/वीके (एपी)