ओडिशा के जगतसिंघपुर जिले में जिंदल स्टील वर्क्स को एक संयंत्र के लिए जमीन दिए जाने के खिलाफ स्थानीय लोग संघर्ष कर रहे हैं. प्रशासन ने अब विरोध करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपना लिया है और पुलिस ने उन पर लाठियां चला दी.
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पारादीप बंदरगाह के पास स्थित जगतसिंघपुर जिले के इरासामा तहसील के ढिंकिया गांव में जिंदल स्टील वर्क्स को एक नया संयंत्र लगाने के लिए 1,173.58 हेक्टेयर जमीन 65,000 करोड़ रुपयों में दी गई थी. कंपनी की योजना वहां एक इस्पात संयंत्र, 900 मेगावाट का एक कैप्टिव बिजली संयंत्र और सीमेंट ग्राइंडिंग और मिक्सिंग संयंत्र लगाने की है.
लेकिन ढिंकिया और आस पास के कम से कम दो और गांवों के निवासी जमीन दिए जाने के खिलाफ हैं और पिछले दो महीने से इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि जमीन के चले जाने से इलाके के कम से कम 40,000 लोगों की आजीविका छिन जाएगी.
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ग्रामीणों पर लाठीचार्ज
जमीन को बचाने के लिए स्थानीय लोगों ने इलाके में बैरिकेड बना दिए थे ताकि अधिकारी और पुलिस वहां पहुंच न सकें. लेकिन मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि वहां अब पुलिस और प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है.
बताया जा रहा है कि कुछ ही दिन पहले 500 से ज्यादा पुलिसकर्मी ढिंकिया पहुंचे और ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर दिया. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि लाठीचार्ज में 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं और करीब 30 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. घायल लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि पुलिस से बचने के लिए गांव के कई लोग अब वहां से भाग गए हैं और छिपे हुए हैं. प्रशासन का कहना है कि जमीन कानूनी प्रक्रिया के तहत दी जा रही है और कई लोगों ने खुद ही मुआवजा लेकर अपनी जमीन प्रशासन को दे दी है.
हालांकि जमीन देने वाले कई लोगों ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने ऐसा भारी मन से किया क्योंकि प्रशासन ने उनके लिए और कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा था. इन गांवों में कई बार जन सुनवाई की गई है और इनमें स्थानीय लोगों ने जोर देकर संयंत्र का विरोध किया है.
पुरानी जगह, नया आंदोलन
इलाके में मुख्य रूप से पान, काजू और धान की खेती और मछली पालन होता है. संयंत्र के लिए जमीन चले जाने पर इन सभी गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ेगा और स्थानीय लोगों की आजीविका के साधन चले जाएंगे.
यह इस इलाके के लोगों के लिए पहला आंदोलन नहीं है. 2005 में ओडिशा सरकार ने दक्षिण कोरिया की इस्पात कंपनी पॉस्को के साथ इसी इलाके में एक 1.2 करोड़ टन क्षमता का इस्पात संयंत्र बनाने के लिए समझौता किया था.
ओडिशा सरकार ने इसके लिए 2,700 एकड़ जमीन का अधिग्रहण भी कर लिया था लेकिन एक तरफ जहां कुछ लोगों ने मुआवजा लेकर अपनी जमीन सरकार को दे दी, कई दूसरे लोगों ने संगठित हो कर भूमि अधिग्रहण का विरोध किया. यह संघर्ष करीब 12 सालों तक चला और अंत में पॉस्को को यह परियोजना रद्द करनी पड़ी.
इसके दो ही साल बाद ओडिशा सरकार ने इसी इलाके में संयंत्र बनाने के लिए जिंदल स्टील के साथ समझौता कर लिया. अब देखना यह है कि जंगलों, जमीन और परंपरागत आजीविकाओं बनाम उद्योग और आधुनिकता की इस जंग में इस बार कौन जीतेगा.
अफ्रीका के एक मनोरम बीच पर बर्बादी का खतरा
अफ्रीका के सिएरा लियोन के मनोरम समुद्र तट पर एक बंदरगाह बनने जा रहा है. इसे सिएरा लियोन सरकार चीन से मिले 5.5 करोड़ डॉलर के निवेश पर बना रही है, लेकिन स्थानीय लोगों को अपनी जमीन और जीविका के खो जाने की चिंता है.
तस्वीर: Claudia Anthony/DW
निर्माण या संरक्षण?
सिएरा लियोन की सरकार समुद्र के तट पर बसे ब्लैक जॉनसन गांव के पास मछली पकड़ने की नावों का एक बंदरगाह बनाने जा रही है. व्हेल खाड़ी में लगभग 252 एकड़ जमीन इस परियोजना के लिए चिन्हित की गई है. लेकिन स्थानीय लोग और पर्यावरण एक्टिविस्ट इसका विरोध कर रहे हैं. उन्हें डर है कि इससे उन्हें वहां से हटा दिया जाएगा और मछलियों के प्रजनन का इलाका प्रदूषित होगा.
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जहां आती हैं व्हेल
समुद्र किनारे बसे गांव और इसके समुद्रतट पर्यावरण अनुकूल पर्यटन या ईकोटूरिज्म के लिए मशहूर हैं. यह जगह फ्रीटाउन प्रायद्वीप पर एक जंगल के करीब स्थित है और यूनेस्को ने इसे वैश्विक धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता दी है. यहां कई तरह की मछलियां, पौधे और स्तनधारी पाए जाते हैं. कभी कभी यहां व्हेल भी आती हैं.
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गांव वालों के भविष्य पर संकट
पर्यावरण अनुकूल पर्यटन से जुड़े उद्यमी टॉमी बांडेवा ब्लैक जॉनसन बीच पर 15 सालों से भी ज्यादा से सक्रिय हैं. वो कहते हैं कि वो समझ ही नहीं पा रहे हैं कि ईकोटूरिज्म के एक इलाके में मछली पकड़ने की नावों का बंदरगाह क्यों बनाया जा रहा है. वो बताते हैं कि यहां से हटने के लिए लोगों को सिर्फ मुआवजा दिया गया और पुनर्वास का कोई प्रस्ताव तक नहीं दिया गया. वो चिंतित हैं कि लोगों को जल्द ही यहां से जाना पड़ेगा.
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सुरक्षा के लिए बाड़
यहां खरीदे गए जमीन के टुकड़ों के नए मालिक काफी तेज गति से जमीन पर काम करवा रहे हैं. वो घर बनवाने से पहले बाड़ बनवा रहे हैं. ऐसा करके वो घुसपैठियों को बाहर रखना चाहते हैं, जिनमें निरीक्षण के लिए आने वाले सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं. इस निर्माण के लिए सिएरा लियोन की सरकार चीन से मिले 5.5 करोड़ डॉलर के अनुदान का इस्तेमाल कर रही है.
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मछुआरों की आजीविका
स्थानीय मछुआरे बंदरगाह को लेकर चिंतित हैं. ये एक मछुआरे की बेटी हैं जो चिंतित हैं कि उनके पिता जैसे लोगों की आजीविका चली जाएगी और उनके परिवारों को संघर्ष करना पड़ेगा. पहले भी मछली पकड़ने के जालदार जहाजों ने मछुआरों की आजीविका भंग की है. सरकार का कहना है कि बंदरगाह से आजीविका के और मौके मिलेंगे और अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात करने के लिए मछलियों का भंडार बढ़ेगा.
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पर्यावरण का नुकसान तय
अमूमन जब भी पर्यावरण पर असर डालने वाली किसी योजना की शुरुआत होती है तो पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) से अनुमति ली जाती है. लेकिन इस परियोजना के बारे में ईपीए को जानकारी तक नहीं दी गई. एजेंसी को कभी पर्यावरण पर असर के आकलन की रिपोर्ट भी नहीं दी गई जिससे वो निर्माण शुरू होने से पहले परियोजना पर विचार कर पाती.
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विश्व बैंक की ब्लैकलिस्ट पर
फ्रीटाउन के आस पास कुछ जगहों पर एक बंदरगाह बनाने की लिए उपयुक्त स्थानों का आकलन करने के बाद विश्व बैंक ने ब्लैक जॉनसन को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. लेकिन मत्स्य पालन और समुद्री संसाधन मंत्रालय बीच को इस परियोजना के लिए उपयुक्त स्थान मानता है.
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आपदा बनाम निर्यात
स्थानीय लोग, संरक्षणकर्ता और अधिकार समूह इस बंदरगाह की परियोजना को एक "विनाशकारी मानवीय और पर्यावरणीय आपदा" मानते हैं. यहां सार्डिन, बैराकुडा और ग्रूपर जैसी मछलियां बड़ी मात्रा में मिलती हैं, जिन्हें स्थानीय मछुआरे पकड़ कर स्थानीय बाजार में बेचते हैं. इनसे स्थानीय बाजार की 70 प्रतिशत मांग पूरी हो जाती है.
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राष्ट्रपति से अपील
ब्लैक जॉनसन की मिट्टी वेस्टर्न एरिया पेनिनसुला नेशनल पार्क को घेरे हुए है, जहां डुइकर एंटीलोप और पैंगोलिन जैसे लुप्तप्राय जानवर पाए जाते हैं. संरक्षणकर्ताओं का कहना है कि इस औद्योगिक स्तर के बंदरगाह के बनने से मनोरम वर्षा-वन नष्ट हो जाएंगे. स्थानीय लोगों के साथ मिल कर उन्होंने राष्ट्रपति को एक चिट्ठी लिख कर उनसे मामले में हस्तक्षेप करने की और निर्माण को रोकने की अपील की है. - क्लॉडिया एंथनी