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रेडियो पर समलैंगिकों के लिए शो "गेडियो"

८ सितम्बर २०१७

 भारत में जो लोग समलैंगिकों के लिए समान अधिकारों की मांग उठा रहे हैं, उनमें हरीश अय्यर भी शामिल हैं. वाचाल फितरत वाले अय्यर ने अब इस मकसद के लिए एक नया तरीका अपनाया है. 

Screenshot Twitterseite Harish Iyer
तस्वीर: www.twitter.com/hiyer

हरीश अय्यर अब एक रेडियो शो "गेडियो" के होस्ट बन गये हैं. यह भारत में लेस्बियन, गे, बाय सेक्सुएल और ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) समुदाय को समर्पित पहला रेडियो शो है. भारत में समलैंगिकता अब भी ऐसा विषय है जिस पर खुल कर बात नहीं होती. देश में समलैंगिक शारीरिक संबंधों के लिए 10 साल तक की सजा हो सकती है.

30 वर्षीय अय्यर ने बताया, "एक कार्यकर्ता होने के नाते यह मेरे डीएनए में है कि मैं किसी मकसद के खड़ा होऊं." वह कहते हैं, "सामाजिक कार्य के दौरान आपको दिल को छू लेने वाली कई प्रेम कहानियां मिलती हैं लेकिन आप तो उन लोगों को बचाने में ही जुटे रहते हैं. अब इस शो पर मैं उनके नरम पक्ष को देखता हूं."

यह शो इश्क नाम के एफएम रेडियो चैनल पर मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में सुना जा सकता है. इसे जुलाई में शुरू किया गया है. दो घंटे के इस शो में आए लोगों में एक सिख-मुस्लिम जोड़ा भी शामिल है. उन्होंने बताया कि कैसे वे 12 साल पहले एक दूसरे से मिले और उनका रिश्ता आगे बढ़ा. 
एक अन्य शो में एक मां ने अपने बेटे के एक्स-बॉयफ्रेंड के बारे में बताया जबकि एक एपिसोड में एक हेट्रोसेक्सुअल पुरूष और उसकी ट्रांसजेंडर पत्नी ने अपनी कहानी बयान की.

अय्यर 2015 में उस वक्त सुर्खियों में आए जब उनकी मां ने एक अंग्रेजी अखबार में विज्ञापन दिया कि उन्हें अपने बेटे के लिए "दूल्हा चाहिए". अब उनके शो पर लोग अपनी ऐसी ही अनोखी कहानी बताते हैं.

ऐसा कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है जिसके पता चले कि भारत में एलजीबीटी समुदाय के कितने लोग हैं, लेकिन सरकार का अनुमान है कि देश में लगभग 25 लाख समलैंगिक हैं. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि असल संख्या इससे कहीं ज्यादा है क्योंकि बहुत से लोग भेदभाव के डर से अपनी लैंगिक पहचान को कभी बताते ही नहीं हैं. 

इश्क रेडियो की नेशनल ऑपरेशंस हेड शिवांगिनी जाजोरिया का कहना है कि उनका रेडियो सीमाओं को तोड़ना चाहता था और हर तरह के रिश्तों की कहानी बताना चाहता है. उनका कहना है, "जब मुसलमान और सिख जोड़ा अपनी कहानी बयान करता है, तो दूसरे लोगों को भी खुल कर अपनी बात कहने की हिम्मत मिलती है. लोग भी इस तरह की कहानियों के जरिए एलजीबीटी समुदाय को बेहतर समझ रहा है."

एके/एनआर (रॉयटर्स)

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