मवेशियों में फैले लंपी त्वचा रोग का भारत की अर्थव्यवस्था पर असर अब सामने आ रहा है. ऐसी नौबत आ गई है कि भारत को घी, मक्खन जैसी चीजों का दूसरे देशों से आयात करना पड़ सकता है.
विज्ञापन
लंपी त्वचा रोग के असर की वजह से 2022-23 में भारत में दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन दूध की मांग बढ़ गई. यह जानकारी देते हुए केंद्रीय पशुपालन और डेरी सचिव राजेश कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि इसी अवधि में मांग में आठ से 10 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली.
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में लंपी त्वचा रोग से 2022 में करीब 1.9 लाख मवेशी मारे गए और बड़ी संख्या में मवेशी संक्रमित हुए. यह मवेशियों में फैलने वाली एक वायरल बीमारी है जो खून पीने वाले मक्खियों, मच्छरों जैसे कीड़ों की कुछ खासी प्रजातियों द्वारा फैलाया जाता है. इससे मवेशियों को बुखार होता है, त्वचा पर गांठें निकल आती हैं, दूध की मात्रा कम हो जाती है और कई मामलों में मौत भी हो जाती है.
भंडार पिछले साल के मुकाबले कम
अब इस बीमारी का देश के डेरी क्षेत्र पर असर खुल कर सामने आ रहा है. दूध उत्पादन के ना बढ़ने से कई उत्पादों की कमी हो गई थी. बीते महीनों में दूध पाउडर जैसे कुछ उत्पादों की उपलब्धि बेहतर तो हुई है, लेकिन घी, मक्खन आदि जैसे उत्पादों का भंडार पिछले साल के मुकाबले कम है.
तीन जानवरों के दूध की चीज, जो गुफाओं में बनती है
04:35
सिंह ने बताया कि मक्खन और घी का भंडार एक साल पहले 75,000 टन था, लेकिन इस साल वह गिर कर 36,000 टन पर आ गया है. इस वजह से मांग और बढ़ने की सूरत में इन उत्पादों आ आयात करने की जरूरत पड़ सकती है. हालांकि सिंह ने कहा, "आयात की अनुमति जरूरत पड़ने पर ही दी जाएगी. आयात से किसानों की मदद नहीं होती है, उससे उपभोक्ताओं की मदद होती है.
आत्मनिर्भरता को ठेस
बीमारी के असर की वजह से भारत में दूध के दामों में भी उछाल आया है. पिछले करीब एक दशक में दूध के दाम इतनी तेजी से नहीं बढ़े थे, जितने पिछले एक साल में बढ़े हैं. भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है और देश के अंदर दूध और दूध उत्पादों की मांग पूरी करने में आत्मनिर्भर है.
अगर इस साल कुछ दूध उत्पादों के आयात की जरूरत पड़ती है, तो यह देश के लिए एक अनोखी बात होगी. इससे पहले 2011 में कुछ दूध उत्पादों के आयात की जरूरत पड़ी थी.
(रॉयटर्स से जानकारी के साथ)
गाय से नहीं, पौधों से बनने वाला दूध
भारत के ज्यादार घरों में गाय के दूध का इस्तेमाल होता है. लेकिन आजकल वीगन डायट का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. साथ ही कई लोगों को पांरपरिक दूध में पाए जाने वाले लैक्टोस से एलर्जी भी होती है. ऐसे लोगों के पास कुछ विकल्प हैं.
तस्वीर: Zacharie Scheuer/dpa/picture alliance
सोया का दूध
सभी प्लांट मिल्क की तुलना में सोया के दूध में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है. एक कप (240 एमएल) सोया के दूध में करीब 6 ग्राम प्रोटीन मिलता है. सोया मिल्क कैल्शियम और विटामिन डी से भी भरपूर होता है.
तस्वीर: kostrez/Zoonar/picture alliance
बादाम का दूध
बादाम के दूध की दुनिया में काफी डिमांड है. यह इसलिए क्योंकि बादाम खुद काफी पोषक है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन ई और गुणकारी मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है. एक कप आल्मंड मिल्क में करीब 1 ग्राम प्रोटीन होता है. बादाम का दूध बच्चों और वयस्कों दोनें के लिए अच्छा विक्लप है, जिन्हें गाय या दूसरे जानवरों के दूध से एलर्जी है.
तस्वीर: Barbara Neveu/Zoonar/picture alliance
काजू का दूध
काजू के दूध का स्वाद मलाईदार होता है. यह विटामिन, खनिज, हेल्थी फैट और अन्य लाभकारी तत्वों से भरपूर है. यह इम्यूनिटी, दिल, आंख और त्वचा के लिए भी लाभदायक है.
तस्वीर: Elisabeth Cölfen/Shotshop/imago images
नारियल का दूध
कोकोनट मिल्क आजकल काफी ट्रेंड में है. यह सैचुरेटेड फैट से भरपूर होता है. एक कप नारियल के दूध में करीब 4 ग्राम प्रोटीन होता है. कोकोनट मिल्क का उपयोग अक्सर कई एशियाई व्यंजनों में किया जाता है.
तस्वीर: J. Pfeiffer/imageBROKER/picture alliance
चावल का दूध
सोया, पारंपरिक दूध और नट्स की तुलना में चावल में बहुत कम एलर्जेन होते हैं. इसमें करीब 1 ग्राम (एक कप) प्रोटीन होता है. जिन लोगों को लैक्टोस से एलर्जी है, उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है.
तस्वीर: Eva Gruendemann/Westend61/imago images
कीनूआ का दूध
कीनूआ एक तरह का अनाज है जिसे अक्सर सलाद के रुप में खाया जाता है. यह बाकी अनाजों की तुलना में ज्यादा प्रोटीन और फाइबर प्रदान करता है. यह ग्लूटेन-फ्री होता है और इसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं. यह आयरन, मैग्नीशियम और जिंक से भरपूर है.
तस्वीर: Florian Kopp/imageBROKER/picture alliance
ओट/जई का दूध
ओट मिल्क का स्वाद सौम्य और मलाईदार होता है. गाय के दूध की तुलना में ओट मिल्क में अधिक विटामिन बी-2 होता है. ओट/जई के दूध का इस्तेमाल मीठे और नमकीन दोनों प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है. एक कप ओट मिल्क में करीब 4 ग्राम प्रोटीन होता है.
तस्वीर: Zacharie Scheuer/dpa/picture alliance
तीसी का दूध
बाजार में कई तरह के दूध के विकल्पों के बीच फ्लैक्स मिल्क भी मिलता है. फ्लैक्स मिल्क में डेयरी मिल्क के मुकाबले कम कैलोरी और कम फैट होता है.
तस्वीर: Peter Himmelhuber/Zoonar/picture alliance
मटर का दूध
सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन चिंता की बात नहीं है क्योंकि इस दूध का स्वाद हरे मटर की तरह नहीं होता. मटर के दूध में एक तिहाई सैचुरेटेड फैट होता है. इसमें गाय के दूध की तुलना में 50 प्रतिशत ज्यादा कैल्शियम होता है.