मैडागास्कर में बलात्कारियों को बधिया करने का बिल पारित
१२ फ़रवरी २०२४
मैडागास्कर की संसद ने उस बिल को पारित कर दिया है, जिसके तहत बच्चों के साथ बलात्कार करने वालों को बधिया करने की सजा का प्रावधान है.
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मैडागास्कर में बच्चों के साथ बलात्कार करने वालों को बधिया करने की सजा का प्रस्ताव पेश किया गया है. इस बिल का मानवाधिकार संगठनों ने विरोध किया है. पिछले हफ्ते इस बिल को ऊपरी सदन से मंजूरी मिल गई थी. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस कानून को ‘क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक‘ बताया है.
बीते बुधवार देश के ऊपरी सदन सेनेट ने इस बिल को पारित कर दिया. इस बिल में बच्चों के बलात्कारियों को रासायनिक और सर्जरी के जरिए नपुंसक बनाने का प्रावधान है. संसद का निचला सदन नेशनल असेंबली पहले ही इस बिल को पारित कर चुका है.
महिलाओं के खिलाफ अपराध में 134 सांसद, विधायक शामिल
एक रिपोर्ट के मुताबिक 134 मौजूदा सांसद और विधायक महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों का सामना कर रहे हैं. इन अपराधों में छेड़छाड़, क्रूरता, वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिग लड़की को खरीदने से लेकर बलात्कार तक के मामले शामिल हैं.
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दागी जन प्रतिनिधि
एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल 134 मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं. यह रिपोर्ट चुनावी सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एडीआर ने इन जन प्रतिनिधियों के हलफनामों के आधार पर बनाई है.
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गंभीर अपराध
इन 134 जन प्रतिनिधियों में से 21 सांसद हैं और 113 विधायक हैं. महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में लज्जा भंग करने के आशय से महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, जबरन विवाह कराने के लिए अपहरण, पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता, वेश्यावृत्ति के लिए नाबालिग लड़की को खरीदना और बलात्कार जैसे मामले शामिल हैं.
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सबसे ज्यादा मामले बीजेपी में
ऐसे जन प्रतिनिधियों की सबसे ज्यादा संख्या बीजेपी में है. जहां बीजेपी में ऐसे 44 सांसद और विधायक हैं, वहीं कांग्रेस में 25, आम आदमी पार्टी में 13, तृणमूल कांग्रेस में 10 और बीजेडी में ऐसे आठ सांसद और विधायक हैं.
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पश्चिम बंगाल में बुरा हाल
इस तरह के 26 जन प्रतिनिधियों के साथ राज्यवार सूची में पश्चिम बंगाल सबसे आगे है. उसके महाराष्ट्र और ओडिशा में ऐसे 14, दिल्ली में 13, आंध्र प्रदेश में नौ और बिहार में आठ सांसद और विधायक हैं.
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बलात्कार के आरोप
सभी 134 जन प्रतिनिधियों में से कम से कम 18 के खिलाफ बलात्कार के मामले दर्ज हैं. इनमें चार सांसद और 14 विधायक हैं, जिनमें से सात बीजेपी में, छह कांग्रेस में और आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस में एक-एक हैं.
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लगनी चाहिए रोक
एडीआर का कहना है कि ये गंभीर मामले हैं जिनमें अदालतों द्वारा या तो आरोप तय कर दिया गए हैं या संज्ञान ले लिया गया है. इसलिए इस तरह के लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए. फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार राजनीतिक दलों को यह बताना चाहिए कि आपराधिक मामलों वाले लोगों को चुनाव लड़ने के टिकट क्यों दिए जाते हैं.
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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सरकार से अनुरोध किया है कि इस प्रस्तावित कानून को पास ना करे क्योंकि "इससे बच्चों के यौन शोषण की समस्या हल नहीं होगी."
लेकिन कानून मंत्री लैंडी म्बोलातियाना रांद्रियामनानतेनासोआ ने इस प्रस्तावित कानून का बचाव किया है. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि हिंद महासागर में बसा यह देश "एक संप्रभु देश है और अपने कानूनों में बदलाव करने का उसे पूरा अधिकार है."
रांद्रियामनानतेनासोआ ने कहा, "बलात्कार के मामलों में जिस तरह से वृद्धि हो रही है, हमें कुछ तो करना ही था. पिछले साल बच्चों के बलात्कार के 600 मामले आए थे.”
रसायनिक या सर्जरी से बधियाकरण
अब तक देश में बच्चों के साथ बलात्कार के लिए पांच साल की सजा का कानून है. नए कानून में दस साल से कम उम्र के बच्चों के साथ बलात्कार करने वालों को सर्जरी के जरिए बधिया बनाए जाने का प्रावधान रखा गया है.
10 से 13 वर्ष तक के बच्चों के साथ बलात्कार में बधियाकरण के लिए रासायनिक या सर्जरी दोनों ही तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि 13 से 18 साल तक अवयस्कों के साथ बलात्कार करने वालों को रासायनिक बधियाकरण की सजा दी जाएगी.
कोर्ट के वो फैसले जिनसे महिलाएं बनीं सशक्त
भारतीय सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने देश की आधी आबादी के पक्ष में कई ऐसे ऐतिहासिक फैसले सुनाए जिनसे वो और अधिक सशक्त हुईं हैं.
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एमटीपी एक्ट के दायरे में मैरिटल रेप
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) एक्ट के तहत रेप के दायरे में मैरिटल रेप भी आएगा.
दिल्ली हाई कोर्ट ने फरवरी 2023 में कहा है कि किसी आरोपी महिला का वर्जिनिटी टेस्ट करना संविधान के खिलाफ है. यह अनुच्छेद-21 का उल्लंघन है.
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शक के आधार पर डीएनए टेस्ट नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के डीएनए टेस्ट पर एक अहम फैसले में कहा कि वैवाहिक विवाद मामले में नाबालिग बच्चे का डीएनए टेस्ट रेगुलर कोर्स में और सिर्फ शक के आधार पर नहीं किया जा सकता है.
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बलात्कार तो बलात्कार है, चाहे पति क्यों न करे
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि एक व्यक्ति केवल इसलिए दुष्कर्म के मुकदमे से बच नहीं सकता क्योंकि पीड़िता उसकी बीवी है. बेंच ने कहा यह समानता के अधिकार के खिलाफ है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा "एक पुरुष एक पुरुष है, एक कृत्य एक कृत्य है; बलात्कार एक बलात्कार है, चाहे वह पुरुष 'पति' द्वारा 'पत्नी' पर किया जाए."
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यह कानून तभी अमल में आएगा जब राष्ट्रपति आंद्रे रायोलिना इस पर हस्ताक्षर करेंगे और उसके बाद संवैधानिक अदालत इसे मंजूरी देगी.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के क्षेत्रीय निदेशक टिगेरे चौगता कहते हैं कि कानून किसी को बधिया करना क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के मानकों के तो विरुद्ध है ही, संविधान-सम्मत भी नहीं है क्योंकि "संविधान में यातनाएं देने के खिलाफ प्रावधान मौजूद हैं.”
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समर्थन भी है
लेकिन देश में बहुत से महिला अधिकार कार्यकर्ता इस सजा का समर्थन करते हैं. ‘विमिन ब्रेक द साइलेंस' नाम के आंदोलन की जेसिका लोलोनिरीना निवेसेहेनो कहती हैं कि बधियाकरण से "बलात्कार की संस्कृति पर रोकथाम में मदद मिल सकती है क्योंकि बहुत से मामलों में तो परिवार के बीच बातचीत से ही समझौता कर लिया जाता है.”
एमनेस्टी ने कहा, "बलात्कार के बहुत से मामले तो दर्ज ही नहीं होते और अपराधी अक्सर छूट जाते हैं क्योंकि पीड़ित और उनके परिजनों को बदले की कार्रवाई और सामाजिक कलंक का डर होता है और न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं होता.”
महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक है दिल्ली
भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों के देखते हुए कहा जा सकता है कि महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) ने हर राज्य के अपराध दर के अनुसार इन्हें महिलाओं के लिए यह रैंक दी है.
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1. दिल्ली
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2. असम
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3. ओडिशा
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4. तेलंगाना
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5. राजस्थान
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6. हरियाणा
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7. पश्चिम बंगाल
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8. मध्य प्रदेश
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9. आंध्र प्रदेश
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10. अरुणाचल प्रदेश
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11. चंडीगढ़
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12. केरल
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13. महाराष्ट्र
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14. त्रिपुरा
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15. सिक्किम
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16. जम्मू और कश्मीर
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17. उत्तर प्रदेश
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18. छत्तीसगढ़
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19. कर्नाटक
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20. गोवा
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21. अंडमान और निकोबार
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22. पंजाब
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23. दमन और दीव
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24. हिमाचल प्रदेश
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25. झारखंड
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26. उत्तराखंड
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27. गुजरात
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28. मेघालय
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29. बिहार
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30. मिजोरम
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31. लक्षद्वीप
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32. मणिपुर
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33. दादर और नागर हवेली
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34. तमिलनाडु
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35. पुद्दुचेरी
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36. नागालैंड
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मैडागास्कर में एमनेस्टी के सलाहकार नीको वा नीको कहते हैं कि यह कानून पीड़ितों को केंद्र में रखता है, ना कि अपराधियों को. उन्होंने कहा, "बधियाकरण गंभीर और बदला ना सकने वाला नुकसान है. ऐसे मामले भी होते हैं जिनमें किसी व्यक्ति को दोषी पाया गया और फिर अदालतों ने उसे निर्दोष पाया और रिहा कर दिया.”
दुनिया के कई देशों में इस तरह के कानून लागू हैं. अमेरिका के कुछ राज्यों में बार-बार बच्चों के यौन शोषण का दोषी पाए गए लोगों को इस तरह की सजा देते हैं. सबसे पहले 1996 में कैलिफॉर्निया प्रांत ने ऐसा कानून लागू किया था. उसके बाद फ्लोरिडा, आयोवा और टेक्सस समेत सात राज्य अलग-अलग रूप में ऐसा कानून ला चुके हैं. इंडोनेशिया, पाकिस्तान और दक्षिण कोरिया में भी बच्चों के बलात्कारियों के लिए ऐसी सजा के प्रावधान हैं.