मधुबाला का नाम हिंदी सिनेमा की उन अभिनेत्रियों में शामिल है, जो पूरी तरह सिनेमा के रंग में रंग गईं और अपना पूरा जीवन इसी के नाम कर दिया.
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मधुबाला को अभिनय के साथ-साथ उनकी सुंदरता के लिए भी जाना जाता है. उन्हें 'वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा' और 'द ब्यूटी ऑफ ट्रेजेडी' जैसे नाम भी दिए गए. मधुबाला का जन्म 14 फरवरी, 1933 को दिल्ली में हुआ था. इनके बचपन का नाम मुमताज जहां देहलवी था. इनके पिता का नाम अताउल्लाह और माता का नाम आयशा बेगम था. शुरुआती दिनों में इनके पिता पेशावर की एक तंबाकू फैक्ट्री में काम करते थे. वहां से नौकरी छोड़ उनके पिता दिल्ली, और वहां से मुंबई चले आए, जहां मधुबाला का जन्म हुआ.
वेलेंटाइन डे वाले दिन जन्मीं इस खूबसूरत अदाकारा के हर अंदाज में प्यार झलकता था. उनमें बचपन से ही सिनेमा में काम करने की तमन्ना थी, जो आखिरकार पूरी हो गई.
कब बदला नाम
मुमताज ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1942 की फिल्म 'बसंत' से की थी. यह काफी सफल फिल्म रही और इसके बाद इस खूबसूरत अदाकारा की लोगों के बीच पहचान बनने लगी. इनके अभिनय को देखकर उस समय की जानी-मानी अभिनेत्री देविका रानी बहुत प्रभावित हुईं और उन्होंने मुमताज जहां देहलवी को अपना नाम बदलकर 'मधुबाला' रखने की सलाह दी.
सिनेमा की सदी
भारतीय सिनेमा के इतिहास में बेशुमार फिल्में बनीं हैं, लेकिन इनमें से कुछ मील का पत्थर साबित हुई. एक नजर ऐसी ही फिल्मों पर.
तस्वीर: picture alliance / Everett Collection
राजा हरिश्चंद्र (1913)
दादा साहब फाल्के की इसी फिल्म के साथ 1913 में हिन्दी सिनेमा का सफर शुरू हुआ जो अब 100 साल की उम्र हासिल कर चुका है. उस वक्त कहानियां धार्मिक ग्रंथों और ऐतिहासिक चरित्रों से ली जाती थीं. महिलाओं के किरदार भी पुरुष निभाया करते थे.
तस्वीर: gemeinfrei
आलम आरा (1931)
फिल्में तो बनने लगीं लेकिन वो खामोश थीं. 18 साल बाद आई आलम आरा हिन्दी की पहली बोलती फिल्म थी. इसके जरिए लोगों ने आवाज और संगीत से सजी चलती फिरती बोलती तस्वीरें देखी.
तस्वीर: public domain
आवारा (1951)
राज कपूर की आवारा के साथ हिन्दी सिनेमा ने रूस, चीन समेत कई देशों में कदम रखे. फिल्म बहुत मशहूर हुई और इसे जानने वाले लोग भारतीयों को अब भी इस फिल्म से जोड़ कर देखते हैं. फिल्म का टाइटल सॉन्ग भी खासा लोकप्रिय हुआ. यहां तक कि दुनिया के कई देशों से राजकपूर को न्योते मिलने लगे.
गुरुदत्त और माला सिन्हा की जोड़ी से सजी प्यासा आजादी के बाद शहरी भारत में पनपते आर्थिक दिक्कतों में घुटते प्यार की अनोखी कहानी थी. प्यासा ने हिन्दी फिल्मों के लिए प्यार की एक परिभाषा बनाई जो जज्बाती होने के साथ ही व्यवहारिक भी थी.
तस्वीर: Guru Dutt Films
मदर इंडिया (1957)
असली भारत के असली गांव और उनकी सच्ची मुश्किलें. मदर इंडिया पर वास्तविकता की इतनी गहरी छाप थी कि किरदारों का दर्द लोगों के दिल में कहीं गहराई तक बैठ गया. फिल्म विदेशी फिल्मों की श्रेणी में ऑस्कर का नामांकन भी ले गई. फिल्म में पश्चिम के लोगों ने भारत की दिक्कतें देखीं और वो उनके मन में गहरी दर्ज हुई.
एक तरफ विशाल मुगल साम्राज्य की शान तो दूसरी तरफ मुहब्बत का जुनून. प्रेम के नाम पर हुई बाप बेटे की इस जंग में कला साहित्य की दुनिया को अनारकली मिली, ट्रेजडी किंग मिला और आने वाले कई दशकों के लिए हिन्दी सिनेमा की ऐतिहासिक फिल्मों को तौलने का पैमाना तय हुआ.
आराधना (1969)
खूबसूरत वादियों में प्यार के गीत गाते चिकने चेहरे, थोड़ी बहुत कॉमेडी और ढेर सारी उछल कूद, ये आराधना जैसी फिल्मों का दौर था और इस वक्त के नायक थे मीठे बोल वाले राजेश खन्ना.
तस्वीर: UNI
शोले (1975)
खूब नाच गाना और प्यार मुहब्बत देखने के बाद हिन्दी फिल्मों की मुलाकात गब्बर सिंह से हुई. रामगढ़ में जय वीरू की गब्बर से जंग ने ऐसी आग लगाई कि बसंती की बड़ बड़ करती और जया बच्चन की खामोश मुहब्बत भी उसकी लपटों को मद्धिम न कर सकीं. 38 साल से धधकते शोलों की जुबान आज भी बच्चा बच्चा बोलता है.
हम आपके हैं कौन (1994)
देश में आर्थिक उदारवाद बढ़ा तो मध्यम वर्ग की जेब में पैसा आया और फिर शुरू हुई रंग बिरंगे कपड़ों और सुंदर जीवनशैली से लोगों का मन बहलाने की कोशिश. पूरे परिवार के साथ बैठ कर देखने वाली फिल्म ने लोगों की भावना को बहुत गहरे तक छुआ और देश ने केवल परिवेश बदल कर पेश की गई एक पुरानी कहानी को सबसे सफल फिल्मों में शामिल करा दिया.
तस्वीर: AP
कभी खुशी कभी गम (2001)
पेट भर अच्छा खाना खाने और बढ़िया जीवन जीने के बाद मध्यम वर्ग के पैर विदेशों की तरफ बढ़ चले और फिर तब नई तरह की फिल्मों का आगाज हुआ. भारी भव्यता और बेशुमार भावुक लम्हों वाले शहरी अभिजात्य वर्ग को लुभाने के लिए फिल्में भी वैसी ही बनी और इनमें नई उन्नत तकनीकों का भी भरपूर इस्तेमाल हुआ. कभी खुशी कभी कम का नायक अपने घर हेलिकॉप्टर से आता है.
तस्वीर: Rapid Eye Movies
लगान (2001)
लगान से पहले भारत के सपनों की दुनिया में या तो आजादी थी या फिर प्यार और पैसा. आशुतोष गोवारिकर की फिल्म ने एक नया सपना दिया कुछ अनोखा और अच्छा कर दिखाने का. हजारों कहानियां पर्दे पर उतारने वाले भारत की जिन दो कहानियों को देसी फिल्मकार ऑस्कर की दहलीज तक ले कर जा पाए वो दोनों ही भारत के गांवों की थी और दोनों के बीच फासला 44 साल का था.
हिन्दी फिल्मों के लिए भारत पाकिस्तान की दुश्मनी और दोस्ती दोनों ही बड़ा मसाला है लेकिन बात अगर बॉक्स ऑफिस की हो तो दुश्मनी दोस्ती पर भारी पड़ जाती है. विभाजन की त्रासदी पर बनी इस मसाला फिल्म जैसी सफलता किसी और को नहीं मिली. प्रेम, देश और सन्नी देओल की चीखों ने दर्शकों की उत्तेजना खूब बढ़ाई.
तस्वीर: AP
सिंह इज किंग (2008)
कॉमेडी, रोमांस और एक्शन हिंदी फिल्मों के नए दौर के लिए यह एक और फॉर्मूला तैयार हुआ है. अक्षय कुमार और अजय देवगन तो इसके बड़े सितारे हैं ही परेश रावल, ओमपुरी, नसीरूद्दीन शाह, राजपाल यादव, असरानी और विजय राज जैसे कलाकारों ने अपना लोहा मनवा दिया है.
तस्वीर: AP
गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012)
अनुराग कश्यप, तिग्मांशु धूलिया, रजत कपूर जैसे फिल्मकारों ने सिनेमा के कुछ घरानों के कामयाबी के तयशुदा फॉर्मूले को ठेंगा दिखा दिया है. अब सिर्फ अच्छी फिल्म की बात हो रही है जिसकी कोई पहले से तय परिभाषा नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
दंगल (2016)
मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहे जाने वाले आमिर खान की फिल्म दंगल एक हजार करोड़ रुपए कमाने वाली हिंदी की पहली फिल्म बनी. इस फिल्म के जरिए उन्होंने हऱियाणा की पहलवान बहनों गीता और बबीता फोगट की जिंदगी को पर्दे पर उतारा. इस फिल्म में आमिर खुद उनके पिता महावीर सिंह फोगट के किरदार में थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Kakade
बाहुबली 2 (2017)
निर्देशक एसएस राजामौली की फिल्म यह भारतीय सिनेमा का बाहुबली साबित हुई है. दुनिया भर में इस फिल्म ने कम से कम डेढ़ हजार करोड़ रुपए का कारोबार किया है. अपने किरदारों और स्पेशल इफ्केट के कारण इसने करोड़ों लोगों का दिल जीता है. मूल रूप से तेलुगु और तमिल में बनी इस फिल्म को कई भाषाओं में डब किया गया.
तस्वीर: Arka Media Works
पद्मावत (2018)
संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित यह फिल्म काफी विवादों में रही. फिल्म के रिलीज के विरोध में भारत के अलग-अलग इलाकों में विरोध-प्रदर्शन हुए. इसके बावजूद दर्शकों ने इसे काफी पसंद किया. फिल्म ने करीब 400 करोड़ रुपये की कमाई की.
तस्वीर: picture alliance / Everett Collection
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वर्ष 1947 में आई फिल्म 'नील कमल' मुमताज के नाम से आखिरी फिल्म थी. इसके बाद वह मधुबाला के नाम से जानी जाने लगीं. इस फिल्म में महज चौदह वर्ष की मधुबाला ने राजकपूर के साथ काम किया. 'नील कमल' में अभिनय के बाद से उन्हें सिनेमा की 'सौंदर्य देवी' कहा जाने लगा.
इसके दो साल बाद मधुबाला ने बॉम्बे टॉकिज की फिल्म 'महल' में अभिनय किया और फिल्म की सफलता के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उस समय के सभी लोकप्रिय अभिनेताओं के साथ उनकी एक के बाद एक फिल्में आती रहीं. मधुबाला ने अशोक कुमार, रहमान, दिलीप कुमार और देवानंद जैसे कलाकारों के साथ काम किया.
अभिनय पर उठे सवाल
वर्ष 1950 के दशक के बाद उनकी कुछ फिल्में नाकाम भी हुईं. असफलता के समय आलोचक कहने लगे थे कि मधुबाला में प्रतिभा नहीं है बल्कि उनकी सुंदरता की वजह से उनकी फिल्में हिट हुई हैं. इसके बावजूद मधुबाला कभी निराश नहीं हुईं. कई फिल्में फ्लॉप होने के बाद 1958 में उन्होंने एक बार फिर अपनी प्रतिभा को साबित किया और उसी साल उन्होंने भारतीय सिनेमा को 'फागुन', 'हावड़ा ब्रिज', 'काला पानी' और 'चलती का नाम गाड़ी' जैसी सुपरहिट फिल्में दीं.
बॉलीवुड का सबसे महान गाना कौन सा है?
हिंदी सिनेमा में गीतों की समृद्ध परंपरा को देखते हुए किसी एक गाने को सबसे महान कहना जरा मुश्किल है. लेकिन जब हमने अपने पाठकों से इस बारे में पूछा तो देखिए हमें क्या क्या जवाब मिले.
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जब प्यार किया तो डरना क्या.. (मुगले आजम, 1960)
मुगले आजम भारतीय सिनेमा में मील के पत्थर की हैसियत रखती है. आज भी न सिर्फ यह गीत बड़े चाव से सुना जाता है, बल्कि इश्क-मोहब्बत के जिक्र पर जुमले के तौर पर इसका इस्तेमाल होता है.
तीसरी कसम फिल्म का यह गीत जीवन के दर्शन को बेहद सादे और प्रभावी तरीके से सामने रखता है. पर्दे पर राज कपूर और वहीदा रहमान के अभिनय और मुकेश की आवाज ने गजब का जादू बिखेरा.
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जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया.. (सिकंदर ए आजम, 1965)
1965 में बनी फिल्म सिकंदर ए आजम का यह गीत सबसे लोकप्रिय देशभक्ति गीतों में शुमार किया जाता है. स्कूल-कॉलेज के कार्यक्रमों से लेकर शादियों में आज तक यह गीत सुनाई देता है.
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ये देश है वीर जवानों का.. नया दौर (1957)
पर्दे पर दिलीप कुमार और अजीत ने देशभक्ति के इस गीत को अमर बना दिया. मोहम्मद रफी के अलावा इस गीत में दूसरी आवाज बलबीर की है. साहिर लुधयानवी के इस गीत को ओपी नैय्यर ने अपने खनकते संगीत से सजाया.
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ऐसे मेरे वतन के लोगों...
देशभक्ति का यह गीत किसी फिल्म का हिस्सा नहीं है. बताते हैं कि 1962 की भारत-चीन लड़ाई में मारे गये भारतीय सैनिकों को समर्पित इस गीत को सुनने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आंखें नम हो गयी थीं.
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कर चले हम फिदा जानो तन साथियो.. (हकीकत, 1964)
भारत-चीन की जंग पर बनी फिल्म हकीकत का यह गीत युद्धभूमि के विकट हालात और सैनिकों के जीवट को पेश करता है. कैफी आजमी का लिखा और मदन मोहन के संगीत से सजा यह गीत आज भी बहुत लोकप्रिय है.
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मेरे देश धरती, सोना उगले उगले.. (उपकार, 1967)
देशभक्ति गीतों का जिक्र इस गीत के बिना पूरा नहीं हो सकता. उपकार न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट रही, बल्कि इसने मनोज कुमार को नया नाम दिया- मिस्टर भारत. इसके बाद उन्होंने कई देशभक्ति फिल्में बनायीं.
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मेरे ख्वाबों में जो आए.. (दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे, 1995)
आदित्य चोपड़ा की इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा में सफलता के नये कीर्तिमान बनाये. फिल्म में शाहरुख काजोल की जोड़ी दर्शकों को बेहद पसंद आयी. इसके गानों ने भी खूब धूम मचायी.
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संदेसे आते हैं.. (बॉर्डर, 1997)
जेपी दत्ता के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में लोंगेवाला में हुई लड़ाई को पर्दे पर उतारा गया. फिल्म के साथ साथ इसका गीत 'संदेसे आते हैं ' बहुत लोकप्रिय हुआ, जिसमें मोर्चे पर तैनात सैनिक घर से आयी चिट्ठियों को बयान करते हैं.
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बाबुल की दुआएं लेती जा.. (नीलकमल, 1968)
शादी के बाद अपनी बेटी को विदा करते पिता के भावों से लबरेज इस गीत को हिंदी सिनेमा के सबसे भावुक गीतों में एक माना जा सकता है. मोहम्मद रफी की आवाज के भावों को पर पर्दे पर बलराज साहनी ने क्या खूबी से पेश किया है.
तस्वीर: picture-alliance / dpa
कहीं दूर जब दिन ढल जाए.. (आनंद 1971)
आनंद फिल्म का यह गीत आज भी जब बजता है, तो ठहर कर सुनने को मन करता है. कैंसर से पीड़ित जो नायक सबके साथ हंसता गाता है, उसकी तन्हाई और जज्बात को बड़ी खूबसूरती से यह गीत बयान करता है. यह तस्वीर 2012 में राजेश खन्ना की अंतिम यात्रा की है.
तस्वीर: dapd
आने वाला पल जाने वाला है.. (गोलमाल, 1979)
गोलमाल फिल्म अपनी कॉमेडी के लिए जितनी जानी जाती है, उतना ही मशहूर इसका यह गीत भी है. किशोर कुमार की हर दिल अजीज अवाज ने इस रोमांटिक गाने को अमर कर दिया. फिल्म में अमोल पालेकर ने बहुत सहज अभिनय किया.
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रमैया वस्ता वइया.. (श्री 420, 1955)
राज कपूर की इस फिल्म का गाना मेरा जूता है जापानी.. बहुत मशहूर है, लेकिन रमैया वस्ता वइया फिर भी बहुत सारे लोगों को पंसद है.
हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक.. (बहु बेगम, 1966)
मुस्लिम सामाजिक पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में प्रदीप कुमार, मीना कुमारी और अशोक कुमार ने काम किया. इस फिल्म के 'हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक' गीत को हिंदी सिनेमा के क्लासिक गीतों में से एक माना जाता है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/R. Kakade
कस्मे वादा प्यार वफा सब.. (उपकार, 1967)
मन्ना डे के गाये इस गीत को सहाबहार अभिनेता प्राण पर फिल्माया गया. रिश्तों और नातों की कई तल्ख हकीकतों को बयान करने वाले इस गीत को इंदीवर ने लिखा था. 2010 की इस तस्वीर में प्राण देवानंद और मनोज कुमार के साथ दिख रहे हैं.
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औलाद वालों फूलो फलो.. (एक फूल दो माली, 1969)
बॉक्स ऑफिस पर बेहद हिट रही एक फूल दो माली हॉलीवुड की क्लासिक फिल्म 'फैनी' (1961) का रिमेक थी. रवि के संगीत से सजे फिल्म सभी गीत भी बहुत लोकप्रिय हुए.
हां जी, सब गोलमाल है. गोलमाल न सिर्फ अपने जमाने में बेहद कामयाब रही, बल्कि अब तो बॉलीवुड में इस नाम से कई और फिल्में बन गयी हैं और अजय देवगन ने इनमें मुख्य भूमिका निभाई है.
तस्वीर: AP
चिठ्ठी न कोई सन्देश.. (दुश्मन 1998)
जगजीत सिंह की आवाज में यह गीत अपनों से बिछुड़ने के दर्द को बयान करता है. 1998 में आयी फिल्म दुश्मन में न सिर्फ नायिका काजोल ने बल्कि खलनायक के रूप में आशुतोष राणा ने भी कमाल का अभिनय किया.
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गली में आज चांद निकला.. (जख्म, 1998)
अल्का याज्ञनिक की आवाज में यह गीत आज भी बेहद पसंद किया जाता है. मुंबई दंगों की पृष्ठभूमि में इस फिल्म की कहानी में बच्चे को लेकर पति और पत्नी के द्वंद्व दिखाया गया है.
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आ ले के चलूं तुझे.. (दूर गगन की छांव में, 1964)
किशोर कुमार के गाये इस गीत को उन्हीं पर फिल्माया भी गया है. इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक भी किशोर कुमार ही थे. यही नहीं, इस फिल्म में बाल कलाकार के रूप किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार ने भी काम किया.
तस्वीर: Pierre Adenis, Deutschland, Edition Lammerhuber (Ausschnitt)
तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा नहीं.. (आंधी, 1975)
संजीव कुमार और सुचित्रा सेन स्टारर आंधी फिल्म को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जिंदगी से प्रेरित बताया गया. हालांकि इसके पटकथा लेखक गुलजार इससे इनकार करते हैं. बहरहाल, इसका यह गीत आज भी बहुत सुना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/KPA
तुम आ गये हो तो तू नूर आ गया है (आंधी, 1975)
आंधी का यह गीत भी बहुत लोकप्रिय है. संजीव कुमार और सुचित्रा सेन पर फिल्माए गये इस गीत को हिंदी सिनेमा के सबसे रोमांटिक नगमों में से एक माना जाता है.
तस्वीर: AP
जिंदा रहने के लिए तेरी कसम.. (सिर्फ तुम, 1999)
अमीन साबरी, फरीद साबरी और जसपिंदर नरुला की आवाज में यह गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था. 1999 में आयी संजय कपूर स्टारर सिर्फ तुम बॉक्स ऑफिस पर खासी सफल रही.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STRDEL
भीगे होंठ तेरे प्यार दिल मेरा.. (मर्डर, 2004)
कुणाल गांजावाला की आवाज में इस मादक गीत को खूब पसंद किया. इस गीत को 'सीरियल किसर' कहे जाने वाले इमरान हाश्मी और मल्लिका सहरावत पर फिल्माया गया.
तस्वीर: AP
पब्लिक है सब जानती है.. (रोटी, 1974)
राजेश खन्ना ने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं जिससे उन्हें हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का दर्जा मिला. उनकी फिल्म रोटी भी बहुत कामयाब रही. इसका यह गाना पब्लिक है सब जानती है.. एक जुमला बन गया है.
तस्वीर: Reuters
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वर्ष 1960 के दशक में मधुबाला ने किशोर कुमार से शादी कर ली. शादी से पहले किशोर कुमार ने इस्लाम धर्म कबूल किया और नाम बदलकर करीम अब्दुल हो गए. उसी समय मधुबाला एक भयानक बीमारी का शिकार हो गईं. शादी के बाद इलाज के लिए दोनों लंदन चले गए. लंदन के डॉक्टर ने मधुबाला को देखते ही कह दिया कि वह दो साल से ज्यादा जीवित नहीं रह सकतीं.
इसके बाद लगातार जांच से पता चला कि मधुबाला के दिल में छेद है और इसकी वजह से इनके शरीर में खून की मात्रा बढ़ती जा रही थी. डॉक्टर भी इस रोग के आगे हार मान गए और कह दिया कि ऑपरेशन के बाद भी वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएंगी. इसी दौरान उन्हें अभिनय छोड़ना पड़ा.
ना बन सकी निर्देशक
इसके बाद उन्होंने निर्देशन में हाथ आजमाया. वर्ष 1969 में उन्होंने फिल्म 'फर्ज और इश्क' का निर्देशन करना चाहा, लेकिन यह फिल्म नहीं बनी और इसी वर्ष अपना 36वां जन्मदिन मनाने के नौ दिन बाद 23 फरवरी,1969 को हुस्न की मलिका दुनिया को छोड़कर चली गईं.
उन्होंने लगभग 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया. इनमें 'बसंत', 'फुलवारी', 'नील कमल', 'पराई आग', 'अमर प्रेम', 'महल', 'इम्तिहान', 'अपराधी', 'मधुबाला', 'बादल', 'गेटवे ऑफ इंडिया', 'जाली नोट', 'शराबी' और 'ज्वाला' जैसी फिल्में शामिल हैं.
एके/एनआर (आईएएनएस)
2017 में दुनिया के सबसे कमाऊ अभिनेता
फोर्ब्स पत्रिका ने इस साल के कमाऊ अभिनेताओं की सूची जारी की है. 20 सबसे ज्यादा कमाने वाले अभिनेताओं ने कुल 72 करोड़ अमेरिकी डॉलर की कमाई की है. हिंदी फिल्मों के तीन नामों समेत इनमें करीब एक चौथाई एशियाई देशों से हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Sharma
20. मार्क रफेलो
पहली बार सबसे ज्यादा कमाई वालों की सूची में शामिल हुए रफेलो को एवेंजर्स में उनकी भूमिका का ये इनाम मिला है. आमदनी 1.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर
तस्वीर: Reuters/T. Melville
19. क्रिस पैट
2016 की तुलना में क्रिस की कमाई 35 फीसदी घटने के बाद भी 1.7 करोड़ डॉलर है. हालांकि गार्जियंस ऑफ गैलेक्सी का तीसरा सीक्वल आने वाला है और शायद तब उनके पुराने दिन लौट आएंगे.
तस्वीर: picture-alliance/R. Shotwell/Invision/AP
18. क्रिस इवैंस
क्रिस ने अपनी फीस बढ़ा दी है. इस साल उनकी कुल कमाई 1.8 करोड़ डॉलर रही है. फिल्मों के अलावा वो गुची के प्रचार में भी दिख रहे हैं.
तस्वीर: Imago/Unimedia Images
17. जेरेमी रेनर
फोर्ब्स की लिस्ट में जेरेमी का आगाज इसी साल हुआ है. अराइवल ने इसके लिए उनका मार्ग प्रशस्त किया. उनकी कुल कमाई इस साल 1.9 करो़ड़ डॉलर है.
तस्वीर: AP
16. मैट डेमॉन
डेमॉन की कमाई एक ही साल में 55 फीसदी घट गई है. हालांकि डाउनसाइजिंग उनके लिए पैसा ला रहा है. इस साल की कुल कमाई 2.1 करोड़ डॉलर रही है.
डेडपूल ने तो खूब पैसा कमा कर दिया लेकिन इसका बहुत छोटा हिस्सा ही रेयॉन को मिला हां उसके सीक्वल से जरूर उनकी कमाई होगी. इस साल ली कुल कमाई 2.15 करोड़ डॉलर
तस्वीर: Andreas Rentz/Getty Images
14. रेयॉन गोसलिंग
ला ला लैंड ने गोसलिंग को ना सिर्फ खूब सारा धन बल्कि बेस्ट एक्टर का ऑस्कर भी दिला दिया. इस साल उनकी कमाई 2.9 करोड़ डॉलर रही है. अब वो हैरिसन फोर्ड के साथ ब्लेड रनर में दिखेंगे.
तस्वीर: Getty Images/C. Polk
13. सैमुएल जैक्सन
68 साल की उम्र में भी जैक्सन अपने साथियों की तुलना में काफी व्यस्त रहते हैं. इस साल उन्होंने कॉन्ग स्कल आईलैंड और द लीजेंड ऑफ टार्जन की बदौलत 3 करोड़ डॉलर की कमाई की है.
तस्वीर: Universum Film
12. टॉम हैंक्स
टॉम हैंक्स ने इस सूची में वापसी कर ली है. इनफर्नो भले ही नहीं चली लेकिन सुली और द सर्किल ने उन्हें अच्छा पैसा दिया. इस साल की कमाई 3.1 करोड़ डॉलर.
ऑस्ट्रेलियाई पॉप स्टार से सुपरहीरो बने हेम्सवर्थ की कमाई में इजाफा प्रतिशत के हिसाब से देखें तो सबसे ज्यादा है तकरीबन 250 फीसदी. इस साल की कुल कमाई 3.15 करोड़ डॉलर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
10. अक्षय कुमार
25 साल से भारत के लोगों का दिल बहलाते आए अक्षय कुमार कब इतने बड़े स्टार बन गए लोगों को पता ही नहीं चला. डिओडरेंट से लेकर बैटरी तक का विज्ञापन भी उन्हें हर साल करोड़ों रुपये देता है. इस साल की कमाई 3.55 करोड़ डॉलर.
तस्वीर: picture alliance/ZUMA Press/ India Today
09. सलमान खान
80 से ज्यादा फिल्मों में काम करने के बाद भी सलमान दर्शकों के दुलारे हैं. सुल्तान अब भी कमाई कर रही है और इस साल उनकी आमदनी करीब 3.7 करो़ड़ डॉलर तक पहुंच गई है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
08. शाहरुख खान
किंग खान का जलवा भी अभी कायम है और वो रईस बने हुए हैं. विज्ञापन की दुनिया भी उनसे निहाल रहती है. इस साल की आमदनी करीब 3.8 करोड़ डॉलर.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Das
07. टॉम क्रूज
55 साल की उम्र में भी टॉम क्रूज इमारतों के ऊपर से छलांग लगा कर और धमाकों के बीच से बच कर निकल रहे हैं. इस साल उनकी कमाई 4.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर रही है.
तस्वीर: Imago
06. रॉबर्ट डाउने जूनियर
भले ही रॉबर्ट अब हॉलीवुड की शीर्ष कमाई करने वाले अभिनेता ना हों लेकिन उससे बहुत दूर भी नहीं गये हैं. इस साल उनकी कमाई 4.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर रही.
तस्वीर: picture-alliance/empics
05. जैकी चेन
चीन में जैकी चेन को बिग ब्रदर कहा जाता है. आपने जिन फिल्मों का नाम भी नहीं सुना होगा उन फिल्मों से वो करोड़ों डॉलर की कमाई करते हैं. हाल ही में उन्होंने कूंग फू योगा भी बनाई थी. इस साल की कमाई 4.9 करोड़ डॉलर.
तस्वीर: Getty Images/G. Cattermole
04. एडम सैंडलर
पुराने दौर में किंग ऑफ डीवीडी कहे जाने वाले सैंडलर ने नेटफ्लिक्स के साथ चार नई फिल्में बनाने का करार किया जिसकी अनुमानित कीमत 25 करोड़ डॉलर बताई जा रही है. इस साल की कमाई 5.05 करोड़ डॉलर.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Pizzello
03. विन डीजल
डीजल से चलने वाली फास्ट एंड फ्यूरियस का आठवां सीक्वल इस साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई वाली फिल्म रही है. इस साल डीजल की कुल कमाई 5.45 करोड़ डॉलर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
02. ड्वैन जॉनसन
पहलवानी में नाम कमाने के बाद जॉनसन का सिक्का फिल्मों में भी खूब चला है और बेवॉच और जुमांजी ने उन्हें खूब लोकप्रिय बनाया. इस साल की कमाई 6.5 करोड़ डॉलर.
तस्वीर: Paramount Pictures/F. Masi
01. मार्क वालबर्ग
कभी रैपर रहे मार्क ने डैडीज होम 2 और ट्रांसफॉर्मर्सः द लास्ट नाइट से जबर्दस्त कमाई की है. इस साल की कमाई 6.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर रही है.