मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर दंगों के बाद प्रशासन ने कई मकान और दुकानों को बुलडोजर और जेसीबी से तुड़वा दिया. राज्य के गृह मंत्री ने चेतावनी दी थी कि "जिस घर से पत्थर आए हैं, उस घर को ही पत्थरों का ढेर बनाएंगे."
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दंगों के एक दिन बाद 12 अप्रैल को खरगोन प्रशासन ने कर्फ्यू के बीच एक अभियान के तहत कम से कम 45 मकानों और दुकानों को बुलडोजर और जेसीबी से ढहा दिया. इनमें 16 मकान और 29 दुकानें शामिल हैं.
प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि यह सारी संपत्ति अवैध निर्माण थी इसलिए ढहाई गई, लेकिन कई पत्रकारों और विपक्ष के नेताओं ने दावा किया है कि ऐसा सिर्फ एक समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लिए किया गया.
खुद राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एक बयान में कहा, "जिस घर से पत्थर आए हैं, उस घर को ही पत्थरों का ढेर बनाएंगे." हिंसा के आरोप में अभी तक 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ये सारे मकान और दुकानें उन्हीं लोगों के हैं.
प्रशासन ने कहा है कि संपत्ति ढहाने का अभियान अभी चलता रहेगा और इसके लिए कुल 50 स्थानों को चिन्हित किया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा, "क्या भारत के किसी कानून या नियम में इस बुलडोजर संस्कृति का प्रावधान है?"
इस बीच मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि अभी तक रामनवमी के दौरान हिंसाग्रस्त रहे सभी राज्यों में कुल मिलाकर 130 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें मध्य प्रदेश के अलावा गुजरात में गिरफ्तार किए गए 39 लोग और मुंबई में गिरफ्तार किए गए सात लोग शामिल हैं.
रामनवमी के एक दिन बाद 11 अप्रैल को ओडिशा के जोड़ा शहर से भी 'शोभा यात्रा' निकाले जाने के दौरान हिंसा की खबरें आईं. शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है.
उधर, अमेरिका के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया गया है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने 11 अप्रैल को एक प्रेस वार्ता में कहा कि भारत में "मानवाधिकारों का शोषण" हो रहा है और अमेरिका स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
ब्लिंकेन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में कहा, "हम हाल ही में भारत में हुई कुछ घटनाओं पर नजर बनाए हुए हैं...इनमें कुछ सरकारी अधिकारियों, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के शोषण के मामलों में हो रही बढ़ोतरी शामिल है."
उन्होंने और विस्तार से कुछ नहीं कहा. सिंह और जयशंकर ने भी मानवाधिकारों के मुद्दे पर कुछ नहीं कहा. दोनों मंत्री भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता में भाग लेने के लिए इस समय वॉशिंगटन में हैं.
तस्वीरों में कैद वो लम्हे जिन्हें भुलाना मुमकिन नहीं
तस्वीरों के सहारे हम इतिहास को जिंदा रखते हैं. देखिए ऐसी कुछ घटनाओं की तस्वीरें जिन्हें शायद ही कोई भारतीय भूल पाए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curran
कन्हैया
जेएनयू छांत्र संघ अध्यक्ष कन्हैया को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद अदालत ले जाया गया और वहां उन पर वकीलों ने हमला कर दिया. उसके बाद छपी इस तस्वीर ने पूरे भारत को दो हिस्सों में बांट दिया. एक हिस्सा कन्हैया के साथ था और दूसरा उसके खिलाफ.
तस्वीर: Reuters
अन्ना आंदोलन
साल 2011 में समाजसेवी अन्ना हजारे ने दिल्ली के रामलीला मैदान में यूपीए सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अनशन किया. अन्ना को लोगों का समर्थन मिला. रामलीला मैदान में उनका समर्थन करने एक लाख से ज्यादा लोग पहुंचे. इस अनशन को खत्म करवाने के लिए सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी.
तस्वीर: AP
गुजरात का नरसंहार
2002 के गुजरात दंगों की यह तस्वीर बहुसंख्यकों की हिंसा का एक ऐसा प्रतीक बन गई कि इस तस्वीर में दिख रहे युवक की जिंदगी भी बदल गई. आज वह खुद अपनी इस तस्वीर पर शर्मिंदा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D'souza
छर्रों की पीड़ित
कश्मीर की 12 साल की यह बच्ची सुरक्षाकर्मियों के चलाए छर्रों में अपनी आंखें खो बैठी. अखबारों में जब इसकी तस्वीर छपी तो सब सहम गए. छर्रों पर बहस शुरू हो गई. अब सरकार नए उपाय तलाश रही है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
पुलवामा हमला
14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ था. इस हमले में 46 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे. इस हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था. भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में बम गिराए थे. इसके जवाब में पाकिस्तान ने कार्रवाई की और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया.
तस्वीर: IANS
रेप की पीड़ा
निर्भया कांड के बाद जब आहत युवा दिल्ली में सड़कों पर उतरे तो इस तस्वीर ने वायरल होकर ऐसा आंदोलन खड़ा किया कि रेप के खिलाफ कानून तक को बदल जाना पड़ा.
तस्वीर: Getty Images/N. Seelam
बाबरी विध्वंस
अयोध्या में बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़े इन युवकों की तस्वीर ने भारत के सामाजिक तानेबाने को तहस-नहस कर दिया. 6 दिसंबर 1992 की फोटो के बाद पूरे भारत में भयानक दंगे हुए और फिर आतंकवाद के एक ऐसे सिलसिले के शुरुआत हुई जो आज तक जारी है.
तस्वीर: AFP/Getty Images
आतंकवादी कसाब
2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले के दौरान आतंकी अजमल आमिर कसाब की तस्वीर सामने आई थी. ये तस्वीर सीएसटी स्टेशन पर ली गई थी. इसी रात कसाब को पकड़ लिया गया था. 2012 में कसाब को फांसी दे दी गई थी.
तस्वीर: AP
गोधरा की जलती ट्रेन
साबरमती एक्सप्रेस के जले हुए एस-6 कोच की यह तस्वीर आजाद भारत के सबसे भयानक सांप्रदायिक दंगों की वजह बना. 28 फरवरी 2002 को अखबारों में छपी इस तस्वीर ने हर भारतीय के मन को दहला दिया था.
तस्वीर: AP
भोपाल की भयानक याद
पीछे पोस्टर में आप एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो देख पा रहे हैं? जमीन में दबी इस लाश की फोटो मशहूर फोटोग्राफ रघु राय ने 1984 में भोपाल गैस कांड के बाद खींची थी. आज भी यह तस्वीर सिहरन पैदा कर देती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
राजीव गांधी की आखिरी तस्वीर
इस तस्वीर के कुछ पलों बाद राजीव गांधी बम धमाके में मारे गए थे. अपनी हत्यारिन के हाथों फूल माला पहनते राजीव गांधी की इस तस्वीर ने भारतीय जनमानस को झकझोर दिया था.
तस्वीर: Getty Images/AFP
महात्मा गांधी की शव यात्रा
आजाद भारत की शायद यह पहली ऐसी तस्वीर थी जिसने हर भारतीय की आंख को भिगो दिया था.