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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

मैजिक मशरूम ने छुड़ाई शराब की लत

२५ अगस्त २०२२

एक प्रयोग के जरिए शराब की लत के शिकार लोगों को मशरूम दिए गए. हैलुसिनेट करने वाले इस मशरूम से वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है.

मैजिक मशरूम का दवा के रूप में प्रयोग
मैजिक मशरूम का दवा के रूप में प्रयोगतस्वीर: Georg Müller/Pilzepilze.de/dpa/picture alliance

भ्रमित करने वाले मशरूम का प्रयोग शराब के आदि हो चुके लोगों को नशा छोड़ने या कम करने में मदद कर सकता है. हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि ये मशरूम नशामुक्ति में सहायक सिद्ध हुए हैं. हालांकि इस बारे में अभी और शोध किए जाने की जरूरत है ताकि पता चल सके कि इनका असर लंबे समय तक रहता है या नहीं.

बुधवार को जेएएमए (JAMA) साइकिएट्री पत्रिका में छपे एक अध्ययन में बताया गया है कि नशामुक्ति के लिए दी जाने वाली दवा साइलोसिबिन को जब इस मशरूम के जरिए दिया गया तो उनकी शराब कम हो गई. हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया है कि अध्ययन में शामिल सभी लोग बहुत ज्यादा प्रोत्साहित थे और उन्हें ‘टॉक थेरेपी' भी दी गई.

साइलोसिबिन मशरूम की कई प्रजातियों में पाया जाता है. यह तत्व हैलुसिनेशन यानी मस्तिष्क को भ्रमित कर सकता है और इसका असर घंटों तक रह सकता है. आदिवासी लोग इनका इस्तेमाल इलाज करने में करते रहे हैं. वैज्ञानिक अब यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यह तत्व अवसाद यानी डिप्रेशन मेंऔर धूम्रपान की लत छुड़ाने में मदद कर सकता है या नहीं.

वैसे साइलोसिबिन अमेरिका में अवैध है. हालांकि ऑरेगन समेत कई शहर इसे वैध कर चुके हैं. अगले साल की शुरुआत से ऑरेगन में इसे निगरानी के अंतर्गत बेचने की इजाजत होगी, जिसके लिए लाइसेंस आवंटित किए जाएंगे.

कैसे हुआ अध्ययन?

जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट फ्रेड बैरेट, जो खुद इस अध्ययन का हिस्सा नहीं थे, कहते हैं कि जामा साइकिएट्री में छपा शोध नियंत्रित वातावरण में किया गया पहला अध्ययन है जिसमें यह जानने की कोशिश की गई कि ये मशरूम शराब ली लत छुड़ाने में मददगार हो सकते हैं या नहीं.

अध्ययन में 93 लोग शामिल हुए. उनमें से कुछ को साइलसिबिन वाले मशरूम दिए गए और अन्यों को एक छद्म दवा दी गई. उसके बाद उन्हें एक सोफे पर लिटाया गया. उनकी आंखें ढकी हुई थीं और हेडफोन के जरिए उन्हें संगीत सुनवाया गया. एक महीने के अंतर पर उन्हें ऐसे दो सत्र दिए गए. साथ ही 12 सत्र ‘टॉक थेरेपी' के हुए जिनमें उनसे उनकी लत के बारे में बात की गई.

पहले सत्र के आठ महीने बाद उन लोगों ने बेहतर प्रदर्शन किया जिन्हें मशरूम दिए गए थे. वे लोग हर दस दिन में लगभग एक बार बहुत ज्यादा शराब पीने पर आ गए थे जबकि जिन्हें छद्म दवा दी गई थी वे हर चार दिन में ऐसा कर रहे थे. मशरूम पाने वाले समूह के लगभग आधे लोगों ने शराब पूरी तरह छोड़ दी, जो कि पूरे समूह का लगभग 24 प्रतिशत हिस्सा था.

नई दवा की जरूरत

शराब की लत छुड़ाने के लिए डाइसलफिराम, नेलट्रेक्सोन और अकैंपरोसेट तीन दवाओं को ही अब तक मंजूरी मिली है. पिछले लगभग 20 साल में शराब छुड़ाने में सहयोगी किसी दवा को मंजूरी नहीं दी गई है.

वैज्ञानिकों को अब भी यह नहीं पता है कि साइलोसिबिन मस्तिष्क में काम किस तरह से करती है लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि कम से कम अस्थायी तौर पर यह मस्तिष्क के प्रबंधन की प्रक्रिया में बदलाव करती है.

न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी के मानसिक रोग विभाग के निदेशक डॉ. माइकल बोगनशुत्स कहते हैं कि साइलोसिबिन से मस्तिष्क में संवाद बेहतर होता है. शोध का नेतृत्व करने वाले जॉ. बोगनशुत्स ने बताया,"मस्तिष्क के ज्यादा हिस्से अन्य हिस्सों से बात कर रहे थे.”

अभी यह नहीं कहा जा सकता कि यह संवाद कितने लंबे समय तक रहता है लेकिन सैद्धांतिक रूप से ‘टॉक थेरेपी' के साथ मिलाकर इस दवा के जरिए आसानी से बुरी आदतों से छुड़ाना और नया रूख अपनाना संभव है. डॉ. बोगनशुल्त्स कहते हैं, "एक संभावना है कि मस्तिष्क में होने वाले प्रबंधन में स्थायी बदलाव लाया जा सके.”

कैसा रहा मरीजों का अनुभव?

बोगनशुल्त्स कहते हैं कि मरीजों ने इस पूरे अनुभव को जिंदगी बदल देने वाला करार दिया. वॉशिंगटन में रहने वालीं 69 वर्षीया मैरी बेथ ओर्र बताती हैं कि जब उन्हें मशरूम दिए गए तो हैलुसिनेशन के दौरान उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे वह बेहद खूबसूरत इलाकों के ऊपर से उड़ान भर रही हैं. उन्हें लगा कि वह टेलीपथी के जरिए इतिहास में हुए रचनात्मक लोगों से बात कर रही हैं और अकेली नहीं हैं.

2018 में इस अध्ययन में हिस्सा लेने से पहले ओर्र हर रोज पांच-छह जाम शराब के पीती थीं और सप्ताहांत में तो और भी ज्यादा पीती थीं. वह कहती हैं, "यह मात्रा अस्वीकार्य थी लेकिन मैं रुक नहीं पाती थी. ऐसा कोई स्विच नहीं था जिसे मैं बंद कर दूं.”

कश्मीर के महंगे मशरूम

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अपने पहले सत्र के दौरान उन्होंने अपने मरहूम पिता को देखा जिन्होंने उन्हें बाज की आंखें दे दीं. वह बताती हैं, "उन्होंने मुझसे कहा, जाओ. बाज की आंखें ईश्वर का चेहरा नहीं देख सकतीं पर वे जानती हैं कि वो कहां है.”

दो साल तक मैरी ओर्र ने शराब को हाथ भी नहीं लगाया. अब वह कभी-कभार शराब पीती हैं और इसका श्रेय साइलोसिबिन को देती हैं. वह कहती हैं, "इसने शराब को मेरे लिए अरुचिपूर्ण और गैरजरूरी बना दिया. मैं अपने बच्चों और अपनों के साथ ऐसा समय बिताती हूं कि यह मेरी शराब के साथ अकेले होने की इच्छा को ही खत्म कर देता है.”

वीके/एए (एपी)

 

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