मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले में मवेशी तस्करी के शक में भीड़ ने 50 वर्षीय व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी. हमले में दो लोग घायल हो गए. पुलिस ने मामले में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं.
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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कथित तौर पर मवेशी तस्करी कर रहे तीन पीड़ित महाराष्ट्र के अमरावती के रहने वाले हैं और बुधवार तड़के उन्हें भीड़ ने नर्मदापुरम जिले में पकड़कर उनकी पिटाई कर दी. भीड़ की पिटाई से नजीर अहमद की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए. जख्मी लोगों के नाम शेख लाला और सैयद मुश्ताक हैं.
नर्मदापुरम के सिवनी मालवा के बराखड़ गांव में भीड़ ने कथित तौर पर गो तस्करी के शक में एक वाहन को रोक लिया. आरोप है कि इसमें सवार नजीर, लाला और मुश्ताक से मारपीट की गई. नर्मदापुरम पुलिस ने पिटाई करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि कुछ अन्य आरोपी फरार बताए जा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि पीड़ित मंगलवार रात 12.30 बजे एक ट्रक में 28 गोवंश अमरावती ले जा रहे थे, तभी गोवंश से लदे ट्रक को देखकर गांव के 10-12 लोगों ने तीनों पर जानलेवा हमला कर दिया. हमले में तीनों गंभीर रुप से घायल हो गए. पुलिस ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया. इलाज के दौरान नजीर अहमद की मौत हो गई. हमले में घायल लाला और मुश्ताक का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है. पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनपर हत्या और हिंसा का केस दर्ज किया गया है. इस मामले में पुलिस ने पीड़ितों पर भी गोवंश तस्करी की धाराओं में मामला दर्ज किया है.
होशंगाबाद के पुलिस अधीक्षक गुरकरण सिंह ने मीडिया को बताया, "घटना नंदेरवाड़ा गांव, जहां उन्होंने अपने ट्रक में गायों को चढ़ाया था, से 8-10 किलोमीटर दूर हुई. उन पर हमला करने वाले गोरक्षक पास के ही गांव के रहने वाले हैं, उन्हें गोवंश तस्करी की सूचना मिली थी."
पुलिस ने हमले के सिलसिले में धारा 302 और 307 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है वहीं दूसरी एफआईआर गो तस्करी से जुड़ी धाराओं के तहत दर्ज की गई है. घटना के बाद से इलाके में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है.
पुलिस का कहना है कि उसने ट्रक से 26 गोवंश बरामद किए हैं जिन्हें सरकारी गोशाला में भेज दिया गया है जबकि दो गोवंश मरी हुई मिलीं. इसके पहले पिछले कुछ सालों में झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर जैसे कई राज्यों में इस तरह की हत्याएं हो चुकी हैं. 2018 में ऐक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला की याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को इन हत्याओं की रोकथाम करने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए थे लेकिन अधिकतर राज्यों में ये अभी तक लागू नहीं हुए हैं.
इनमें इस तरह के मामलों पर तेज गति से अदालतों में सुनवाई, हर जिले में पुलिस के एक विशेष दस्ते का गठन, ज्यादा मामलों वाले इलाकों की पहचान, भीड़-हिंसा के खिलाफ रेडियो, टीवी और दूसरे मंचों पर जागरूकता कार्यक्रम जैसे कदम शामिल हैं.
भारत में इन मुद्दों से खड़ा हुआ विवाद
भारत में बीते कुछ अर्से से हर रोज एक नया विवाद जन्म ले रहा है. ज्यादातर विवाद दो धर्मों के बीच होते हैं. खान-पान, पहनावा और प्रार्थना स्थल को लेकर देश के कई हिस्सों में विवाद पैदा हो चुके हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
कर्नाटक का हिजाब विवाद
जनवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज में छह छात्राओं के हिजाब पहनकर आने से रोकने पर विवाद खड़ा हो गया था. कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों को हिजाब पहनकर कॉलेज में आने से मना कर दिया. जिसके खिलाफ लड़कियों ने विरोध प्रदर्शन किया. मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.
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मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर मचा शोर
महाराष्ट्र में अप्रैल के महीने में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों में प्रार्थनाओं की आवाज को सीमा के भीतर रखने को लेकर अभियान चलाया था. उन्होंने कहा था कि अगर मस्जिदों ने ऐसा नहीं किया तो उनके समर्थक विरोध जताने के लिए मस्जिदों के बाहर हिंदू मंत्रोच्चार करेंगे. महाराष्ट्र की करीब 900 मस्जिदों ने अजान की आवाज कम करने की सहमति दी थी.
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उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में सभी धार्मिक स्थलों से करीब 1.29 लाख लाउडस्पीकर उतारे गए या फिर उनकी आवाज को तय मानकों के मुताबिक कम किया गया. यूपी सरकार ने 23 अप्रैल को धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के आदेश जारी किए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में यह अभियान चलाया. सरकारी कार्रवाई मंदिर, मस्जिद और अन्य संस्थानों के लाउडस्पीकरों पर हुई.
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हिंसक घटनाएं
रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान दो समुदायों के बीच कई जगहों पर हिंसक झड़प हो गई थी. दिल्ली के जहांगीरपुरी में दो समुदायों के बीच झड़प हुई और माहौल तनावपू्र्ण हो गया. इसके अलावा मध्य प्रदेश के खरगोन, मुंबई की आरे कॉलोनी में एक धार्मिक यात्रा के दौरान दो समुदायों के लोगों के बीच हिंसा हुई. कर्नाटक के हुबली में भी एक व्हाट्सऐप संदेश को लेकर बवाल मच गया था.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
बुलडोजर पर सवाल
उत्तर प्रदेश में हाल के महीने में कई मामले सामने आए जिनमें ऐसे आरोपियों के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया जिनका नाम किसी तरह के मामले में दर्ज हुआ. बुलडोजर चलाने को लेकर सवाल भी खड़े हुए और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि नियमों के मुताबिक कार्रवाई की गई है.
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यूपी की तर्ज पर एमपी में भी बुलडोजर चला
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर दंगों के बाद प्रशासन ने कई मकान और दुकानों पर बुलडोजर चलवाकर तोड़ दिया. खरगोन प्रशान ने दंगों के एक दिन बाद 12 अप्रैल को कम से 45 मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की थी. यहां भी सवाल उठे कि बिना नोटिस के प्रशासन ने कार्रवाई क्यों की.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी
एक टीवी बहस के दौरान बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की जिसके बाद अरब जगत से इस पर विरोध दर्ज कराया गया. इसके बाद बीजेपी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निकाल दिया और बयान से किनारा कर लिया. टिप्पणी के विरोध में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं.
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मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी
दिसंबर 2021 में हरिद्वार में एक धर्म संसद हुई थी और इस धर्म संसद में देश के मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए गए. इस धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात कही गई और मीडिया और कोर्ट के खिलाफ भी आपत्तिजनक बयान दिए गए थे.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
कन्हैयालाल का कत्ल
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को एक दर्जी कन्हैयालाल को इस सिर्फ दो मुसलमान व्यक्तियों ने धारदार हथियार से मार डाला क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हॉट्सऐप स्टेटस लगाया था. कन्हैयालाल इस मामले में गिरफ्तार हो चुके थे और शिकायतकर्ता और उनके बीच पुलिस ने समझौता करा लिया था, उन्होंने पुलिस से जान मारने की धमकी मिलने की शिकायत की थी. हत्या के विरोध में राजस्थान में तनाव का माहौल बन गया.