एनसीपी नेता नवाब मलिक को ईडी ने दाऊद इब्राहिम से जुड़े धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया है. शरद पवार ने कहा है कि केंद्रीय एजेंसियों के गलत इस्तेमाल के खिलाफ आवाज उठाने वालों को परेशान किया जा रहा है.
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प्रवर्तन निदेशालय की एक टीम बुधवार सुबह सात बजे ही मलिक को मुंबई स्थित उनके घर से अपने दफ्तर पूछताछ के लिए ले गई थी, जहां बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि एजेंसी मुंबई के कुर्ला इलाके में मलिक द्वारा खरीदे गए एक मकान की जांच कर रही है.
आरोप है कि मलिक ने यह मकान दाऊद इब्राहिम के एक सहयोगी से खरीदा था और वो भी उस समय बाजार में उसकी कीमत से कम दाम पर. पूछताछ के बाद एजेंसी के दफ्तर के बाद मलिक ने पत्रकारों से कहा, "लड़ेंगे, जीतेंगे, सबको एक्सपोज करेंगे."
ईडी ने हाल ही में इस मामले में जांच के तहत कई जगह छापे मारे थे और दाऊद के भाई इकबाल कास्कर को गिरफ्तार भी किया था. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ईडी को कई हवाला लेनदेन के कई मामलों के बारे में पता चला था जिनका संबंध दाऊद, इकबाल मिर्ची, छोटा शकील, जावेद चिकना जैसे गैंगस्टरों से पाया गया था.
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दाऊद के खिलाफ नया मामला
इन मामलों में जबरदस्ती वसूली, ड्रग्स की तस्करी, मुंबई के कई इलाकों में संपत्ति की बिक्री और कई गैर कानूनी तरीकों से की गई कमाई का लेनदेन पाया गया था. ईडी इस मामले में मुंबई में 10 स्थानों पर तलाशी ले चुकी है.
ईडी की यह कार्रवाई राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा कुछ ही दिनों पहले दर्ज किए गए एक ताजा मामले पर आधारित है. एनआईए ने यह मामला दाऊद और उसके सहयोगियों के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज किया है.
नवाब मलिक एनसीपी के वरिष्ठ नेता हैं और मौजूदा महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के और कौशल विकास मंत्री हैं. वो एनसीपी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष हैं. वो कुछ महीनों पहले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ कई दुराचार के आरोप लगाने की वजह से सुर्खियों में आए थे.
वानखेड़े ने बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान समेत 20 लोगों को एक क्रूज शिप से गिरफ्तार किया था और उन पर ड्रग्स रखने का आरोप लगाया था. बाद में वानखेड़े के पिता ने मलिक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी कर दिया था.
वानखेड़े के खिलाफ भी मुंबई पुलिस ने जालसाजी का एक मुकदमा दर्ज किया था. मलिक की गिरफ्तारी पर एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों के गलत इस्तेमाल के खिलाफ आवाज उठाने वालों को परेशान किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि मालिक बेबाकी से बोलते रहे हैं और पार्टी को पहले से यह अंदाजा था कि उन्हें परेशान करने के लिए कुछ न कुछ किया जाएगा. इसके अलावा पवार ने यह भी कहा कि जब भी कोई मुस्लिम एक्टिविस्ट मौजूद केंद्र सरकार को चुनौती देता है, ये लोग आदतन उसका नाम दाऊद से जोड़ देते हैं.
जब दो प्रतिद्वंदी पार्टियों ने मिलाए हाथ
शिवसेना पहले समान विचारधारा वाली भाजपा के साथ थी. अब महाराष्ट्र में एकदम विपरीत विचारधारा वाली कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन और शिवसेना के बीच सरकार को लेकर बात चल रही है. जानिए कब-कब विपरीत विचारधारा वाले दलों ने किया गठबंधन.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/Anand
आरजेडी-जेडीयू -कांग्रेस
लालू यादव और नीतीश कुमार एक साथ छात्र आंदोलनों से निकले थे. लेकिन जल्दी ही वो राजनीति में कट्टर विरोधी हो गए. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में ये दोनों विरोधी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़े. दोनों नेता कांग्रेस के खिलाफ हुए छात्र आंदोलनों के ही अगुआ थे. 2015 में इस गठबंधन ने सरकार बनाई जो ज्यादा दिन ना चल सकी और गठबंधन टूट गया.
तस्वीर: UNI
बीजेपी-टीएमसी
आज की राजनीति में टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी बीजेपी की मुखर विरोधी हैं. लेकिन ममता पहले बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. 1997 में कांग्रेस से अलग होकर टीएमसी बनाने के बाद 1999 में उन्होंने भाजपा से गठबंधन किया. ममता बनर्जी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रेल मंत्री भी रहीं. 2006 में उन्होंने एनडीए गठबंधन छोड़ दिया.
तस्वीर: DW/P. Mani Tiwari
बीजेपी-पीडीपी
जम्मू कश्मीर की पार्टी पीडीपी और बीजेपी के बीच 2015 के विधानसभा चुनावों के बाद गठबंधन हुआ. पीडीपी को कश्मीर को ज्यादा अधिकार की वकालत करती है जबकि बीजेपी इसके खिलाफ है. तीन साल तक यह गठबंधन चला जो 2018 में खत्म हो गया. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बाद में इसे बेमेल गठबंधन कहा था.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/Anand
आरजेडी-कांग्रेस
लालू यादव जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के सक्रिय चेहरों में से एक थे. उनका पूरा आंदोलन कांग्रेस के खिलाफ था. लेकिन अब लालू की पार्टी आरजेडी कांग्रेस की सबसे करीबी पार्टियों में से है. 1997 में लालू ने जनता दल से अलग होकर अपनी पार्टी आरजेडी बनाई. लेकिन 2004 में लालू गठबंधन में शामिल हो गए. 2009 में ये गठबंधन टूट गया. लेकिन 2014 के बाद से दोनों पार्टियां साथी बने हुए हैं.
तस्वीर: imago/Hindustan Times
कांग्रेस-डीएमके
तमिलनाडू की पार्टी डीएमके की राजनीति की शुरुआत कांग्रेस के विरोध से ही हुई. डीएमके नेता अन्नादुरई ने तमिलनाडू से कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था. कांग्रेस राजीव गांधी की हत्या में डीएमके नेता करुणानिधि की भूमिका पर सवाल उठी थी. 2004 में डीएमके केंद्र में कांग्रेस सरकार का हिस्सा बनी. यह गठबंधन 2013 तक चला. 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर ये पार्टियां साथ आ गईं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Sankar
एनसीपी-कांग्रेस
जब सोनिया गांधी पहली बार कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं तो शरद पवार, तारिक अनवर और पीए संगमा ने उनके विदेशी मूल का मुद्दे उठाया और कांग्रेस से अलग हो कर एनसीपी बना ली थी. 2004 से 2014 तक एनसीपी ने केंद्र और महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ सरकार में गठबंधन बनाए रखा. 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में यह गठबंधन टूट गया लेकिन चुनाव के बाद ये पार्टियां फिर साथ आ गईं.
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बीजेपी-एलजेपी
राम विलास पासवान को राजनीति का मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता है. वो राजनीति में आने के बाद अधिकतर सरकारों में मंत्री रहे हैं. 2002 में गुजरात दंगों को रोकने में नरेंद्र मोदी के नाकाम रहने का आरोप लगाकर उन्होंने बीजेपी से गठबंधन तोड़ा था. 2014 में उन्होंने नरेंद्र मोदी की बीजेपी से गठबंधन किया और 2014 से वो मोदी सरकार में मंत्री हैं.
तस्वीर: UNI
एसपी-बीएसपी
मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने 90 के दशक में गठबंधन सरकार बनाई थी. लेकिन 1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद इन दोनों पार्टियों में दुश्मनी हो गई. 2019 के लोकसभा चुनावों में ये दुश्मनी खत्म हुई और दोनों पार्टियों ने साथ चुनाव लड़ा. हालांकि चुनाव के तुरंत बाद यह गठबंधन टूट गया.
तस्वीर: Ians
कांग्रेस-लेफ्ट
भारत की आजादी के बाद कांग्रेस सत्ता में रही और समाजवादी और लेफ्ट पार्टियों का विपक्ष रहा. लेफ्ट पार्टियों ने पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनाई थी. लेकिन 2004 में कांग्रेस और लेफ्ट ने केंद्र में सरकार के लिए गठबंधन किया. 2016 के बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भी दोनों पार्टियां गठबंधन में चुनाव लड़ीं. हालांकि केरल में दोनों पार्टियां एक दूसरे की विरोधी हैं.
तस्वीर: UNI
आम आदमी पार्टी-कांग्रेस
आम आदमी पार्टी का जन्म ही कांग्रेस पर लगे भ्रष्टाचारों के आरोपों का विरोध करके हुआ था. हालांकि 2013 में जब आम आदमी पार्टी दिल्ली में बहुमत नहीं पा सकी तो कांग्रेस ने उसे बाहर से समर्थन दिया. हालांकि यह सरकार 49 दिन ही चल सकी. 2019 के लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस से गठबंधन की इच्छा जताई थी लेकिन ऐसा हो नहीं सका.
तस्वीर: Reuters/India's Presidential Palace
एसपी-कांग्रेस
समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव की राजनीति कांग्रेस विरोध पर शुरू हुई थी. लेकिन उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है. 2008 में विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान सपा के समर्थन से ही कांग्रेस सरकार बची थी. 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां साथ चुनाव लड़ी थीं.