महाराष्ट्र के कई जिलों में मूसलाधार बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन होने से अब तक 149 लोगों की मौत हो गई है. अब भी एक सौ के करीब लोग लापता बताए जा रहे हैं.
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महाराष्ट्र के सतारा, रायगढ़, रत्नागिरी, सांगली और कोल्हापुर, मुंबई उपनगर, पुणे, ठाणे और महाड में बाढ़ और भूस्खलन समेत बारिश से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में कई लोगों की मौत हो गई है और दर्जनों लोग लापता हो हैं. कोंकण क्षेत्र और पश्चिमी महाराष्ट्र के प्रभावित जिलों से कुल दो लाख 29 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि जल्द ही राहत पैकेज की घोषणा की जाएगी और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील जिलों में एनडीआरएफ की तर्ज पर एक अलग बल का गठन किया जाएगा.
बाढ़ से सूखे तकः प्रलय के मंजर
पिछले करीब दो महीनों में मौसम ने ऐसा कहर बरपाया है कि प्रलय से दृश्य नजर आए हैं. एक नजर उस मंजर पर जिसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार माना जा रहा है...
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यूरोप में अचानक बाढ़
दो महीने की बरसात के बराबर पानी जब दो दिन में बरस गया तो यूरोप की नदियों की हदें टूट गईं और जर्मनी व बेल्जिय में 209 लोगों की बलि चढ़ गई. सदियों पुराने गांव एक ही रात में बह गए.
तस्वीर: Reuters
1,000 साल का रिकॉर्ड टूटा
चीन के हेन्नान प्रांत में ऐसी बारिश हजार साल में पहली बार हुई है. दर्जनों लोग मारे गए. सबवे में पानी भर गया और जिंदगी जहां थी वहीं थम गई.
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महाराष्ट्र में कहर
भारत के महाराष्ट्र में भारी बारिश ने दर्जनों गांव डुबो दिए. डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की जान चली गई. गांव के गांव देश के बाकी हिस्सों से कट गए.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
कनाडा और अमेरिका में गर्मी
कनाडा और अमेरिका के कुछ राज्यों में हफ्ते भर तक ऐसी गर्मी रही कि लोगों की हालत खराब हो गई. अमेरिका के वॉशिंगटन और कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में हीट डोम बनने से हवा एक ही जगह फंस गई और तापमान 49.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया.
तस्वीर: Jennifer Gauthier/REUTERS
जंगल की आग
अमेरिका के ऑरेगन में लगी जंगल की आग ने दो हफ्ते में ही लॉस एंजेलेस शहर के बराबर इलाका भस्म कर दिया. यह आग इतनी बड़ी है कि इसने अपना अलग वातावरण बना लिया है और इसका धुआं न्यू यॉर्क तक पहुंच रहा है.
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अमेजन खात्मे की ओर
ब्राजील का मध्यवर्ती इलाका सौ साल में सबसे बुरा सूखा झेल रहा है. इस कारण जंगलों की आग खतरा बढ़ गया है जो अमेजन के जंगलों को भी स्वाहा कर सकती है.
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भुखमरी की नौबत
मैडागास्कर में सालों से जारी सूखे और अकाल ने 11 लाख से ज्यादा लोगों को भुखमरी के कगार पर पहुंचा दिया है. हालत ऐसी है कि लोग जंगली पेड़ों के पत्ते खाकर जी रहे हैं.
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घर से बेघर
2020 में प्राकृतिक आपदाओं के कारण बेघर होने वाले लोगों की संख्या दस साल में सबसे ज्यादा रही है. 5.5 करोड़ लोगों को घर छोड़ अपने ही देश में विस्थापित होना पड़ा. करीब ढ़ाई करोड़ लोग दूसरे देशों में चले गए.
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तीन दिन तक बरपा कहर
रायगढ़ जिले के चिपलून में एक समीक्षा बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ठाकरे ने कहा, "सरकार उन्हें (प्रभावित लोगों को) अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए सब कुछ करेगी. बाढ़ प्रभावित लोगों को भोजन, कपड़े, दवाएं और अन्य सहायता तत्काल उपलब्ध कराई जाएxगी. जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि तकनीकी दिक्कतें सहायता प्रदान करने में आड़े नहीं आएं."
बारिश और बाढ़ के कारण महाराष्ट्र के 875 से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं.
ठाकरे ने रविवार को राज्य में तबाही मचाने वाली विनाशकारी बाढ़ के लगातार संकट को कम करने के लिए 'दीर्घकालिक उपाय' तैयार करने के लिए केंद्र से मदद मांगी. रत्नागिरि जिले के बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों - चिपलून, खेड़ और अन्य स्थानों का दौरा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य स्थायी समाधान विकसित करने के लिए स्थिति का आकलन करेगा.
वशिष्ठ नदी के किनारे कई लक्जरी होटलों के साथ कभी सुरम्य चिपलून पर्यटन स्थल के चारों ओर घूमते हुए, ठाकरे ने 2005 की भीषण बाढ़ के बाद दूसरी बार 55 हजार की आबादी वाले शहर में बड़े पैमाने पर बाढ़ का कहर देखा. यहां पर भारी बारिश के बाद आई बाढ़ के कारण लोगों को तीन दिन तक 15-20 फीट पानी के बीच छतों या इमारत के ऊपर जाकर रहना पड़ा.
विपक्ष भी सक्रिय
चिपलून के लोगों ने सरकार के मुखिया के दौरे पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की और सरकार से उन्होंने सहायता और पुनर्वास की मांग की. केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भारी बारिश से प्रभावित रायगढ़ जिले का दौरा किया और केंद्र की तरफ से हरसंभव मदद का भरोसा दिया है.
राज्य सरकार ने मारे गए लोगों के परिवारों को 5 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है और कहा है कि वह घायलों के इलाज का खर्च उठाएगी. राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बलों और सशस्त्र बलों समेत 34 आपातकालीन टीमों को सहायता और राहत-बचाव के लिए तैनात किया गया है.
जर्मनी में बाढ़: तबाही के बाद घर लौट रहे लोग
जर्मनी में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद अब पीड़ित लोग आपदा के विनाशकारी प्रभावों से निपटने में लगे हैं. वे अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं और भयानक तबाही के बाद का मंजर देख रहे हैं.
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सैलाब का सितम
बाढ़ का पानी उतर रहा है, लेकिन समस्या कम नहीं हुई है. बाढ़ प्रभावित शहरों में स्थानीय लोगों ने बाढ़ के बाद से निपटने के लिए पहल शुरू कर दी है. उन्हें कीचड़ और कूड़े के ढेर का सामना करना पड़ रहा है.
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रहने लायक नहीं बचा
यूटा श्लेकर का अपार्टमेंट बाढ़ से पूरी तरह से नष्ट हो गया है. दो दिनों तक वे और उनके घायल पति इसी अपार्टमेंट में रहे, जब दमकलकर्मी पहुंचे तो उन्हें एक आश्रय में ले गए. यूटा उन हजारों लोगों में से एक है जिनके घर अब रहने लायक नहीं है.
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वक्त से मुकाबला
बाढ़ के पानी से लोगों के घरों का फर्नीचर और अन्य सामान नष्ट हो गया है और उन्हें गलियों में रखा जा रहा है. अगर इन्हें जल्द नहीं हटाया गया तो बचाव कार्यों की राह में सबसे बड़ी बाधा बेकार सामानों के ढेर होंगे. वे राहत और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकते हैं.
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मलबा और कचरा
स्वयंसेवकों की मदद से स्थानीय लोगों ने घरों और दुकानों की सफाई शुरू कर दी है. कचरा ट्रक लगातार सड़कों से कचरा उठा रहे हैं. एक सरकारी टीवी चैनल एसडब्ल्यूआर के अनुसार पिछले सप्ताहांत में 14,000 टन कचरा प्रभावित इलाके से उठाया गया था.
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बचाव और एकजुटता
प्रभावित क्षेत्रों में स्वयंसेवी समूहों के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोगों ने एकजुटता से दान देना शुरू किया है. दान में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है, यहां तक कि सहायता संगठनों ने घोषणा की है कि दान को संभालने की उनकी क्षमता खत्म हो गई और उन्होंने दान लेने बंद कर दिए.
तस्वीर: Marius Becker/dpa/picture alliance
भयानक तबाही
जर्मनी की बाढ़ ने करीब 170 लोगों की देश में जान ले ली और यूरोप में कुल 201 लोग इस कारण मारे गए. सबसे भयानक बाढ़ के बाद सरकार ने प्रभावित इलाकों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की है.