महाराष्ट्र: सरपंच पद के लिए बोली लगने के बाद चुनाव रद्द
आमिर अंसारी
१४ जनवरी २०२१
निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के नासिक और नंदूरबार जिलों के दो गांवों में पंचायत चुनाव रद्द कर दिया है. आयोग को पंचायत सीटों की नीलामी की शिकायत और वीडियो मिले थे जिसके बाद 15 जनवरी को होने वाले चुनाव को रद्द कर दिया गया.
तस्वीर: Prakash Singh/Getty Images/AFP
विज्ञापन
महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को नासिक के उमराने और नंदूरबार के खोंडामली की ग्राम पंचायतों के सरपंच पद और पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए बोली लगने की शिकायतें मिली थीं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक शिकायतों के बाद निर्वाचन आयोग ने सख्त कदम उठाते हुए बुधवार को चुनाव रद्द करने का फैसला किया. रिपोर्टों के मुताबिक नासिक के उमराने गांव में बोली दो करोड़ रुपये तक लगाई गई वहीं नंदूरबार के खोंडामली में नीलामी की रकम 42 लाख रुपये तक पहुंची. गांव की आबादी के हिसाब से ग्राम पंचायत में 9 से लेकर 18 सदस्य होते हैं.
राज्य निर्वाचन आयुक्त यूपीएस मदान ने 15 जनवरी को होने वाले चुनाव के पहले दो गांवों में चुनाव रद्द करने की घोषणा की है. आधिकारिक बयान के मुताबिक, "आयोग ने जिला अधिकारियों, चुनाव पर्यवेक्षकों और तहसीलदारों से मिली रिपोर्ट का अध्ययन करने और दस्तावेजों और वीडियो देखने के बाद चुनाव प्रक्रिया को रद्द करने का फैसला किया है."
चौंकाने वाली बात यह है कि बोली की पूरी प्रक्रिया को किसी भी तरह से गुप्त नहीं रखा गया था और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद आयोग ने इसे संज्ञान में लिया था. राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे भारतीय दंड संहिता की धारा 171 (सी) के मुताबिक संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें.
4 जनवरी को राज्य निर्वाचन आयोग ने नीलामी के वीडियो का संज्ञान लिया था और विस्तृत जांच के आदेश दिए गए थे और प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों से इस बारे में रिपोर्ट देने को कहा था. आरोप है कि कुछ उम्मीदवारों ने कथित रूप से वादा किया था कि अगर वे सरपंच पद के लिए निर्विरोध चुने जाते हैं तो वे बड़े पैमाने पर गांव के विकास के लिए अपना धन खर्च करेंगे.
साल 2050 तक भारत में बुजुर्गों की संख्या बढ़कर 31.9 करोड़ हो जाएगी. 2011 की जनगणना के हिसाब से इसमें तीन गुना वृद्धि हो जाएगी. केंद्र सरकार के एक सर्वे में बुजुर्गों की बीमारी पर कई जानकारी सामने आई है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
कितने बुजुर्ग बीमार
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक ताजा सर्वे के मुताबिक भारत में 60 साल की आयु के ऊपर करीब साढ़े सात करोड़ बुजुर्ग किसी ना किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. सर्वे के मुताबिक 40 प्रतिशत बुजुर्गों को कोई न कोई दिव्यांगता है और 20 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी से ग्रसित हैं.
तस्वीर: Reuters
अपने तरह का पहला सर्वे
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण ने लौंगिट्यूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया (एलएएसआई) पर इंडिया रिपोर्ट जारी की है. भारत में पहली बार और विश्व में इस तरह का सबसे बड़ा सर्वे हुआ है. एलएएसआई देश में उम्रदराज हो रही आबादी के स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक निर्धारकों और परिणामों की वैज्ञानिक जांच का व्यापक राष्ट्रीय सर्वे है.
तस्वीर: Fotolia - Marcel Mooij
दिल और मानसिक बीमारी
सर्वे के मुताबिक 60 साल या इससे अधिक उम्र के 34.6 फीसदी लोग दिल की बीमारियों के शिकार हैं. शहरी इलाकों में दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या 37.5 फीसदी है तो वहीं ग्रामीण इलाकों में 23.2 फीसदी है. मानसिक रोग की बात की जाए तो बुजुर्ग मानसिक बीमारी के साथ अकेलेपन से भी पीड़ित हैं.
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel
उच्च रक्तचाप
सर्वे के मुताबिक हाई ब्ल्ड प्रेशर की बीमारी से जूझ रहे लोगों की संख्या भी काफी है. सर्वे कहता है कि शहरी इलाकों में 35.6 प्रतिशत बुजुर्ग हाई बीपी के शिकार हैं तो ग्रामीण क्षेत्र में 21.1 फीसदी बुजुर्ग इसके मरीज हैं.
तस्वीर: Fotolia/Andrei Tsalko
सर्वे का मकसद
इस सर्वे का मकसद देश के बुजुर्गों की स्थिति का आकलन कर उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण के लिए नीतियां बनाना है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के मुताबिक एलएएसआई से मिले डाटा का इस्तेमाल बुजुर्गों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को मजबूत और व्यापक बनाने में किया जाएगा.
2011 की जनगणना में 60 साल या उससे अधिक आबादी भारत की कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत थी यानी 10.3 करोड़ लोग बुजुर्ग थे. सर्वे के मुताबिक तीन प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर से 2050 में बुजुर्गों की आबादी बढ़कर 31.9 करोड़ हो जाएगी.
तस्वीर: picture-alliance/imageBROKER/W. Röth
सैंपल में कौन-कौन शामिल
एलएएसआई के सर्वे में 45 वर्ष और उसके ऊपर के 72,250 व्यक्तियों और उनके जीवनसाथी का बेसलाइन सैंपल कवर किया गया. इसमें 60 साल और उससे ऊपर की उम्र के 31,464 व्यक्ति और 75 वर्ष और उससे ऊपर की आयु के 6,749 व्यक्ति शामिल किए गए. ये सैंपल सिक्किम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिए गए.
तस्वीर: DW/S. Bhowmick
कितने पढ़े-लिखे
सर्वे के मुताबिक देश के 60 साल या इससे अधिक उम्र के 43.5 प्रतिशत लोग पढ़े लिखे हैं. वहीं कृषि क्षेत्र में काम करने वाले 60 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों का प्रतिशत 64.8 है. इस सर्वे में एक और तथ्य सामने आया वह यह है कि 60 साल या उससे अधिक वर्ष के 78 प्रतिशत लोगों को पेंशन नहीं मिलती है.