'हजार चौरासी की मां' जैसी कालजयी कृति की रचयिता और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी का 90 वर्ष की आयु में कोलकाता में निधन हो गया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने शोक संदेश में कहा कि बंगाल ने अपनी मां को खो दिया.
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करीब दो महीने से कोलकाता के बेल व्यू क्लीनिक में प्रसिद्ध कवियित्री और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी का इलाज चल रहा था. साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ, पद्म विभूषण और मैग्सेसे समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित महाश्वेता देवी के निधन पर शोक जताते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि बंगाल ने अपनी मां को खो दिया.
बेल व्यू के डाक्टरों ने बताया कि महाश्वेता देवी को बड़ी उम्र में होने वाली बीमारियों की वजह से क्लीनिक में दाखिल किया गया था. खून में संक्रमण होने और किडनी फेल होने की वजह से उनकी हालत बिगड़ गई थी.
महाश्वेता देवी को ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है. हालांकि कुछ मुद्दों पर इन दोनों के बीच मतभेद भी उभरते रहे हैं. सिंगुर और नंदीग्राम में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन के दौरान जिन बुद्धिजीवियों ने खुल कर ममता का समर्थन किया था उनमें महाश्वेता देवी का नाम सबसे ऊपर था.
उनकी प्रमुख कृतियों में 'हजार चौरासी की मां' के अलावा 'ब्रेस्ट स्टोरीज' और 'तीन कौड़ीर साध' शामिल हैं. उनकी कई पुस्तकों पर फिल्में भी बन चुकी हैं. महाश्वेता देवी का जन्म वर्ष 1926 में ढाका (अब बांग्लादेश की राजधानी) में हुआ था. लेखन उनको विरासत में मिला था. मां धारित्रि देवी और पिता मनीष घटक दोनों लेखक थे. देश के विभाजन के बाद वे भारत आ गईं. यहां उन्होंने विश्वभारती विश्वविद्यालय से बीए (आनर्स) की डिग्री हासिल की और कलकत्ता विश्वविद्यालय से एमए किया.
जाने-माने बांग्ला फिल्म निदेशक ऋत्तिक घटक महाश्वेता के भाई थे. महाश्वेता देवी का विवाह जाने-माने बांग्ला अभिनेता बिजन भट्टाचार्य से हुआ था. वर्ष 1948 में उनके बेटे नवारुण का जन्म हुआ. वे भी आगे चल कर लेखक बने. कुछ साल पहले उनके निधन के बाद से महाश्वेता देवी काफी दुखी थीं.
महाश्वेता की पहली पुस्तक 'झांसी की रानी' वर्ष 1956 में छपी थी. वर्ष 1964 में वह कलकत्ता के बिजयगढ़ कालेज में प्रोफेसर बनीं. अध्यापन के अलावा उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी हाथ आजमाया. वर्ष 1984 में रिटायर होने के बाद वे साहित्य में ही रम गईं.
एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर उन्होंने अपना जीवन आदिवासियों के विकास के प्रति समर्पित कर दिया था. शबर जनजाति के हित में किए गए कार्यों की वजह से ही उनको शबरों की मां कहा जाता था. वह विभिन्न आदिवासी संगठनों से जुड़ी थीं. इसके अलावा वे 'बार्तिके' नामक एक आदिवासी पत्रिका का संपादन भी करती थीं.
वर्ष 1979 में उनको साहित्य अकादमी अवार्ड मिला था. उसके बाद वर्ष 1986 में पद्मश्री मिला और 1997 में ज्ञानपीठ. उन्होंने सौ से भी ज्यादा उपन्यास लिखे. उनकी लघु कहानियों के 20 संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. एक लेखक के तौर पर देश-विदेश में उनकी अलग पहचान थी. महाश्वेता देवी साहित्य में अपनी कामयाबी का श्रेय हमेशा आम लोगों को देती रहीं. उनका कहना था कि आम लोगों से ही उनको अपनी कहानियां लिखने की प्रेरणा मिलती है.
जयपुर साहित्य सम्मेलन 2016
9वां जयपुर साहित्य सम्मेलन संपन्न हो गया. इस बार करण जौहर, काजोल और गुलजार समेत बॉलीवुड की कई हस्तियों ने इसमें शिरकत की. देखें सम्मेलन की कुछ झलकियां.
तस्वीर: DW/J. Sehgal
डिग्गी पैलेस
एशिया का सबसे बड़ा कहा जाने वाला यह साहित्य कुंभ अपने छोटे से आयोजन स्थल "डिग्गी पैलेस" को लेकर अक्सर विवादों में रहता है और इस बार तो इस स्थान को बदलने के लिए कोर्ट में अर्जी भी लगायी गयी लेकिन ऐन वक्त पर आयोजन की इजाजत मिल ही गयी.
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शब्दों का उत्सव
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पिछले सालों की तरह इस बार भी सम्मलेन का उद्घाटन किया. बीजेपी शासित राज्य में देश में चल रही सहिष्णुता बहस के साए में हुए जयपुर साहित्य सम्मेलन का इस बार का आदर्श वाक्य था "शब्दों का उत्सव".
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शोभा डे के साथ करण जौहर
जयपुर साहित्य सम्मलेन हो और विवाद न हो ऐसा हो ही नहीं सकता. सम्मलेन के पहले ही दिन निर्माता निर्देशक करण जौहर ने लेखिका शोभा डे के साथ बातचीत में असहिष्णुता का ऐसा मुद्दा उठाया जिस की गूंज सम्मलेन के पांचों दिन सुनाई देती रही. कुछ शांत पड़ गए विवाद को फिर से हवा मिली.
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लेखक रस्किन बांड
सम्मलेन में शामिल ज्यादातर लेखक यह कहते नजर आए कि भारत में असहिष्णुता बढ़ गयी है और कुछ लेखकों द्वारा लौटाए गए अवार्ड का फैसला सही फैसला था परन्तु ख्यातिनाम लेखक रस्किन बांड ने इसे नकार दिया और कहा कि अवार्ड लोगो का प्यार है जिसे लौटाना उन का अपमान है.
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प्लूटो की वापसी
गुलजार इस बार दो साल बाद सम्मलेन में शामिल हुए अपने कविता संग्रह "प्लूटो " पर चर्चा के साथ. इस में प्लूटो ग्रह को सोलर सिस्टम से निकाले जाने के दर्द का वर्णन है. अब जब नासा ने प्लूटो को फिर सोलर सिस्टम में शामिल कर लिया है तो गुलजार ने चुटकी लेते हुए कहा कि वे अब "प्लूटो की वापसी" पर कविताएं लिखेंगे.
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लिटरेचर वर्सिस सिनेमा
जावेद अख्तर, नंदना देव सेन, शशि थरूर और अनुजा चौहान एक गोष्ठी में शामिल हुए जिस का शीर्षक था "लिटरेचर वर्सिस सिनेमा - इंफ्लुएंस इन शेपिंग ब्यूटी". अख्तर ने जया भादुड़ी और जीनत अमान को सुंदरता के मायने बदलने वाली हस्तियां बताया तो थरूर का कहना था कि पाठक खुद किरदारों की छवि अपने मन में तैयार करता है.
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काजोल का शगल
बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल ने भी इस बार साहित्य सम्मलेन को सम्बोधित किया. अपने खाली वक्त में किताबें पढ़ना काजोल का शगल है. उन्होंने बताया कि अजय देवगन से उन्होंने शादी इसी शर्त पर की कि वे उन्हें एक लाइब्रेरी बना कर देंगे. आज, उनके घर में तीन लाइब्रेरी हैं.
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तनूजा का शौक
बेटी काजोल को सुनने वालों में बीते जमाने की अदाकारा और उनकी मां तनूजा भी मौजूद थीं. बेटी को भला पढ़ने की आदत कहां से मिले. तनूजा भी किताबों की खासी शौकीन हैं और उन के कलेक्शन में चार सौ से ज्यादा किताबें शामिल हैं.
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खेलों पर भी चर्चा
जयपुर साहित्य सम्मेलन प्रख्यात लेखकों और बॉलीवुड के स्टारों के कारण चर्चा में रहता है. इस बार सम्मलेन में खेलों पर भी चर्चा हुई और इस में शामिल हुए क्रिकेटर अनिल कुंबले और फुटबॉल खिलाडी बाइचुंग भूटिया.
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भोजन का आनंद
नाटककार और अभिनेता गिरीश कर्नाड नियमित रूप से जयपुर के साहित्य सम्मेलन में हिस्सा लेते हैं. वे इस साल भी सम्मेलन में शामिल हुए और किताबों के साथ लजीज भोजन का आनंद उठाते दिखे.
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किताबें
ट्विटर पर एक सौ चालीस शब्द भी पूरे लिख पाने में असमर्थ भारत की मौजूदा पीढ़ी को किताबे खरीदते देखना खासा सकून देता है. जयपुर लेखकों को अपने पाठकों से और पाठकों को लेखकों से मिलने का मौका देता है.