एक सर्वे के मुताबिक जर्मनी में अधिकांश कर्मचारी जो कोरोना के कारण घर से काम कर रहे हैं वे आगे भी ऐसा ही करना चाहते हैं. दो तिहाई लोग महामारी के बाद भी घर से काम को जारी रखना उचित समझते हैं.
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जनमत सर्वेक्षणकर्ता यूगव ने वर्क फ्रॉम होम के कर्मचारियों के लिए अपनी नवीनतम सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की है. सर्वे के मुताबिक घर से काम करने वाले महामारी खत्म होने के बाद भी अपना काम घर से जारी रखना चाहते हैं. सर्वे में दो तिहाई से अधिक ऐसे लोगों ने यह बात कही है. एक संस्था ईऑन ने इस सर्वे को कराया है.
सर्वेक्षण के आंकड़े
यूगव ने जिन लोगों से प्रतिक्रिया ली उनमें 71 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे भविष्य में वर्क फ्रॉम होम करना पसंद करेंगे. पिछले साल मई में महामारी की शुरुआत में यह संख्या महज 58 फीसदी थी, और उस दर को असामान्य माना जाता था. कोरोना महामारी के बाद कई देशों ने वर्क फ्रॉम होम का चलन अपनाया था.
सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से कम से कम 26 प्रतिशत ने हमेशा घर से काम जारी रखना पसंद किया और लगभग 45 प्रतिशत सप्ताह के दौरान कभी होम ऑफिस और कभी कंपनी के कार्यस्थल में काम करने के पक्ष में दिखे.
होम ऑफिस पसंद करने के कारण
सर्वे के मुताबिक कर्मचारियों के होम ऑफिस पसंद करने का एक मुख्य कारण घर से आने-जाने का समय बचना है. कर्मचारी कार्यालय आने-जाने में आने वाली यात्रा संबंधी परेशानियों से दूर रहने में सहज महसूस करते हैं. इस संकट से बचने के कारण इस साल 70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने होम ऑफिस बनाए रखने के पक्ष में मतदान किया.
होम ऑफिस का समर्थन करने वाले 75 प्रतिशत लोगों को भी काम करने में आसानी और लचीलापन पसंद है. 52 प्रतिशत लोगों का कहना है कि होम ऑफिस बेहतर है क्योंकि कम यात्रा करना वास्तव में अधिक पर्यावरण के अनुकूल है.
घर से नौकरी के मॉडल ने बदला सब कुछ
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ब्रिटिश सर्वेक्षण के समान परिणाम
युनाइटेड किंगडम में होम ऑफिस के लिए किए गए एक समान सर्वेक्षण ने कमोबेश समान नतीजे सामने आए हैं. सर्वेक्षण में शामिल दो-तिहाई ब्रिटिश कर्मचारियों ने कहा कि वे घर पर अपने जीवन में आए बदलावों से खुश हैं.
इसी सर्वे में बड़ी संख्या में कर्मचारी 'हाइब्रिड शेड्यूल' चाहते हैं. इस हाइब्रिड वर्क स्टाइल में वे आधा दिन ऑफिस में और आधा दिन दफ्तर के बाहर किसी जगह पर बिताना चाहते हैं.
एक तिहाई कर्मचारियों का मानना है कि होम ऑफिस से उनकी मानसिक स्थिति खराब हुई है. सर्वेक्षण करने वाली ब्रिटिश कंपनी ने एक हजार लोगों का साक्षात्कार लिया और उनमें से आधे से थोड़े अधिक लोग दफ्तर जाने को लेकर चिंतित दिखे.
एए/वीके (डीपीए, एपी)
कहां होता है हफ्ते में चार दिन काम
आइसलैंड में चार दिन के हफ्ते का प्रयोग ऐसा सफल हुआ कि दुनिया भर में अब हफ्ते में चार दिन काम की चर्चा हो रही है. लेकिन आइसलैंड से पहले भी कई देश ऐसा प्रयोग कर चुके हैं. देखिए, कहां क्या हुआ...
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आइसलैंड की सफलता
इसी महीने आई एक रिपोर्ट में आइसलैंड के शोधकर्ताओं ने कहा है कि हफ्ते में चार दिन काम कराने का प्रयोग काफी सफल रहा है. 2015 से 2019 के बीच परीक्षण के तौर पर सरकारी कर्मचारियों को समान वेतन पर हफ्ते में चार दिन काम करने का विकल्प दिया गया था.
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कमतर नहीं हुआ प्रदर्शन
आइसलैंड का अनुभव कहता है कि कर्मचारियों का प्रदर्शन किसी सूरत पहले से घटा नहीं. राजधानी रेक्याविक की काउंसिल ने यह प्रयोग शुरू किया जिसमें बाद में देश के 86 प्रतिशत कर्मचारियों को शामिल कर लिया गया. 5 दिन में 40 घंटे के बजाय कर्मचारियो को 4 दिन में 35 से 36 घंटे काम करने का विकल्प दिया गया.
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स्पेन
मार्च में स्पेन की सरकार ने काम के दिन हफ्ते में चार करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था. सत्ताधारी गठबंधन की वामपंथी पार्टी मास पाइस ने कहा कि सरकार ने उनका काम के दिन को चार करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. पार्टी ने कहा कि इस विचार का वक्त अब आ चुका है.
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जापान
इसी साल जून में जापान की सरकार ने अपने सालाना आर्थिक दिशा निर्देश जारी करते हुए हफ्ते मे चार दिन काम करने की जरूरत पर जोर दिया था. सरकार की कोशिश है कि लोग काम और जिंदगी के बीच संतुलन को बेहतर बनाएं. इसी सिलसिले में सरकार ने कंपनियों से कहा है कि वे अपने कर्मचारियों को हफ्ते में पांच दिन के बजाय चार ही दिन काम करने का विकल्प दें.
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फिनलैंड
पिछले साल फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मैरिन ने भी ऐसा ही सुझाव दिया था. मौजूदा दौर में दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री मैरिन ने कहा था कि देश में काम के घंटे कम किए जाने की जरूरत है, तो या हफ्ते में चार दिन कर दिए जाएं या फिर दिन में छह घंटे ही काम हो.
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न्यूजीलैंड
बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनिलीवर की न्यूजीलैंड शाखा भी हफ्ते में चार दिन काम के विकल्प का प्रयोग कर रही है. पिछले साल दिसंबर से कंपनी ने अपने कर्मचारियों को अपने काम के घंटों में 20 प्रतिशत की कमी का विकल्प दिया, जिसकी एवज में सैलरी में कोई कटौती नहीं होगी. यह ट्रायल इस साल दिसंबर तक चलेगा.
तस्वीर: Rafael Ben-Ari/Chameleons Eye/Newscom/picture alliance
गांबिया
गांबिया ने 2012 में ही यह क्रांतिकारी फैसला ले लिया था. तत्कालीन राष्ट्रपति याहया जामेह ने देश में चार दिन का हफ्ता लागू कर दिया था. शुक्रवार का दिन पूजा-पाठ और खेती करने के लिए दे दिया गया था. लेकिन उनके बाद राष्ट्रपति बने अदामा बैरो ने 2017 में यह योजना बंद कर दी और शुक्रवार को भी आधे दिन काम को जरूरी बना दिया.