पवित्र बनाने के लिए बच्चियों से सेक्स करने वाला गिरफ्तार
वीके/एमजे (एपी, डीपीए)२७ जुलाई २०१६
मलावी में परंपरा के नाम पर 100 से ज्यादा महिलाओं से सेक्स करने वाला एचआईवी पॉजिटिव गिरफ्तार. टीवी प्रोग्राम में उसने दावा किया था कि उसने 12 साल की बच्चियों से भी सेक्स किया.
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अफ्रीकी देश मलावी में एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है जो एचआईवी पॉजिटिव है और उसने कम से कम 100 कम उम्र लड़कियों और महिलाओं के साथ सेक्स किया. पुलिस के मुताबिक इस व्यक्ति ने कबूल किया है कि उसे ऐसा करने के लिए पैसे दिए गए थे, लेकिन उसने किसी को नहीं बताया कि वहह पॉजिटिव है.
दक्षिणी अफ्रीका के इस देश में इस गिरफ्तारी से हलचल मच गई है. एनरिक अनिवा नाम के शख्स को राष्ट्रपति पीटर मुथारिका के आदेश पर गिरफ्तार किया गया. हाल ही में अनिवा बीबीसी के एक प्रोग्राम में आया था जहां उसने कहा था कि उसने 12 साल की बच्चियों के साथ भी सेक्स किया है. अनिवा ने टीवी प्रोग्राम में कहा, “जिनके साथ मैंने संबंध बनाए हैं उनमें से ज्यादातर छोटी लड़किया हैं, स्कूल जाने वाली लड़कियां.”
देखिए, हर धर्म में हैं क्रूर परंपराएं
लेकिन ऐसा अनिवा ने एक परंपरा के तहत किया है. कथित यौन पवित्रता की यह परंपरा मलावी के ग्रामीण इलाकों में प्रचलित है. इस परंपरा के तहत किसी भी बच्ची को पहली बार मासिक धर्म होने के बाद किसी पुरुष के साथ संबंध बनाने होते हैं. इसके लिए इस तरह का काम करने वाले पुरुष को पैसे देकर बुलाया जाता है. माना जाता है कि इससे लड़की पवित्र हो गई. ऐसा तब भी होता है जब कोई महिला विधवा हो जाती है. तब भी उसे ऐसे ही किसी पुरुष के साथ संबंध बनाने पड़ते हैं.
यौन पवित्रता की यह प्रथा मलावी के अलावा केन्या, जाम्बिया, यूगांडा, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका, मोजांबिक, सेनेगल और अंगोला के कुछ इलाकों में भी प्रचलित है. यौन शुद्धता की प्रक्रिया बच्चियों के मामले में कहीं भावी पतियों द्वारा पूरी की जाती है तो विधवाओं के मामले में मृत पति के भाई या किसी और रिश्तेदार के द्वारा या किराये पर बुलाए गए सेक्स वर्कर द्वारा. मलावी के कुछ हिस्सों में इस काम को करने वाले लोगों को परंपरागत रूप से हायना कहा जाता है. यौन शुद्धता की यह प्रक्रिया तीन दिनों तक चलती है.
राष्ट्रपति मुथारिका ने एक बयान जारी कर कहा है कि अनिवा के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा, “अनिवा के दुष्कर्मों के लिए उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है.” अनिवा एचआईवी पॉजिटिव है जिस कारण उसके साथ संबंध बनाने वाली सभी महिलाएं अब एड्स के खतरे की जद में हैं.
तस्वीरों मेंः बिना खतने के औरत कहलाने का हक
बिना खतने के औरत कहलाने का हक
एफजीएम यानि फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन या फिर महिलाओं के जननांगों की विकृति की परंपरा, आज भी अफ्रीका के कई देशों में है. केन्या में मासाई समुदाय की लड़कियां इसे खत्म कर रही हैं.
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अब तुम एक महिला हो!
मासाई समुदाय में तीन दिन तक चलने वाली रस्म के बाद लड़की को महिला का दर्जा मिलता है. इस रस्म के दौरान लड़कियों के जननांगों को काटने की परंपरा रही है. आज भी यहां तीन दिन तक त्योहार मनता है, नाच गाना होता है, लेकिन खतना नहीं.
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जागरूकता से फायदा
अब इस त्योहार के दौरान लड़कियों को उनके शरीर के बारे में जानकारी दी जाती है. सदियों से इस समुदाय की महिलाएं खतने के दर्दनाक तजुर्बे से गुजरती रही हैं.
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अपने शरीर को जानो
लड़कियों को बताया जाता है कि एक महिला का शरीर, उसके जननांग कैसे दिखते हैं, कैसे काम करते हैं और उनकी देखभाल कैसे की जाती है. कई गैर सरकारी संगठन इसमें मदद करते हैं.
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लड़कियों की शाम
ना केवल उन्हें पुरानी दकियानूसी परंपरा से छुटकारा मिल रहा है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने पर भी जोर है. शाम को लड़कियां एक दूसरे के साथ मिल कर गीत गाती हैं और रात भर मोमबत्तियां जला कर नाचती हैं.
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पुरुषों की भूमिका
रस्म शुरू होने से पहले मासाई समुदाय के पुरुष इकट्ठा होते हैं. इन्हीं में से कोई आगे चल कर समुदाय का मुखिया बनेगा. पुरानी परंपरा को खत्म करने के लिए पुरुषों का साथ बहुत जरूरी है.
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आजादी का एहसास
नाइस लेंगेटे इस समुदाय की पहली महिला हैं, जिनका खतना नहीं किया गया. रस्म के दौरान उन्होंने एक वर्कशॉप में हिस्सा लिया, जहां उन्हें अपने शरीर के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला. आज वे खुद लोगों को जागरूक करती हैं, "और कमाल की बात है कि वे मेरी बात सुनते भी हैं. मैं उन्हें कंडोम के बारे में बताती हूं, एचआईवी के बारे में भी."
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हर रंग का एक मतलब
रस्म के लिए लड़कियां रंग बिरंगे कपड़े और गले में हार पहन कर तैयार होती हैं. मासाई समुदाय में हर रंग का अलग मतलब होता है. कोई रंग बहादुरी का प्रतीक है, तो कोई उर्वरता का. अब तक 7,000 लड़कियां इस नई तरह की परंपरा का लाभ उठा चुकी हैं.
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बुरी नजर से बचो
कई छोटी छोटी रस्में पूरी की जाती हैं. कई परिवारों में महिलाएं सर मुंडवाती हैं, तो अधिकतर में लड़कियों के चेहरों को रंगा जाता है. ऐसा उन्हें बुरी नजर से बचाने के लिए किया जाता है.
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आशीर्वाद
आखिरी दिन कुछ ऐसा होता है. समुदाय के सदस्य हाथ में छड़ियां ले कर खड़े होते हैं और लड़कियां एक कतार बना कर उनके नीचे से गुजरती हैं. इस दौरान गीत भी गए जाते हैं और भाषण भी दिए जाते हैं. अंत में लड़कियों को सर्टिफिकेट भी मिलते हैं.
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अनिवा का कहना था कि उसने 100 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध बनाए. उसका दावा है कि ऐसा करने के लिए उसे परिवारों ने काम पर रखा था और पैसे दिए थे. ऐसा उसने एक परंपरा के तहत किया जिसमें लड़कियों की तथाकथित पवित्रता कायम रखने के लिए उनके साथ सेक्स किया गया. कई इंटरव्यू में अनिवा ने दावा किया कि वह एक हाइना है और उसे गांव के बुजुर्ग या फिर परिवारवाले पैसे देते हैं.
अनिवा पर अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं. मलावी पुलिस प्रमुख लेक्सटन काचामा ने बताया, “जिन महिलाओं के साथ वह सोया है उनमें से ज्यादातर नाबालिग बच्चियां हैं.” पुलिस ने कहा कि संस्कृति के नाम पर इस तरह के काम को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. राष्ट्रपति मुथारिका ने आदेश दिया है कि अनिवा के दावों की सच्चाई का पता लगाया जाए और अगर परंपरा के नाम पर ऐसा कुछ हुआ है तो इसमें शामिल सभी परिजनों या गांव के बुजुर्गों की जांच की जाए.
उफ्फ! जननांगों की विकृति की परंपरा
जननांगों की विकृति की परंपरा
आधिकारिक रूप से लगी रोक के बावजूद कई अफ्रीकी देशों में महिलाओं के जननांगों को विकृत किया जाना बंद नहीं हुआ है. घुमक्कड़ जीवन जीने वाले केन्या के पोकोट कबीले में लड़कियों को आज भी ये दर्दनाक रस्म सहनी पड़ती है.
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सबके लिए एक ही ब्लेड
केन्या की रिफ्ट घाटी में यह महिला अब तक चार लड़कियों का खतना कर चुकी है, वो भी एक ही रेजर से. पोकोट लोगों की मान्यता है कि खतने किसी लड़की के महिला बनने की प्रक्रिया का प्रतीक है. कई देशों में इस पर पाबंदी लगी होने के बावजूद आज भी कुछ ग्रामीण इलाकों में चलन जारी है.
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'समारोह' की तैयारी
खतने की रस्म वाली एक ठंडी सुबह को पोकोट महिलाएं और बच्चे आग के आस-पास इकट्ठे होकर गर्म होते हैं. जिन महिलाओं का खतना ना हो उनकी शादी होना मुश्किल हो जाता है. अगर कोई खतने के लिए मना करे तो उस पर भारी दबाव डाला जाता है और कई बार समुदाय से बाहर भी निकाल दिया जाता है.
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विरोध है नामुमकिन
खतने से पहले लड़कियों के कपड़े उतरवाए जाते हैं और उन्हें नहलाया जाता है. सबको पता होता है कि इस रस्म के बाद वे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित रहेंगी. जैसे उनकी मांएं पूरे जीवन सिस्ट, संक्रमण और बच्चे को जन्म देने से जुड़ी तकलीफें झेलती रही हैं. खतने की परंपरा 28 अफ्रीकी देशों में जारी है. यूरोप में रह रहे इन इलाकों के आप्रवासियों में भी ये किया जाता है.
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डरावना इंतजार
पोकोट समुदाय की लड़कियां रिफ्ट वैली के बारिंगो काउंटी की झोपड़ी में बैठी उस दर्दनाक घड़ी के पल गिनती हैं. केन्या में इसे 2011 में बैन कर दिया गया था. यूनीसेफ बताता है कि देश की 15 से 49 साल के बीच की उम्र वाली करीब 27 फीसदी महिलाओं का खतना हो चुका है. आमतौर पर खतना बेहोशी की दवा दिए बिना ही किया जाता है. साफ औजारों का इस्तेमाल ना होने के कारण महिलाएं जीवन भर कई तरह के संक्रमण झेलती हैं.
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सूक्ष्म पर्यवेक्षण
लड़कियों को बिना चीखे चिल्लाए उनके जननांगों को विकृत किए जाने का दर्द सहना होता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस प्रक्रिया के दौरान करीब 10 फीसदी लड़कियां तुरंत दम तोड़ देती हैं, जबकि दूसरी 25 फीसदी इससे पैदा हुई तकलीफों के कारण कुछ समय बाद मारी जाती है. मौत के असली आंकड़े इससे कहीं ज्यादा होने का अनुमान है.
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पत्थर पर खून
अलग अलग कबीलों में खतने के तरीकों में अंतर है. पोकोट समुदाय में योनि का मुंह सिल दिया जाता है. डब्ल्यूएचओ ने तीन तरह के तरीकों का उल्लेख किया है. पहले में क्लिटोरिस को निकाल दिया जाता है, दूसरे में लेबिया माइनोरा को भी काट देते हैं और तीसरे तरीके में लेबिया मेजोरा को भी निकाल दिया जाता है और केवल एक छेद छोड़कर बाकी घाव को सिल देते हैं.
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सफेद रंग की पुताई
पोकोट परंपरा में लड़की का शरीर सफेद रंग से रंगा जाता है. ये पहले से ही मान के चलते हैं कि इस प्रक्रिया के कारण लड़की की मौत होने की काफी संभावना है. कई देशों में इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. 2014 में केन्या में एक स्पेशल पुलिस टुकड़ी बनाई गई और इन मामलों की रिपोर्ट देने के लिए हॉटलाइन भी बनी है.
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जीवन भर का सदमा
इस दर्दनाक प्रक्रिया के बाद सदमे से ग्रस्त लड़की को ले जाकर जानवर की खाल में लपेटा जाता है. पोकोट अब इस लड़की को शादी के लायक मानते हैं. ऐसी लड़की के मां बाप उसकी शादी के लिए ऊंची कीमत मांग सकते हैं. इनका मानना है कि इससे महिला ज्यादा साफ, ज्यादा बच्चे पैदा करने लायक और पति के लिए ज्यादा वफादार हो जाती है.
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मां से बेटी को?
कोई लड़की कभी वह दर्दनाक अनुभव नहीं भूल सकती. ये छोटी सी लड़की जो खुद खतने को मजबूर थी क्या अपनी बेटी को बचा पाएगी? कुछ देशों में बहुत छोटे बच्चों का खतना किया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि कई जगहों पर इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है और जब एक छोटा बच्चा रोता है तो वह कम ध्यान खींचता है.
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अनिवा पहले भी चर्चा में रहा है. 2012 में भी उसने दावा किया था कि वह 100 से ज्यादा महिलाओं के साथ संबंध बना चुका है. मलावी की मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील क्रिस्पीन सिबांडे ने इस मामले में राष्ट्रपति द्वारा की गई कार्रवाई की तारीफ तो की लेकिन साथ इसे नाकाफी भी बताया. उन्होंने कहा, “परंपरा के नाम पर यह सब बहुतायत में हो रहा है. देश के कुछ हिस्सों में तो यह काफी प्रचलित है और इसे खत्म करने के लिए बड़े कदम उठाए जाने की जरूरत है.”