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मालदीव का 'इंडिया आउट' से 'इंडिया फर्स्ट' तक का सफर

२५ जुलाई २०२५

मालदीव, जिसने कभी 'इंडिया आउट' का नारा बुलंद किया था, अब भारत के प्रधानमंत्री को अपने स्वतंत्रता दिवस पर 'गेस्ट ऑफ ऑनर' के रूप में आमंत्रित कर रहा है. क्या यह भारत की कूटनीतिक जीत है या मालदीव की मजबूरी?

एक कार्यक्रम के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू
तस्वीर: DPR PMO/ANI Photo

हिंद महासागर में लगभग छह लाख की आबादी वाले छोटे से द्वीपीय देश मालदीव में यह परंपरा रही है कि जब भी वहां किसी नए राष्ट्रपति का चुनाव होता है, वह अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा पर भारत आता है. सितंबर 2023 में जब नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजू राष्ट्रपति बने तो उन्होंने पहले तुर्की और फिर चीन का दौरा किया.

मालदीव और भारत का संबंध

अपनी भौगोलिक स्थिति और सीमित संसाधनों की वजह से, मालदीव हमेशा से क्षेत्रीय शक्तियों पर निर्भर रहा है. भारत ने ऐतिहासिक रूप से मालदीव का एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में हमेशा समर्थन किया है.

चाहे वह 1988 में 'ऑपरेशन कैक्टस' के तहत तख्तापलट को रोकना हो, पीने के पानी की कमी को दूर करना हो  या बुनियादी ढांचे के विकास में सहायता करना हो, भारत हमेशा मालदीव के साथ खड़ा रहा है.

ऐतिहासिक रूप से, मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के भारत के साथ मधुर संबंध रहे हैं, लेकिन सत्तारूढ़ पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) ने चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं.

बीते सालों में तल्खी के बाद दोनों देशों ने संबंधों को सुधारने की कोशिश की हैतस्वीर: DPR PMO/ANI Photo

'इंडिया आउट' अभियान

मालदीव में 'इंडिया आउट' अभियान का मकसद मालदीव से उन भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाना था, जो तटीय सुरक्षा में सहायता कर रहे थे. मुइजू के भारतीय सैनिकों की वापसी के अनुरोध पर भारत ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और मई 2024 तक 76 सैनिकों को टेकनीशियनों से बदल दिया.

पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो उसके सकल घरेलू उत्पाद में 30 फीसदी तक योगदान देता है. भारतीय पर्यटक मालदीव के पर्यटन उद्योग के लिए एक प्रमुख स्रोत रहे हैं. 'इंडिया आउट' अभियान के कारण भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई, जिससे मालदीव की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ.

मुइजू प्रशासन की 'मालदीव-प्रथम' नीति ने शुरू में द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा किया. इसका उद्देश्य चीन के साथ संबंधों को मजबूत करना और भारत पर निर्भरता घटाना था,  हालांकि पिछले एक साल में, दोनों देशों ने व्यावहारिकता, गुणवत्ता पर जोर और गैर-पक्षपात को अपनाते हुए अपने संबंधों को फिर से मजबूत किया है.

अपने पहले दौरे के लिए भारत का चुनाव ना करने के बावजूद भारत ने मुइजू के शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री किरेन रिजिजू को भेजकर यह दिखाया कि दोनों देशों के संबंधों में तल्खी नहीं आनी चाहिए. वहीं दिसंबर 2023 में कॉप-28 शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और मुइजू की मुलाकात ने संबंधों को फिर से बेहतर बनाने का काम किया.

संबंध तो सुधरे लेकिन व्यापार नहीं

भारत ने मालदीव को दी जाने वाली सहायता में 50 फीसदी की वृद्धि की (400 करोड़ से 600 करोड़ रुपये तक) और कुछ वस्तुओं के निर्यात कोटा को भी 5 फीसदी तक बढ़ाया.

पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) को अप्रैल 2024 के चुनावों में मिली भारी जीत, देश की गंभीर आर्थिक स्थिति और चीन से अपेक्षा के अनुरूप समर्थन नहीं मिलने के कारण मालदीव को अपनी घरेलू राजनीति को भू-राजनीति से अलग करना पड़ा.

मई 2024 में, मालदीव के विदेश मंत्री ने संबंध सुधारने और आर्थिक सहायता मांगने के लिए भारत का दौरा किया. अक्टूबर 2024 में मुइजू की भारत यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी की रूपरेखा तैयार की.

मालदीव सरकार ने भारत के साथ चल रही किसी भी बड़ी परियोजना को रद्द नहीं किया है, लेकिन कोई नई परियोजना भी शुरू नहीं की है.

मौजूदा परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि देरी से संबंधित लागतों को कम किया जा सके. हनीमाधू हवाई अड्डा परियोजना और 4,000 आवास इकाइयों के अगस्त 2025 तक पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है, जबकि ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (जीएमसीपी) पुल के सितंबर 2026 तक पूरा होने का अनुमान है.

भविष्य की साझेदारी

मालदीव के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐतिहासिक है, क्योंकि यह 2008 में लोकतांत्रिक परिवर्तन के बाद पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री गैर-एमडीपी प्रशासन के तहत मालदीव का दौरा कर रहा है.

मुइजू ने अपनी पक्षपातपूर्ण नीति को व्यावहारिक रूप से बदलकर नई दिल्ली की चिंताओं को दूर किया है और बदले में उन्हें जरूरी आर्थिक सहायता और सहयोग मिला है. भारत के साथ संबंध और आर्थिक निर्भरता ने मुइजू को राष्ट्रवादी बयानबाजी और एमडीपी की आलोचना से भी बचाया है. एमडीपी ने भी भारत के साथ बढ़ते जुड़ाव के लिए मौजूदा सरकार की सराहना की है.

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