मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज ने भारत से कहा कि वह उनके देश में तैनात अपने सैन्यकर्मियों को 15 मार्च तक हटा ले.
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भारत और मालदीव के बीच जारी तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज ने अपने देश में तैनात 89 भारतीय सैनिकों को 15 मार्च तक वापस बुलाने को कहा है. भारत मालदीव को अपने प्रभाव क्षेत्र में मानता है, लेकिन मालदीव अपने सबसे बड़े बाहरी ऋणदाता चीन की ओर ज्यादा करीब जाता दिख रहा है.
राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज के एक शीर्ष सहयोगी ने रविवार को कहा कि मालदीव में भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान मार्च की समय सीमा तय की गई. राष्ट्रपति मुईज लंबे समय से भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग करते आ रहे हैं. मुईज ने राष्ट्रपति चुनाव में भी इसे मुद्दा बनाया था.
क्या सिर्फ भारत के भरोसे है मालदीव का टूरिज्म?
मालदीव की एक तिहाई अर्थव्यवस्था टूरिज्म पर निर्भर है और 2023 में वहां सबसे ज्यादा पर्यटक भारत से गए. लेकिन भारत पर उसकी निर्भरता कितनी है? जानिए...
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भारत में मालदीव विरोध
मालदीव के कुछ जूनियर मंत्रियों द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणियों के बाद भारत में मालदीव का विरोध हो रहा है. पर्यटकों से वहां घूमने ना जाने की अपील की जा रही है. और इसका असर संख्या पर दिखने भी लगा है.
आंकड़े बताते हैं कि 2023 में मालदीव जाने वाले पर्यटकों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की थी. मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक वहां भारत के दो लाख 9 हजार 198 टूरिस्ट गए. लेकिन आंकड़े कुछ और भी बताते हैं.
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भारत जितने ही रूसी पर्यटक
2023 में जितने भारतीय पर्यटक मालदीव गए, लगभग उतने ही टूरिस्ट रूस के भी थे. रूसियों की संख्या दो लाख 9 हजार 146 थी, यानी भारत से सिर्फ 52 कम.
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बढ़ रहे हैं चीनी पर्यटक
मालदीव जाने वाले चीनी पर्यटकों की संख्या में पिछले साल 24 फीसदी का बड़ा उछाल देखा गया जबकि भारत के टूरिस्टों की संख्या बढ़ी नहीं. 2023 में वहां चीन के एक लाख 87 हजार 118 पर्यटक गए.
अगर यूरोपीय टूरिस्टों की कुल संख्या देखी जाए तो एकमुश्त वे बाकी किसी भी देश से ज्यादा बनते हैं. 2023 में यूके (1,55,730), जर्मनी (1,35,090), इटली (1,18,412) और फ्रांस (49,199) के ही करीब पांच लाख टूरिस्ट मालदीव गए थे.
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अमेरिका का भी योगदान
2023 में अमेरिका के 74,575 टूरिस्ट मालदीव घूमने गए थे.
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मालदीव में भारतीय सेना तैनात है
राष्ट्रपति कार्यालय में पब्लिक पॉलिसी सचिव अब्दुल्ला नाजिम इब्राहिम ने रविवार को बताया कि मोहम्मद मुईज ने औपचारिक रूप से भारत से 15 मार्च तक अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के लिए कहा है जिनकी अनुमानित संख्या 89 है.
पिछले साल 17 नवंबर को मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद मुईज ने औपचारिक रूप से भारत से भारतीय सैन्यकर्मियों को मालदीव से वापस बुलाने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि मालदीव के लोगों ने उन्हें नई दिल्ली से यह अनुरोध करने के लिए "मजबूत जनादेश" दिया है.
मालदीव में भारतीय सेना की एक छोटी सी टुकड़ी है. कुछ टोही विमानों के साथ यह टुकड़ी हिंद महासागर पर नजर रखती है. इसमें करीब 89 लोग हैं. मुईज चुनाव पहले से ही भारतीय सेना की इस टुकड़ी को देश बाहर करने का वादा करते हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि रविवार को राजनयिकों ने इस बात पर चर्चा की थी कि भारतीय हवाई परिचालन को जारी रखने की अनुमति देने के लिए "पारस्परिक रूप से व्यावहारिक समाधान" कैसे खोजा जाए. विदेश मंत्रालय ने कहा कि बातचीत का एक और दौर आयोजित किया जाएगा, लेकिन कोई तारीख नहीं बताई गई है.
अब्दुल्ला नाजिम इब्राहिम ने रविवार को कहा कि सैनिकों की वापसी पर बातचीत के लिए दोनों देशों द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय कोर ग्रुप ने रविवार सुबह माले में विदेश मंत्रालय में अपनी पहली बैठक की, जिसमें भारतीय उच्चायुक्त मुनु महावर भी मौजूद थे. उन्होंने बताया कि बैठक का एजेंडा मार्च के मध्य तक सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध था.
उन्होंने कहा, "भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में नहीं रह सकते. यह राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुईज और इस प्रशासन की नीति है." राष्ट्रपति मुईज ने अपने राष्ट्रपति अभियान के दौरान वादा किया था कि वह मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने का काम पूरा करेंगे और पद संभालने के तुरंत बाद भारत से अपने सैन्यकर्मियों को वापस लेने का औपचारिक अनुरोध किया था.
मोदी पर टिप्पणी के बाद विवाद और बढ़ा
पिछले दिनों भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के दौरान उनके खिलाफ तीन डिप्टी मंत्रियों की कथित अपमानजनक टिप्पणियों पर विवाद के बीच, मालदीव के राष्ट्रपति ने चीन की पांच दिवसीय राजकीय यात्रा से लौटने के बाद शनिवार को प्रेस से बात करते हुए भारत का नाम लिए बिना एक बयान में इस पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा, "हम छोटे हो सकते हैं, लेकिन इससे आपको हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता."
उन्होंने भारत पर देश की निर्भरता को कम करने की योजनाओं की भी घोषणा की, जिसमें अन्य देशों से आवश्यक खाद्य वस्तुओं और दवाओं तथा उपभोग्य सामग्रियों के आयात को सुरक्षित करना शामिल है. उन्होंने एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से कहा, "हम किसी के आंगन में नहीं हैं. हम एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य हैं."
राष्ट्रपति बनने के बाद मुईज ने चीन की पहली आधिकारिक यात्रा की थी, आम तौर पर मालदीव का चुनाव जीतने वाले राष्ट्रपति भारत की पहली आधिकारिक यात्रा करते आए हैं.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
लक्षद्वीप के बारे में 7 बातें
इंटरनेट पर बहुत से लोग आजकल लक्षद्वीप के बारे में खोज रहे हैं. हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के बाद लक्षद्वीप चर्चा में है. आइए, आपको बताते हैं इस जगह के बारे में कुछ बातें:
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36 द्वीपों का समूह लक्षद्वीप
लक्षद्वीप का अर्थ होता है एक लाख द्वीपों का समूह. लेकिन भारत के दक्षिणपश्चिम में केरला के तट से दूर लक्षद्वीप 36 द्वीपों का समूह है. इनमें से कुछ ही पर लोग रहते हैं और वहां जाने के लिए परमिट लेना होता है.
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कारावत्ती है केंद्र
कारावत्ती इस द्वीप समूह की प्रशासनिक राजधानी है और सबसे ज्यादा बसा हुआ इलाका. वहां बहुत सारी खूबसूरत और पुरानी मस्जिद हैं. सभी द्वीप कोच्चि से 220 से 440 किलोमीटर के दायरे में हैं.
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छोटे-छोटे द्वीप
लक्षद्वीप समूह के द्वीप बहुत छोटे हैं. कोई भी 1.6 किलोमीटर से ज्यादा बड़ा नहीं है. समूह का कुल दायरा 32 वर्ग किलोमीटर है. वहां सारा साल तापमान 20 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है.
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मालदीव के भी नजदीक
लक्षद्वीप के कुछ द्वीर मालदीव से करीब 750 किलोमीटर हैं. एक द्वीप मिनीकॉय पर रहने वाले लोगों का जीवन और संस्कृति मालदीव से बहुत मिलती-जुलती है. वहां के लोग मलयालम और माही भाषी हैं. माही सिंहली से मिलती जुलती है.
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हिंदी और मलयालम
द्वीप समूह के अधिकतर लोग भारत के मालाबार तटीय इलाकों से वहां बसे लोगों की संतानें हैं. वहां अधिकतर लोग मलयालम और हिंदी बोलते हैं.
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आना-जाना
लक्षद्वीप जाने के लिए अधिकतर लोग कोझिकोड या कोच्चि से जहाज लेते हैं. वैसे वहां एयरपोर्ट भी है और स्थानीय स्तर पर हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं.
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लक्षद्वीप का इतिहास
लक्षद्वीप के बारे में सबसे पुराना जिक्र एक ग्रीक नाविक द्वारा मिलता है, जिसने पहली सदी में इसे कछुओं के खोल का स्रोत बताया था. सन 1100 के आसपास मालाबार के हिंदू राजाओं ने इस पर कब्जा किया.
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इस्लामिक प्रभाव
वहां के लोगों का समुद्र से यात्रा करने वाले अरबी यात्रियों से काफी मेलजोल रहा और सन 700 के आसपास बड़ी संख्या में लोगों ने इस्लाम अपना लिया. हालांकि बाद में हिंदू राजाओं ने लक्षद्वीप को जीत लिया लेकिन लक्षद्वीप की संस्कृति पर इस्लामिक इतिहास का असर आज भी मौजूद है. वहां की 96 फीसदी आबादी इस्लाम को मानती है.
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